तमिलनाडु सरकार ने सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में मुसलमानों तथा ईसाइयों को अलग से आरक्षण देने के लिए आज एक अध्यादेश जारी किया। यह आरक्षण पिछड़े वर्गों के लिए मौजूदा आरक्षण में से ही दिया जाएगा।
मध्यावधि चुनावों की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री एम. करूणानिधि ने एक बयान में कहा कि प्रदेश सरकार ने मुसलमानों और ईसाइयों दोनों में से प्रत्येक को 3.5 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय किया है। यह हिस्सा प्रदेश में पिछड़े वर्गों के लिए दिये जा रहे 30 प्रतिशत आरक्षण में से ही निकाला जाएगा। यह आरक्षण द्रमुक के मुख्य चुनावी वायदों में शामिल था। आरक्षण 15 सितम्बर से लागू होगा। 15 सितम्बर को द्रमुक संस्थापक सीएन अन्नादुरै की 99वीं जयंती है।
करूणानिधि ने कहा कि न्यायमूर्ति जनार्दनम की अध्यक्षता वाले तमिलनाडु पिछड़ा वर्ग आयोग ने सिफारिश की थी कि दूसरे पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की जनगणना के अनुसार आरक्षण का प्रतिशत तय किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘द्रमुक सरकार की अल्पसंख्यकों के प्रति हमेशा ही सहानुभूति रही है। हमारी पार्टी ने उनके लिए अलग से आरक्षण का वायदा किया था। दिवंगत सीएन अन्नादुरै की 99वीं जयंती पर तोहफे के रूप में 15 सितम्बर से अल्पसंख्यकों के लिए अलग से आरक्षण शुरू किया जा रहा है।’
प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय लंबे समय से अपने लिए अलग से आरक्षण की मांग करता रहा है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय का विदेश राज्य मंत्री ई. अहमद ने स्वागत किया और कहा कि अन्य राज्यों को भी तमिलनाडु का अनुसरण करना चाहिए। द्रमुक केंद्र की यूपीए सरकार का अहम घटक है।
आईयूएमएल महासचिव अहमद ने कहा कि अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा में अन्य राज्यों को तमिलनाडु का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैंने फोन पर करूणानिधि से बात की और अध्यादेश जारी कर मुसलमानों तथा ईसाइयों को आरक्षण देने के लिए उन्हें बधाई दी। मुझे विश्वास है कि अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए अन्य राज्य भी ऐसे ही कदम उठाएंगे।’
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