लोकतान्त्रिक देश के युवराज श्री राहुल गाँधी का समान्यज्ञान हा हा हा हा!

भारत के होने बाले प्रधानमंत्री और लोकतान्त्रिक देश के युवराज श्री राहुल गाँधी उर्फ राहुल बाबा, कांग्रेस के पालनहार श्री राहुल गाँधी, कांग्रेस पार्टी के कर्ताधर्ता श्री राहुल गाँधी, चुनाव के स्टार प्रचारक श्री राहुल गाँधी, विदेश से पढा़ई करके वापस हिन्दुस्तान आयें श्री राहुल गाँधी, लालू प्रसाद यादव के महात्मा गाँधी श्री राहुल गाँधी, कांग्रेस के ह्र्दय सम्राट श्री राहुल गाँधी, मिडीये के पुज्यनीय श्री राहुल गाँधी-चलिये इतना काफी है।

अब काम कि बात अभी कुछ दिन पहले लोकतान्त्रिक देश के युवराज श्री राहुल गाँधी गुजरात गये थे वहाँ उन्हों ने विकास पुरुष नरेन्द्र मोदी को खरी खोटी सुना कर वापस आये। वहाँ एक प्रस कान्फ्रेन्स में लोकतान्त्रिक देश के युवराज श्री राहुल गाँधी का ज्ञान भंडाफोर हो गया। लालू प्रसाद यादव के महात्मा गाँधी श्री राहुल गाँधी के अनुसार गुजरात का क्षेत्रफल युनाइटेड किगंडम के क्षेत्रफल से बडा़ है। और उससे भी मजेदार बात ये रही कि उनके साथ बैठे कांग्रेसी चमचों ने उनके इस बात पर जोडदार ताली बजाया। लेकिन सच्चाई है गुजरात का क्षेत्रफल 196,024 Sq KM है और युनाइटेड किगंडम का क्षेत्रफल 244,820 km2 है। गणित के किस फार्मुला से गुजरात युनाइटेड किंगडम बडा़ हो गया पता नही ये बात हामारे देश के युवा तुर्क भावी प्रधानमंत्री को नही पता है। लेकिन बात यही खत्म नही हो गया। कांग्रेस के पालनहार श्री राहुल गाँधी के अनुसार युनाइटेड स्टेट और अमेरिका को मिला दिया जाये तो उसका क्षेत्रफल हिन्दुस्तान के इतना नही होता है। लेकिन सत्यता यह है कि सिर्फ अमेरिका का अकेला क्षेत्रफल है 9,826,630 km2 युनाइटेड किंगडम का 244,820 km2 देखने योग्य बात है सिर्फ अमेरिका का क्षेत्रफल ही हमारे हिन्दुस्तान से बडा़ है युनाइटेड किंगडम को अलग भी रख दिया जाय तो भी हिन्दुस्तान का क्षेत्रफल कम है। (विडीयो देखें)। सोनिया गाँधी जी अगर ये सब बात बोलती तो ठिक भी लगता क्यों कि वे विदेशी है लेकिन श्री राहुल गाँधी तो देशी है। अगर राहुल बाबा का समान्यज्ञान अगर ऎसा है तो देश का क्या होगा।

आप सोचों आखिर ये क्या हो रहा है।

जय हो !

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जय महाराष्टृ, जय मुम्बई और हिन्दुस्तान जाये भाड़ में

हिन्दुस्तान भी ऑस्कर की किताब में अपना नाम लिखवा लिया। इज्जत से ना सही बेईज्जत से ही लेकिन हिन्दुस्तान का भी नाम हो गया। स्लमडॉग के निर्माता विदेशी हैं तथा इसमें काम करने बाले कुछ कलाकार भी मानसिक रुप से विदेशी है। इसी में एक है श्री मान अनिल कपुर जी जब उन्हें ऑस्कर के मंच पर पैर रखने का थोडा़ सा जगह मिला तो दिखा दिये अपना राज ठाकरे मानसिकता और दे दिया नारा जय महाराष्ट्रा, जय मुम्बई लेकिन जिस देश का नाम लेकर गये थे हिन्दुस्तान का बेइईज्जती करने उस हिन्दुस्तान का जयकारा उन्कें मुहँ से नही फुट पाया मि़ अनिल कपुर के मुह से जय हिन्दुस्तान या जय भारत का बोल नही निकल पाया। हिन्दुस्तान आज भी विश्व मानचित्र में एक असभ्य, बर्बर, अशिक्षीत, सपेरों का देश के रुप में जाना जाता है और स्लमडॉग फिल्म में भी यही सब दिखाया गया है। और तो और हिन्दू के भगवान श्री राम का गलत चित्रन भी किया गया है। हिन्दूओं को दंगाई भी दिखाया गया है। और हिन्दुस्तान में रहने बाला हर आदमी भीखारी है ये बात सही है लेकिन स्लमडॉग के माध्यम से अब इस बात को पुरा विश्व देखेगा।

हिन्दुस्तान आज महाशक्ति बनने का दंभ भर रहा हैं लेकिन यहाँ के नागरिक का मानसिकता अभी भी गुलामों जैसा है। आज के समय में हिन्दुस्तान के इंजिन्यर, डाक्टर, साफ्टवेयर डेव्लपर जैसे प्रोफेसनल का माँग विश्व को सबसे ज्यादा है हम हिन्दुस्तानीयों के बिना इन सबका काम शायद ना चले तभी तो अमेरिका के हर चुनाव के पहले आउटसोर्सिंग को लेकर हल्ला मचाया जाता है लेकिन वहाँ जो भी राष्टृपति बनता है इस मुद्दे पर चुप्पी साध लेता है कारण सिर्फ एक है हम हिन्दुस्तानीयों के बिना उनका देश सुपरपावर नही बन सकता है। लेकिन बीच-बीच में इन्ही देश से हमें ये एहसास दिया जाता है कि हिन्दुस्तानीयों तुम कितने भी तरक्की कर लो तुम रहोगे तीसरी दुनिया के असभ्य ही इसमें कुछ हिन्दुस्तानियों का भी भरपुर सहयोग रहता है। स्लमडॉग फिल्म के बनाने बाले विदेशी फिल्म बना हिन्दुस्तान में इसमें काम करने बाले कलाकार हिन्दुस्तानी, और यही कलाकारों के द्वारा हम हिन्दुस्तानियों को अपना औकाद बता दिया गया कि हिन्दुस्तानी तुम कितने भी तरक्की करलो तुम रहोंगे दंगाई ही।

स्लमडॉग को ऑस्कर मिला समाचार चौनलों के माध्यम से देख रहा हू आज सारा हिन्दुस्तान जय हो के नारा लगा रहा यहाँ तक कि स्लमडॉग का नाम सुनकर मेरा पालतु कुत्ता भी दुम हिलाने लगता है जैसे कि स्लमडॉग और कोई नही मेरा कुत्ता का कुम्भ के मेले में खोया हुआ कोई भाई हो। आज हिन्दुस्तान के नागरिक किसी और देश के मुहताज नही है हिन्दुस्तानी मेहनत से अपना और इमान्दारी से अपना एक अलग मुकाम हासिल कर लिया है और यही मेहनत और इमान्दारी आज विश्व के हर कोने में फैले हुये हिन्दुस्तानि को सिना तान कर जिना सिखा रहा है लेकिन शायद हमारे देश के चन्द कलाकारों को शायद यह इज्जत पसन्द नही है इस लिये चले जाते है ऑस्कर के मन्दिर में सर छुकाने। क्या होता अगर स्लमडॉग को ऑस्कर मिलता और हमारे हिन्दुस्तान के कलाकार वहाँ नही जाते, क्यों नही अनिल कपुर जैसे कलाकार ने पटकथा में हिन्दुस्तान का बुराई देखकर फिल्म में काम करने से मना कर दिया। कोई जलजला नही आता, कही आग नही लगता, कोई नागरिक नही मरते, कोई पाकिस्तान हिन्दुस्तान पर परमाणु बम नही गिराता। सिर्फ इतना होता कि हिन्दुस्तान का इज्जत बचा रह जाता और हम हिन्दुस्तानी विश्व को दिखा देते देखो हम हिन्दुस्तानि के पास अपना जमीर है हम इमान्दार हैं हम मेहनती हैं हम समझदार हैं हम खुद्दार है। स्लमडॉग से भी कई अच्छी फिल्मों को आस्कर नही दिया गया। लगान अच्छी फिल्म थी आस्कर मिलना चाहिये था लेकिन गोरी चमरी बाले ये कैसे बर्दास्त कर लेते कि अग्रेज हिन्दुस्तानियों से पीटे। अच्छी फिल्म होने के बावजुद लगान को ऑस्कर नही मिला। और आज जाकर स्लमडॉग को ऑस्कर मिला। और हम खुश हो गये अपने उपर ही बेहायायी हँसी हँसते हुये हम अपना ही पिठ ठोक रहें हैं चलो हिन्दुस्तान को भी ऑस्कर मिल गया।

वाह रे मानसिकता ----- जय हो
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राजनीति का अपराधीकरण या अपराधीयों का राजनीतिकरण।

संजय दत्त, मोहम्मद अजहरउद्दीन, आबू सलेम जैसे लोग भी आज इस देश में शासन करना चाहतें है जिनका इतिहास दागदार रहा है। यैसे नेता जो खुद अपराधी एवम भ्रष्टाचारी रहें हैं वे इस देश को क्या देगें। हम शायद भुल गयें है, वीर सावरकर, सुभाष चन्द्र वोष, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, डा. हेडगेवार, महात्मा गाँधी सरीखे नेता इस देश को अंग्रेज को खदेर कर इस देश को आजाद करवायें है ना कि अंग्रेज से इस देश को खैरात में ले कर आयें थे।

स्वतंत्रता के पश्चात हमने देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्वीकार की है। लोकतंत्र में राजनीति दल चुनाव लड़ते हैं जीतकर सत्ता संभालतें हैं। देश के स्वीकृ्त संविधान के अनुसार राष्टृहित व समाजहित को सर्वोपरि मानकर शासन चलाने की प्रक्रिया है। वर्तमान में राजनीतिक दलों का एक मात्रउद्देश रह गया है कि सब प्रकार के हथकण्डों को अपनाकर सत्ता प्राप्त करना, वोट खरीदना, विरोधी दल के वोट न पड़ने देना, राजनीति हत्या, अपहरण आदि सभी कार्य करवाना। इन कार्यों के लिये धन, बल की आवश्यकता है। अत: वे अपराधियों से सम्बन्ध रखते हैं इस प्रकार अपराधी राजनेता और राजनेता अपराधी बने। आज तो राजनीति अपराधी, गुण्डों, तस्करों, काला धन्धा करने वालो का पूँजीपतियों की शरणस्थली बन गई है और देश में राजनीति का अपराधीकरण और अपराधीयों का राजनीतिकरण हुआ है यह खतरनाक है।

स्वतंत्रता के इन वर्षों में काग्रेस अधिकाशं रुप से केन्द्र की सत्ता में रही है। सत्ता में बने रहने ले लिये मतदान केन्द्रों पर कब्जा, मतदान के पहले शराब पिलाना तथा धन वितरण करना अर्थात ओछे से ओछे तरीकों के अपनाये जाने लगें। अपराधीयों का राजनेताओं से गहरे तालूकात रहें रहें है। आज हिन्दुस्तान का दुश्मन न. 1 दाउद इब्राहम कभी महाराष्ट्रा के पुर्व मुख्यमंत्री तथा तात्कालिक मंत्री का सहयोगी रहा है। कुख्यात तस्कर खगोशी, चन्द्रास्वामी का सम्बन्ध तो पुर्व प्रधानमंत्री तक से था। नायना साहनी तन्दूर हत्याकाण्ड जिसमें कांग्रेस के कई बडे़-बडे. नेता शामिल थे....... इत्यादी।

संसद के विरोधी दलों के द्वारा कई बार इन अपराधि नेताओ के उपर लगाम लगाने का कोशीश भी किया गया लेकिन सत्तालोलुप नेताओं ने इस पर ध्यान भी नही दिया और सत्ता में चिपके रहने के लिये अपराधियों के नेता का टोपी पहनाते रहें। इन्हीं नेताओं और अपराधीयों के सम्बन्ध की जाँच करने के लिये बोहरा जाँच समिति बनी। जिसका रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं होने दिया गया। परन्तु कुछ मुख्य सूचना निम्न प्रकार है।

1. सरकार की अपराधी जगत का राजनितीक नेताओं का सम्बन्ध का खुलासा करने में रुचि नहीं है।

2.अपराधी जगत वास्तव में समानान्तर सरकार चला रहें हैं।

3. दाउद इब्राहम तथा मेमन बन्धुओं की अपराधिक कार्वाहियाँ वर्षों से चल रही हैं यह सरकारी अफसरों तथा राजनेताओं के सम्बन्ध से ही संभव है।

4.सी.बी.आई. ने 1986 में ही सरकार को मुम्बई के इस अपराध जगत की कार्यवाहियों की जानकारी दी थी परन्तु जानबूझकर कोई कार्यवाही नहीं कि गई।

5.इन अपराधियों ने तस्करी, अवैध वसुली के अपहरण, सट्टा के द्वारा अरबों की सम्पत्ती बनाई है। यह अन्तर्राष्टीय गैंग है और इस्लामिक कट्टरपंथी देश से भी इसके सम्बन्ध है।

6.मुस्लिम आतंकवादी तथा मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन ऎसे अपराधीयों के साथ मिल कर देश में तोड़फोड़, दंगा, बम विस्फोट, निर्दोश नागरिकों का हत्या कर रहें हैं। इन्हें पेटृो-डालर के रुप में धन प्राप्त हो रहा है। यह धन इसी देश के जाने माने मुस्लिम नेताओं के नाम पर आता है।

7. देशी-विदेशी सरकारी कार्यों मेंकमीशन मिलता है। इस धन का उपयोग वोट खरीदने में किया जाता है। विशेष रुप से मुस्लिम तथा झुग्गी झोंपडी़ में रहने वाले लोगो को खरीदा जाता है।

8. माफिया लोग इन पैसों का राजनेताओं तथा नौकरशाही से सम्बन्ध बनाने में उपयोग करते है।

बोहरा जाँच समिती के इस रिपोर्ट से समझ में आ सकता है कि आज के नेता इस देश को कहा लेकर जा रहें है तथा आने बाला पीढी़ को इस देश में सुरक्षा एवम सम्मान भी मिलना मुसकिल है।
नेताओं के द्वारा नैतिकता की बात केवल भाषणों और लेखों तक ही सीमित रह गई है। राजनेता तथा अधिकारीयों भी स्वयं उससे परे नही है। शासन के सर्वोच्च पदों पर भष्ट, समाज से तिरस्कृ्त, छोटी दलगत मानसिकता के लोग बिठाये जाते हैं। उनसे आखिर इस देश के नागरीकों को क्या अपेक्षा है? विधान सभा, लोकसभा तथा राज्यसभा में झूठ बोलना उनका धर्म हो गया है। इस प्रकार आज की राजनीति छलबल, धनबल और बाहुबल के भरोसे चल रहा है। चारों ओर अपराध और अपराधी तत्वों का संरक्षण, भ्रष्टाचार अनौतिकता का माहौल है।

जागरुक और देशभक्तों को यही मौका मिला है कि इस देश को अपराधीक नेताओ का पत्ता साभ कर दिया जाय और वैसे राजनितीक दल जो अपराधियों का संरक्षण लेता है उसे नकार दें।
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वेलेन्टइन्डे मनाने के फायदे

14 फरवरी को वेलेन्टइन्डे है सभी इसका इन्तजार कर रहें होगें। कुछ विरोध करने के लिये तथा कुछ मनाने के लिये इन्तजार में दिन गिन रहें होगें। तो मैं सोचा क्यों ना सभी को इसका फायदा बताया जाय जिससे वेलेन्टइन्डे मनाने का मजा दुगना हो जायेगा। तथा जो इसके विरोध में हैं उनका भी मुह बन्द हो जायेगा।

फायदा नम्बर 1 - वेलेन्टइन्डे मानाने से विदेश की कई कम्पनियों को बहुत फायदा होता है जैसे गर्भनिरोधक दवाई, कोण्डम, कार्ड, गिफ्ट, चाकलेट, पिंक चड्डी बनाने बाली कम्पनि का बिक्री बढ़ जाने के कारण उनका फायदा होता है। ( हम हिन्दुस्तानी तो हमेशा से दुसरों का ही फायदा देखते है अपना नुक्सान हो जाये तो कोई बात नही)

फायदा नम्बर 2 - लड़को एवम लड़कियों को नया नया साथी मिलता है जिससे उन्हें औफिस, स्कूल, कालेज, इन्सटीट्युट जाने में एक साथी मिल जाता है अगर किसी लड़के पास अपना मोटर बाइक, कार इत्यादी हो तो और लड़कियों को और भी अच्छा रहता है उनका कम से कम एक साल तक का यात्रा का खर्चा बच जाता है फिर अगले साल किसी और के साथ वेलेन्टइन्डे मनाने पर उसका नया बाइक का यात्रा का आनन्द। होटल में खिलाने, सिनेमा दिखाने, माँल घुमाने और खर्च करने वाला एक साथी मिल जाता है इसके बदले में ज्यादा कुछ देना भी नही परता है बस थोडा़ सा ......................................... ।(अन्दर की बात है)

फायदा नम्बर 3 - विदेश से आने वाला करोडो़ रुपय के गुलाब - गुलदस्ता, कार्ड, गीफ्ट इत्यादी को सही सलामत पहूचाने के लिये मजदुरों को कुछ आमदनी हो जाता है। (ये अलग बात है कि इससे हिन्दुस्तान के पिछले साल 7 हजार करोड़ खर्च वेलेन्टइन्डे मनाने के चक्कर में खर्च हो गये| हमारे यहाँ के किसान आत्महत्या करे , 30% जनता आधा पेट खाकर सोये।)

फायदा नम्बर 4 - सरकार को चाहियें कि वेलेन्टइन्डे के दिन नेशनल होलीडे मनाया जाय इसके बदले में 2 अक्टुवर, 15 अगस्त या फिर 26 जनवरी को स्कूल, कालेज कार्यालय को खोल कर रखा जाय जिससे कि वेलेन्टइन्डे के दिन लड़को - लड़कियों को प्रेमालाप करने में किसी तरह का कोई डिस्टरवेन्स ना हो। ( वैसे भी आज कितनो को पता है कि 2 अक्टुबर, 15 अगस्त या 26 जनवरी को क्या हूआ था)

फायदा नम्बर 5 - सभी काँलेज और स्कूल में वेलेन्टइन बाबा के बारें में पढाया जाय और जिससे हमें देश-द्रोह कैसे किया जाता है का शिक्षा मिलेगा। (अखिर प्रेम गुरु बाबा वेलेन्टइन देश-द्रोह के जुर्म में अपना जीवन जेल में काटा है उनके बारे में जानना हमारा परम कर्तव्य है) टिचर ना मिले तो पाकिस्तान से बुलवाया जा सकता है जिससे दोनो देश के सम्बन्ध भी सुधरेंगे वैसे जरुरत नही परेगा पाकिस्तानीयों के कई भाई बन्धु यहाँ रहते हैं।

फायदा नम्बर 6 - सभी समुद्र के किनारे, पार्क में या किसी मैदान में टेम्परोरि टेन्ट का इन्तजाम किया जाना चाहिये जिससे लड़को - लड़कियों को प्रेमालाप करने में किसी तरह का परेशानी नही हो और जो वेलेन्टइन्डे नही मनाते हो उन्हें भी किसी तरह का झीझक ना हो तथा टेन्ट के पास कुछ अस्थाई कोण्डम, गर्भनिरोधक इत्यादी का दुकान रहना चाहिये। जिससे कि वेलेन्टइन्डे मनाने वालों को किसी तरह का तकलीफ ना हो और दुकान चलाने वालों को भी एक दिन के लिये कमाने का जरीया मिल जायेगा।

फायदा नम्बर 7 - गुलाबी चड्डी (महीलाओं को पहनने बाला) बनाने के लिये अभी से सभी फैक्ट्री में कह दिया जाय क्यों कि कुछ पत्रकार उस दिन सभी को चड्डी गिफ़्ट करना चाहती है। देखे यहाँ

फायदा नम्बर 8 - वेलेन्टइन्डे के दिन घर के बडे़ बुजुर्गो का भी कुछ योगदान होना चाहिये उन्हें चाहियें कि वे अपने घर की लड़कियों सुबह जल्दी से उठाकर अच्छा कपडा़ (सेक्सी भी चलेगा) अच्छी तरह मेकअप करके घर से जाने दे जिससे अमीर लड़का (मुर्गा) पटाने में उनकी बच्चीयों को तकलिफ नही हो।

फायदा नम्बर 9 - वेलेन्टइन्डे के दिन अगर मोटा लड़का (मुर्गा) फसे तो जितना जल्दी हो सके उससे शादी कर देना चाहिये जिससे शादी का पैसा बचेगा। (ज्यादा अच्छा कोर्ट मैरेज रहेगा या फिर घर से भगवाया भी जा सकता है समाज में बदनामी का डर दिल से निकाल दें आखिर पैसा जो बचाना है) (जल्दी का शादी सफल नही होता है कोई बात वेलेन्टइन्डे फिर से अगले साल आयेगा नया लड़का (मुर्गा) पकडायेगा)।

फायदा नम्बर 10 - लड़कों को चाहीयों कि इस दिन दिल खोल कर पैसा खर्च करें अगर पैसा ना हो तो किसी से उधार ले सकते है अपने पिताजी के पर्स से भी उधार ले सकतें है, स्कूल, कालेज, ट्युसन का पैसा मार कर खर्च कर सकतें है जो नौकरी करते हैं उन्हें भी खर्च करने में किसी तरह का संकोच नही करना चाहिये आखिर साल में एक बार तो आता है वेलेन्टइन्डे फिर शर्माना कैसा। (आखिर सब खेला पैसा का ही है)

वैधानिक चेतावनी

आपके देस्तरुपी दुश्मन के चलते हो सकता है आपका वेलेन्टइन्डे का मजा फिका पर जाये इस लिये कुछ बातों का ध्यान रखे।

अगर कोई कहे कि वेलेन्टइन्डे का सांस्कृतिक या वैज्ञानिक आधार नही है तो उसे तुरन्त भगा दे हो सकता है वे आपका दुश्मन हो। सांस्कृतिक या वैज्ञानिक क्या लेना देना जब कोई फोकट में कोई आत्मा को तृ्प्त करे तो क्या फर्क परता है सांस्कृतिक या वैज्ञानिक आधार का।

अगर कोई कहें कि वेलेन्टइन्डे के दिन पब में, समुद्र तट, होटल, कॉलेज, पार्क आदि में अश्लील हररकत करके कानून मत तोड़ना इत्यादी समझाये तो उसे कह देना साले यहाँ के नेता, अभिनेता कौन सा कानून का रक्षा करतें हैं सो हम करें।

एक आम आदमी को लड़का-लड़की का अश्लील हररकत से शर्मिन्दगी महसुस करें तो उस ओर ध्यान मत देना और अपने काम में मशगुल रहना। आखिर साल में 1 दिन ही तो मिला अश्लील हररकत करने के लिये।

अगर कोई कहे कि वेलेन्टइन्डे का हिन्दुस्तान से कोई लेना देना नही है तो उसे कह सकते हो मेरा कौन सा हिन्दुस्तान से लेना देना है हम तो जब पैदा हुये थे उसी समय अमेरिका का वीजा माँगे थे कोई नही दिया अब सड़ रहें हैं हिन्दुस्तान में।

चलो अब मनाओ वेलेन्टइन्डे। बिन्दास होकर मनाओ, स्टौक में दो तीन रख कर मनाओ वेलेन्टइन्डे, किसी तरह का कोई परेशानी झीझक हो तो अभी बता दो 14 फरवरी को मैं भी व्यस्त रहूगा।

अहो एक परेशानी है आपको आपके साथ कोई लड़की नही है वेलेन्टइन्डे मनाने के लिये कोई बात नही इधर-उधर नजर दौडा़ओ देखो कई वेलेन्टइन्डे के सर्मथन में कई खडे़ है उनसे उनकी बहन, बेटी, बहू या फिर एक दिन के लिये माँ ही माग लो टी.वी. रिपोर्टर, रेडीयो के र.जे. बाले से भी मांग सकते हो अगर लड़की हो तो और भी आच्छा है उनहें ही साथ चलने को कह सकते हो आखिर एक दिन का ही बात है मैं भी उन्ही लोग से मागने बाला हूँ।

जय बोलो वेलेन्टइन बाबा की
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श्री राम जन्मभूमि पर मुस्लिम आक्रामण का इतिहास

राम का नाम मत लो राम का नाम लेना पाप हो गया है हो गया जब नागपुर में श्री राजनाथ सिंह ने राम का नाम लिया मैं उसी समय खुश हो गया मेरे कई ब्लागर साथियों को तीन-चार ब्लाग का मैटर मिल गया अब कई दिन तक सभी हाय तौबा मचाने के लिये। ज्यादा ब्लागरों को मिर्ची लगेगी यही सोच कर में चिट्ठाजगत खोल कर बैठ गया और देखने लगा आखिर कितने ब्लागर हैं जिन्हें राम से परहेज या शायद राम से नही भा.ज.पा के मुह से राम शब्द सुनने से परहेज है। वैसे ज्यादा लेखकों को श्री रामजन्ममूमि का इतिहास नही पता है लेकिन अपना आधा-अधुरा ज्ञान (अज्ञान) एवम चर्च के पैसों से चल रहें समाचार चैनल के दुस्प्रभाव के कारण अपनी संस्कृ्ती को मिटाने पर ज्यादा रुची दिखाते हैं।

श्री राम जन्मभूमि पर मुस्लिम आक्रामण का इतिहास

लगभग 7बी शताब्दी से ही हिन्दुस्तान पर मुस्लिम लुटेरों का आक्रमण हिन्दुस्तान पर होने लगा था। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सिर्फ मन्दिरों के खजाना लुटने में ही अपनी रुची नही दिखाई मन्दिरों को लूटने के बाद मन्दिरों को तोड़ कर उसको मस्जिद का रुप देना उन्हें ज्यादा भाया। अफजल खाँ ने छत्रपति शिवाजी की अराध्यदेवी तुलाजी भवानी का मन्दीर को तोडा़। दिल्ली के कुतुबमीनार के पास पुरातत्व विभाग के लगाये सरकारी बोर्ड पर लिखा है कि 21 जैन मन्दिरों को तोड़ कर उनके मलबे से कुव्वत-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया।

सेनापति मीरबांकी ने बाबर के आदेश पर अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि पर बना विशाल भगवान राम के मन्दिर को तोडा़ था, जिसका उल्लेख वहाँ खडे़ ढाँचे पर लगे पत्थर पर अरबी लिपि में खुदा था। औरंगजेब के आदेश से मथुरा में श्री कृ्ष्ण जन्मभूमि पर बना मन्दिर को तोडा़ गया। मौहम्म्द गौरी के इतिहासकार हसन कि पुस्तकों से पता चलता है कि मौ़. गौरी ने काशी पर हमला कर भगवान विश्वनाथ मन्दिर सहित लगभग हजार मंदिरों को तोडा़ और मुस्लमानों के इवादतगाह का रुप दिया। ऎसे हजारों मन्दिरों को तोड़ने के अवशेष देश भर में फैले पडे़ हैं।

इन आक्रमणों के विरुद्ध हिन्दुस्तानीयों ने हमेशा से संघर्ष किया है जो आज भा.ज.पा. भी कर रहा है। तोडे़ गये मन्दिरों के बारबार पुननिर्माण कराया है, और अपने अपमान का बदला लिया है। सिन्ध के राजा की पुत्रियों ने आक्रमणकारी के देश में जाकर अपमान का बदला लिया है, आक्रमणकारी सेनापति मौ. बिन कासिम को उसी के राजा से मृ्त्युदण्ड दिलाया। छत्रपति शिवाजी ने अफजल खाँ का पेट फाड़कर समाज के सम्मान की रक्षा की। हिन्दु समाज ने बाबा विश्वनाथ का मन्दिर पुन: बनवाया लेकिन जैनपुर के मुस्लिम बादशाह ने तोड़ दिया जिसका निर्माण राजा टोडर मल के द्वारा किया गया जिसे पुन: औरंगजेब के हुक्म पर उसे फिर से तोड़ दिया गया। मथुरा के जिस स्थान पर औरंगजेब ने ईदगाह बनवाया उस स्थान को मराठों ने जीत लिया परन्तु मराठा अंग्रेज से पराजीत हो गये जिसके कारण श्री कृ्ष्णजन्मभूमि उद्धार का कार्य वही रुक गया।

भा.ज.पा द्वारा लिया गया श्री राम जन्मभूमि मुक्ति का संकल्प कोई पहला नही है इस से पहले 72 बार जन्मभूमि के लिये लडा़ई हो चूका है। बाबर और हुमायूँ के काल में ही 10 बार सघर्ष हुये जिनमें रानी जयराजकुमारी और स्वामी महेश्वरानन्द जी महराज की भुमिका प्रमुख रहा था। औरंगजेब के राज्य में श्री रामजन्म भूमि के लिये 30 लडा़ईया लडी़ गई। गुरु गोविन्द सिंह जी महराज ने मन्दिर की मुक्ति के लिये निहंगों की सेना अयोध्या भेजी था। अवध के नवाब के राजकाल में हिन्दुओं ने 5 बार धावा बोला कर श्री राम जन्मभूमि को मुस्लमानों के आजाद कराने का कोशीश किया। 1857 के समय हिन्दुओं के विजय के बाद मुस्लमानों ने श्री रामजन्मभूमी को हिन्दुओं को सौपने का निर्णय लिया था लेकिन अंग्रेजों के द्वारा समझौता लागू नहीं होने दिया गया और श्री रामचरण दास जी को इमली के पेड़ से लटका कर मार दिया गया।

1947 में भारत अंग्रेज की गुलामी से मुक्त हो गया। अंग्रेज गुलामी के सभी प्रतीक चिन्हों को हटाया जाने लगा। इसी क्रम में सरदार बल्लभ भाई पटेल के दृढ़ निश्चय के कारण सोमनाथ का मन्दिर का जनता के द्वारा किया गया चँदा ( जबकि जामा मस्जिद का खर्चा सरकार ने वहन किया लेकिन गाँधी जी ने सोमनाथ मन्दिर के पैसा देने से साफ शब्दों में मना कर दिया था) के द्वारा पुन:निर्माण किया गया और हिन्दुस्तान के प्रथम राष्टृपती श्री राजेन्द्र प्रसाद जी उस समारोह में मौजुद थे। लेकिन हिन्दुस्तान की बदकिस्मती ने हमेशा की तरह यहाँ भी साथ नही छोडा़ और सरदार बल्लभ भाई पटेल इस दुनिया से कूच कर गये।

इसके पश्चात कांग्रेस व कांग्रेस से टुट कर बने राजनीतिक दलों ने मुस्लिम गुलामी के चिन्हों को हटाकर राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक चिन्हों की प्रतिष्ठा का विचार छोड़ कर सिर्फ वोट के मिले मुस्लिम आक्रमणकारियों को महीमा मण्डन किया जाने लगा। एवमं राष्टृभक्तों एवम मुस्लमानों से लड़ने वाले को देशद्रोही, आतंकवादी इत्यादी नामों से पुकारा जाने लगा। मिडीया एवम शिक्षा जगत पर कब्जा करके पाठयपुस्तकों में भी राष्टृभक्तों के खिलाफ जहर उगल कर हमारी मान्सिकता को दुषित करने का प्रयास किया गया जिसमें कई हद तक ये सफल भी हुये जिसके कारण आज 6 दिसम्बर को हिन्दु नेताओं के पिछ्छलग्गू कंलक दिवस मनाते हैं, गोधरा में हिन्दुओं के जला कर मारने की घटना को हिन्दु का षडयन्त्र, राम सेतु को तोड़ने की घटना को भा.ज.पा. का चुनावी स्टंट अमरनाथ जमीन में हिन्दु के साथ किये गये धोखा को वोट बैंक की राजनीति के रुप में दिखाया जाने लगा। ये हमारे मानिष्क दिवालीयापन है कि हम अपने दिमाग से सोचने की बजाय चर्च के पैसे सो चल रहे मिडीया के सुर में सुर मिलाते नजर आतें है। तथा अपने बुद्धी विवेक को ताक पर रख कर अपने समाज देश पर लगें कलंक को धोने की जगह नेताओं के सुर में सुर मिला कर इस देश को कमजोर करने में लगें हुयें है।
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