शाहरुख खान को पब्लिशिटी का क्यों जरुरत है।

अमेरिका में शाहरुख खान के साथ क्या हुआ शायद किसी को पता नही है हम में से कोई वहा मैजुद नही था। हम सभी मिडीया या समाचार पत्र के द्वारा शाहरुख खान को हवाई अड्डे में पुछ ताछ के बारे में पता चला इसमें कितनी सच्चाई है कहा नही जा सकता। लेकिन हम सभी को पता है अमेरिका किसी ना किसी मुद्दे पर दादागीरी हमेशा करता है। इससे पहले भी जार्ज फ्रनान्डीस के साथ हुआ, पुर्व राष्ट्रपति श्री डा़ एपीजे अबुल कलाम के साथ हुआ और भी कईयों के साथ हुआ होगा जिसेमें हो हल्ला नही मचाया गया। कई ब्लागरों एवम मिडीया के द्वारा इस बात के लिये तर्क करना कि शाहरुख खान अपने पब्लिशिटी के लिये नाटक कर रहें है कुछ गले नही उतर रहा है आखिर शाहरुख खान हिन्दुस्तान के अभी के कामयाव और सुलझे हुये अभिनेता मे से एक है। शाहरुख खान का इज्जत सभी तबके के लोग करतें है। शाहरुख खान के बारें मैं आज से पहले कभी भी इस तरह ओछि पब्लिशीटी लेने का कोशीश नही किया। तो आज सफलता जब उनके कदम चुम रहा है तो उन्हे इस तरह का हथकण्डा अपनाने का कोई जरुरत नजर नही आ रहा है। लेकिन अमेरिका के उपर हमेशा से दादागिरी करने का दाग लगता रहता है। अगर पुरे घटना को दिमाग से सोचा जाय तो इस पुरे मामले में अमेरिका का दादागिरी नजर आता है ना कि शाहरुख खान का पब्लिशिटी स्टट।
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डा़ एपीजे अबुल कलाम - काश में भी एक क्रिकेटर होता

याद होगा कुछ दिन पहले हिन्दुस्तान के खिलाडीयों को अस्ट्रेलिया में अस्ट्रेलुयाई खिलाडी एन्डुयु साइमन्स से कुछ बकझक हुआ था और और हरभजन को इस बकझक का दोषी माना गया था और कुछ मैच के लिये बैन कर दिया गया था। ICC के हिन्दुस्तान विरोधी रैवये से सारा हिन्दुस्तान उबल पडा़ था और हिन्दुस्तान के अन्दर जम कर हंगामा किया गया कई राजनितीक पार्टीयों के द्वार विरोध किया गया था, मिडीया बालों ने भी टी.आर.पी. बठाने के लिय जम कर हल्ला किया था और आम जनता के द्वारा भी ICC और एन्डुयु साइमन्स का पूतला जलाया गया और जम कर विरोध प्रर्दशन हुआ , यहाँ तक कि हमारे देश के सांसदो तक को ICC और एन्डुयु साइमन्स का हिन्दुस्तान विरोध मानसिकता पर रोष आया और सांसद में इस मामले को उठाया गया था। ब्लाग जगत में भी कई ब्लागरों द्वार एन्डुयु साइमन्स के इस कुकृत का खुल कर निन्दा किया गया।

21 जुलाई को अपने देश के राजघानी के इंदिरा गांघी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ अमरीकी एयरलाइंस के कर्मचारीयों के द्वारा पुर्व राष्ट्रपति श्री एपीजे अबुल कलाम का तलाशी और सुरक्षा जांच के नाम पर जूते उतरवाए और दुर्व्यवहार किया गया। पुर्व राष्ट्रपति के इस दुर्व्यवहार से हमारे देश को एक जरा भी बुरा नही लगा किसी के सर पर थोडा़ सिकन भी नही आया कही से कोई विरोध प्रदर्शन नही कोई, कोई हंगामा नही यहाँ तक कि संसद में भी ज्यादा प्रतिक्रिया नही किया गया सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वार इस मामले को राज्यसभा और लोकसभा में उठाया गया और सभी पार्टी इस मुद्दे पर चुप रहना बेहतर समझा उलटे देश चलाने बाले कांग्रेसी नेता तो मुकदर्शक बन कर बैठ गये और सबसे अचरज बाली बात यह है कि जब इस मुद्दे पर हमारे गृह मंत्री अपना बयान दे रहे थे तब वे पुर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का नाम तक भुल गये। उपर से इस मुद्दे पर सरकार के द्वारा झुठ भी बोला जा रहा है कि कांटिनेंटल एयरलाइंस के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है जहाँ तक सच्चाई यह है कि भारत सरकार के गृह या नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कांटिनेंटल एयरलाइंस के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं करवाई। उल्टे अमेरिका सरकार ने कह दिया है कि अमेरिकी सुरक्षा नियमों के अनुसार वे भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को वीआईपी नहीं मानते और वे जब भी अमेरिका आएंगे तो आम आदमी की तरह उनकी तलाशी ली जाएगी। जब कि अमेरिकी एयरलाइंस के उपर एक नही कई मामले दर्ज होने चाहिये थे हिन्दुस्तान में हिन्दुस्तान का कानुन ना मानना पुर्व राष्ट्रपति के खिलाफ अभद्रता जैसे कई मामले बनते हैं और कांटिनेंटल एयरलाइंस को इस हिन्दुस्तान व्यपार करने से रोक देना चाहिये था।

इस पुरे मामले में अगर नेताओ को छोड. दिया जाय तो हम आम हिन्दुस्तानियों के रवैया भी विचित्र नजर आता है जहा क्रिकेट में अभद्रता के मामले में पुरा भारत में उवाल आ जाता है वही एक पुर्व राष्ट्रपति के अपने देश में ही अभद्र व्यवहार के लिये आम नागरीक शांत बैठा है उस में वैसे राष्ट्रपति के लिये जिन्होंने अपना सारा जीवन देश के नाम शमर्पित कर दिया आजीवन कुवारा रह कर देश सेवा के प्रेरणा से काम किया उस राष्ट्रपति के मामले में अगर देशवासी चुप है तों हमें इस देश के नागरिकों के मानसिकता पर तरस आता है। डा़ एपीजे अबुल कलाम शायद आज सोच रहें होगे काश में भी एक क्रिकेटर होता।
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हाँ हम आजाद हैं।

15 अगस्त आने बाला है। हमारे दिल में 15 अगस्त को फिर से देशभक्ती कि ज्वार हिलोड मारेंगा। वैसे साल में सिर्फ दो दिन हमारे दिल में देशभक्ति का रसधारा वहता है वह है 15 अगस्त और 26 जनवरी। हमारे देश में ये दो दिन रिर्जव रखा गया है देशभक्ति के लिये और सब दिन सब चलता है। देश को आजाद हुये 62 साल हो गये अब हमें सोचना चाहिये कि क्या हम सही मायने में आजाद हैं

हमारे देश में सभी को खुला छुट मिला है अपने आजादि के मानने के लिये। चाहे कुछ भी करें कोई बोलने बाला नही कोई टोकने बाला नही क्यों कि हम आजाद हैं। शहर में तीन - चार बम फटा तो रिस्तेदार मरें उनकों छोड़ कर हम देश वासियों को सिर्फ दो पल के लिये रोष आता है उसके बाद सब नार्मल हो जाता हैं यैसा लगता है जिस शहर में बम फटा वह हमारे देश में नही है किसी और देश में हैं। अगर कोई पकराया तो सरकार के द्वारा केस करने से पहले मानवाधिकार बालें आतंकियों को बचाने के लिये वकिल कर लेते हैं। घटना स्थल पर नेता आते हैं कडे़ शब्दों में निन्दा करतें हैं आतंक को जड़ से खत्म करने का कसम खातें हैं भविष्य में इसका पुनरावृति ना हो इसका वचन देतें हैं नतिजा कुछ दिन बाद फिर से बम विस्फोट। सब भगवान भरोसा क्यों कि हम आजाद हैं।

जब हमारे देश में अंग्रेज थे तब हमारे देश में हर 44 मिनट में एक बलात्कार होता था अब हम जब आजाद हो गयें तो हर 22 मिनट में एक बालात्कार होता हैं। जब अंग्रेज थे तो हर 100 बालात्कारी में से सिर्फ 5 बालात्कारी को सजा मिलता था अब सिर्फ 7 को सजा मिलता हैं क्यों कि हम आजाद हैं। आज के तारिख में हर 3 मिनट में हिन्दुस्तान में किसी ना किसी लड़कियों के छेडखानी का घटना होता है। क्यों कि हम आजाद हैं। हर 12 मिनट में दहेज लोभीयों द्वारा किसी ना किसी महिला को प्रताडीत किया जाता हैं। क्यों की हम आजाद हैं।

आजादी के क्या मायने रह गयें हैं हमारे लिये। भारत माँ को डायन कहने बाले आजाद हैं भारत माँ की नंगी तस्विर बनाने बाले आजाद है। ओसामा के हम शक्ल क साथ में लेकर घुमने बाले आजाद हैं। संसद भवन में आक्रमण करने बाले आजाद है। अफजल और कसाब आजाद है। देशद्रोहियों की फौज आजाद हैं और उनके सर्मथक आजाद है। भष्टाचारी आजाद है। चोर, उच्चके आजाद है। बालात्कारी आजाद है। हमारे देश के सैनिकों को गाली देने बाले आजाद है। समाजिक सदभावना के नाम पद देश को बाटने बाले आजाद है। दंगाई आजाद है। लोकतंत्र के नाम पर इस देश को लुटने बाले नेता आजाद है। आजमगढ़ में माथा टेकने बाले आजाद हैं। बाटला हाउस को धार्मिक स्थल बनाने बाले आजाद है। क्या है हमारे आजादी के जरा सोचिये।
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जीत भार्गव जी का जवाब - जब वंश ही लोकतंत्र का आधार होगा

कल मैने एक कविता अपने ब्लाग में डाला था उस के जवाब जीत भार्गव जी ने भी एक कविता में दिया है।

जब वंश ही लोकतंत्र का आधार होगा,
देश ऐसे ही लाचार होगा.
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जब ईमान पर भारी मजहब होगा,
नेतृत्व का ऐसा ही भ्रष्टाचार होगा.
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जब बिका हुआ मानवाधिकार होगा,
बेक़सूर ही गिरफ्तार होगा.
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जब मीडिया ही दरबान होगा,
जन हित का मुद्दा बेकार होगा.
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जब जनमानस अचेत हो तो,
देश में ऐसा ही अंधार होगा.
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सुशासन को कौन पूछेगा,
जब सेकुलर ही जीत का आधार होगा.
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ये हमारा हिन्दुस्तान है।

डाक्टर बीमार है
इंस्पेक्टर लाचार है।

घर में फोन है
मगर वह बेकार है।

अनपढ़ है मंत्री यहाँ
पढा़ लिखा सब बेकार है।

आदमी को पुछता नही
जानवरों से प्यार।

मुजरिमों का पता नही
बेकसूर गिरफ्तार है।

कुछ मत पुछो भाई
ये हमारा हिन्दुस्तान है।
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यह धर्मनिर्पेक्ष बस्ती हैं यहाँ थूकना मना है

क्या आप धर्मनिर्पेक्ष हैं क्या धर्मनिर्पेक्षता का पालन करतें हैं नही तब तो आप पर धिक्कार है।

गुजरात के दंगा पीडित का सहायता करना धर्मनिर्पेक्षता है और काश्मीर से निकाले गये हिन्दुओं का मदद करना साम्प्रदायिकता है।

लक्ष्मणानन्द सरस्वती का हत्या साम्प्रदायिकता का खात्मा, ग्राहम स्टेन्स का हत्या धर्मनिर्पेक्षता का हत्या।

मन्दिर तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनाना धर्मनिर्पेक्षता है राम मन्दिर के बारे में सोचना साम्प्रदायिकता। क्यों राम मन्दिर में हिन्दु पुजा करने जाते हैं

अमरनाथ यात्रा साम्प्रदायिक है और हज में सब्सीडी देना धर्मनिर्पेक्षता है। अमरनाथ यात्रा से मुस्लमानों के धार्मिक भावना आहत होता है काश्मीर को दारुल इस्लाम बनाने में दिक्कत आता है इस लिये अमरनाथ यात्रा साम्प्रदायिक

सरस्वती शिशु मन्दिर साम्प्रदायिकता फैलाने बाला स्कूल है क्यों कि वहाँ वन्देमातरम गाया जाता है वहाँ हिन्दुस्तान के गैरवशील इतिहास के बारे में पढाया जाता है इस लिये सरस्वती शिशु मन्दिर साम्प्रदायिक है और मदरसा जहाँ आंतक और जिहाद का शिक्षा मिलता है वह धर्मनिर्पेक्ष है।

विकास पुरुष नरेन्द्र मोदी साम्प्रदायिक, बाटला हाउस आजमगढ़ में माथा टेकने बाले, आतंकवादीयों के परिवार को पैसा देने बाले नेता गण धर्मनिर्पेक्ष|

हिन्दु साम्प्रदायिक है और मुसलमान धर्मनिर्पेक्ष है रामनवी का जुलुस साम्प्रदायिक, भरतपुर में भरत मिलन समारोह साम्प्रदायिक मन्दिर में पुजा करना साम्प्रदायिकता , मन्दिर में भजन कीर्तन करना साम्प्रदायिक और मुसलमानों के द्वारा शुक्रवार को बीच रोड में नमाज पढ़ना धर्मनिर्पेक्षता हैं भरत मिलन समारोह में दंगा करना धर्मनिर्पेक्षता है। दिन में पाँच - पाँच बार लाउडसपिकर लगा कर नमाज पढ़ना धर्मनिर्पेक्षता है, मुहरर्म का जुलुस में हथियार का प्रर्दशन करना धर्मनिर्पेक्षता है।

वरुण गाँधी - पक्का साम्प्रदायिक है उसमें एक नही दो-दो ऎसा गुण है जो वरुण गाँधी को साम्प्रदायिक सिद्ध करता है एक उसका नाम वरुण जिसका अर्थ है हिन्दु के देवता सुर्य और दुसरा हिन्दु की रक्षा का बात करना का गलती, राहूल गाँधी धर्मनिर्पेक्षता का पक्का सिपाही किसी को कोई शक है क्या।

साध्वी प्रज्ञा सिंह साम्प्रदायिक-अफजल गुरु, कसाब, जिहादी आंतकी धर्मनिर्पेक्षता के पुजारी हैं।

देशहित के नाम पर रामसेतु तोड़ना धर्मनिर्पेक्षता है सड़क चौडा, रेलवे स्टेशन विस्तार के लिये किसी मस्जिद या मजार को स्तान्तरण करना घोर साम्प्रदायिकता है ।

सुरेश चिपलुनकर, प्रमेन्द्र प्रताप, संजय बेंगाणी, चन्दन जैसे ब्लागर ये सभी पक्के साम्प्रदायिक है इन सभी का चेहरा-मोहरा, हाव भाव, चाल चलन, रहन सहन, इनका कम्युटर, माउस, किबोर्ड, वायरस सब साम्प्रदायिकता है।

भाजपा साम्प्रदायिक और मुस्लिम लीग धर्मनिर्पेक्ष है क्यों की मुस्लिम लीग अल्पसंख्यकों की पार्टी है अल्पसंख्यक कभी भी साम्प्रदायिक नही होता है, देश भाजपा जैसा साम्प्रदायिक पार्टी तोड़ता है मुस्लिम लीग जैसा अल्पसंख्यक का पार्टी कभी भी देश नही तोड़ता है। क्या आज तक किसी ने सुना है मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान बनाया है नही ना हमेशा से यही सुनने में आता है कि भाजपा देश तोड़क पार्टी है ( लेकिन शायद किसी को नही पता होगा कि भाजपा ने कौन सा देश या किसका देश तोडा़ है पाकिस्तान बनने के समय तो भाजपा था भी नही)

शिवाजी, लक्ष्मीवाई, गुरुनानक देव, बन्दा बैरागी, महाराणा प्रताप साम्प्रदायिक हैं 5000 औरतों से शादि करने बाला महान अकबर धर्मनिर्पेक्ष, 40,000 हजार हिन्दुओं को एक दिन में मौत के घाट उतारने बाला चंगेज खाँ धर्मनिर्पेक्ष, औंरगजेब धर्मनिर्पेक्ष, बाबर धर्मनिर्पेक्ष

सिमी धर्मनिर्पेक्ष बजरंग दल साम्प्रदायिक, गुजरात के ट्रेन में आग लगाना धर्मनिर्पेक्षता, आग से अपने आप को बचाना साम्प्रदायिकता, राम प्रसाद साम्प्रदायिक, लक्ष्मण प्रसाद साम्प्रदायिक, कृ्ष्ण देव साम्प्रदायिक, मोहन सिंह साम्प्रदायिक, राधिका साम्प्रदायिक, उमाशंकर साम्प्रदायिक, रमाकान्त साम्प्रदायिक, गणेश साम्प्रदायिक, गैरी साम्प्रदायिक, राधा साम्प्रदायिक|

हिन्दु, सिख, जैन साम्प्रदायिक मन्दिर, देवालय, गुरुद्वारा साम्प्रदायिक, मुस्लिम, इसाई धर्मनिर्पेक्ष मस्जिद, चर्च धर्मनिर्पेक्ष, जय श्री राम साम्प्रदायिकता, नमस्कार साम्प्रदायिक, प्रणाम साम्प्रदायिक, सुर्य नमस्कार साम्प्रदायिक, बाबा रामदेव साम्प्रदायिकता, योग साम्प्रदायिक।

हम साम्प्रदायिक आप धर्मनिर्पेक्ष !!! जय श्री राम !!!
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सोचिये क्या होगा हिन्दुस्तान का

आप में से कितनों को पता है कि साध्वी प्रज्ञा सिंह (जिन्हें हिन्दु आतंकवादी का जामा पहनाया गया था) और उनके साथीयों पर से मकोका हटा लिया गया है। कोर्ट के एक फैसले के अनुसार सभी अभियुक्तों पर से मकोका हटा लिया गया है।

याद किजीये कुछ दिन पहले तस्विर और हमारे समाचार मिडीया के द्वारा दिखाया जाने बाल वो हिन्दु आंतकवादी का समाचार जिसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह के साथ में हिन्दुस्तान के लगभग सभी साधु-संतों को ये मिडीया बाले हिन्दु आंतकवादी बता कर चौबीसों घंटा अपने समाचार के माध्यम से कोसते थे हर हिन्दु को आंतकवादी के अवधारणा में खडा़ कर दिया गया था लेकिन आज जब साध्वी प्रज्ञा पर से मकोका हटा एक भी समाचार चैनल बालों ने 1 मिनट का भी कोई कवरेज नही दिखाया। क्या यही है मिडीया का कर्तव्य। सोचिये क्या होगा हिन्दुस्तान का।
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माँ का दुध पीने से अगर ताकत नही मिलता है तो बाप का छाती चाटने से कुछ नही होता है

ज्यादा नही सिर्फ एक महीना पहले रुस में हमारे प्रधानमंत्री शेर के तरह चिंघार कर आये थे यैसा लग रहा था कि मुम्बई पर पाकिस्तानी के आक्रमण के बाद हिन्दुस्ताने पाकिस्तान को कच्चा खा जायेंगे यैसा लग रहा था कि इस बार तो पाकिस्तान गया काम से मेरे एक मित्र ने कहा पाकिस्तान को इसकी सजा मिलनी चाहिये इस बार हमारी सरकार पाकिस्तान को नही छोडे़गा हो सकता है शायद हिन्दुस्तान इस बार पाकिस्तान पर आक्रमण कर दे और पाकिस्तान का नामोनिशान इस मिटा देगा। मैं मुस्कुराया और कहा "माँ का दुध पीने से अगर ताकत नही मिलता है तो बाप का छाती चाटने से कुछ नही होता है"। और अब मेरा बात सच्च हो गया हम हिन्दुस्तानी को अपने अन्दर तो मर्दानगी नही है किसी और किसी और विधी से अपने नंपूसकता को छिपाते फिरते हैं।

वैसे इसमें हमारे प्रधानमंत्री का कोई कसूर नही है उन्हों ने वही किया जो 62 साल से कांग्रेस सरकार करते आ रहा है हिन्दुस्तान के मुस्लमानों को तुष्ट करने के लिये पाकिस्तान पर किसी भी तरह के कार्यवाही करने से बच रहा है इसके चलते हम हिन्दुस्तानी का कफी नुक्सान कर रहें हैं। मिश्र में प्रधानमंत्री के द्वारा दिये गरे संयुक्त घोषणा पत्र से यह सिद्धा हो गया है कि हमारे देश के नेताओं के पास अपने देश के रक्षा करने का कोई ठोस नीति नही है हिन्दुस्तान का रक्षानीति अमेरिका तैयार करता है और अमेरिका जो कहेगा हमारे देश के शासक वर्ग वही करेंगे।

आखिर 26/11 को हिन्दुस्तान पर पाकिस्तानी हमले में पाकिस्तान के क्या कार्यवाही कि कुछ भी तो नही और पाकिस्तान अपने नागरिकों या सेनानायक के उपर किसी भी तरह का कोई कार्यवाही क्यों करेगा? जब उसका सारा आपरेश्न पाकिस्तान हूक्मराने के कहने पर ही चल रहा था पाकिस्तान आर्मी के आफिसर अभी आतंकवादियों को अपने संरक्षण में ट्रेनिग दे रहा था और पाकिस्तान सरकार इस पुरे आपरेश्न को पैसा मुहय्या करवा रहा था तो आखिर हम इस इन्तजार में क्यों हैं कि पाकिस्तान अपने नागरिकों और आर्मी आफिसर को सजा देगा उलटे पाकिस्तान तो उन सभी को ईनाम देने के फिराक में होगा।

लेकिन हमारे देश के भाग्यविधाता को इस बात का समझ कब आयेगा कि पाकिस्तान हमारा दोस्त कभी नही हो सकता जिसने कसम खा रखा हो हिन्दुस्तान के तबाह और बर्वाद करने का और जिसके सहयोगी हिन्दुस्तान के हर शहर में बैठे हो उस स्थिती में पाकिस्तान के बन्दरघुरकि से हम कैसे डरा कर अपना दोस्त बना सकते हैं। इस बार हमारे देश के सैनिकों तो जीत गये लेकिन मेज पर हम फिर हार गयें और बलुचिस्तान का कंलक अलग से।
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हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय

मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार
डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार
रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास
मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै
यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर
पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवा लो विष पीकर
अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन
मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै अखिल विश्व का गुरु महान देता विद्या का अमर दान
मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग मैने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान
मेरे वेदों का ज्ञान अमर मेरे वेदों की ज्योति प्रखर
मानव के मन का अंधकार क्या कभी सामने सकठका सेहर
मेरा स्वर्णभ मे गेहर गेहेर सागर के जल मे चेहेर चेहेर
इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मै
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै तेजःपुन्ज तम लीन जगत मे फैलाया मैने प्रकाश
जगती का रच करके विनाश कब चाहा है निज का विकास
शरणागत की रक्षा की है मैने अपना जीवन देकर
विश्वास नही यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर
यदि आज देहलि के खण्डहर सदियोंकी निद्रा से जगकर
गुंजार उठे उनके स्वर से हिन्दु की जय तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर
दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर
मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर
भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर
पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मैने छाती का लहु पिला पाले विदेश के सुजित लाल
मुझको मानव मे भेद नही मेरा अन्तःस्थल वर विशाल
जग से ठुकराए लोगोंको लो मेरे घर का खुला द्वार
अपना सब कुछ हूं लुटा चुका पर अक्षय है धनागार
मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयोंका वह राज मुकुट
यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै वीरपुत्र मेरि जननी के जगती मे जौहर अपार
अकबर के पुत्रोंसे पूछो क्या याद उन्हे मीना बझार
क्या याद उन्हे चित्तोड दुर्ग मे जलनेवाली आग प्रखर
जब हाय सहस्त्रो माताए तिल तिल कर जल कर हो गई अमर
वह बुझनेवाली आग नही रग रग मे उसे समाए हूं
यदि कभि अचानक फूट पडे विप्लव लेकर तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

होकर स्वतन्त्र मैने कब चाहा है कर लूं सब को गुलाम
मैने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को गुलाम
गोपाल राम के नामोंपर कब मैने अत्याचार किया
कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर मे नरसंहार किया
कोई बतलाए काबुल मे जाकर कितनी मस्जिद तोडी
भूभाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥


मै एक बिन्दु परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दु समाज
मेरा इसका संबन्ध अमर मै व्यक्ति और यह है समाज
इससे मैने पाया तन मन इससे मैने पाया जीवन
मेरा तो बस कर्तव्य यही कर दू सब कुछ इसके अर्पण
मै तो समाज की थाति हूं मै तो समाज का हूं सेवक
मै तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
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हिन्दुस्तान देश है या चिडी़याघर

हिन्दुस्तान की 70% जनता को पुरी तरह पौषटीक आहार नही मिलता है
हिन्दुस्तान की 30% जनता को पुरी तरह से भोजन नही मिलता है

हिन्दुस्तान की 12% जनता को सिर्फ एक समय का भोजन मिलता है



इस सभी का कारण है हिन्दुस्तान की विस्फोटक जनसख्या।
अगर वरुण गाँधी जनसख्या पर रोक लगाने कि बात कहते हैं तो इस में गलत क्या है
इस्लामिक देश पाकिस्तान और बाग्लादेश में भी नशवन्दी का कानून है फिर हिन्दुस्तान में क्यों नही होना चाहिए वारुण गाँधी के इस व्यान पर इतना हल्ला क्यों मचाया जा रहा है सिर्फ इस लिये कि वरुण गाँधी बी.जे.पी के नेता है


क्यों बी.जे.पी नेता के देशहित की बात में सभी को सम्प्रदायीकता दिखने लगता है।

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नेता नौंटकी देखना ना भुले


भुख हडताल बिना ए.सी. के पुरा नही होता


राहूल जी अगर गरीब का भला नही कर सकते हो तो गरीबों का मजाक तो मत उडाया करो। गरीबों के पास रिबाक का जुता कहा से मिलेगा
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अपने ताकत को पहचानें!

आपका वोट बदल सकता है देश की दिशा व दशा...
अतः राष्ट्रहित में हम मतदान अवश्य करें.
लेकिन किसको और क्यों?

क्या उन्हें:
*जो भगवान श्रीराम के अस्तित्व को नकारते हैं.
*जो आतंकवादियों को संरक्षण देते है.
*जो सिमी, इंडियन मुजाहिदीन और ऐसे आतंकी संगठनों का पक्ष लेते हैं.
*जो हिन्दू संतों व देशभक्त भारतीय सेना का अपमान करते हैं.
*जो धर्मान्तरण की खुली छूट और ईसाई मिशनरियों को संरक्षण देते हैं.
*जो कमर तोड़ महंगाई पर लगाम नहीं लगा सकते हैं.
*जो मजहब के नाम पर आरक्षण की खुली वकालत करते हैं और जिनके लिए मुस्लिम परस्त चुनावी राजनीति ही सेकुलरवाद है.

अथवा उन्हें:
*जो देश की सुरक्षा के साथ समझौता न करें.
*जो देश में बढ़ रहे आतंकवाद और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर कानून बनाएं.
*जो देश में घुस आये ३ करोड़ बांग्लादेशियों को बाहर निकालने का प्रयास करें.
*जो अफज़ल गुरु को बचाने के बजाय फांसी दे सकें.
*जो अल्पसंख्यकों की भलाई के नाम पर सच्चर कमेटी की सिफारिशों को रद्द कर देश के संसाधनों का लाभ सभी को समान रूप से दे सकें.
*जो गरीब की थाली में रोटी सुनिश्चित करा सकें.

ये आपके अपने मुद्दे हैं, फैसला आपको करना है...
सच्चे राष्ट्रभक्त के लिए वोट डालना उसकी राष्ट्रभक्ति का परिचायक है.
अतः अपना वोट अवश्य डालें साथ ही अन्यों को भी वोट डालने के लिए प्रेरित करें....
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कंधार मामले में कांग्रेस दोषी है

आज से 9 साल पहले कंधार में क्या हुआ था हम सभी को पता है। इन्डियन ऎयरलाइन्स IC-814 जो कि काठमाण्डू-दिल्ली हवाई उड़ान पर था पाकिस्तानी ऎजेण्टों के द्वारा उसका अपहरण कर लिया गया था। उस समय भारतीय जनता पार्टी का सरकार था और अभी के होने बाले प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी जी उस समय गृह मंत्री थे। 9 साल बाद कांधार काण्ड का पिटारा ठिक चूनाव के समय में कांग्रेस और उसके सहयोगीयों के द्वारा खोलना बचाव से अच्छा है आक्रमण करना इससे ज्यादा और कुछ नही है। इस पुरे घटना पर फिर से नजर डालते हैं।

विमान संख्या IC-814 का अपहरण शाम को लगभग 6:00 बजे हुआ था और उस विमान में 189 सवारी थे। विमान के अपहरण के सूचना के ठिक 1:00 घंटे बाद शाम 7:00 बजे प्रधानमंत्री निवास पर तत्काल एक उच्च स्तरीय समिति की बैठक हुआ, जिसमें हालात का जायजा लिया गया। इधर अपहरण करता विमान में तेल डालने के लिये लगातार विमान में बैठे यात्री को और विमानपतन के अधिकारीयों को धमकाते रहें। भारतीय जनता पार्टी के नेता विमान पर NSG कमाण्डो की कारवाही करना चाहते थे जिसके फल स्वरुप जब विमान अमृतसर हवाई अड्डा पर तेल लेने के लिये उतरा तथा वहाँ पर 45 मिनट खरा रहने के समय NSG अपने कार्यवाही में लगे हुये थे तथा उन्हें और भारतीय राजनेताओं को विमान में बैठे 189 यात्रीयों के बारे में चिन्ता भी था क्यों आतंकी आधुनिक हथियार से लैस थे और NSG कमाण्डों से डरे हुये भी थे वे किसी भी तरह की कार्यवाही पर सबसे पहला निशाना वे विमान के यात्रियों को बनाते और आंतकियों ने वैसा ही किया और रूपेन कत्याल को गोली मार कर हत्या कर दिया गया। अगर उस समय NSG कमाण्डों और किसी भी तरह का कार्यवाही करता और कुछ और यात्री मारे जाते तो आज कांग्रेस के नेता का सुर कुछ दुसरा होता और चिल्ला-चिल्ला कर कहते कि बी.जे.पी. सरकार को हिन्दुस्तान के नागरीकों का चिन्ता नही है। लेकिन यैसा कुछ नही हुआ NSG कमाण्डों का कार्यवाही किसी कारण से नही हो पाया।

लगभग खाली पेट्रोल टैंक सहित हवाई जहाज को लाहौर ले गये। लाहौर में पुनः उन्हें उतरने की अनुमति नहीं दी गई, यहाँ तक कि हवाई पट्टी की लाईटें भी बुझा दी गईं, लेकिन पायलट ने कुशलता और सावधानी से फ़िर भी हवाई जहाज को जबरन लाहौर में उतार दिया। जसवन्त सिंह ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री से बात की कि हवाई जहाज को लाहौर से न उड़ने दिया जाये, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारी जानबूझकर मामले से दूरी बनाना चाहते थे, ताकि बाद में वे इससे सम्बन्ध होने से इन्कार कर सकें। वे यह भी नहीं चाहते थे कि लाहौर में NSG के कमाण्डो कोई ऑपरेशन करें, इसलिये उन्होंने तुरन्त हवाई जहाज में पेट्रोल भर दिया और उसे दुबई रवाना कर दिया। दुबई में भी अधिकारियों ने हवाई जहाज को उतरने नहीं दिया। जसवन्त सिंह लगातार फ़ोन पर बने हुए थे, उन्होंने यूएई के अधिकारियों से बातचीत करके अपहर्ताओं से 13 औरतों और 11 बच्चों को विमान से उतारने के लिये राजी कर लिया। रूपेन कत्याल का शव भी साथ में उतार लिया गया, जबकि उनकी नवविवाहिता पत्नी अन्त तक बन्धक रहीं और उन्हें बाद में ही पता चला कि वे विधवा हो चुकी हैं।

ये सभी घटना 24 दिसम्बर की है आगे 25 दिसम्बर को सुबह सुबह विमान अफगानिस्तान के कंधार नामक जगह में छोटे से हवाई अड्डा पर उतार लिया गया था। 25 दिसम्बर को दोपहर होते होते हजारों की सख्या का भीड़ प्रधानमत्री कार्यालय पर जमा होने लगा तथा वे सभी सरकार के अन्दरुनी हालात से वेखबर या अनभिज्ञा लगातार सरकार विरोधी नारे लगाये जा रहे थे और उनके साथ कुछ नेता किस्म के लोग भी थे जो किसी भी हालत में बी.जे.पी. सरकार की किरकिरी कड़वाना चाहते थे इन्हें ना तो देश से मतलब था और ना ही यहाँ के जनता का वे सिर्फ अपना उल्लू सिधा करना चाहते थे ये वही नेता थे जो बंगारु लक्ष्मण को मिडीया का सहारा लेकर झूठे मामले में फंसवाया ये वही नेता थे जो जार्ज फर्नाडीस को ताबूत चोर कहा ये वही नेता हैं जो दिलीप सिंह जुदेव को फंसाया। और यहाँ भी विमान में फंसे यात्रीयों को बरगला कर नारे लगवाने का काम कर रहा था। इसी बीच मुल्ला उमर और उसके विदेशमंत्री(?) मुत्तवकील से बातचीत शुरु हो चुकी थी और शुरुआत में उन्होंने विभिन्न भारतीय जेलों में बन्द 36 आतंकवादियों को छोड़ने की माँग रखी। जिसे की बी.जे.पी के लैहपुरुष श्री लालकृष्ण आड्वाणी जी ने एक झटके के साथ खारिज कर दिया (हमें इस बात को याद रखना चाहिये) आतंकियों को लौहपुरुष श्री लालकृष्ण आडवानी के इस दिलेरी की उम्मीद नही था। आतंकि इस बात पर थोडे़ मायुस हुये लेकिन बी.जे.पी से पहले के सरकार का नपूसंकता उन्हें पता था इस लिये वे हिम्मत नही हारा और बात चीत आगे जाडी़ रखा। इधर प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर तथाकथित नेताओं और 10वी-12वी पास मिडीया पत्रकारों के फौज लगातार हल्लामचा रहा था। इस बीच कही भी कोई कांग्रेस के नेता नजर नही आये। नाही मिडीया के सामने और नाही किसी देशवासी को सांत्वना देने के लिये और नाही इस घटना पर आंतकियों को कोशने के लिये। कहाँ थे सारे काँग्रेसी और उन्के सहयोंगी जो आज 9 साल बाद कांधार मामले में घरियाली आँसू बहा हैं उस समय क्यों सभी नेताओं का गले में घीघी बंध गया था। या फिर किसी नेता के बंगले पर बैठ कर बी.जे.पी नेताओं के हाल पर जाम से जाम टकरा कर पार्टी मनाया जा रहा था क्या है जबाब इस बात का।
प्रधानमंत्री कार्याकल पर लगातार बैठक चल रहा था बाहर विमान में फंसे यात्रीयों के परिवार जन डा. संजीव छिब्बर के नेतृत्व में लगातार नारेबाजी और मिडीया में हल्ला मचा रहा था कि किसी भी किमत पर उन्कें परिवार बालों को बचाया जाये इसके लिये 36 क्या हिन्दुस्तान के सभी आंतकवादियों को छोड़ना परे तो छोड़ काश्मीर देना परे तो दे दो। इसी क्रम में फौजी श्री जसवन्त सिंह शास्त्री भवन में आयोजित प्रेस कांफ़्रेस में आये लेकिन उन्के प्रेस कान्फेन्स में यात्रीयों के परिवार जन घुस आये और जसवन्त सिंह के सामने आ गये उन सभी का नेतृ्त्व डा़. छिब्बर कर रहें थे डा. छिब्बर एक पढे़ लिखे इन्सान और विख्यात सर्जन हैं तथा इस देश के नागरीक भी है ने श्री जसवन्त सिंह के सामने आकर कहा हमारे परिवार बालों को किसी भी किमत पर बचाना है इसके लिये हिन्दुस्तान को जितना किमत चुकाना है चुकाये " जब मुफ्ति की बेटी को बचाने के लिये आंतकी को छोडा़ जा सकता है तो हमारे परिवार वालों को बचाने के लिये क्यों नही" कुछ भी किमत चुकाओ हमारे रिस्तेदारों को छुडाओं चाहे तो पुरा काश्मीर दे दो सारे आंतकियों को छोड़ दों।

इस पुरे घटना कर्म और मेराथैन बैठक करते करते 3 दिन निकल गया 28 तारीख को भा.ज.पा सरकार ने सर्वदलिये बैठक बुलाया जिसमें इस देशके लगभग सभी राजनीतिक पार्टीयों को बुलाया गया उसमें कांग्रेस पार्टी भी बैठी थी उस बैठक में सभी राजनीतिक पार्टीयों ने यह फैसला लिया कि भा.ज.पा सरकार जो भी फैसला लेगी दुसरे राजनीतिक दल उसके साथ है। उस बैठक में आंतकियों के माँग को मानने के लिये सहमति बना। क्यों कि हिन्दुस्तान से पहले भी कई देश विमान अपहरण के घटना के बाद लगभग सभी देशें ने आतंकियों के आगे घुठने टेकने के अलावा और कुछ नही कर पाया हिन्दुस्तान कोई पहला देश नही है जो आतंकियों बात मान करे अपने देश के नागरिकों को बचा कर कोई गुनाह किया हो। आखिर 28 दिसम्बर को सरकार और आतंकवादियों के बीच "डील फ़ाइनल" हुई, जिसके अनुसार मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर, और अहमद उमर शेख को छोड़ा जाना तय हुआ। कांग्रेस भी इस बात से सहमत था कांग्रेसीयों के सहमती पर भी 5 आंतकियों को छोडा गया। इस मामले में अगर कांग्रेस बी.जे.पी को कटघरे में खरा करना चाहता है तो काँग्रेस भी कांधार मामले में दोषी है पाँच आंतकी को छोडने के मामले में कांग्रेसी ज्यादा दोषी है। ना कि बी.जे.पी क्यों कि काँग्रेस सिर्फ इस मुद्दे को वेट बैंक के लिये उठा रहा है ना कि देशहित्त में। पुरे 9 साल चुप्पी के बाद कांधार काण्ड का चर्चा करना सिर्फ काँग्रेस अपने दोष छिपाने के लिये कर रहा है ना कि आतंकवाद के खात्में के लिये।

इस घटना के 9 साल बीत गया इस बीच ना किसी काग्रेसी और ना ही उस के सहयोगी दल को कांधार के मामले पर घरीयालि आसू बहाने का जरुरत महसुस हुआ और ना ही कभी आसू बहाया कारण कांग्रेस खुद है। इस पाँच साल के शासन काल को अगर हम सभी गौर से देखें तो पता चल गायेगा कि आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस को इस देश की चिन्ता होने लगा क्या क्या कारण है कि 12 साल तक इस देश का नागरिकता ना लेने बाली सुपर प्रधानमंत्री सोनिया गाँधि को इस देश के जनता का सुध आ गया। आखिर क्या कारण है प्रधानमत्री श्री मनमोहन सिंह पर काधार पर आसू वहाँ रहें हैं क्या कारण है ट्रेनिप्रधानमंत्री राहूल गाँधी जिन्हें हिन्दुस्तान का क्षेत्रफल तक पता नही कांधार के घटना के समय कहाँ बैठे थे किसी को नही पता है उन पाँच आतंकियों के याद में आँसू वहा रहें हैं। कारण और कुछ नही है कांग्रेस को लग रहा है कि इस चुनाव में उसका दुर्गती होने बाला है रायवरेली और वरेली सीट बचाना काँग्रेस के लिये मुसकिल हो रहा है। वैसे भी अब काँग्रेस नेता के नाम पर बचे ही कितने है मोहम्मद अजहरउद्दीन जिसने अपने कारनामों से क्रीकेट का ही नही हिन्दुस्तान के सर पर कंलक लगा दिया, पप्पु यादव जो जेल से सीधे चुनाव मैदान में उतरे हैं, साधु यादव इनके कारनामें के वारे में चर्चा करना हो तो बिहार चले जाइये वहाँ की जनता दौरा-दौरा कर मारेगी, आनन्द मोहन अब इस सभी नेताओं के रहते हुये काँग्रेस तो कंधार जैसा वेसिर - पैर का मुद्दा ही उठायेगा। वैसे भी काग्रेस में स्टार प्रचार तो सिर्फ तीन बचे हैं 1. सोनिया गाँधी, 2 राहुल गाँधी और 3 मिडीय। आतंकवाद के खात्में के नाम पर काग्रेस ने पुरे पाँच साल में किया क्या सिर्फ शिवराज पाटिल को हटाया। अफजल को फांसी देने के नाम पर कांग्रेस के ही नेता दंगा होने की बात कह रहें हैं। कांग्रेस के नेता अगर कांधार मामले को उठा कर यह समझ रहें हैं कि जनता मुर्ख हैं और उनके पाँच साल के कुशासन को माँफ करके काधार मामले के धरियाली आँसु पर काँग्रेस को वेट दे देगा तो काँग्रेस का यह भुल है जनता अब जागरुक हो चुका है और अपना भला बुरा समझने लगा है।

सुरेश चिपलूनकर जी के सहयोग से

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बुद्धि लगाओ देश बचाओ ( मुर्ख, अनपढ़, गवार और सेकुलर इसे ना पढे़)

किसी दार्शनिक ने सही कहा है जहाँ समझदार आदमी जाने से डरता है मुर्ख वहाँ बिन्दास दौड लगाता है। वरुण गाँधी बाले मामले में भी कुछ यैसा ही हुआ था वरुण गाँधी ने जो भी भाषण दिया उसका विडीयो हम सभी ने देखा लेकिन उस विडीयों में वरुण गाँधी ने क्या भाषण दिया इसका विषलेशण हम अपनी बुद्धि के द्वारा ना करके पैसा लेकर समाचार पढ़ने बाले 10वी-12वी पास पत्रकारों और कांग्रेस के नेताओ कि जबान हम बोलने लगे। सही क्या है और गलत क्या है इसका विवेचना हमें खुद करना चाहिये ना कि किसी के वहकाबे में आगर मुर्ख बनना चाहिये।

वरुण गाँधी का दिया गया भाषण निचे शब्दों में लिखा है कुछ शब्द को मिडीया बालों ने छिपा दिया है आईये उस शब्द को हम अपने बुद्धि विवेक और ज्ञान का परिचय देकर वरुण गाँधी के शब्दों को पुरा करते हैं और इस पुरे भाषण का असली अर्थ क्या निकलता है देखें

मेरे राज्य में मेरे समय में किसी आदमी ने किसी गलत तत्व के आदमी ने *************** हाथ उठाया उसपर ये समझा कि ये कमजोड़ हैं इनका कोई नेता नही है इनके नेता हमारे जुते चाटते हैं हमारे वोट के लिये हमारे तो अगर किसी आदमी ने ************************ हाथ उठाया मैं गीता की कसम खा कर कहता हूँ मैं उस हाथ को काट दूगाँ।

(************************ जगह पर सही शब्द क्या हो सकता लगायें)


पुरा भाषण कई बार देखने के बाद में यह कह सकता हू कि ये पुरा खेल वरुण गाँधी को फसाने के लिये किया गया है क्यों कि अगर शब्द को ढंग से मिलाये तो कही से भी ये नही लगता है कि वरुण गाँधी ने कुछ भी भडकाऊ व्यान दिया है जिसके चलते आग वरुण गाँधी जेल में सजा काट रहें हैं।
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इस बार फिर मुर्ख मत बनना

चुनाव का मौसम आ गया है। सभी राजनीतिक पार्टीया लोकलुभावने घोषणापत्र के साथ मैदान में है। नित्य नये वायदों के साथ हिन्दुस्तान के तस्विर बदलने का ख्वाव दिखाया जा रहा हैं। लेकिन आज तक हिन्दुस्तान की जनता क्या चाहती है किसी ने जानने का कोशिश नही किया और शायद आगे भी नही करेगा जब तक कि जनता अपना घोषणा पत्र राजनीतिक पार्टीयों को ना बता दे। पिछले पाँच साल में सरकार ने क्या काम किया हम सभी को पता है। हमने पाँच साल पहले जो गलती कर दी वह इस चुनाव में ना ही दोहरायें तो आने बाला पाँच साल हिन्दुस्तान की जनता चैन से सो पायेगी अन्यथा फिर से पाँच साल तक मंहगाई, बम विस्फोट, भरष्टाचार बेरोजगारी में हमें पीसना परेगा।
वोट डालने से पहले कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखों तथा जो राजनीतिक दल इन सभी बातों पर खडा उतरे उसे ही अपना वोट दें।

जो हिन्दुस्तान के सभी नागरिकों को समान समझे समान नागरिक कानून लागु करे।
जो आतंकवाद, उग्रवाद एवं अलगाववाद से मुक्ति दिलाये।
जो बांग्लादेशी एवं अन्य घुसपैठियों को देश से बाहर करे।
जो सम्प्रदाय विशेष को आरक्षण ना देकर सभी गरीबों के बारे में सोचे।
जो प्रलोभन दे कर मतान्तर करे उसे कडी़ से कडी़ सजा दे।
जो रोजगार आधारीत शिक्षा का व्यवस्था करे एवं साक्षरता की दृष्टि से हिन्दुस्तान को जागरुक करें।
जो अपराधियों पर लगाम लगायें उसे किसी भी तरह का राजनैतिक संरक्षण ना दे।
जो मतान्तरित ईसाइयों को आरक्षण देना बन्द करे।
जो धर्मस्थल, सदग्रन्थ, साधु-संत, देवी-देवताओं का सम्मान करें।
जो गंगा, गोमाता और राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करे।
जो हिन्दुस्तान के अध्यात्म का संरक्षण करे और हिन्दुस्तान को आध्यात्मिक राष्टृ घोषित करे।
जो किसी एक विशेष सम्प्रदाय के बारे में ना सोच कर सारे हिन्दुस्तान के बारे में सोचे।
जो आतंकवाद के पाढशाला को बन्द करे।

यही मौका है हमें समझदारी दिखाने का नही तो फिर पाँच साल किसी बम विस्फोट में अपनों के खोने के गम में रोना परेगा।

यही मौका है हमें समझदारी दिखाने का नही तो ज्यादा पढें लिखे बेरोजगार बनते रहेंगे और कम पढें लिखे सरकारी बाबु बन कर देश का बेरागर्क करेंगे।

यही मौका है हमें समझदारी दिखाने का नही तो आतंकवादियों का खातीरदारी होगा और निर्दोष को आतंकवादी बना कर जेल में डालेगें।

यही मौका है हमें समझदारी दिखाने का नही तो घुसपैठिये बाग्लादेशी सरकारी नौकरी करेंगे और जिनके बाप दादा इस देश के लिये मरे वह गुलामी करेंगे।

सोचों और अपना मताधिकार का प्रयोग राष्ट्र की सेवा के लिये करें
पहले मतदान फिर जलपान
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मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं के फैसले के खिलाफ अपील पर निर्णय


इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायायल के न्‍यायमूर्ति श्री शंभूनाथ श्रीवास्‍तव के ऐतिहासिक फैसले कि आबादी व ताकत के हिसाब से मुस्लिम अल्पसंख्यक उत्‍तर प्रदेश में अल्‍पसंख्‍यक नही फैसले के खिलाफ राज्य सरकार व अन्य की अपीलों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। न्यायालय के समक्ष बहस की गयी कि याचिका में अल्पसंख्यक विद्यालय की मान्यता व धांधली बरतने की शिकायत की। इसमें जांच की मांग की गयी थी लेकिन न्यायालय ने याचिका के मुद्दे से हटकर मुस्लिम के अल्पसंख्यक होने या न होने के मुद्दे पर फैसला दिया है। इस तकनीकी बहस के अलावा निर्णय के पक्ष में कोई तर्क नहीं दिया गया। हालांकि उ. प्र. अधिवक्ता समन्वय समिति की तरफ से अधिवक्ता भूपेन्‍द्र नाथ सिंह ने अर्जी दाखिल कर प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए वृहद पीठ के हवाले करने की मांग की है। इस अर्जी की सुनवाई 6 अप्रैल को होगी। श्री बी.एन. सिंह का कहना है कि उन्हें भी सुनने का अवसर दिया जाय।

उ. प्र. सरकार, अल्पसंख्यक आयोग, अंजुमन मदरसा नुरूल इस्लाम दोहरा कलां सहित दर्जनों विशेष अपीलों की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस.आर. आलम तथा न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की खण्डपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति एस.एन. श्रीवास्तव ने अपने फैसले में कहा है कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी व ताकत के हिसाब से अल्पसंख्यक नहीं माने जा सकते। साथ ही संविधान सभा ने 5 फीसदी आबादी वाले ग्रुप को ही अल्पसंख्य घोषित करने की सहमति दी थी। उ. प्र. में मुस्लिमों की आबादी एक चौथाई है। जिसमें 2001 की जनगणना को देखा जाय तो तीन फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। जबकि हिन्दुओं की आबादी 9 फीसदी घटी है। कई ऐसे जिले है जहां मुस्लिम आबादी 50 फीसदी से अधिक है। संसद व विधान सभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। एकलपीठ के निर्णय में कहा गया है कि हिन्दुओं के 100 सम्प्रदायों को अलग करके देखा जाय तो मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है। एकल पीठ ने भारत सरकार को कानून में संशोधन का निर्देश दिया था। अपील में निर्णय पर रोक लगी हुई है अब फैसला सुरक्षित हो गया है।

चुनावी माहौल में अनचाहे समय में आये इस फैसले की भनक मीडिया को नही लग सकी, अन्‍यथा मीडिया के भइयो और खास़ कर उनकी कुछ बहनो के दिलो पर सॉंप लोट गया होता। (जैसा पिछली बार हुआ था, जानने के लिये नीचे के सम्‍बन्धित आलेख देखिए) कुछ फैसले के विरोध में कुछ पत्रकार ऐसे कोमा में चले गये कि दोबारा टीवी पर नज़र ही नही आये। वैसे ही चिट्ठाकारी से सम्‍बन्धित ज्‍यादातर पत्रकार टीवी ही क्‍या समाचार पत्रों पर भी नही ही आते होगे :) । चुनावी महौल को देखते हुये, आने वाले 6 अप्रेल को चुनाव के साथ-साथ अब मीडिया के नुमाइंदो की निगॉंहे अब इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के भावी फैसले पर होगी। डिवी‍जन बेंच के स्‍वरूप को देखते हुये शायद ही अब मीडिया न्‍यायालय और न्‍यायमूर्तियों पर कोई अक्षेप होगा। जैसा कि पिछली बार सेक्‍यूलर मीडिया के चटुकार पत्रकारों ने किया था।

इस लेख पर सम्‍बन्धित के पूर्व आलेख -

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पाकिस्तान का हालत (सिर्फ व्यस्कों के लिये)

सिर्फ व्यस्कों के लिये 18 साल से कम उम्र के पाठक कृप्या इसे ना देखें

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भय हो





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आखिर क्यों जय हो?

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हिन्दु तो गली के कुत्ता जैसा है।

जब मुगलों ने हिन्दुस्तान पर हमला किया एक उनकें एक हाथ में तलवार और दुसरे हाथ में कुरान था बहुत ही भयावह आक्रमण था मुगलों का। मुगल शासक हिन्दुस्तान पर आक्रमण करके सिर्फ हिन्दुस्तान को लुटना ही नही चाहते थे हिन्दुस्तान की संस्कृ्ती को भी नाश करके इस्लाम का प्रचार प्रसार करना चाहते थे। मुगलों ने वैसा ही किया लेकिन जैसा वे चाहते थे लेकिन हिन्दु शासको विरोध भी झेलना परा । हिन्दुस्तान को जितने के लिये मुगलों को काफी मेहनत करना पर रहा था देशभक्त राजा मुगलों के रास्तों में किसी ना किसी तरह से परेशानी खरा कर रहे थे। आखिर मुगलों ने एक नया रास्ता निकाला हिन्दुओं के आपस में बाटनें का बिना हिन्दु को बाटें मुगल अपने मकसद में कभी कामयाब नही हो सकते थे। नतिजा कुछ युद्ध में हारे हुये, डरपोक, दलाल हिन्दु राजा मुगलों के साथ मिल गये तथा अपने राज्य सत्ता को बचाने के लिये किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हो गये और अपने बहू-बेटीयों को नंगा करके बजार में खरा कर दिया मुगलों को खुसामद करने के लिये । नतीजा उन्हें सत्ता तो मील गया लेकिन हिन्दुस्तान का आत्मसम्मान नंगा हो गया। मुगलों द्वारा हिन्दुओं को तरह-तरह से यातना दिया जाने लगा और जो कोई भी इस्लाम कबुल नही करता उन्हें या तो जेल में सड़ने के लिये डाल दिया जाता या सडे़ आम तड़पा तड़पा के मार दिया जाता फिर भी मुगलों का विरोध इस धरती पर होता रहा जहा एक ओर यैसे राजा थे जो अपने बहू-बेटीयों का बोली लगवा दिया वही वैसे राजा भी थे जो जीवन भर मुगलें से लड़ते रहें और उनकी बहू-बेटीया मुगलों के हाथ में आने से पहले सामूहिक आत्मदाह करके अपने आपको धधकते आग के हवाले कर दिया और अपना तथा हिन्दुओं के आत्मसम्मान को कभी आँच नही आने दिया। हिन्दु समाज उस समय भी दो हिस्सों में बट था चापलुस हिन्दु और देशभक्त आत्मसम्मान के साथ जीने बाले हिन्दु।

जहाँगीर के शासन काल में अंग्रेज व्यापार करने के लिये हिन्दुस्तान में आये हिन्दुस्तान उनहें कभी भाय। सिर्फ 500 पाउण्ड लेकर हिन्दुस्तान में व्यापार करने आये अंग्रेज से जहाँगीर ने पुछा तुम हिन्दुस्तान में क्या बेचना चाहते हो तो अंग्रेज ने कहा कुछ नही तो क्या खरीदोंगे अंग्रेजों ने कहा कुछ नही। फिर भी अंग्रेज यहा व्यापर करने लगें। व्यापार करते-करते हिन्दुस्तान में शासन भी करने लगें और अंग्रेजो को साथ दिया यही के दलाल हिन्दुस्तानीयों नें। अंग्रेजो ने वही सब किया जो मुगलों ने किया था हिन्दुओं में कभी एकता मत आने दों| एक ओर तो राष्टृभक्त अंग्रेजो से लड़ते रहे दुसरी ओर दलालों की फौज अंग्रेजों के तलवें चाटते रहें और रायबहादुर, चौधरी साहब, जमीन्दार साहब बन कर अंग्रेजो के बीबीयों का चुम्बन लेते रहें और अपने बीबी का चुम्बन अंग्रेजो को दिलवाते रहें। उस समय भी हिन्दु समाज में आत्मसम्मान नही आने दिया गया नतीजा हमारा हिन्दुस्तान अंग्रेजो के गुलामी करता रहा।

समय बदला सुभाषचन्द्र बोष की आजाद हिन्द सेना से, वीर सावरकर आत्मबल से, डा. हेडगेवाल के खाकी निक्कर बाले देशभक्तों से, भगत सिह के हैसला से, चन्द्रशेखर आजाद के जुझारुपन से रामप्रसाद विस्मिल के निडरता के डर से अंग्रेज हिन्दुस्तान छोड कर भाग गये। देश आजाद हो गया। शासन करने बाले बदल गये शासकों का चमरा का रंग उजला से काला हो गया लेकिन शासन करने का पद्धती वही रहा कभी हिन्दुओं मे एकता नही आने दो हिन्दु को गली का कुत्ता बना कर रखो जब जिसका मन करे लतिया कर चला जाये आज समस्या इस कदर बढ गया है कि हिन्दुओं के आत्मसम्मान का बात करना सप्रदायीक हो गया। वरुण गाँधी ने भी हिन्दुओं के आत्मसम्मान की रक्षा करने का जिम्मा उठाया फिर क्या था रायबहादुर, चौधरी साहब, जमीन्दार साहब के वंशज को बुरा लग गया क्यों कि उनहें पता है जिस दिन हिन्दुओं में आत्मसम्मान जग जायेगा रायबहादुर, चौधरी साहब, जमीन्दार साहब के वंशजों को जुता लेकर दौरायेगा। इस लिये वरुण गाँधी के उपर एक साथ सभी ने हल्ला बोल दिया कि हिन्दु आत्मसम्मान की बात करना संप्रदायिक लगने लगा। हिन्दु आत्मसम्मान की बात करना संप्रदायिक हो गया दुसरे तरफ मुसलमान नेताओं के द्वारा हिन्दु को गाली देना संप्रदायिक नही है। पिलीभीत में हिन्दु औरतों का बलात्कार होना शर्म की बात नही है लेकिन वरुण गाँधी द्वारा उनके रक्षा की बात करना संप्रदायिक। मस्जिद के इमाम का फतवा जारी करके एक राजनितीक पार्टी को फायदा पहुचाना संप्रदायिक नही है। गुजरात में ट्रेन में मासुम बच्चों को जला कर मार देना संप्रदायिक नही है उसके प्रतीउत्तर देना संप्रदायिक हो गया है। मुम्बई में बम बिस्फोट करना संप्रदायिक नही है लेकिन हिन्दु इस के खिलाफ अवाज उठाये तो संप्रदायिक हो गया। भागलपुर में हिन्दुओं के देवी-देवता का मुर्ती तोड़ देना संप्रदायिक नही लेकिन हिन्दुओं मे इस बात का विरोध करना संप्रदायिक हो गया। हिन्दुओं के धार्मिक यात्रा में व्यवधान करना संप्रदायिक नही है लेकिन अगर कोई इसके खिलाफ आवाज उठाये तो वे संप्रदायिक हो गया। वरुण गाँधी का हिन्दु के पक्ष में बोलना संप्रदायिक है लेकिन कांग्रेसी नेता का हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलना संप्रदायिक नही है। साध्वी प्राज़ा सिह आतकवादी है और अफजल गुरु को आंतकवादी कहना संप्रदायिक। आखिर कब तक इस देश में जयचन्द, मानसिंह, मिरजाफर, रायबहादुर, चौधरी साहब, जमीन्दार साहब के वंशजों का नीति चलता रहेगा।

एक देश में दो विधान जरुर डुबेगा हिन्दुस्तान।
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क्या तालिबान के ताण्डव से बच पायेगा हिन्दुस्तान?

जिस तरह से तालिबान और पाकिस्तान शासन में बैठे तालिबानी शासक पुरे पाकिस्तान को लगभग तालिबानिस्तान बना दिया है। आज पाकिस्तान का स्थिती ऎसा है कि वहाँ रह रहे मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग इस्लाम के नाम पर तालिबान का खुले आम समर्थन कर रहें है और वहाँ का सरकार भी आँख बन्द कर समर्थन कर रहा है। और पाकिस्तान से बाहर रह रहें मुस्लिम समप्रदाय भी किसी न किसी तरह तालिबान का समर्थन कर ही रहा है। तालिबान का सपना है पुरे विश्व को दारुल इस्लाम बनाने का इसके लिये इसके लिये तालिबान गैर इस्लामिक समुदाय को या तो डरा-धमका कर इस्लाम कबूलबा कर या फिर मौत के घाट उतार कर दारुल इस्लाम का सपना साकार करने में लगा है।

हिन्दुस्तान के दो परोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनो देश में इस्लाम का शासन है बांग्लादेश जब पाकिस्तान के आतंक से त्रस्त था तब हिन्दुस्तान के शरण में आया था लेकिन आजादी के कुछ दिन बाद से बांग्लादेश को अपने इस्लामिक भाईचारा का ख्याल हो आया और हिन्दुस्तान का साथ छोड़ इस्लामिक भाई पाकिस्तान का दामन थाम लिया और पाकिस्तान का कसम हिन्दुस्तान को बर्बाद करके दम लुगा को सार्थक करने में लग गया। और किसी ना किसी तरह से हिन्दुस्तान को परेशान करने लगा चाहे जिहाद हो, आंतकवाद हो, नकली नोट या फिर बांग्लादेशी नागरीक को अवैध रुप से हिन्दुस्तान में भेज कर मुग्लिस्तान बनाने में पाकिस्तान का सहयोग देना हो। इन सब स्थिती में हिन्दुस्तान क्या करेगा।

हिन्दुस्तान में राजनीतिक दल मुस्लमानों के चन्द वोट के चलते हिन्दुस्तान के आने वाले खतरे को हमेशा से अनदेखा करते रहें है। जब भाजपा सरकार आयी थी तो आतंकवाद विरोधी कानुन टाडा और पोटा लगाया था जिसको की कांग्रेस की सरकार ने मुस्लमानों के दवाब के चलते हटा दिया। आतंकवाद निरोधक कानून किसी एक विशेष समुदाय के लिये नही बनाया गया था ये कानून समान रुप से हिन्दु और मुस्लिम दोनो के लिये था लेकिन मुस्लमानों को इस कानून से ज्यादा समस्या था जिसके कारण कांग्रेस सरकार जब बना तो सबसे पहला काम आंतकवाद निरोधक कानून को हटाने का किया जिसका नतिजा आज पुरा हिन्दुस्तान भोग रहा है आज हिन्दुस्तान का कोई शहर, कस्बा, गाँव आतंकवादियों से सुरक्षीत नही है। कही भी कभी भी इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा बम विस्फोट किया जा सकता है। आज की तारिख में विश्व में सबसे ज्याद इस्लामिक आतंकवादी सुरक्षित है तो वह देश है हिन्दुस्तान। अफजल गुरु इसका उदाहरण है फांसी की सजा मिलने के बाद भी अफजल को कांग्रेस सरकार के द्वारा सिर्फ इस लिये फांसी नही दिया कि इस से मुस्लिम समुदाय खफा हो जायेगा और कांग्रेस को वोट नही देगा। हिन्दुस्तान में रह रहें मुस्लमानों का किसी ना किसी रुप से इस्लामिक आंतकवाद को सर्मथन दिया जा रहा है। पाकिस्तान तो सिर्फ अपने यहाँ आतंकवादियों को विस्फोट करना सिखाया जाता है लेकिन हिन्दुस्तान में आकर उसी आतंकवादि को हर तरह का सुविधा मुहय्या किया जाते है। इस्लामिक आतंकवाद हिन्दुस्तान में आकर कही भी घर लेकर रह सकता है और उसको सहयोग करने वाले और विस्फोट के बाद बचाव करने वाले लगभग हर राजनितीक दल में मौजुद है और उनके समर्थक खुले आम घुम रहें हैं और चुनाव के दिन मुस्लिम समुदाय सिर्फ उन्ही दल को वोट देता है जिनके आने से आतंकवाद और हिन्दुस्तान को दारुल इस्लाम बनाने में सहयोग मिलता रहें।

तालिबान के पाकिस्तान और बांग्लादेश पर कब्जा करने के बाद तालिबान क्या चुप बैठेगा। शायद नही उसका अगला निशाना जरुर हिन्दुस्तान होगा। और हिन्दुस्तान में रह रहें मुस्लिम समुदाय इस्लामिक भाईचारा के नाम पर हो सकता है कि वे तालिबानियों के साथ करें हो जायें क्यों की आजादी के इतने सालों बाद भी मुस्लमानों का झुकाव पाकिस्तान की ओर ज्यादा है हिन्दुस्तान से इसका उदाहरण है क्रिकेट का मैच जब भी हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का मैच होता है तो मुस्लिम समुदाय हमेशा से पाकिस्तान के सर्मथन में खरा रहता है। अभी कुछ दिन पहले जब हिन्दुस्तान 20-20 का विश्व कप के फाइनल में पाकिस्तान को औकाद बता कर 20-20 विश्व चैंम्पियन बना तो हिन्दुस्तान में रह रहें मुस्लिम समुदाय को पाकिस्तान का हिन्दुस्तान के हाथों हारना नागावार लगा जिसका नतिजा कई जगह दंगा भड़का। जब हिन्दुस्तान में तालिबान का इस्लामिक ताण्डव भडकेगा उस स्थिती में हमारे देश के शासक और हमारा फौज क्या इस स्थीती में रहेगा कि तालिबानीयों से और हिन्दुस्तान में रह रहें तालिबानी सर्मथको से लोहा ले सकेगा। कांग्रेस के इस पाँच साल के शासन काल में हम लोगों ने देखा की हिन्दुस्तान से नेपाल जैसा पिद्दी सा देश भी नही डरा। मुम्बई धमाका के बाद कि स्थिती तो हिन्दुस्तान के शासको के लिये हास्यपद बन गया है पाकिस्तान हिन्दुस्तान को लतिया रहा है और हमारे शासक नित्य नयें बहाने बना कर मुम्बई हमालाबरों को बचाने के कोशीश कर रहें हैं तो क्या हमारे मुस्लिम चापलुस शासको के पास इतना हिम्मत होगा की तालिबान का सफाया हमारे देश से कर सकें।

सोचों
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चुनाव भारत-भाग्य बदलने का दुर्लभ अवसर हैं

पूरी तरह राष्ट्रीय हितों के प्रति समर्पित राजनीतिक नेतृत्व की जरूरत हैं

पार्टी और विचारधारा को तिलांजलि देकर राजनेता चुनाव की इस तरह तैयारियां कर रहे दिखते हैं मानो भारत की संसद में प्रवेश राष्ट्र पर छाए संकटों के समाधान के लिए नहीं, बल्कि व्यक्तिगत ऐश्वर्य और सत्ता सुख में हिस्सेदारी के लिए हो। जिस प्रकार टिकटों की बिक्री और चुनाव खर्च के लिए इकट्ठा किए जा रहे धन का ब्यौरा सामने आ रहा है उससे तो यही अंदाजा लगता है कि देश अभी भी उन राजनेताओं की प्रतीक्षा में है जो चुनावी अखाड़े को पूंजी निवेश का लाभप्रद क्षेत्र मानने के बजाय अपने हितों को दांव पर लगाते हुए राष्ट्रीय हितों को आंखों में धारण कर सत्ता के सूत्र संभालेंगे। भारत विभाजन के बाद से आज तक राजनीति दुराचरण के धब्बों से कलंकित रही है। 1947 में जब भारतीय सैनिक कश्मीर पर अचानक धोखे से हुए पाकिस्तानी हमले झेल रहे थे तो लंदन में तत्कालीन उच्चायुक्त कृष्णामेनन से जुड़ा जीप घोटाला हुआ। फिर मूंदड़ा कांड, नागरवाला और बोफोर्स कांड, सुखराम मामला, चारा घोटाला, तहलका, पनडुब्बी खरीद, गेहूं आयात घोटाला जैसे प्रकरण राजनेताओं की साख पर आंच डालते रहे।
एक ओर सामान्य नागरिक दुनिया भर में अपनी व्यक्तिगत मेधा और निपुणता के बल पर भारतीय पहचान को श्रेष्ठता का सर्वोच्च स्थान दिला रहे थे और भारतीय कंपनियां विश्वविख्यात ब्रांड अधिग्रहीत कर रही थीं तो दूसरी ओर राजनेता बोरियां भर-भर कर नोट इकट्ठा कर अपनी आत्मा के बजाय तिजोरी के निर्देश पर भारतीय संसद में सांसद धर्म निभाने का परिदृश्य उपस्थित कर रहे थे। क्या ऐसे टिकाऊ और बाजारू लोगों के सौदों पर टिकी सरकार चुनना राष्ट्रहित में होगा? जिस देश की प्रजा अपने शासक को चुनने में लापरवाही बरते या उसका चुनाव जाति, भाषा और धनबल के प्रभाव की कसौटी पर करे, क्या उसका कभी अच्छा परिणाम निकल सकता है?
कुछ ऐसी स्थिति पिछली शती के प्रारंभ में ब्रिटेन में थी, जब हाउस आफ ला‌र्ड्स की सीटें नीलाम हुआ करती थीं। फिर भी वहां की जनता ने अपने देश, काल और परिस्थिति के अनुरूप स्वयं को बदला और एक ऐसे प्रजातंत्र का ढांचा मजबूत किया जो राज-वंश भी परंपरागत रूप से जीवित रखे हुए है और जहां प्रखर राष्ट्रवाद हर नीति को निर्देशित करता है। अमेरिका और चीन भी भले ही परस्पर अत्यंत भिन्न समाज हों, लेकिन अपने देश को दुनिया में सबसे श्रेष्ठ, समृद्ध और शक्तिशाली बनाना वहां की राजनीति का मुख्य धर्म परिलक्षित होता है। भारत के सामने आसन्न चुनावों ने यह चुनौती उपस्थित की है कि जनता ऐसे सांसदों को चुने जो राष्ट्र-धर्म के प्रति सजग और प्रतिबद्ध हों। दुर्भाग्य से वर्तमान चुनाव पद्धति में सिर्फ जीतना ही एकमात्र कसौटी है, चरित्र और गुण का स्थान यदि कभी आया भी तो बाद में आता है। फलत: ऐसे सांसद चुने जाते हैं जिन्हें न अपने देश के इतिहास का ज्ञान होता है, न भूगोल का और न ही राष्ट्रीय संघर्ष के विभिन्न सोपानों से वे परिचित होते हैं। वे भूल जाते हैं कि उनसे पहले भी अनेक मंत्री हो चुके हैं, जिनमें से कोई भी अपने धनबल और असीम ऐश्वर्य के कारण यशस्वी नहीं हुआ। केवल पैसा और पद कभी प्रतिष्ठा नहीं दिला सकते।

जिन लोगों को सत्ता के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के बाबू और रायबहादुर बनने में शर्म नहीं आई, वैसे ही लोग आज विदेशी हितों और विदेशी मूल के नेतृत्व के सामने झुककर राष्ट्रीयता दांव पर लगा रहे हैं। जिस देश में पांच लाख देशभक्त नागरिक निर्वासित कर दिए गए हों, जहां एक करोड़ से अधिक विदेशी अवैध घुसपैठिए वोट बैंक राजनीति का संरक्षण पा रहे हों, जहां शासक को पुलिस, प्रशासन और चुनाव पद्धति में सुधार की कोई आवश्यकता ही महसूस न हो, बल्कि ब्रिटिश काल के कानून आज भी देश में लागू हों, ऐसे देश में यथास्थिति के दब्बूपन के बजाय जन-विद्रोह के परिवर्तनकारी स्वर बुलंद होने चाहिए। देश को ऐसी राजनीति चाहिए जो शत्रु के प्रति निर्गम और प्रतिशोधी हो, जो देश को सैन्य दृष्टि से विश्व में सबसे सबल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हो तथा नि:संकोच भाव से अपने अगल-बगल के क्षेत्र पर ऐसा प्रभुत्व स्थापित करे ताकि वहां की अराजकता और तालिबानी शरारतों का हम पर असर न पड़े। चारों ओर से पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे असफल और अराजकता ग्रस्त देशों से घिरे भारत को आंतरिक और सीमावर्ती शांति के लिए ऐसा सैन्य और कूटनीतिक प्रभुत्व स्थापित करना ही होगा जिसे देखकर विरोधी भयभीत रहें। आज तो पाकिस्तान और बांग्लादेश ही नहीं, श्रीलंका व नेपाल तक हमारी सुरक्षा और संवेदना की कद्र नहीं करते।

चीन के बढ़ते क्षेत्रीय विस्तार के प्रति राजनीतिक दलों में कोई दीर्घकालिक सर्वसम्मत चिंतन ही नहीं है। तीस करोड़ से अधिक भारतीय आज भी गरीबी रेखा से नीचे पशुवत जीवन बिताने पर विवश हैं। गत दस वर्षों में दो लाख किसान आत्महत्याएं कर चुके हैं। खेती में रासायनिक खाद और जीन अंतरित बीज के जहर फैल रहे हैं। देश की कृषि योग्य भूमि पर सिनेमा, होटल और कारखाने लगाने की अनुमति देकर अमीरों को और ज्यादा अमीर तथा भूमिपति किसानों को स्लमडाग बनाया जा रहा है। ऐसे ही सांसद फिर चुने जाएं तो किस प्रकार के भारत का वे निर्माण करेंगे? भारत एक ऐसे नेतृत्व की प्रतीक्षा में है जो सबसे बड़ा तीर्थत्व गुण और शक्ति संचय में माने, जिसके प्रेरणा केंद्र और मन भारत में हों, जो दरिद्रता निवारण और विज्ञान-प्रौद्योगिकी प्रसार को देवालय निर्माण जैसा महत्वपूर्ण माने, जिसके सर्वोच्च आराध्य भारत के नागरिक हों। वर्तमान चुनाव हमें भारत भाग्य बदलने का दुर्लभ अवसर दे रहे हैं-एक ऐसा भारत भाग्य विधाता चुनें जो सच में जन-गण-मन का अधिनायक बन सके।

क्या हम परिवर्तन के लिए तैयार हैं?

लेखक - तरुण विजय
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लोकतान्त्रिक देश के युवराज श्री राहुल गाँधी का समान्यज्ञान हा हा हा हा!

भारत के होने बाले प्रधानमंत्री और लोकतान्त्रिक देश के युवराज श्री राहुल गाँधी उर्फ राहुल बाबा, कांग्रेस के पालनहार श्री राहुल गाँधी, कांग्रेस पार्टी के कर्ताधर्ता श्री राहुल गाँधी, चुनाव के स्टार प्रचारक श्री राहुल गाँधी, विदेश से पढा़ई करके वापस हिन्दुस्तान आयें श्री राहुल गाँधी, लालू प्रसाद यादव के महात्मा गाँधी श्री राहुल गाँधी, कांग्रेस के ह्र्दय सम्राट श्री राहुल गाँधी, मिडीये के पुज्यनीय श्री राहुल गाँधी-चलिये इतना काफी है।

अब काम कि बात अभी कुछ दिन पहले लोकतान्त्रिक देश के युवराज श्री राहुल गाँधी गुजरात गये थे वहाँ उन्हों ने विकास पुरुष नरेन्द्र मोदी को खरी खोटी सुना कर वापस आये। वहाँ एक प्रस कान्फ्रेन्स में लोकतान्त्रिक देश के युवराज श्री राहुल गाँधी का ज्ञान भंडाफोर हो गया। लालू प्रसाद यादव के महात्मा गाँधी श्री राहुल गाँधी के अनुसार गुजरात का क्षेत्रफल युनाइटेड किगंडम के क्षेत्रफल से बडा़ है। और उससे भी मजेदार बात ये रही कि उनके साथ बैठे कांग्रेसी चमचों ने उनके इस बात पर जोडदार ताली बजाया। लेकिन सच्चाई है गुजरात का क्षेत्रफल 196,024 Sq KM है और युनाइटेड किगंडम का क्षेत्रफल 244,820 km2 है। गणित के किस फार्मुला से गुजरात युनाइटेड किंगडम बडा़ हो गया पता नही ये बात हामारे देश के युवा तुर्क भावी प्रधानमंत्री को नही पता है। लेकिन बात यही खत्म नही हो गया। कांग्रेस के पालनहार श्री राहुल गाँधी के अनुसार युनाइटेड स्टेट और अमेरिका को मिला दिया जाये तो उसका क्षेत्रफल हिन्दुस्तान के इतना नही होता है। लेकिन सत्यता यह है कि सिर्फ अमेरिका का अकेला क्षेत्रफल है 9,826,630 km2 युनाइटेड किंगडम का 244,820 km2 देखने योग्य बात है सिर्फ अमेरिका का क्षेत्रफल ही हमारे हिन्दुस्तान से बडा़ है युनाइटेड किंगडम को अलग भी रख दिया जाय तो भी हिन्दुस्तान का क्षेत्रफल कम है। (विडीयो देखें)। सोनिया गाँधी जी अगर ये सब बात बोलती तो ठिक भी लगता क्यों कि वे विदेशी है लेकिन श्री राहुल गाँधी तो देशी है। अगर राहुल बाबा का समान्यज्ञान अगर ऎसा है तो देश का क्या होगा।

आप सोचों आखिर ये क्या हो रहा है।

जय हो !

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जय महाराष्टृ, जय मुम्बई और हिन्दुस्तान जाये भाड़ में

हिन्दुस्तान भी ऑस्कर की किताब में अपना नाम लिखवा लिया। इज्जत से ना सही बेईज्जत से ही लेकिन हिन्दुस्तान का भी नाम हो गया। स्लमडॉग के निर्माता विदेशी हैं तथा इसमें काम करने बाले कुछ कलाकार भी मानसिक रुप से विदेशी है। इसी में एक है श्री मान अनिल कपुर जी जब उन्हें ऑस्कर के मंच पर पैर रखने का थोडा़ सा जगह मिला तो दिखा दिये अपना राज ठाकरे मानसिकता और दे दिया नारा जय महाराष्ट्रा, जय मुम्बई लेकिन जिस देश का नाम लेकर गये थे हिन्दुस्तान का बेइईज्जती करने उस हिन्दुस्तान का जयकारा उन्कें मुहँ से नही फुट पाया मि़ अनिल कपुर के मुह से जय हिन्दुस्तान या जय भारत का बोल नही निकल पाया। हिन्दुस्तान आज भी विश्व मानचित्र में एक असभ्य, बर्बर, अशिक्षीत, सपेरों का देश के रुप में जाना जाता है और स्लमडॉग फिल्म में भी यही सब दिखाया गया है। और तो और हिन्दू के भगवान श्री राम का गलत चित्रन भी किया गया है। हिन्दूओं को दंगाई भी दिखाया गया है। और हिन्दुस्तान में रहने बाला हर आदमी भीखारी है ये बात सही है लेकिन स्लमडॉग के माध्यम से अब इस बात को पुरा विश्व देखेगा।

हिन्दुस्तान आज महाशक्ति बनने का दंभ भर रहा हैं लेकिन यहाँ के नागरिक का मानसिकता अभी भी गुलामों जैसा है। आज के समय में हिन्दुस्तान के इंजिन्यर, डाक्टर, साफ्टवेयर डेव्लपर जैसे प्रोफेसनल का माँग विश्व को सबसे ज्यादा है हम हिन्दुस्तानीयों के बिना इन सबका काम शायद ना चले तभी तो अमेरिका के हर चुनाव के पहले आउटसोर्सिंग को लेकर हल्ला मचाया जाता है लेकिन वहाँ जो भी राष्टृपति बनता है इस मुद्दे पर चुप्पी साध लेता है कारण सिर्फ एक है हम हिन्दुस्तानीयों के बिना उनका देश सुपरपावर नही बन सकता है। लेकिन बीच-बीच में इन्ही देश से हमें ये एहसास दिया जाता है कि हिन्दुस्तानीयों तुम कितने भी तरक्की कर लो तुम रहोगे तीसरी दुनिया के असभ्य ही इसमें कुछ हिन्दुस्तानियों का भी भरपुर सहयोग रहता है। स्लमडॉग फिल्म के बनाने बाले विदेशी फिल्म बना हिन्दुस्तान में इसमें काम करने बाले कलाकार हिन्दुस्तानी, और यही कलाकारों के द्वारा हम हिन्दुस्तानियों को अपना औकाद बता दिया गया कि हिन्दुस्तानी तुम कितने भी तरक्की करलो तुम रहोंगे दंगाई ही।

स्लमडॉग को ऑस्कर मिला समाचार चौनलों के माध्यम से देख रहा हू आज सारा हिन्दुस्तान जय हो के नारा लगा रहा यहाँ तक कि स्लमडॉग का नाम सुनकर मेरा पालतु कुत्ता भी दुम हिलाने लगता है जैसे कि स्लमडॉग और कोई नही मेरा कुत्ता का कुम्भ के मेले में खोया हुआ कोई भाई हो। आज हिन्दुस्तान के नागरिक किसी और देश के मुहताज नही है हिन्दुस्तानी मेहनत से अपना और इमान्दारी से अपना एक अलग मुकाम हासिल कर लिया है और यही मेहनत और इमान्दारी आज विश्व के हर कोने में फैले हुये हिन्दुस्तानि को सिना तान कर जिना सिखा रहा है लेकिन शायद हमारे देश के चन्द कलाकारों को शायद यह इज्जत पसन्द नही है इस लिये चले जाते है ऑस्कर के मन्दिर में सर छुकाने। क्या होता अगर स्लमडॉग को ऑस्कर मिलता और हमारे हिन्दुस्तान के कलाकार वहाँ नही जाते, क्यों नही अनिल कपुर जैसे कलाकार ने पटकथा में हिन्दुस्तान का बुराई देखकर फिल्म में काम करने से मना कर दिया। कोई जलजला नही आता, कही आग नही लगता, कोई नागरिक नही मरते, कोई पाकिस्तान हिन्दुस्तान पर परमाणु बम नही गिराता। सिर्फ इतना होता कि हिन्दुस्तान का इज्जत बचा रह जाता और हम हिन्दुस्तानी विश्व को दिखा देते देखो हम हिन्दुस्तानि के पास अपना जमीर है हम इमान्दार हैं हम मेहनती हैं हम समझदार हैं हम खुद्दार है। स्लमडॉग से भी कई अच्छी फिल्मों को आस्कर नही दिया गया। लगान अच्छी फिल्म थी आस्कर मिलना चाहिये था लेकिन गोरी चमरी बाले ये कैसे बर्दास्त कर लेते कि अग्रेज हिन्दुस्तानियों से पीटे। अच्छी फिल्म होने के बावजुद लगान को ऑस्कर नही मिला। और आज जाकर स्लमडॉग को ऑस्कर मिला। और हम खुश हो गये अपने उपर ही बेहायायी हँसी हँसते हुये हम अपना ही पिठ ठोक रहें हैं चलो हिन्दुस्तान को भी ऑस्कर मिल गया।

वाह रे मानसिकता ----- जय हो
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राजनीति का अपराधीकरण या अपराधीयों का राजनीतिकरण।

संजय दत्त, मोहम्मद अजहरउद्दीन, आबू सलेम जैसे लोग भी आज इस देश में शासन करना चाहतें है जिनका इतिहास दागदार रहा है। यैसे नेता जो खुद अपराधी एवम भ्रष्टाचारी रहें हैं वे इस देश को क्या देगें। हम शायद भुल गयें है, वीर सावरकर, सुभाष चन्द्र वोष, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, डा. हेडगेवार, महात्मा गाँधी सरीखे नेता इस देश को अंग्रेज को खदेर कर इस देश को आजाद करवायें है ना कि अंग्रेज से इस देश को खैरात में ले कर आयें थे।

स्वतंत्रता के पश्चात हमने देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्वीकार की है। लोकतंत्र में राजनीति दल चुनाव लड़ते हैं जीतकर सत्ता संभालतें हैं। देश के स्वीकृ्त संविधान के अनुसार राष्टृहित व समाजहित को सर्वोपरि मानकर शासन चलाने की प्रक्रिया है। वर्तमान में राजनीतिक दलों का एक मात्रउद्देश रह गया है कि सब प्रकार के हथकण्डों को अपनाकर सत्ता प्राप्त करना, वोट खरीदना, विरोधी दल के वोट न पड़ने देना, राजनीति हत्या, अपहरण आदि सभी कार्य करवाना। इन कार्यों के लिये धन, बल की आवश्यकता है। अत: वे अपराधियों से सम्बन्ध रखते हैं इस प्रकार अपराधी राजनेता और राजनेता अपराधी बने। आज तो राजनीति अपराधी, गुण्डों, तस्करों, काला धन्धा करने वालो का पूँजीपतियों की शरणस्थली बन गई है और देश में राजनीति का अपराधीकरण और अपराधीयों का राजनीतिकरण हुआ है यह खतरनाक है।

स्वतंत्रता के इन वर्षों में काग्रेस अधिकाशं रुप से केन्द्र की सत्ता में रही है। सत्ता में बने रहने ले लिये मतदान केन्द्रों पर कब्जा, मतदान के पहले शराब पिलाना तथा धन वितरण करना अर्थात ओछे से ओछे तरीकों के अपनाये जाने लगें। अपराधीयों का राजनेताओं से गहरे तालूकात रहें रहें है। आज हिन्दुस्तान का दुश्मन न. 1 दाउद इब्राहम कभी महाराष्ट्रा के पुर्व मुख्यमंत्री तथा तात्कालिक मंत्री का सहयोगी रहा है। कुख्यात तस्कर खगोशी, चन्द्रास्वामी का सम्बन्ध तो पुर्व प्रधानमंत्री तक से था। नायना साहनी तन्दूर हत्याकाण्ड जिसमें कांग्रेस के कई बडे़-बडे. नेता शामिल थे....... इत्यादी।

संसद के विरोधी दलों के द्वारा कई बार इन अपराधि नेताओ के उपर लगाम लगाने का कोशीश भी किया गया लेकिन सत्तालोलुप नेताओं ने इस पर ध्यान भी नही दिया और सत्ता में चिपके रहने के लिये अपराधियों के नेता का टोपी पहनाते रहें। इन्हीं नेताओं और अपराधीयों के सम्बन्ध की जाँच करने के लिये बोहरा जाँच समिति बनी। जिसका रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं होने दिया गया। परन्तु कुछ मुख्य सूचना निम्न प्रकार है।

1. सरकार की अपराधी जगत का राजनितीक नेताओं का सम्बन्ध का खुलासा करने में रुचि नहीं है।

2.अपराधी जगत वास्तव में समानान्तर सरकार चला रहें हैं।

3. दाउद इब्राहम तथा मेमन बन्धुओं की अपराधिक कार्वाहियाँ वर्षों से चल रही हैं यह सरकारी अफसरों तथा राजनेताओं के सम्बन्ध से ही संभव है।

4.सी.बी.आई. ने 1986 में ही सरकार को मुम्बई के इस अपराध जगत की कार्यवाहियों की जानकारी दी थी परन्तु जानबूझकर कोई कार्यवाही नहीं कि गई।

5.इन अपराधियों ने तस्करी, अवैध वसुली के अपहरण, सट्टा के द्वारा अरबों की सम्पत्ती बनाई है। यह अन्तर्राष्टीय गैंग है और इस्लामिक कट्टरपंथी देश से भी इसके सम्बन्ध है।

6.मुस्लिम आतंकवादी तथा मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन ऎसे अपराधीयों के साथ मिल कर देश में तोड़फोड़, दंगा, बम विस्फोट, निर्दोश नागरिकों का हत्या कर रहें हैं। इन्हें पेटृो-डालर के रुप में धन प्राप्त हो रहा है। यह धन इसी देश के जाने माने मुस्लिम नेताओं के नाम पर आता है।

7. देशी-विदेशी सरकारी कार्यों मेंकमीशन मिलता है। इस धन का उपयोग वोट खरीदने में किया जाता है। विशेष रुप से मुस्लिम तथा झुग्गी झोंपडी़ में रहने वाले लोगो को खरीदा जाता है।

8. माफिया लोग इन पैसों का राजनेताओं तथा नौकरशाही से सम्बन्ध बनाने में उपयोग करते है।

बोहरा जाँच समिती के इस रिपोर्ट से समझ में आ सकता है कि आज के नेता इस देश को कहा लेकर जा रहें है तथा आने बाला पीढी़ को इस देश में सुरक्षा एवम सम्मान भी मिलना मुसकिल है।
नेताओं के द्वारा नैतिकता की बात केवल भाषणों और लेखों तक ही सीमित रह गई है। राजनेता तथा अधिकारीयों भी स्वयं उससे परे नही है। शासन के सर्वोच्च पदों पर भष्ट, समाज से तिरस्कृ्त, छोटी दलगत मानसिकता के लोग बिठाये जाते हैं। उनसे आखिर इस देश के नागरीकों को क्या अपेक्षा है? विधान सभा, लोकसभा तथा राज्यसभा में झूठ बोलना उनका धर्म हो गया है। इस प्रकार आज की राजनीति छलबल, धनबल और बाहुबल के भरोसे चल रहा है। चारों ओर अपराध और अपराधी तत्वों का संरक्षण, भ्रष्टाचार अनौतिकता का माहौल है।

जागरुक और देशभक्तों को यही मौका मिला है कि इस देश को अपराधीक नेताओ का पत्ता साभ कर दिया जाय और वैसे राजनितीक दल जो अपराधियों का संरक्षण लेता है उसे नकार दें।
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वेलेन्टइन्डे मनाने के फायदे

14 फरवरी को वेलेन्टइन्डे है सभी इसका इन्तजार कर रहें होगें। कुछ विरोध करने के लिये तथा कुछ मनाने के लिये इन्तजार में दिन गिन रहें होगें। तो मैं सोचा क्यों ना सभी को इसका फायदा बताया जाय जिससे वेलेन्टइन्डे मनाने का मजा दुगना हो जायेगा। तथा जो इसके विरोध में हैं उनका भी मुह बन्द हो जायेगा।

फायदा नम्बर 1 - वेलेन्टइन्डे मानाने से विदेश की कई कम्पनियों को बहुत फायदा होता है जैसे गर्भनिरोधक दवाई, कोण्डम, कार्ड, गिफ्ट, चाकलेट, पिंक चड्डी बनाने बाली कम्पनि का बिक्री बढ़ जाने के कारण उनका फायदा होता है। ( हम हिन्दुस्तानी तो हमेशा से दुसरों का ही फायदा देखते है अपना नुक्सान हो जाये तो कोई बात नही)

फायदा नम्बर 2 - लड़को एवम लड़कियों को नया नया साथी मिलता है जिससे उन्हें औफिस, स्कूल, कालेज, इन्सटीट्युट जाने में एक साथी मिल जाता है अगर किसी लड़के पास अपना मोटर बाइक, कार इत्यादी हो तो और लड़कियों को और भी अच्छा रहता है उनका कम से कम एक साल तक का यात्रा का खर्चा बच जाता है फिर अगले साल किसी और के साथ वेलेन्टइन्डे मनाने पर उसका नया बाइक का यात्रा का आनन्द। होटल में खिलाने, सिनेमा दिखाने, माँल घुमाने और खर्च करने वाला एक साथी मिल जाता है इसके बदले में ज्यादा कुछ देना भी नही परता है बस थोडा़ सा ......................................... ।(अन्दर की बात है)

फायदा नम्बर 3 - विदेश से आने वाला करोडो़ रुपय के गुलाब - गुलदस्ता, कार्ड, गीफ्ट इत्यादी को सही सलामत पहूचाने के लिये मजदुरों को कुछ आमदनी हो जाता है। (ये अलग बात है कि इससे हिन्दुस्तान के पिछले साल 7 हजार करोड़ खर्च वेलेन्टइन्डे मनाने के चक्कर में खर्च हो गये| हमारे यहाँ के किसान आत्महत्या करे , 30% जनता आधा पेट खाकर सोये।)

फायदा नम्बर 4 - सरकार को चाहियें कि वेलेन्टइन्डे के दिन नेशनल होलीडे मनाया जाय इसके बदले में 2 अक्टुवर, 15 अगस्त या फिर 26 जनवरी को स्कूल, कालेज कार्यालय को खोल कर रखा जाय जिससे कि वेलेन्टइन्डे के दिन लड़को - लड़कियों को प्रेमालाप करने में किसी तरह का कोई डिस्टरवेन्स ना हो। ( वैसे भी आज कितनो को पता है कि 2 अक्टुबर, 15 अगस्त या 26 जनवरी को क्या हूआ था)

फायदा नम्बर 5 - सभी काँलेज और स्कूल में वेलेन्टइन बाबा के बारें में पढाया जाय और जिससे हमें देश-द्रोह कैसे किया जाता है का शिक्षा मिलेगा। (अखिर प्रेम गुरु बाबा वेलेन्टइन देश-द्रोह के जुर्म में अपना जीवन जेल में काटा है उनके बारे में जानना हमारा परम कर्तव्य है) टिचर ना मिले तो पाकिस्तान से बुलवाया जा सकता है जिससे दोनो देश के सम्बन्ध भी सुधरेंगे वैसे जरुरत नही परेगा पाकिस्तानीयों के कई भाई बन्धु यहाँ रहते हैं।

फायदा नम्बर 6 - सभी समुद्र के किनारे, पार्क में या किसी मैदान में टेम्परोरि टेन्ट का इन्तजाम किया जाना चाहिये जिससे लड़को - लड़कियों को प्रेमालाप करने में किसी तरह का परेशानी नही हो और जो वेलेन्टइन्डे नही मनाते हो उन्हें भी किसी तरह का झीझक ना हो तथा टेन्ट के पास कुछ अस्थाई कोण्डम, गर्भनिरोधक इत्यादी का दुकान रहना चाहिये। जिससे कि वेलेन्टइन्डे मनाने वालों को किसी तरह का तकलीफ ना हो और दुकान चलाने वालों को भी एक दिन के लिये कमाने का जरीया मिल जायेगा।

फायदा नम्बर 7 - गुलाबी चड्डी (महीलाओं को पहनने बाला) बनाने के लिये अभी से सभी फैक्ट्री में कह दिया जाय क्यों कि कुछ पत्रकार उस दिन सभी को चड्डी गिफ़्ट करना चाहती है। देखे यहाँ

फायदा नम्बर 8 - वेलेन्टइन्डे के दिन घर के बडे़ बुजुर्गो का भी कुछ योगदान होना चाहिये उन्हें चाहियें कि वे अपने घर की लड़कियों सुबह जल्दी से उठाकर अच्छा कपडा़ (सेक्सी भी चलेगा) अच्छी तरह मेकअप करके घर से जाने दे जिससे अमीर लड़का (मुर्गा) पटाने में उनकी बच्चीयों को तकलिफ नही हो।

फायदा नम्बर 9 - वेलेन्टइन्डे के दिन अगर मोटा लड़का (मुर्गा) फसे तो जितना जल्दी हो सके उससे शादी कर देना चाहिये जिससे शादी का पैसा बचेगा। (ज्यादा अच्छा कोर्ट मैरेज रहेगा या फिर घर से भगवाया भी जा सकता है समाज में बदनामी का डर दिल से निकाल दें आखिर पैसा जो बचाना है) (जल्दी का शादी सफल नही होता है कोई बात वेलेन्टइन्डे फिर से अगले साल आयेगा नया लड़का (मुर्गा) पकडायेगा)।

फायदा नम्बर 10 - लड़कों को चाहीयों कि इस दिन दिल खोल कर पैसा खर्च करें अगर पैसा ना हो तो किसी से उधार ले सकते है अपने पिताजी के पर्स से भी उधार ले सकतें है, स्कूल, कालेज, ट्युसन का पैसा मार कर खर्च कर सकतें है जो नौकरी करते हैं उन्हें भी खर्च करने में किसी तरह का संकोच नही करना चाहिये आखिर साल में एक बार तो आता है वेलेन्टइन्डे फिर शर्माना कैसा। (आखिर सब खेला पैसा का ही है)

वैधानिक चेतावनी

आपके देस्तरुपी दुश्मन के चलते हो सकता है आपका वेलेन्टइन्डे का मजा फिका पर जाये इस लिये कुछ बातों का ध्यान रखे।

अगर कोई कहे कि वेलेन्टइन्डे का सांस्कृतिक या वैज्ञानिक आधार नही है तो उसे तुरन्त भगा दे हो सकता है वे आपका दुश्मन हो। सांस्कृतिक या वैज्ञानिक क्या लेना देना जब कोई फोकट में कोई आत्मा को तृ्प्त करे तो क्या फर्क परता है सांस्कृतिक या वैज्ञानिक आधार का।

अगर कोई कहें कि वेलेन्टइन्डे के दिन पब में, समुद्र तट, होटल, कॉलेज, पार्क आदि में अश्लील हररकत करके कानून मत तोड़ना इत्यादी समझाये तो उसे कह देना साले यहाँ के नेता, अभिनेता कौन सा कानून का रक्षा करतें हैं सो हम करें।

एक आम आदमी को लड़का-लड़की का अश्लील हररकत से शर्मिन्दगी महसुस करें तो उस ओर ध्यान मत देना और अपने काम में मशगुल रहना। आखिर साल में 1 दिन ही तो मिला अश्लील हररकत करने के लिये।

अगर कोई कहे कि वेलेन्टइन्डे का हिन्दुस्तान से कोई लेना देना नही है तो उसे कह सकते हो मेरा कौन सा हिन्दुस्तान से लेना देना है हम तो जब पैदा हुये थे उसी समय अमेरिका का वीजा माँगे थे कोई नही दिया अब सड़ रहें हैं हिन्दुस्तान में।

चलो अब मनाओ वेलेन्टइन्डे। बिन्दास होकर मनाओ, स्टौक में दो तीन रख कर मनाओ वेलेन्टइन्डे, किसी तरह का कोई परेशानी झीझक हो तो अभी बता दो 14 फरवरी को मैं भी व्यस्त रहूगा।

अहो एक परेशानी है आपको आपके साथ कोई लड़की नही है वेलेन्टइन्डे मनाने के लिये कोई बात नही इधर-उधर नजर दौडा़ओ देखो कई वेलेन्टइन्डे के सर्मथन में कई खडे़ है उनसे उनकी बहन, बेटी, बहू या फिर एक दिन के लिये माँ ही माग लो टी.वी. रिपोर्टर, रेडीयो के र.जे. बाले से भी मांग सकते हो अगर लड़की हो तो और भी आच्छा है उनहें ही साथ चलने को कह सकते हो आखिर एक दिन का ही बात है मैं भी उन्ही लोग से मागने बाला हूँ।

जय बोलो वेलेन्टइन बाबा की
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श्री राम जन्मभूमि पर मुस्लिम आक्रामण का इतिहास

राम का नाम मत लो राम का नाम लेना पाप हो गया है हो गया जब नागपुर में श्री राजनाथ सिंह ने राम का नाम लिया मैं उसी समय खुश हो गया मेरे कई ब्लागर साथियों को तीन-चार ब्लाग का मैटर मिल गया अब कई दिन तक सभी हाय तौबा मचाने के लिये। ज्यादा ब्लागरों को मिर्ची लगेगी यही सोच कर में चिट्ठाजगत खोल कर बैठ गया और देखने लगा आखिर कितने ब्लागर हैं जिन्हें राम से परहेज या शायद राम से नही भा.ज.पा के मुह से राम शब्द सुनने से परहेज है। वैसे ज्यादा लेखकों को श्री रामजन्ममूमि का इतिहास नही पता है लेकिन अपना आधा-अधुरा ज्ञान (अज्ञान) एवम चर्च के पैसों से चल रहें समाचार चैनल के दुस्प्रभाव के कारण अपनी संस्कृ्ती को मिटाने पर ज्यादा रुची दिखाते हैं।

श्री राम जन्मभूमि पर मुस्लिम आक्रामण का इतिहास

लगभग 7बी शताब्दी से ही हिन्दुस्तान पर मुस्लिम लुटेरों का आक्रमण हिन्दुस्तान पर होने लगा था। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सिर्फ मन्दिरों के खजाना लुटने में ही अपनी रुची नही दिखाई मन्दिरों को लूटने के बाद मन्दिरों को तोड़ कर उसको मस्जिद का रुप देना उन्हें ज्यादा भाया। अफजल खाँ ने छत्रपति शिवाजी की अराध्यदेवी तुलाजी भवानी का मन्दीर को तोडा़। दिल्ली के कुतुबमीनार के पास पुरातत्व विभाग के लगाये सरकारी बोर्ड पर लिखा है कि 21 जैन मन्दिरों को तोड़ कर उनके मलबे से कुव्वत-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया।

सेनापति मीरबांकी ने बाबर के आदेश पर अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि पर बना विशाल भगवान राम के मन्दिर को तोडा़ था, जिसका उल्लेख वहाँ खडे़ ढाँचे पर लगे पत्थर पर अरबी लिपि में खुदा था। औरंगजेब के आदेश से मथुरा में श्री कृ्ष्ण जन्मभूमि पर बना मन्दिर को तोडा़ गया। मौहम्म्द गौरी के इतिहासकार हसन कि पुस्तकों से पता चलता है कि मौ़. गौरी ने काशी पर हमला कर भगवान विश्वनाथ मन्दिर सहित लगभग हजार मंदिरों को तोडा़ और मुस्लमानों के इवादतगाह का रुप दिया। ऎसे हजारों मन्दिरों को तोड़ने के अवशेष देश भर में फैले पडे़ हैं।

इन आक्रमणों के विरुद्ध हिन्दुस्तानीयों ने हमेशा से संघर्ष किया है जो आज भा.ज.पा. भी कर रहा है। तोडे़ गये मन्दिरों के बारबार पुननिर्माण कराया है, और अपने अपमान का बदला लिया है। सिन्ध के राजा की पुत्रियों ने आक्रमणकारी के देश में जाकर अपमान का बदला लिया है, आक्रमणकारी सेनापति मौ. बिन कासिम को उसी के राजा से मृ्त्युदण्ड दिलाया। छत्रपति शिवाजी ने अफजल खाँ का पेट फाड़कर समाज के सम्मान की रक्षा की। हिन्दु समाज ने बाबा विश्वनाथ का मन्दिर पुन: बनवाया लेकिन जैनपुर के मुस्लिम बादशाह ने तोड़ दिया जिसका निर्माण राजा टोडर मल के द्वारा किया गया जिसे पुन: औरंगजेब के हुक्म पर उसे फिर से तोड़ दिया गया। मथुरा के जिस स्थान पर औरंगजेब ने ईदगाह बनवाया उस स्थान को मराठों ने जीत लिया परन्तु मराठा अंग्रेज से पराजीत हो गये जिसके कारण श्री कृ्ष्णजन्मभूमि उद्धार का कार्य वही रुक गया।

भा.ज.पा द्वारा लिया गया श्री राम जन्मभूमि मुक्ति का संकल्प कोई पहला नही है इस से पहले 72 बार जन्मभूमि के लिये लडा़ई हो चूका है। बाबर और हुमायूँ के काल में ही 10 बार सघर्ष हुये जिनमें रानी जयराजकुमारी और स्वामी महेश्वरानन्द जी महराज की भुमिका प्रमुख रहा था। औरंगजेब के राज्य में श्री रामजन्म भूमि के लिये 30 लडा़ईया लडी़ गई। गुरु गोविन्द सिंह जी महराज ने मन्दिर की मुक्ति के लिये निहंगों की सेना अयोध्या भेजी था। अवध के नवाब के राजकाल में हिन्दुओं ने 5 बार धावा बोला कर श्री राम जन्मभूमि को मुस्लमानों के आजाद कराने का कोशीश किया। 1857 के समय हिन्दुओं के विजय के बाद मुस्लमानों ने श्री रामजन्मभूमी को हिन्दुओं को सौपने का निर्णय लिया था लेकिन अंग्रेजों के द्वारा समझौता लागू नहीं होने दिया गया और श्री रामचरण दास जी को इमली के पेड़ से लटका कर मार दिया गया।

1947 में भारत अंग्रेज की गुलामी से मुक्त हो गया। अंग्रेज गुलामी के सभी प्रतीक चिन्हों को हटाया जाने लगा। इसी क्रम में सरदार बल्लभ भाई पटेल के दृढ़ निश्चय के कारण सोमनाथ का मन्दिर का जनता के द्वारा किया गया चँदा ( जबकि जामा मस्जिद का खर्चा सरकार ने वहन किया लेकिन गाँधी जी ने सोमनाथ मन्दिर के पैसा देने से साफ शब्दों में मना कर दिया था) के द्वारा पुन:निर्माण किया गया और हिन्दुस्तान के प्रथम राष्टृपती श्री राजेन्द्र प्रसाद जी उस समारोह में मौजुद थे। लेकिन हिन्दुस्तान की बदकिस्मती ने हमेशा की तरह यहाँ भी साथ नही छोडा़ और सरदार बल्लभ भाई पटेल इस दुनिया से कूच कर गये।

इसके पश्चात कांग्रेस व कांग्रेस से टुट कर बने राजनीतिक दलों ने मुस्लिम गुलामी के चिन्हों को हटाकर राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक चिन्हों की प्रतिष्ठा का विचार छोड़ कर सिर्फ वोट के मिले मुस्लिम आक्रमणकारियों को महीमा मण्डन किया जाने लगा। एवमं राष्टृभक्तों एवम मुस्लमानों से लड़ने वाले को देशद्रोही, आतंकवादी इत्यादी नामों से पुकारा जाने लगा। मिडीया एवम शिक्षा जगत पर कब्जा करके पाठयपुस्तकों में भी राष्टृभक्तों के खिलाफ जहर उगल कर हमारी मान्सिकता को दुषित करने का प्रयास किया गया जिसमें कई हद तक ये सफल भी हुये जिसके कारण आज 6 दिसम्बर को हिन्दु नेताओं के पिछ्छलग्गू कंलक दिवस मनाते हैं, गोधरा में हिन्दुओं के जला कर मारने की घटना को हिन्दु का षडयन्त्र, राम सेतु को तोड़ने की घटना को भा.ज.पा. का चुनावी स्टंट अमरनाथ जमीन में हिन्दु के साथ किये गये धोखा को वोट बैंक की राजनीति के रुप में दिखाया जाने लगा। ये हमारे मानिष्क दिवालीयापन है कि हम अपने दिमाग से सोचने की बजाय चर्च के पैसे सो चल रहे मिडीया के सुर में सुर मिलाते नजर आतें है। तथा अपने बुद्धी विवेक को ताक पर रख कर अपने समाज देश पर लगें कलंक को धोने की जगह नेताओं के सुर में सुर मिला कर इस देश को कमजोर करने में लगें हुयें है।
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पाकिस्तान से शान्ति वार्ता या शस्त्र वार्ता

26/11/2008 की घटना के 1 महीना से ज्यादा गुजर गया है। 10 आतंकवादी सिर्फ मुम्बई को ही नही सारे देश को 60 घंटो से ज्यादा के लिये बन्धक बना कर रख लिया था (100 होते तो क्या होता) ताज होटल, नरीमन हाउस, ओबेराय, व छत्रपती शिवाजी स्टेशन सहीत 10-12 जगह हमला किया, ताबड़तोड़ फायरिंग, बम विस्फोट 200 के करीब आदमी मारे गये, जिसमें कई विदेशी भी थे, 300 से ज्यादा घायल, 3 अफसर समेत 14 पुलिस वाले व 2 एन.एस.जी. कमाण्डो शहीद। 9 आतंकी मारे गये और 1 को गिरफ्तार करके फिक्स-डीपोजीट (कभी जहाज का अपहरण होने पर आतंकी हो दे कर जहाज छुराया जा सके, अफजल को भी इसी तरह रखा गया है) में डाल दिया गया। इतना सब होने के बाद नतिजा क्या निकला वही हमेशा कि तरह ढाक के तीन पात। वही आरोप प्रत्योप, वही मिडीया का आतंक से लड़ने का संकल्प, मोमबत्ती जला कर हम एक हैं हम आतंकवाद से नही डरते जैसे तकियानुसी बातें, सुरक्षा ऎजेन्सी और खुफिया ऎजेन्सी पर देषारोपण, सरकार का वही घीसा पिटा व्यान : हम आतंकवाद से नही डरेंगे , हम आतंकवाद का भर्त्तसना करते हैं, आतंकीयों को मुहतोड़ जबाब दिया जायेगा, ये पाकिस्तान का कायराणा हरक्कत है ये, हम पाकिस्तान को नही छोडे़गे , जरुरत परने पर पाकिस्तान में घुस कर आतंकवादी को मारेंगे, इत्यादी-इत्यादी ( ये सब बातें मुझे याद हो गया है)। निन्दा प्रस्ताव, मरेने वालों के लिये शोक संदेश और 20 आतंकियों का वही पुराना लिस्ट जो हिन्दुस्तान 10-12 साल से लिये घुम रहा है।

लेकिन क्या सरकार ने अपना आतंकवाद के सफाया के रवैया में थोडा भी बदलाव लाया है। अफजल अभी तक फिक्सडीपोजीट मे बन्द है। अब एक और एक और आतंकी हाथ लग गया कसाव उसके साथ क्या होगा। उपर से 20 आतंकी का सूची सोचो क्या होगा अगर पाकिस्तान ने ये सभी 20 आतंकी को भारत को सौप दिया तो। हिन्दुस्तान की सरकार इन्हें फाँसी लगा नही सकता है क्यों कि एक समुदाय भड़क जायेगा और इन्हें वोट देना बन्द कर देगा जिससे शायद 10-12 सिट इन्हें कम मिलेगा। क्या होगा अगर ये 20 आतंकि भारत आ गये तो इनका हमारे देश के सरकार उनका क्या करेगा (इस पार आप अपना विचार दें)। अबू सलेम की तरह एक नया राजनीतिक पार्टी बना कर चुनाव के मैदान में ताल ठोकते नजर आयेंगें या फिर किसी राजनितीक दल के जा घुसेंगे और हमारे कर्णधार बन जायेंगे। हो सकता या किसी विशेष समूदाय के होने के कारण राष्टृपति तक बन जाये।

हमारे नेतागण कह रहें है हमारे पास आतंकी के खिलाफ सबूत है कि आतंकि पाकिस्तानी है पक्के सबूत हैं तो फिर आखिर हिन्दुस्तान किस शुभ मुहुर्त का इन्तजार कर रहा है पाकिस्तान पर कार्यवाही करने का। क्या 30-40 और बम विस्फोट और हो जायेगा तब हिन्दुस्तान सोचेंगा कि पाकिस्तान पर कार्यवाही करना है या नही। आखिर क्यों हम हमेशा की तरह इस बार भी अमेरिका का मुँह देख रहें है कि अमेरिका हमें हूक्म दे तो हिन्दुस्तान पाकिस्तान पर हमला करे या फिर सहिष्णुता व अहिंसा के नाम पर शान्ति की वार्ता दुबारा सुरु किया जाय, दोस्ती के नाम पर बस, रेल, प्लेन, बस का आवागमन किया जाय। कार्यवाही के नाम पर अमेरिका का मुँह देखें। हिन्दुस्तान की जगह अगर अमेरिका रहता तो अमेरिका क्या करता क्या अमेरिका। क्या अमेरिका आतंकवाद के खात्मे के नाम पर पर इराक पर हमला नही लिया क्या अफगानिस्तान में आतंकवादीयों को खदेड़-खदेड़ कर नही मारा। एक प्रश्न उठता है क्या ये यह अहिंसा है या कायरता, सहिष्णुता है या हिनभावना या फिर अपने स्वाभिमान का मौत। अगर यैसा नही तो फिर हिन्दुस्तान किस रास्ता पर चल रहा है। क्यों सारे सबूत होने के बावजूद हिन्दुस्तान पाकिस्तान पर कार्यवाही करने से क्यों कतरा रहा है? आज क्यों हिन्दुस्तान अपने स्वाभीमान की रक्षा के लिये अमेरिका जैसा व्यापारी देश का तलवा चाट रहा है क्या कारण है कि हमारे यहाँ के नेता सुटकेस में सबूत का पुलिन्दा बान्ध कर सारे विश्व का परिकर्मा कर रहा है। हमारे नेता क्यों नही वोट प्रेम को छोड़ अफजल को फाँसी पर लटका रहें हैं, लादेन के हमशक्ल को लेकर घुमने बाले नेताओं को देशद्रोह के मामले में जेल में क्यों नही डाला जा रहा है उन्हें पुरस्कार स्वरुप मंत्री पद क्यों दिया जा रहा है। क्यों नही तुष्टीकरण की नीति को छोड़ कर हिन्दुस्तान में पल रहे पाकिस्तान के ऎजेन्ट को किसी चौक चौराहे पर खरा करके गोली मारा जा रहा है। क्यों नही पाकिस्तान के साथ सभी संबन्ध को खत्म किया जा रहा है क्यों शान्ति वार्ता की जगह पाकिस्तान को शस्त्र वार्ता का न्योता नही भेजा जा रहा है। क्यों हमारे देश के कर्णधार राम व कृ्ष्ण के धर्म का पालन करते हूये पाकिस्तान में पल-बढ रहे आतंकि ठिकानों के खत्म करके अपने राजकीय धर्म का पालन क्यों नही कर पा रहें हैं।
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