45 मिनट में गुजरात की सम्पन्नता और गुजराती स्वाभिमान की बाबत अगर आपको कुछ जानना है तो अमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट आदि-आदि पर इंटरनेट खंगालना छोड़िए, तालीबानी मिडीया जो विदेशी धन पर अपना भरन पोसन करती है और अपने सरकारी आका को खुश करने के लीये चुनाव के समय ओपरेसन कलन्क लेकर आती है। मयंक जैन का बनाया वृत्तचित्र 'इंडिया टुमोरो' यानी 'कल का भारत' देख लीजिए। गुजरात में विकास के सोपान किस खूबी से तय किए जा रहे हैं और औद्योगिक, आर्थिक, सांस्कृतिक क्रांति जन-जन को स्वाभिमान के भाव से कैसे भर रही है,वहीं अपने-अपने क्षेत्र की प्रमुख विभूतियों ने गुजरात सरकार की दूरदृष्टिपूर्ण सोच की तारीफ की है। तत्कालीन राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम, प्रतिपक्ष के नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी, वाणिज्य मंत्री श्री कमलनाथ, शीर्ष उद्योगपति रतन टाटा, मुकेश अंबानी और कुमारमंगलम बिरला ने गुजरात में पूंजी निवेश को समझदारी भरा कदम कहा है और यह भी कि खुशहाल वातावरण देने में गुजरात का कोई सानी नहीं है।
जिस तरह का वातावरण तलीबानी सेकुलरों, विदेशी समाचार चैनले के पत्रकार ने मोदी शासन के विरुध्द अल्पसंख्यकों के मन में बनाया था वह इसके जरिए तार-तार हो गया है। गुजरात के ही अनेक आम मुस्लिमों ने इस वृत्तचित्र में कहा है कि वे खुद को गुजरात में सुरक्षित महसूस करते हैं और राज्य की प्रगति में हिस्सेदारी कर रहे हैं।
गुजरात राज्य में तेजी से हो रहे ग्रामीण और औद्योगिक विकास की झलक है कैसे मोदी शासन ने इसे आतंक रहित राज्य बनाया है। पिछले कुछ वर्षों से आतंक की कोई बड़ी घटना नहीं घटने दी गई है (भारत सरकार को कुछ सीखना चाहीय)। इसमें गुजरात की तुलना उन राज्यों, खासकर मार्क्सवादियों के शासन वाले बंगाल से की गई है जहां स्थितियां काबू से बाहर होती रही हैं। सिंगूर और नंदीग्राम जहा पर कामरेड हाथ मे बन्दुक और बम लेकर आम नागरीको डराते और मारते है।
बताया गया है कि कैसे साल के 60 प्रतिशत मानव श्रम दिवस बंगाल में हड़तालों के कारण काम के बगैर गुजरे हैं जबकि, मुकेश अंबानी के शब्दों में, 'गुजरात में पिछले एक साल में रिलायंस ने एक भी मानव श्रम दिवस का घंटा गंवाया नहीं है।' रतन टाटा कहते हैं, 'गुजरात सबसे अधिक प्रगतिशील राज्य है।' कुमारमंगलम बिरला तो मोदी के दमदार नेतृत्व से अभिभूत हैं जबकि केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ कहते हैं, 'गुजरात को सामने रखकर हम भारत को प्रस्तुत करते हैं।' कुछ समय पहले अमदाबाद में देश-विदेश के शीर्ष उद्योगपति, पूंजी निवेशक और व्यवसायी वायब्रेन्ट गुजरात सम्मेलन में एकत्र हुए थे। इस सम्मेलन के पीछे मुख्यमंत्री मोदी की यही दूरदर्शी सोच थी कि प्रदेश सरकार ओद्यौगिक विकास के लिए जो प्रयास कर रही है उसकी पूरी जानकारी संबंधित वर्ग के लोगों को होनी चाहिए। इसीलिए उन्होंने सबको गुजरात बुलाया था और उनके सामने पूंजी निवेश की असीम संभावनाएं दर्शाई थीं। उद्यमियों ने प्रभावित होकर अरबों रुपए के निवेश की घोषणा की थी और गुजरात को निवेशकों की पहली पसंद बताया था।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने एक अध्ययन किया है जिसका निष्कर्ष यह है कि 2007 के दौरान सीधे विदेशी निवेश के जरिए भारत को कुल 69 अरब डॉलर पूंजी मिलेगी। यह आंकड़ा करीब 380 लाख करोड़ रुपए के बराबर है। उसमें से 25.8 प्रतिशत विदेशी पूंजी निवेश अकेले गुजरात राज्य में आया। यानि एक चौथाई से ज्यादा। इससे कम, घटते हुए क्रम में, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में विदेशी पूंजी निवेश हुआ। बाकी राज्यों में तो और भी कम। गुजरात में भारत के पांच प्रतिशत लोग हैं और 6 प्रतिशत भूमि इसका क्षेत्रफल है। गुजरात का निर्यात देश का 12 प्रतिशत है। भारत के शेयर बाजार में इस राज्य की भागीदारी 30 प्रतिशत है। गुजरात में गरीबी रेखा के नीचे की आबादी लगभग 15 प्रतिशत है। करीब 40 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं।
''सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी'' के अनुसार आद्योगीकरण के क्षेत्र में गुजरात अन्य राज्यों से कहीं आगे प्रथम स्थान पर है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन ने अपने अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला था कि गुजरात में सर्वाधिक आर्थिक स्वतंत्रता है। गुजरात की शिक्षा दर 70 प्रतिशत से ज्यादा है। 2003, 2005 और 2007 में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'वाइबंरेट गुजरात' महासम्मेलन का आयोजन किया था। विश्व भर से उद्योगपति और निवेशक वहां आए। रतन टाटा, मुकेश अंबानी और कुमार मंगलम बिड़ला जैसे उद्योगपतियों ने गुजरात की आर्थिक गतिविधियों और चौमुखी विकास की जबरदस्त सराहना की। विशेष आर्थिक क्षेत्रों के मामले में भी गुजरात देश में प्रथम स्थान पर है। गुजरात में इस समय 51 से अधिक एसईजेड (विशेष आर्थिक क्षेत्र) कार्य कर रहे हैं। आर्थिक क्षेत्र के मामले में महाराष्ट्र को गुजरात ने पीछे छोड़ दिया है। गुजरात के लगभग 19000 गांवों में तीन फेज बिजली की आपूर्ति 24 घंटे होती है।इंग्लैण्ड में रहने वाले कपैरो ग्रुप के लॉर्ड स्वराज पाल ने कहा है कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य में उच्च कोटि का बुनियादी ढांचा खड़ा किया है। गुजरात में उत्कृष्ट सड़कें हैं।गुजरात में अब पानी का संकट नहीं है। वनवासियों को भी दूर गांव से पानी लाने की जरूरत नहीं है। उच्च शिक्षा और कम्प्यूटरीकरण के मामले में गुजरात तीव्रतर विकास करने वाला राज्य है। ई-गवर्नेन्स से अर्थात कम्प्यूटर के जरिए प्रशासन संभालने का सफल प्रयोग गुजरात में हुआ है। नतीजा यह है कि पिछड़े से पिछड़े गांव के गरीब से गरीब परिवार के खतरनाक बीमारियों से जूझ रहे रोगियों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ दिया गया है। आवश्यकता होने पर वह श्रेष्ठतम चुनिन्दा अस्पतालों में इलाज करवा सकते हैं। गर्ववती महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं का विशेष ध्यान रखा गया है।
'इण्डिया टुडे' ने पिछले पांच वर्षों में गुजरात को दो बार सर्वोत्तम शासन मुहैया कराने वाला राज्य कहा है। भाजपा और नरेन्द्र मोदी के कट्टर से कट्टर विरोधी भी विकास के सवाल पर नरेन्द्र मोदी का लोहा मानते हैं। प्रशासन में शुचिता और मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत ईमानदारी के सवाल पर प्राय: उनका लोहा माना जाता है। प्रसिध्द अन्तर्राष्ट्रीय कंसलटेंसी कम्पनी 'अर्नस्ट एण्ड यंग' ने अपने विशद अध्ययन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। उसमें गुजरात को भारत की विकास यात्रा और आत्म निर्भरता के मामले में एक सुनहरा उदाहरण बताया है। कहा है कि गुजरात सरकार ने 72 अभिनव पहल किए हैं और उन प्रायोगों की उपलब्धियों का व्योरा दिया है।
वैसे प्रचार की आंधी नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आज भी है। पिछले दिनों नरेन्द्र मोदी को प्रसिध्द भेंटवार्ताकार करन थापर ने अपने साप्ताहिक कार्यक्रम में बुलाया। उनकी कोशिश यही थी कि घूम-फिर कर गुजरात दंगों के लिए बदनाम किए गए नरेन्द्र मोदी को इस पुरानी जमीन पर खड़ा कर दिया जाए। मोदी उनके सवालों के जवाब, बिना राजनीतिक मात खाए हुए, टालू मुद्रा में दिया। मगर करन थापर भी कुछ कम नहीं थे। वह छवि के सवाल पर घूम-फिर कर गुजरात के दंगों पर आ जाते थे। अंतत: यह हुआ कि सिर्फ चार मिनट बाद ही नरेन्द्र मोदी ने एक गिलास पानी पिया और भेंटवार्ता का बहिर्गमन कर दिया। पश्चिम बंगाल की प्रसिध्द लेखिका महाश्वेता देवी का मानना है कि बुध्दिजीवियों के बीच वामपंथी मोर्चा जिस प्रकार से अलग-थलग पड़ता जा रहा है, उससे पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में अपने 30 वर्ष के शासन के बाद भी उसने वहां कुछ भी तो नहीं किया है।नई दिल्ली में आयोजित नौंवे डी.एस. बोर्कर स्मृति व्याख्यान में 'माई विजन ऑफ इण्डिया: 2047 एडी' विषय पर भाषण देते हुए महाश्वेता देवी ने पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार को विकास का कोई भी कार्य न कर पाने के लिए निकम्मा ठहराया और नरेन्द्र मोदी की गुजरात सरकार द्वारा जमीनी स्तर से विकास कार्य को बहुत ऊंचाई तक ले जाने के लिए प्रशंसा की।उन्होंने कहा कि मैं इस बात से अत्यंत प्रभावित हुई हूं कि गुजरात में कार्य-संस्कृति अत्यंत सुदृढ अवस्था में पहुंच गई है। शहरी और गांव की सड़कें बहुत अच्छी बनी हुई हैं, यहां तक कि दूर-दराज के गांवों तक में भी बिजली और पेयजल उपलब्ध है। मैं विशेष रूप से पंचायतों और स्थानीय स्तर पर बने स्वास्थ्य केन्द्रों में प्राप्त डाक्टरी सुविधाओं से बहुत प्रभावित हुई हूं। यहां की स्थिति पश्चिम बंगाल जैसी नहीं है, जहां अब तक भी गांवों और पंचायती क्षेत्रों में कहीं भी बिजली के दर्शन तक नहीं हो पाते है और सरकार की तथाकथित स्वास्थ्य परिसेवा कहीं दिखाई नहीं पड़ती है। महाश्वेता देवी ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल में 30 वर्षों से सीपीआई(एम) की वामपंथी सरकार का शासन चल रहा है, फिर भी वहां कोई उपलब्धि दिखाई नहीं पड़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में भूखमरी से होने वाली मौतें और बाल मृत्यु दर का दौर-दौरा है।महाश्वेता देवी ने कहा कि मैंने इतिहास, लोक-संगीत और लोक-कहावतों की पुस्तकें पढ़ी है। जरूरत इस बात की है कि गांवों का दौरा किया जाए और ग्रामवासियों से मिला जाए। शायद मैंने इसी प्रकार भारत को जानना शुरू किया। आज 82 वर्ष की आयु में भी नन्दीग्राम का दौरा कर मैं यही कर रही हूं।
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जिस तरह का वातावरण तलीबानी सेकुलरों, विदेशी समाचार चैनले के पत्रकार ने मोदी शासन के विरुध्द अल्पसंख्यकों के मन में बनाया था वह इसके जरिए तार-तार हो गया है। गुजरात के ही अनेक आम मुस्लिमों ने इस वृत्तचित्र में कहा है कि वे खुद को गुजरात में सुरक्षित महसूस करते हैं और राज्य की प्रगति में हिस्सेदारी कर रहे हैं।
गुजरात राज्य में तेजी से हो रहे ग्रामीण और औद्योगिक विकास की झलक है कैसे मोदी शासन ने इसे आतंक रहित राज्य बनाया है। पिछले कुछ वर्षों से आतंक की कोई बड़ी घटना नहीं घटने दी गई है (भारत सरकार को कुछ सीखना चाहीय)। इसमें गुजरात की तुलना उन राज्यों, खासकर मार्क्सवादियों के शासन वाले बंगाल से की गई है जहां स्थितियां काबू से बाहर होती रही हैं। सिंगूर और नंदीग्राम जहा पर कामरेड हाथ मे बन्दुक और बम लेकर आम नागरीको डराते और मारते है।
बताया गया है कि कैसे साल के 60 प्रतिशत मानव श्रम दिवस बंगाल में हड़तालों के कारण काम के बगैर गुजरे हैं जबकि, मुकेश अंबानी के शब्दों में, 'गुजरात में पिछले एक साल में रिलायंस ने एक भी मानव श्रम दिवस का घंटा गंवाया नहीं है।' रतन टाटा कहते हैं, 'गुजरात सबसे अधिक प्रगतिशील राज्य है।' कुमारमंगलम बिरला तो मोदी के दमदार नेतृत्व से अभिभूत हैं जबकि केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ कहते हैं, 'गुजरात को सामने रखकर हम भारत को प्रस्तुत करते हैं।' कुछ समय पहले अमदाबाद में देश-विदेश के शीर्ष उद्योगपति, पूंजी निवेशक और व्यवसायी वायब्रेन्ट गुजरात सम्मेलन में एकत्र हुए थे। इस सम्मेलन के पीछे मुख्यमंत्री मोदी की यही दूरदर्शी सोच थी कि प्रदेश सरकार ओद्यौगिक विकास के लिए जो प्रयास कर रही है उसकी पूरी जानकारी संबंधित वर्ग के लोगों को होनी चाहिए। इसीलिए उन्होंने सबको गुजरात बुलाया था और उनके सामने पूंजी निवेश की असीम संभावनाएं दर्शाई थीं। उद्यमियों ने प्रभावित होकर अरबों रुपए के निवेश की घोषणा की थी और गुजरात को निवेशकों की पहली पसंद बताया था।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने एक अध्ययन किया है जिसका निष्कर्ष यह है कि 2007 के दौरान सीधे विदेशी निवेश के जरिए भारत को कुल 69 अरब डॉलर पूंजी मिलेगी। यह आंकड़ा करीब 380 लाख करोड़ रुपए के बराबर है। उसमें से 25.8 प्रतिशत विदेशी पूंजी निवेश अकेले गुजरात राज्य में आया। यानि एक चौथाई से ज्यादा। इससे कम, घटते हुए क्रम में, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में विदेशी पूंजी निवेश हुआ। बाकी राज्यों में तो और भी कम। गुजरात में भारत के पांच प्रतिशत लोग हैं और 6 प्रतिशत भूमि इसका क्षेत्रफल है। गुजरात का निर्यात देश का 12 प्रतिशत है। भारत के शेयर बाजार में इस राज्य की भागीदारी 30 प्रतिशत है। गुजरात में गरीबी रेखा के नीचे की आबादी लगभग 15 प्रतिशत है। करीब 40 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं।
''सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी'' के अनुसार आद्योगीकरण के क्षेत्र में गुजरात अन्य राज्यों से कहीं आगे प्रथम स्थान पर है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन ने अपने अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला था कि गुजरात में सर्वाधिक आर्थिक स्वतंत्रता है। गुजरात की शिक्षा दर 70 प्रतिशत से ज्यादा है। 2003, 2005 और 2007 में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'वाइबंरेट गुजरात' महासम्मेलन का आयोजन किया था। विश्व भर से उद्योगपति और निवेशक वहां आए। रतन टाटा, मुकेश अंबानी और कुमार मंगलम बिड़ला जैसे उद्योगपतियों ने गुजरात की आर्थिक गतिविधियों और चौमुखी विकास की जबरदस्त सराहना की। विशेष आर्थिक क्षेत्रों के मामले में भी गुजरात देश में प्रथम स्थान पर है। गुजरात में इस समय 51 से अधिक एसईजेड (विशेष आर्थिक क्षेत्र) कार्य कर रहे हैं। आर्थिक क्षेत्र के मामले में महाराष्ट्र को गुजरात ने पीछे छोड़ दिया है। गुजरात के लगभग 19000 गांवों में तीन फेज बिजली की आपूर्ति 24 घंटे होती है।इंग्लैण्ड में रहने वाले कपैरो ग्रुप के लॉर्ड स्वराज पाल ने कहा है कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य में उच्च कोटि का बुनियादी ढांचा खड़ा किया है। गुजरात में उत्कृष्ट सड़कें हैं।गुजरात में अब पानी का संकट नहीं है। वनवासियों को भी दूर गांव से पानी लाने की जरूरत नहीं है। उच्च शिक्षा और कम्प्यूटरीकरण के मामले में गुजरात तीव्रतर विकास करने वाला राज्य है। ई-गवर्नेन्स से अर्थात कम्प्यूटर के जरिए प्रशासन संभालने का सफल प्रयोग गुजरात में हुआ है। नतीजा यह है कि पिछड़े से पिछड़े गांव के गरीब से गरीब परिवार के खतरनाक बीमारियों से जूझ रहे रोगियों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ दिया गया है। आवश्यकता होने पर वह श्रेष्ठतम चुनिन्दा अस्पतालों में इलाज करवा सकते हैं। गर्ववती महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं का विशेष ध्यान रखा गया है।
'इण्डिया टुडे' ने पिछले पांच वर्षों में गुजरात को दो बार सर्वोत्तम शासन मुहैया कराने वाला राज्य कहा है। भाजपा और नरेन्द्र मोदी के कट्टर से कट्टर विरोधी भी विकास के सवाल पर नरेन्द्र मोदी का लोहा मानते हैं। प्रशासन में शुचिता और मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत ईमानदारी के सवाल पर प्राय: उनका लोहा माना जाता है। प्रसिध्द अन्तर्राष्ट्रीय कंसलटेंसी कम्पनी 'अर्नस्ट एण्ड यंग' ने अपने विशद अध्ययन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। उसमें गुजरात को भारत की विकास यात्रा और आत्म निर्भरता के मामले में एक सुनहरा उदाहरण बताया है। कहा है कि गुजरात सरकार ने 72 अभिनव पहल किए हैं और उन प्रायोगों की उपलब्धियों का व्योरा दिया है।
वैसे प्रचार की आंधी नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आज भी है। पिछले दिनों नरेन्द्र मोदी को प्रसिध्द भेंटवार्ताकार करन थापर ने अपने साप्ताहिक कार्यक्रम में बुलाया। उनकी कोशिश यही थी कि घूम-फिर कर गुजरात दंगों के लिए बदनाम किए गए नरेन्द्र मोदी को इस पुरानी जमीन पर खड़ा कर दिया जाए। मोदी उनके सवालों के जवाब, बिना राजनीतिक मात खाए हुए, टालू मुद्रा में दिया। मगर करन थापर भी कुछ कम नहीं थे। वह छवि के सवाल पर घूम-फिर कर गुजरात के दंगों पर आ जाते थे। अंतत: यह हुआ कि सिर्फ चार मिनट बाद ही नरेन्द्र मोदी ने एक गिलास पानी पिया और भेंटवार्ता का बहिर्गमन कर दिया। पश्चिम बंगाल की प्रसिध्द लेखिका महाश्वेता देवी का मानना है कि बुध्दिजीवियों के बीच वामपंथी मोर्चा जिस प्रकार से अलग-थलग पड़ता जा रहा है, उससे पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में अपने 30 वर्ष के शासन के बाद भी उसने वहां कुछ भी तो नहीं किया है।नई दिल्ली में आयोजित नौंवे डी.एस. बोर्कर स्मृति व्याख्यान में 'माई विजन ऑफ इण्डिया: 2047 एडी' विषय पर भाषण देते हुए महाश्वेता देवी ने पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार को विकास का कोई भी कार्य न कर पाने के लिए निकम्मा ठहराया और नरेन्द्र मोदी की गुजरात सरकार द्वारा जमीनी स्तर से विकास कार्य को बहुत ऊंचाई तक ले जाने के लिए प्रशंसा की।उन्होंने कहा कि मैं इस बात से अत्यंत प्रभावित हुई हूं कि गुजरात में कार्य-संस्कृति अत्यंत सुदृढ अवस्था में पहुंच गई है। शहरी और गांव की सड़कें बहुत अच्छी बनी हुई हैं, यहां तक कि दूर-दराज के गांवों तक में भी बिजली और पेयजल उपलब्ध है। मैं विशेष रूप से पंचायतों और स्थानीय स्तर पर बने स्वास्थ्य केन्द्रों में प्राप्त डाक्टरी सुविधाओं से बहुत प्रभावित हुई हूं। यहां की स्थिति पश्चिम बंगाल जैसी नहीं है, जहां अब तक भी गांवों और पंचायती क्षेत्रों में कहीं भी बिजली के दर्शन तक नहीं हो पाते है और सरकार की तथाकथित स्वास्थ्य परिसेवा कहीं दिखाई नहीं पड़ती है। महाश्वेता देवी ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल में 30 वर्षों से सीपीआई(एम) की वामपंथी सरकार का शासन चल रहा है, फिर भी वहां कोई उपलब्धि दिखाई नहीं पड़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में भूखमरी से होने वाली मौतें और बाल मृत्यु दर का दौर-दौरा है।महाश्वेता देवी ने कहा कि मैंने इतिहास, लोक-संगीत और लोक-कहावतों की पुस्तकें पढ़ी है। जरूरत इस बात की है कि गांवों का दौरा किया जाए और ग्रामवासियों से मिला जाए। शायद मैंने इसी प्रकार भारत को जानना शुरू किया। आज 82 वर्ष की आयु में भी नन्दीग्राम का दौरा कर मैं यही कर रही हूं।