शाहरुख खान को पब्लिशिटी का क्यों जरुरत है।

अमेरिका में शाहरुख खान के साथ क्या हुआ शायद किसी को पता नही है हम में से कोई वहा मैजुद नही था। हम सभी मिडीया या समाचार पत्र के द्वारा शाहरुख खान को हवाई अड्डे में पुछ ताछ के बारे में पता चला इसमें कितनी सच्चाई है कहा नही जा सकता। लेकिन हम सभी को पता है अमेरिका किसी ना किसी मुद्दे पर दादागीरी हमेशा करता है। इससे पहले भी जार्ज फ्रनान्डीस के साथ हुआ, पुर्व राष्ट्रपति श्री डा़ एपीजे अबुल कलाम के साथ हुआ और भी कईयों के साथ हुआ होगा जिसेमें हो हल्ला नही मचाया गया। कई ब्लागरों एवम मिडीया के द्वारा इस बात के लिये तर्क करना कि शाहरुख खान अपने पब्लिशिटी के लिये नाटक कर रहें है कुछ गले नही उतर रहा है आखिर शाहरुख खान हिन्दुस्तान के अभी के कामयाव और सुलझे हुये अभिनेता मे से एक है। शाहरुख खान का इज्जत सभी तबके के लोग करतें है। शाहरुख खान के बारें मैं आज से पहले कभी भी इस तरह ओछि पब्लिशीटी लेने का कोशीश नही किया। तो आज सफलता जब उनके कदम चुम रहा है तो उन्हे इस तरह का हथकण्डा अपनाने का कोई जरुरत नजर नही आ रहा है। लेकिन अमेरिका के उपर हमेशा से दादागिरी करने का दाग लगता रहता है। अगर पुरे घटना को दिमाग से सोचा जाय तो इस पुरे मामले में अमेरिका का दादागिरी नजर आता है ना कि शाहरुख खान का पब्लिशिटी स्टट।
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डा़ एपीजे अबुल कलाम - काश में भी एक क्रिकेटर होता

याद होगा कुछ दिन पहले हिन्दुस्तान के खिलाडीयों को अस्ट्रेलिया में अस्ट्रेलुयाई खिलाडी एन्डुयु साइमन्स से कुछ बकझक हुआ था और और हरभजन को इस बकझक का दोषी माना गया था और कुछ मैच के लिये बैन कर दिया गया था। ICC के हिन्दुस्तान विरोधी रैवये से सारा हिन्दुस्तान उबल पडा़ था और हिन्दुस्तान के अन्दर जम कर हंगामा किया गया कई राजनितीक पार्टीयों के द्वार विरोध किया गया था, मिडीया बालों ने भी टी.आर.पी. बठाने के लिय जम कर हल्ला किया था और आम जनता के द्वारा भी ICC और एन्डुयु साइमन्स का पूतला जलाया गया और जम कर विरोध प्रर्दशन हुआ , यहाँ तक कि हमारे देश के सांसदो तक को ICC और एन्डुयु साइमन्स का हिन्दुस्तान विरोध मानसिकता पर रोष आया और सांसद में इस मामले को उठाया गया था। ब्लाग जगत में भी कई ब्लागरों द्वार एन्डुयु साइमन्स के इस कुकृत का खुल कर निन्दा किया गया।

21 जुलाई को अपने देश के राजघानी के इंदिरा गांघी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ अमरीकी एयरलाइंस के कर्मचारीयों के द्वारा पुर्व राष्ट्रपति श्री एपीजे अबुल कलाम का तलाशी और सुरक्षा जांच के नाम पर जूते उतरवाए और दुर्व्यवहार किया गया। पुर्व राष्ट्रपति के इस दुर्व्यवहार से हमारे देश को एक जरा भी बुरा नही लगा किसी के सर पर थोडा़ सिकन भी नही आया कही से कोई विरोध प्रदर्शन नही कोई, कोई हंगामा नही यहाँ तक कि संसद में भी ज्यादा प्रतिक्रिया नही किया गया सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वार इस मामले को राज्यसभा और लोकसभा में उठाया गया और सभी पार्टी इस मुद्दे पर चुप रहना बेहतर समझा उलटे देश चलाने बाले कांग्रेसी नेता तो मुकदर्शक बन कर बैठ गये और सबसे अचरज बाली बात यह है कि जब इस मुद्दे पर हमारे गृह मंत्री अपना बयान दे रहे थे तब वे पुर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का नाम तक भुल गये। उपर से इस मुद्दे पर सरकार के द्वारा झुठ भी बोला जा रहा है कि कांटिनेंटल एयरलाइंस के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है जहाँ तक सच्चाई यह है कि भारत सरकार के गृह या नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कांटिनेंटल एयरलाइंस के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं करवाई। उल्टे अमेरिका सरकार ने कह दिया है कि अमेरिकी सुरक्षा नियमों के अनुसार वे भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को वीआईपी नहीं मानते और वे जब भी अमेरिका आएंगे तो आम आदमी की तरह उनकी तलाशी ली जाएगी। जब कि अमेरिकी एयरलाइंस के उपर एक नही कई मामले दर्ज होने चाहिये थे हिन्दुस्तान में हिन्दुस्तान का कानुन ना मानना पुर्व राष्ट्रपति के खिलाफ अभद्रता जैसे कई मामले बनते हैं और कांटिनेंटल एयरलाइंस को इस हिन्दुस्तान व्यपार करने से रोक देना चाहिये था।

इस पुरे मामले में अगर नेताओ को छोड. दिया जाय तो हम आम हिन्दुस्तानियों के रवैया भी विचित्र नजर आता है जहा क्रिकेट में अभद्रता के मामले में पुरा भारत में उवाल आ जाता है वही एक पुर्व राष्ट्रपति के अपने देश में ही अभद्र व्यवहार के लिये आम नागरीक शांत बैठा है उस में वैसे राष्ट्रपति के लिये जिन्होंने अपना सारा जीवन देश के नाम शमर्पित कर दिया आजीवन कुवारा रह कर देश सेवा के प्रेरणा से काम किया उस राष्ट्रपति के मामले में अगर देशवासी चुप है तों हमें इस देश के नागरिकों के मानसिकता पर तरस आता है। डा़ एपीजे अबुल कलाम शायद आज सोच रहें होगे काश में भी एक क्रिकेटर होता।
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हाँ हम आजाद हैं।

15 अगस्त आने बाला है। हमारे दिल में 15 अगस्त को फिर से देशभक्ती कि ज्वार हिलोड मारेंगा। वैसे साल में सिर्फ दो दिन हमारे दिल में देशभक्ति का रसधारा वहता है वह है 15 अगस्त और 26 जनवरी। हमारे देश में ये दो दिन रिर्जव रखा गया है देशभक्ति के लिये और सब दिन सब चलता है। देश को आजाद हुये 62 साल हो गये अब हमें सोचना चाहिये कि क्या हम सही मायने में आजाद हैं

हमारे देश में सभी को खुला छुट मिला है अपने आजादि के मानने के लिये। चाहे कुछ भी करें कोई बोलने बाला नही कोई टोकने बाला नही क्यों कि हम आजाद हैं। शहर में तीन - चार बम फटा तो रिस्तेदार मरें उनकों छोड़ कर हम देश वासियों को सिर्फ दो पल के लिये रोष आता है उसके बाद सब नार्मल हो जाता हैं यैसा लगता है जिस शहर में बम फटा वह हमारे देश में नही है किसी और देश में हैं। अगर कोई पकराया तो सरकार के द्वारा केस करने से पहले मानवाधिकार बालें आतंकियों को बचाने के लिये वकिल कर लेते हैं। घटना स्थल पर नेता आते हैं कडे़ शब्दों में निन्दा करतें हैं आतंक को जड़ से खत्म करने का कसम खातें हैं भविष्य में इसका पुनरावृति ना हो इसका वचन देतें हैं नतिजा कुछ दिन बाद फिर से बम विस्फोट। सब भगवान भरोसा क्यों कि हम आजाद हैं।

जब हमारे देश में अंग्रेज थे तब हमारे देश में हर 44 मिनट में एक बलात्कार होता था अब हम जब आजाद हो गयें तो हर 22 मिनट में एक बालात्कार होता हैं। जब अंग्रेज थे तो हर 100 बालात्कारी में से सिर्फ 5 बालात्कारी को सजा मिलता था अब सिर्फ 7 को सजा मिलता हैं क्यों कि हम आजाद हैं। आज के तारिख में हर 3 मिनट में हिन्दुस्तान में किसी ना किसी लड़कियों के छेडखानी का घटना होता है। क्यों कि हम आजाद हैं। हर 12 मिनट में दहेज लोभीयों द्वारा किसी ना किसी महिला को प्रताडीत किया जाता हैं। क्यों की हम आजाद हैं।

आजादी के क्या मायने रह गयें हैं हमारे लिये। भारत माँ को डायन कहने बाले आजाद हैं भारत माँ की नंगी तस्विर बनाने बाले आजाद है। ओसामा के हम शक्ल क साथ में लेकर घुमने बाले आजाद हैं। संसद भवन में आक्रमण करने बाले आजाद है। अफजल और कसाब आजाद है। देशद्रोहियों की फौज आजाद हैं और उनके सर्मथक आजाद है। भष्टाचारी आजाद है। चोर, उच्चके आजाद है। बालात्कारी आजाद है। हमारे देश के सैनिकों को गाली देने बाले आजाद है। समाजिक सदभावना के नाम पद देश को बाटने बाले आजाद है। दंगाई आजाद है। लोकतंत्र के नाम पर इस देश को लुटने बाले नेता आजाद है। आजमगढ़ में माथा टेकने बाले आजाद हैं। बाटला हाउस को धार्मिक स्थल बनाने बाले आजाद है। क्या है हमारे आजादी के जरा सोचिये।
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जीत भार्गव जी का जवाब - जब वंश ही लोकतंत्र का आधार होगा

कल मैने एक कविता अपने ब्लाग में डाला था उस के जवाब जीत भार्गव जी ने भी एक कविता में दिया है।

जब वंश ही लोकतंत्र का आधार होगा,
देश ऐसे ही लाचार होगा.
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जब ईमान पर भारी मजहब होगा,
नेतृत्व का ऐसा ही भ्रष्टाचार होगा.
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जब बिका हुआ मानवाधिकार होगा,
बेक़सूर ही गिरफ्तार होगा.
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जब मीडिया ही दरबान होगा,
जन हित का मुद्दा बेकार होगा.
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जब जनमानस अचेत हो तो,
देश में ऐसा ही अंधार होगा.
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सुशासन को कौन पूछेगा,
जब सेकुलर ही जीत का आधार होगा.
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ये हमारा हिन्दुस्तान है।

डाक्टर बीमार है
इंस्पेक्टर लाचार है।

घर में फोन है
मगर वह बेकार है।

अनपढ़ है मंत्री यहाँ
पढा़ लिखा सब बेकार है।

आदमी को पुछता नही
जानवरों से प्यार।

मुजरिमों का पता नही
बेकसूर गिरफ्तार है।

कुछ मत पुछो भाई
ये हमारा हिन्दुस्तान है।
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यह धर्मनिर्पेक्ष बस्ती हैं यहाँ थूकना मना है

क्या आप धर्मनिर्पेक्ष हैं क्या धर्मनिर्पेक्षता का पालन करतें हैं नही तब तो आप पर धिक्कार है।

गुजरात के दंगा पीडित का सहायता करना धर्मनिर्पेक्षता है और काश्मीर से निकाले गये हिन्दुओं का मदद करना साम्प्रदायिकता है।

लक्ष्मणानन्द सरस्वती का हत्या साम्प्रदायिकता का खात्मा, ग्राहम स्टेन्स का हत्या धर्मनिर्पेक्षता का हत्या।

मन्दिर तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनाना धर्मनिर्पेक्षता है राम मन्दिर के बारे में सोचना साम्प्रदायिकता। क्यों राम मन्दिर में हिन्दु पुजा करने जाते हैं

अमरनाथ यात्रा साम्प्रदायिक है और हज में सब्सीडी देना धर्मनिर्पेक्षता है। अमरनाथ यात्रा से मुस्लमानों के धार्मिक भावना आहत होता है काश्मीर को दारुल इस्लाम बनाने में दिक्कत आता है इस लिये अमरनाथ यात्रा साम्प्रदायिक

सरस्वती शिशु मन्दिर साम्प्रदायिकता फैलाने बाला स्कूल है क्यों कि वहाँ वन्देमातरम गाया जाता है वहाँ हिन्दुस्तान के गैरवशील इतिहास के बारे में पढाया जाता है इस लिये सरस्वती शिशु मन्दिर साम्प्रदायिक है और मदरसा जहाँ आंतक और जिहाद का शिक्षा मिलता है वह धर्मनिर्पेक्ष है।

विकास पुरुष नरेन्द्र मोदी साम्प्रदायिक, बाटला हाउस आजमगढ़ में माथा टेकने बाले, आतंकवादीयों के परिवार को पैसा देने बाले नेता गण धर्मनिर्पेक्ष|

हिन्दु साम्प्रदायिक है और मुसलमान धर्मनिर्पेक्ष है रामनवी का जुलुस साम्प्रदायिक, भरतपुर में भरत मिलन समारोह साम्प्रदायिक मन्दिर में पुजा करना साम्प्रदायिकता , मन्दिर में भजन कीर्तन करना साम्प्रदायिक और मुसलमानों के द्वारा शुक्रवार को बीच रोड में नमाज पढ़ना धर्मनिर्पेक्षता हैं भरत मिलन समारोह में दंगा करना धर्मनिर्पेक्षता है। दिन में पाँच - पाँच बार लाउडसपिकर लगा कर नमाज पढ़ना धर्मनिर्पेक्षता है, मुहरर्म का जुलुस में हथियार का प्रर्दशन करना धर्मनिर्पेक्षता है।

वरुण गाँधी - पक्का साम्प्रदायिक है उसमें एक नही दो-दो ऎसा गुण है जो वरुण गाँधी को साम्प्रदायिक सिद्ध करता है एक उसका नाम वरुण जिसका अर्थ है हिन्दु के देवता सुर्य और दुसरा हिन्दु की रक्षा का बात करना का गलती, राहूल गाँधी धर्मनिर्पेक्षता का पक्का सिपाही किसी को कोई शक है क्या।

साध्वी प्रज्ञा सिंह साम्प्रदायिक-अफजल गुरु, कसाब, जिहादी आंतकी धर्मनिर्पेक्षता के पुजारी हैं।

देशहित के नाम पर रामसेतु तोड़ना धर्मनिर्पेक्षता है सड़क चौडा, रेलवे स्टेशन विस्तार के लिये किसी मस्जिद या मजार को स्तान्तरण करना घोर साम्प्रदायिकता है ।

सुरेश चिपलुनकर, प्रमेन्द्र प्रताप, संजय बेंगाणी, चन्दन जैसे ब्लागर ये सभी पक्के साम्प्रदायिक है इन सभी का चेहरा-मोहरा, हाव भाव, चाल चलन, रहन सहन, इनका कम्युटर, माउस, किबोर्ड, वायरस सब साम्प्रदायिकता है।

भाजपा साम्प्रदायिक और मुस्लिम लीग धर्मनिर्पेक्ष है क्यों की मुस्लिम लीग अल्पसंख्यकों की पार्टी है अल्पसंख्यक कभी भी साम्प्रदायिक नही होता है, देश भाजपा जैसा साम्प्रदायिक पार्टी तोड़ता है मुस्लिम लीग जैसा अल्पसंख्यक का पार्टी कभी भी देश नही तोड़ता है। क्या आज तक किसी ने सुना है मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान बनाया है नही ना हमेशा से यही सुनने में आता है कि भाजपा देश तोड़क पार्टी है ( लेकिन शायद किसी को नही पता होगा कि भाजपा ने कौन सा देश या किसका देश तोडा़ है पाकिस्तान बनने के समय तो भाजपा था भी नही)

शिवाजी, लक्ष्मीवाई, गुरुनानक देव, बन्दा बैरागी, महाराणा प्रताप साम्प्रदायिक हैं 5000 औरतों से शादि करने बाला महान अकबर धर्मनिर्पेक्ष, 40,000 हजार हिन्दुओं को एक दिन में मौत के घाट उतारने बाला चंगेज खाँ धर्मनिर्पेक्ष, औंरगजेब धर्मनिर्पेक्ष, बाबर धर्मनिर्पेक्ष

सिमी धर्मनिर्पेक्ष बजरंग दल साम्प्रदायिक, गुजरात के ट्रेन में आग लगाना धर्मनिर्पेक्षता, आग से अपने आप को बचाना साम्प्रदायिकता, राम प्रसाद साम्प्रदायिक, लक्ष्मण प्रसाद साम्प्रदायिक, कृ्ष्ण देव साम्प्रदायिक, मोहन सिंह साम्प्रदायिक, राधिका साम्प्रदायिक, उमाशंकर साम्प्रदायिक, रमाकान्त साम्प्रदायिक, गणेश साम्प्रदायिक, गैरी साम्प्रदायिक, राधा साम्प्रदायिक|

हिन्दु, सिख, जैन साम्प्रदायिक मन्दिर, देवालय, गुरुद्वारा साम्प्रदायिक, मुस्लिम, इसाई धर्मनिर्पेक्ष मस्जिद, चर्च धर्मनिर्पेक्ष, जय श्री राम साम्प्रदायिकता, नमस्कार साम्प्रदायिक, प्रणाम साम्प्रदायिक, सुर्य नमस्कार साम्प्रदायिक, बाबा रामदेव साम्प्रदायिकता, योग साम्प्रदायिक।

हम साम्प्रदायिक आप धर्मनिर्पेक्ष !!! जय श्री राम !!!
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सोचिये क्या होगा हिन्दुस्तान का

आप में से कितनों को पता है कि साध्वी प्रज्ञा सिंह (जिन्हें हिन्दु आतंकवादी का जामा पहनाया गया था) और उनके साथीयों पर से मकोका हटा लिया गया है। कोर्ट के एक फैसले के अनुसार सभी अभियुक्तों पर से मकोका हटा लिया गया है।

याद किजीये कुछ दिन पहले तस्विर और हमारे समाचार मिडीया के द्वारा दिखाया जाने बाल वो हिन्दु आंतकवादी का समाचार जिसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह के साथ में हिन्दुस्तान के लगभग सभी साधु-संतों को ये मिडीया बाले हिन्दु आंतकवादी बता कर चौबीसों घंटा अपने समाचार के माध्यम से कोसते थे हर हिन्दु को आंतकवादी के अवधारणा में खडा़ कर दिया गया था लेकिन आज जब साध्वी प्रज्ञा पर से मकोका हटा एक भी समाचार चैनल बालों ने 1 मिनट का भी कोई कवरेज नही दिखाया। क्या यही है मिडीया का कर्तव्य। सोचिये क्या होगा हिन्दुस्तान का।
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माँ का दुध पीने से अगर ताकत नही मिलता है तो बाप का छाती चाटने से कुछ नही होता है

ज्यादा नही सिर्फ एक महीना पहले रुस में हमारे प्रधानमंत्री शेर के तरह चिंघार कर आये थे यैसा लग रहा था कि मुम्बई पर पाकिस्तानी के आक्रमण के बाद हिन्दुस्ताने पाकिस्तान को कच्चा खा जायेंगे यैसा लग रहा था कि इस बार तो पाकिस्तान गया काम से मेरे एक मित्र ने कहा पाकिस्तान को इसकी सजा मिलनी चाहिये इस बार हमारी सरकार पाकिस्तान को नही छोडे़गा हो सकता है शायद हिन्दुस्तान इस बार पाकिस्तान पर आक्रमण कर दे और पाकिस्तान का नामोनिशान इस मिटा देगा। मैं मुस्कुराया और कहा "माँ का दुध पीने से अगर ताकत नही मिलता है तो बाप का छाती चाटने से कुछ नही होता है"। और अब मेरा बात सच्च हो गया हम हिन्दुस्तानी को अपने अन्दर तो मर्दानगी नही है किसी और किसी और विधी से अपने नंपूसकता को छिपाते फिरते हैं।

वैसे इसमें हमारे प्रधानमंत्री का कोई कसूर नही है उन्हों ने वही किया जो 62 साल से कांग्रेस सरकार करते आ रहा है हिन्दुस्तान के मुस्लमानों को तुष्ट करने के लिये पाकिस्तान पर किसी भी तरह के कार्यवाही करने से बच रहा है इसके चलते हम हिन्दुस्तानी का कफी नुक्सान कर रहें हैं। मिश्र में प्रधानमंत्री के द्वारा दिये गरे संयुक्त घोषणा पत्र से यह सिद्धा हो गया है कि हमारे देश के नेताओं के पास अपने देश के रक्षा करने का कोई ठोस नीति नही है हिन्दुस्तान का रक्षानीति अमेरिका तैयार करता है और अमेरिका जो कहेगा हमारे देश के शासक वर्ग वही करेंगे।

आखिर 26/11 को हिन्दुस्तान पर पाकिस्तानी हमले में पाकिस्तान के क्या कार्यवाही कि कुछ भी तो नही और पाकिस्तान अपने नागरिकों या सेनानायक के उपर किसी भी तरह का कोई कार्यवाही क्यों करेगा? जब उसका सारा आपरेश्न पाकिस्तान हूक्मराने के कहने पर ही चल रहा था पाकिस्तान आर्मी के आफिसर अभी आतंकवादियों को अपने संरक्षण में ट्रेनिग दे रहा था और पाकिस्तान सरकार इस पुरे आपरेश्न को पैसा मुहय्या करवा रहा था तो आखिर हम इस इन्तजार में क्यों हैं कि पाकिस्तान अपने नागरिकों और आर्मी आफिसर को सजा देगा उलटे पाकिस्तान तो उन सभी को ईनाम देने के फिराक में होगा।

लेकिन हमारे देश के भाग्यविधाता को इस बात का समझ कब आयेगा कि पाकिस्तान हमारा दोस्त कभी नही हो सकता जिसने कसम खा रखा हो हिन्दुस्तान के तबाह और बर्वाद करने का और जिसके सहयोगी हिन्दुस्तान के हर शहर में बैठे हो उस स्थिती में पाकिस्तान के बन्दरघुरकि से हम कैसे डरा कर अपना दोस्त बना सकते हैं। इस बार हमारे देश के सैनिकों तो जीत गये लेकिन मेज पर हम फिर हार गयें और बलुचिस्तान का कंलक अलग से।
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