नीम का पत्ता कड़वा है, राज ठाकरे भड़वा है

नीम का पत्ता कड़वा है, राज ठाकरे भड़वा है कुछ इस तरह का नारा लगाया जा रहा था समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के एक सभा में खुले आम बाला साहव ठाकरे और राज ठाकरे को गाली दिया जा रहा था। अबू आजमी जैसे संदिग्ध चरित्र वाले व्यक्ति द्वारा "मराठी लोगों के खिलाफ़ जेहाद छेड़ा जायेगा, जरूरत पड़ी तो मुजफ़्फ़रपुर से बीस हजार लठैत लाकर रातोंरात मराठी और यह समस्या खत्म कर दूँगा" जैसी भरकाउ बाते कहा जा रहा था जिसे मिडीया बालेने आज तक नही दिखाये। जो कि सरासर गलत था। और यह भी गलत है कि निर्दोश धर्मपाल यादव को पीट-पीट कर मार दिया गया राहुल राज की तरह धर्मपाल यादव ने तो हाथ में बन्दुक नही उठाया था और ना किसी बस को हाइजैक किया था फिर क्यों मार दिया गया क्या महाराष्ट्र के गृ्हमंत्री के पास जवाब है।

सभी को लगता है यह लडा़ई राजनीतिक है या फिर दो राज्यों के बीच लडा़ जा रहा है। नही यह किसी तरह का राजनीतिक लडाई नही है यह तो लोकसभा का चुनावी जंग है। इस बात को हमें समझना होगा। हिन्दुस्तान का यह बदकिस्मती है कि यहा चुनाव जात-पात, अगडा और पिछडा़, क्षेत्रियता, आरक्षण, मुफ्त में समान या चुनाव में पैसा बाटने बालों के नाम पर लडा़ जाता है हिन्दुस्तान में आज तक कभी भी आतंकवाद, महगाई, विकास, गुण्डागर्दी, देशद्रोहीपना, अमेरिकापरस्ती, चीन चम्चागीरी के नाम पर नही लडा़ गया। अगर हम हिन्दुस्तान का जनता इतना जागरुक और समझदारी रहता तो आज राहुल राज महाराष्ट्रा में कही नौकरी कर रहा होता और धर्मपाल यादव अपने 14 महीने के बेटी के साथ मुम्बई से खरीदा खिलैना के साथ खेल रहा होता दोने आज मरते नही। हमें अपने मानसिकता को बदलना होगा। आज हिन्दुस्तान का हाल कितना खराब है हमें खुद सोचना होगा। हिन्दुस्तान के एक मंत्री को अपने देश से ज्यादा श्री लंका में रह रहे तमिल का चिन्ता सता रहा है कि बन्दुकधारी तमिल को श्री लंकाई सेना मारे नही। हिन्दुस्तान के नेता इस चिन्ता में दुबला हो रहा है कि अमेरिका चीन को हिन्दुस्तान के मदद से घेर रहा है। हाय रे हिन्दुस्तान का दुर्भाग्य आज तक किसी तमिल नेता ने संसद भवन में बिहारवासीयों को असाम में बाग्लादेश के घुसपैठियों के द्वारा हत्या पर चिन्ता नही जताया होगा नही किसी कम्यूनिस्ट ने चीन का चिन्ता छोड़ कभी काश्मिर का चिन्ता किया होगा। अगर बिहार वाले मर रहें हैं तो बिहार के नेता ही उसके लिये अवाज उठायेगें लेकिन नेता पहले पुरी तरह आस्वस्त हो लेगें कि मुद्दा उठाने से चुनाव में फायदा हो रहा है या नही, हमारे देश के प्रधानमंत्री को सिर्फ इस लिये निन्द नही आता है कि एक हिन्दुस्तानी मुस्लिम आतंकवादी को किसी दुसरे देश के पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है लेकिन हिन्दुस्तान में एक महिला साध्वि को बिना किसी सबुत के गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें सकून का नीन्द आता है क्यों साध्वि को पकड़ ने से उन्हे चुनाव में फायदा होगा। इस तरह के विकृत मानसिकता वाले नेता इस देश को चला रहें हैं। आज हिन्दुस्तान में सिर्फ महाराष्ट्रा में राज ठाकरे और अबु आजमी के द्वारा क्षेत्रियता के द्वारा नफरत नही फैला रहा है। हिन्दुस्तान का हर एक नेता इसी ताक में बैठा है कि किससे किसको लड़वा कर फायदा उठाया जाये। हमें इस बात को समझना होगा कि हमें आपस में लडवानें के हर मुहल्ले में एक यैसा नेता बैठा है जो हमारे वोट और वोट के लिये हमारे खुन का प्यासा है। हमें सर्तक रहना होगा।

बिहारवासीयों आज सबसे ज्यादा मेहनती होने के बावजुद सब जगह से तिरस्कार ही मिल रहा है। आज बिहार और उत्तर प्रदेश का अशिक्षा, रोजगार उद्योग की कमी और बढ़ता अपराध मुख्य समस्या है। जिसके कारण आम सीधा-सादा बिहारी यहाँ से पलायन करता है और दूसरे राज्यों में पनाह लेता है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि उत्तरप्रदेश और बिहार से आये हुए लोग बेहद मेहनती, कर्मठ और इमान्दार होते हैं। ये लोग कम से कम संसाधनों और अभावों में भी मुम्बई में जीवन-यापन करते हैं, लेकिन वे इस बात को जानते हैं कि यदि वे वापस बिहार चले गये तो जो दो रोटी यहाँ मुम्बई में मिल रही है, वहाँ वह भी नहीं मिलेगी। इस सब में दोष किसका है? जाहिर है गत बीस वर्षों में जिन्होंने इस देश और इन दोनो प्रदेशों पर राज्य किया? सवाल उठता है कि मुलायम, लालू, अमर सिंह, रामविलास पासवान जैसे संकीर्ण सोच वाले नेताओं को उप्र-बिहार के लोगों ने जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया? क्यों नहीं इन लोगों से जवाब-तलब हुए कि तुम्हारी घटिया नीतियों और लचर प्रशासन की वजह से हमें मुंबई क्यों पलायन करना पड़ता है? क्यों नहीं इन नेताओं का विकल्प तलाशा गया? क्या इसके लिये राज ठाकरे जिम्मेदार हैं? आज उत्तरप्रदेश और बिहार पिछड़े हैं, गरीब हैं, वहाँ विकास नहीं हो रहा तो इसमें किसकी गलती है? क्या कभी यह सोचने की और जिम्मेदारी तय करने की बात की गई? उत्तरप्रदेश का स्थापना दिवस मुम्बई में मनाने का तो कोई औचित्य ही समझ में नहीं आता? उत्तरप्रदेश का स्थापना दिवस सिर्फ मुम्बई में क्यों मनाया गया। कोलकत्ता, चेन्नई बैगलोर या अहमदाबाद में क्यों नही मनाया गया क्या कोलकत्ता, चेन्नई बैगलोर या अहमदाबाद में उत्तर प्रदेश के निवासी नही रहतें है। और क्या महाराष्ट्र का स्थापना दिवस लालू, रामविलास पासवान, मुलायम सिंह ने लखनऊ या पटना में कभी मनाया है? लगे हाथ में मिडीया बालों के उपर भी कुछ काहना चाहता हू जब मिडीया बाले राज ठाकरे के द्वारा दिया गया भाषण दिन भर अपने चैनल पर दिखाया तो उसने अबू आजमी का आग उगलने बाला भाषण क्यों नही दिखाया गया। बिहारीयों को महाराष्ट्रा में पिटा गया तो दिन भर ब्रेकिग न्यूज बना कर हेडलाइन्स के रुप में दिखाया गया लेकिन बिहार, झारखण्ड में जब मराठियों को पिटा गया तो क्यों नही दिखाया गया। मिडीया बाले बार बार यह क्यों दिखा रहें है कि बिहार में हमेशा से क्रान्ति का अगुआ रहा है बी.एन. कालेज पटना से विद्यार्थियों का अन्दोलन हुआ था। आखिर क्यों विद्यार्थियों को आन्दोलन के लिये उकसाया जा रहा है। आखिर कारण क्या है कौन है जो हमें आपस में लडवा रहा है आखिर किसे फायदा होगा हमारे आपस में लड़ने का। अंग्रेजो की नीति आजादी के बाद भी क्यों हम पर चलाया जा रहा है।

आज हिन्दुस्तान अपने आप को भुल गया है हम भुल गये हैं कि हिन्दुस्तान हमारा देश है आज हम अपने गली मुहल्ले, कस्बा, अपना शहर और अपना राज्य को अपना देश मान रहें हैं। आन्दोलन होना चाहिये बी.एन. कालेज पटना से अन्दोलन का सुरुआत होना चाहिये लेकिन किसी राज ठाकरे के लिये नही वैसे देशद्रोहियों के लिये जो हमें तोड़ना चाहते हैं वैसे नेताओं के लिये जो हमें इन्सान नही सिर्फ एक वोट मानते हैं। बी.एन. कालेज पटना से अन्दोलन सुरु हो और महाराष्ट्र के मुम्बई में जाकर इस आन्दोलन को सफलता मिले। हमें आपस की लडाइ को भुल कर हिन्दुस्तान के बारे में सोचना चाहिये।
read more...

हिन्दु आतंकवादी चुनाव जीतने का फार्मुला

14 नवम्बर 2004 दिपावली के ठीक पहले शकराचार्य स्वामी जयेन्द्र स्वामी को ठीक पुजा करते समय गिरफ्तार किया गया सेकुलर के द्वारा यह किसी विश्व विजय से कम नही था जम कर खुशीयाँ मनायी गया। इस खुशी के माहौल को दुगना करने में मिडीया का भरपुर सहयोग मिला मिडीया पुलिस और खूफिया ऎजेन्सी से ज्यादा तेज निकला और डेली एक नया सबूत लाकर टी.वी समाचार के माध्यम से दिखाया जाने लगा हिन्दु साधु-संत को जम कर गालिया दिया जाने लगा सभी को हत्यारा कहा जाने लगा। लेकिन सेकुलर और मिडीया का झुठ ज्यादा दिन तक नही टिका और शकराचार्य स्वामी जयेन्द्र स्वामी के खिलाफ सेकुलर और मिडीया कुछ भी नहीं साबित कर रहा था, सभी आरोप को बकवास करार दिया गया, उच्चतम न्यायालय का फैसला शकराचार्य स्वामी जयेन्द्र स्वामी के पक्ष में आया उन्हे हत्या के आरोप से जमानत के द्वारा रिहा कर दिया गया।

इस दीवाली हिन्दुओ के उपर एक और कंलक लगाने का कोशिश किया जा रहा हिन्दु आतंकवादी का बैगर किसी सबूत के एक हिंदू साध्वी को मालेगांव विस्फोटों में उसकी कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के पास सबूत नही है। जिस मोटर बाइक का उपयोग विस्फोट में करने के बारे में बताया जा रहा है उस बाइक को कुछ साल पहले बेच दिया गया था। स्पेशल पुलिस रविवार को साध्वी प्रज्ञा सिंह के किराए के मकान पर छापा मारा, लेकिन वहाँ से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला। मुंबई एटीएस प्रदेश में साध्वी प्रज्ञा से जुड़े लोगों की गतिविधियों की जानकारी एकत्रित कर रही है। लेकिन अभी तक पुलिस को कोई खास सफलता मिला लगता नही है। लेकिन इस मुद्दे पर काग्रेसी और उसके सहयोगी के द्वारा झुठा प्रचार सुरु कर दिया गया है । चुनाव से पहले खुफिया ऎजेन्सी और पुलिस को अपने चुनाव ऎजेन्ट के रुप में काम करवाया जा करवा दिया है। काग्रेस के नेता और उनके सहयोगी दल इसी कोशीश में लगे हैं कि किस हिन्दु संघठन को चुनाव तक हिन्दु आतंकवादी का तगमा लगा कर रखा जाये जिससे चुनाव में फायदा उठाया जा सके।

कांग्रेस सरकार इस पांच साल में इस देश को क्या दिया है। इस सरकार के दौरान सबसे ज्यादा मुस्लिम आतंकी का भयावह चेहरा हिन्दुस्तान देखा है। आंतकी को सरक्षण देने के लिये पोटा हटा दिया गया। परमाणु करार के द्वारा सरकार अपना परमाणु और रक्षा निती अमेरिका के हाथ में गिरवी रख दिया है। आखिर कौन सा चेहरा मुंह कांग्रेस उन किसानो के पास वोट मागने जायेगा जिसके परिजन आत्महत्या कर चुके हैं। हिन्दुस्तान का अर्थव्यवस्था आज जिस गति से निचे गिर रहा है उतना तेजी से शायद सचिन और धोनी ने रन भी नही बनाता है। हमारे अमेरिकन स्कालर प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी वित्त मंत्री के द्वारा लाख भरोसा और आश्वासन के बाबजुद भी अर्थव्यवस्था का गिरना बन्द नही हो रहा है अगर हालत यही रहा तो 1-2 महीना के अन्दर हिन्दुस्तान में भुखमरी सुरु हो जायेगा।

सोचने योग्य बाते हैं आखिर हिन्दु अपने देश हिन्दुस्तान में क्यों बम विस्फोट करेंगे। उन्हें ना तो किसी देवता के द्वारा जिहाद करने को कहा गया है। नही हिन्दु इस देश को दारुल हिन्दुस्तान बनाना चाहता है। हिन्दु के किसी धर्म ग्रन्थ में कही भी यैसा भी नही लिखा है कि दुसरे धर्म वालो को तलवार से सर कलम कर दो। उसके बच्चों को उसी के सामने पटक कर मार दो उसकी बहन और बेटी का बलात्कार करो। किसी हिन्दु धर्मगुरु ने मंदिर के उपर चढकर अपने भक्तों को कभी नही कहा होगा की तुम्हे अपने घर में हथियार रखना जरुरी है और हिन्दु जिहाद के नाम पर चन्दाँ इकट्ठा कर के आतंकवादीयों को सुरक्षा मुहैया करना है आतंकवादीयों को अपने घर में पनाह देना है। और उसे न तो किसी आतंकवादी देश के द्वारा छ्दम युद्ध लड़ने के लिये पैसा मिलता है। आखिर क्या कारण है कि हिन्दु अपने घर को तवाह करना चाहते हैं। कोई कारण समझ में नही आता है सिर्फ इतना ही समझ में आरहा है कि हिन्दु आतंकवाद का डर दिखा कर कुछ मुस्लिम तुस्टिकरण में लिप्त, आतंकवादियों के सहयोगी राजनिती पार्टी को चुनाव में फायदा होगा। और कोई कारण नही है इस हिन्दु आतंकवादी का।

सत्यमेव जयते के सिद्धान्त का पालन करते हुये हिन्दु इसी आशा में बैढे हैं कि जिस तरह से शकराचार्य स्वामी जयेन्द्र स्वामी को न्यायालय के द्वारा बाइज्जत बरी किया गया उसी तरह इस साध्वी प्रज्ञा सिंह भी एक दिन इज्जत के साथ जेल से रिहा होगी और तथाकथित सेकुलरिज्म का नकाव पहने, समाचार के नाम पर दलाली करने बाले मिडीया के गाल में तमाचा मारते हुये। फिर से इस देश में अपने ओजस्वी भाषण, देशभक्ती कार्य के द्वारा इस देश को परम वैभव में पहुचाने के कार्य में लग जायेगी।
read more...

कांग्रेस को भारी पड सकती है हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा

यह कोई संयोग है या फिर सोचा समझा प्रयास कि जिस दिन सेंसेक्स इतना नीचे चला गया कि शेयर बाजार में छोटा निवेश करने वालों की दीपावाली अभिशप्त हो गयी और प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, आर.बी.आई के गवर्नर के तमाम आश्वासनों के बाद भी शेयर बाजार के गिराव थमा नहीं और सर्वत्र हाहाकार मच रहा था कि अचानक महाराष्ट्र के एण्टी टेररिस्ट स्क्वेड ने 29 सितम्बर को मालेग़ाँव में हुए बम विस्फोट की गुत्थी सुलझा लेने का दावा करते हुए इस मामले में पहली बार किसी हिन्दू को गिरफ्तार किया। आतंकवादी घटना में हिन्दू की गिरफ्तारी उतनी चौंकाने वाले नहीं है जितनी उसकी टाइमिंग। अभी कुछ दिन पहले ही केन्द्रीय कैबिनेट की एक विशेष बैठक आयोजित कर बजरंग दल पर प्रतिबन्ध लगाने की चर्चा की गयी और पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में सरकार के अनेक घटक दलों की जबर्दस्त माँग के बाद भी सरकार ऐसा नहीं कर पायी। इसके बाद राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक बुलायी गयी और उस बैठक में साम्प्रदायिकता को विशेष मुद्दा बनाया गया और बैठक में कुछ सदस्यों ने बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग दुहरायी। राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक से पूर्व लेखक ने बैठक के पीछे छुपी मंशा पर सवाल उठाये थे।

वास्तव में देश में बढ रहे इस्लामी आतंकवाद को लेकर जिस प्रकार एक ऐसा माहौल बन रहा है कि उसमें घटनायें करने वाले मुस्लिम ही हैं तो ऐसे में सेकुलरिज्म का दम्भ भरने वाले राजनीतिक दलों के सामने यह गम्भीर प्रश्न खडा हो गया है कि वह इस्लामी आतंकवाद के विरुद्ध इस लडाई को सेकुलर सिद्दांतों के दायरे में रह कर कैसे लडें? दूसरा धर्मसंकट इन दलों के समक्ष मुस्लिम वोटबैंक है। 2006 में जब मुम्बई में लोकल रेल व्यवस्था को निशाना बनाया गया था और बडी संख्या में मुम्बई की मुस्लिम बस्तियों और मुस्लिम उलेमाओं को पुलिस ने निशाने पर लिया था और पूछताछ की थी तो मुस्लिम नेताओं, बुद्धिजीवियों और धर्मगुरुओं ने मिलकर संसद भवन में एनेक्सी में आतंकवाद विरोधी सम्मेलन का आयोजन किया और केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच आतंकवाद के नाम पर इस्लाम को बदनाम करने और निर्दोष मुसलमानों को फँसाने की प्रवृत्ति की आलोचना की और सरकार से आश्वासन लिया कि सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर मुस्लिम भावनाओं का आदर करेगी। यह पहला अवसर था जब भारत के स्थानीय मुस्लिम समाज की भूमिका आतंकवादी घटनाओं में सामने आयी थी। इसके बाद से आतंकवाद को लेकर सेकुलरिज्म के सिद्धांतों के अनुपालन और संतुलन साधने के प्रयासों के तहत हिन्दू आतंकवाद का आभास सृजित कर एक नयी अवधारणा स्थापित करने का प्रयास आरम्भ हो गया। यदि 2006 के बाद हुई आतंकवादी घटनाओं के पश्चात सेकुलरपंथी राजनेताओं और राजनीतिक दलों के बयानों पर दृष्टि डाली जाये तो स्पष्ट होता है कि अनेक बार आतंकवादी घटनाओं की निष्पक्ष जाँच और हिन्दू संगठनों के षडयंत्र का कोण भी इनके बयानों में आने लगा। इसी के साथ अनेक मुस्लिम संगठन तो खुलकर कहने लगे कि ऐसे आतंकवादी आक्रमण हिन्दू संगठनों द्वारा इस्लाम को बदनाम करने के लिये प्रायोजित किये जा रहे हैं।

जैसे-जैसे देश में आतंकवादी आक्रमण बढते रहे आतंकवाद के विरुद्द कार्रवाई में सेकुलरिज्म के सिद्धांत का पालन करने के लिये और संतुलन साधने के लिये हिन्दू आतंकवाद का आभास सृजित किया जाने लगा। यही नहीं तो इस्लामी आतंकवाद के समानान्तर एक हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा को पुष्ट करने के लिये हिन्दूवादी संगठनों के एक व्यापक नेटवर्क की बात की जाने लगी जो सुनियोजित ढंग से आतंकवाद फैलाने के लिये उसी प्रकार कार्य कर रहे हैं जैसे सिमी या अन्य इस्लामी आतंकवादी संगठन। इसके लिये देश के कुछ जाने माने टीवी चैनलों ने तो प्रचार का एक अभियान चलाया है और अपनी झूठी और खोखली दलीलों के द्वारा सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं कि हिन्दूवादी संगठनों के प्रयासों से देश में आतंकवाद का एक नेटवर्क चल रहा है जिसमें महाराष्ट्र का एक सैन्य स्कूल बम बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है। सीएनएन- आईबीएन ने कुछ दिनों पहले इसे खोजी पत्रकारिता का नाम देकर कुछ वर्षों पूर्व नान्देड में हुए बम विस्फोट से लेकर पिछले माह कानपुर में हुए बम विस्फोट तक पूरे घटनाक्रम को एक सुनियोजित नेटवर्क का हिस्सा बताकर हिन्दू आतंकवाद को मालेगाँव से पहले ही पुष्ट कर दिया था।

मालेग़ाँव के मामले में एक साध्वी सहित कुछ लोगों की गिरफ्तारी के मामले पर भी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के समाचार चैनल पर जिस तरह समाचार से अधिक कांग्रेस का एजेण्डा चलाया जा रहा है उससे स्पष्ट है कि यह पूरा मामला केवल जाँच एजेंसियों तक सीमित नहीं है और इसे लेकर एक प्रकार का प्रचार युद्ध चलाया जा रहा है। जिस प्रकार न्यूज 24 ने साध्वी की गिरफ्तारी के साथ ही चैनल पर हिन्दू आतंकवाद बनाम इस्लामी आतंकवाद की बहस चलायी और सभी समाचार चैनलों मे अग्रणी भूमिका निभाकर स्वयं ही न्यायाधीश बन कर फैसला सुना दिया उससे स्पष्ट है कि यह पूरा खेल कांग्रेस के इशारे पर हो रहा है।

एंटी टेररिस्ट स्कवेड अभी तक जिन तथ्यों के साथ सामने आया है उस पर कुछ प्रश्न खडे होते हैं। आखिर अभी तक साध्वी और उनके साथ गिरफ्तार लोगों के ऊपर मकोका के तहत मामला क्यों दर्ज नहीं किया गया है और यह मामला भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत ही क्यों बनाया गया है जबकि आतंकवादियों के विरुद्ध मकोका के अंतर्गत मामला बनता है। इससे स्पष्ट है कि संगठित अपराध की श्रेणी में यह मामला नहीं आता। आज एक और तथ्य सामने आया है जो प्रमाणित करता है कि मालेगाँव विस्फोट में आरडीएक्स के प्रयोग को लेकर महाराष्ट्र पुलिस और केन्द्रीय एजेंसियों के बयान विरोधाभासी हैं। महाराष्ट्र पुलिस का दावा है कि वह घटनास्थल पर पहले पहुँची इस कारण उसने जो नमूने एकत्र किये उसमें आरडीएक्स था तो वहीं महाराष्ट्र पुलिस यह भी कहती है कि विस्फोट के बाद नमूनों के साथ छेड्छाड हुई तो वहीं केन्द्रीय एजेंसियाँ यह मानने को कतई तैयार नहीं हैं कि इस विस्फोट में आरडीएक्स का प्रयोग हुआ उनके अनुसार इसमें उच्चस्तर का विस्फोटक प्रयोग हुआ था न कि आरडीएक्स। इसी के साथ केन्द्रीय एजेंसियों ने स्पष्ट कर दिया है कि मालेग़ाँव और नान्देड तथा कानपुर में हुए विस्फोटों में कोई समानता नहीं है। अर्थात केन्द्रीय एजेंसियाँ इस बात की जाँच करने के बाद कि देश में हिन्दू आतंकवाद का नेटवर्क है इस सम्बन्ध में कोई प्रमाण नहीं जुटा सकी हैं। अब क्या सीएनएन-आईबीएन अपने दुष्प्रचार के लिये क्षमा याचना करेगा?

साध्वी के मामले में एटीएस के अनेक दावे कमजोर ही हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार और केंन्द्र सरकार की रुचि इस विषय़ में अधिक थी कि मालेगाँव विस्फोट के तार किसी न किसी प्रकार हिन्दूवादी संगठनों से जुडें और यह सिद्ध किया जा सके कि ये संगठन आतंकवाद का एक नेटवर्क चला रहे हैं और इसी आधार पर इन संगठनों को प्रतिबन्धित कर मुस्लिम समाज को यह सन्देश दिया जा सके कि हमें आपकी चिंता है और हम आतंकवाद को लेकर संतुलन की राजनीति करते हुए सेकुलरिज्म के सिद्धांत का पालन कर रहे हैं। यह अत्यंत हास्यास्पद स्थिति सरकार और जाँच एजेंसियों के लिये है कि वे अब तक साध्वी और उनके साथियों को लेकर आधे दर्जन से अधिक संगठनों के नाम गिना चुके हैं परंतु अभी तक एक भी ऐसा ठोस प्रमाण सामने नहीं ला सके हैं कि इन संगठनों का आतंकवादी गतिविधियों में कोई हाथ है। पहले हिन्दू जागरण मंच का सदस्य बताया गया, फिर दुर्गा वाहिनी, फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद , फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने वाला बताया गया अब पुलिस कह रही है कि इन्होंने अलग संगठन बनाया था। एटीएस ने भोपाल और ग्वालियर में सभी सम्बन्धित संगठनों के लोगों से पूछताछ की जो साध्वी के निकट थे परंतु अभी तक पुलिस को ऐसा कोई साक्ष्य हाथ नहीं लगा है जो यह सिद्ध कर सके कि हिन्दूवादी संगठन आतंकवाद का प्रशिक्षण देते हैं या फिर आतंकवादी नेटवर्क चला रहे हैं।
एटीएस ने साध्वी और उनकी तीन साथियों को इस आधार पर गिरफ्तार किया है कि विस्फोट में प्रयुक्त हुई मोटरसाइकिल साध्वी के नाम थी और साध्वी ने विस्फोट से पूर्व साथी आरोपियों के साथ करीब सात घण्टे मोबाइल पर बात की थी जो कि प्रमाण है। अब ये प्रमाण कितने ठोस हैं इसका पता तो न्यायालय में चार्जशीट दाखिल होने पर लग जायेगा। लेकिन इस पूरे अभियान से एक बात निश्चित है कि हिन्दू आतंकवाद का आभास सृजित करने का प्रयास कांग्रेस उसके सहयोगी दल और उसके सहयोगी टीवी चैनल ने किया है और इस प्रचार युद्ध में अपनी पीठ भले ही ठोंक लें परंतु जिस प्रकार आतंकवाद की लडाई को कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने भोथरा करने का प्रयास किया है वह अक्षम्य अपराध है।

कांग्रेस के लिये मीडिया प्रबन्धन करने वालों के लिये यह एक बुरी खबर है कि ब्लाग पर या विभिन्न समाचार पत्रों में इस घटना पर टिप्पणी करने वालों का तेवर यह बताता है कि इस विषय पर युवा और बुद्धिजीवी समाज जिस प्रकार ध्रुवीक्रत है वैसा पहले कभी नहीं था। कांग्रेस शायद अब भी एक विशेष मानसिकता में जी रही है जहाँ उसे लगता है कि देश उसके बपौती है और देशवासियों के विचारों पर भी उसका नियंत्रण है। इसी भावना के बशीभूत होकर कांग्रेस के एक बडे नेता के न्यूज चैनल न्यूज 24 पर आतंकवाद पर बहस के दौरान कांग्रेसी नेता राशिद अल्वी बार बार बासी तर्क दे रहे थे कि स्वाधीनता संग्राम में कांग्रेस का योगदान रहा है और कुछ दल विशेष अंग्रेजों का साथ दे रहे थे। यह तर्क सुनकर हँसी ही आ सकती है कि एक ओर तो कांग्रेस के राजकुमार तकनीक और युवा भारत की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेता अब भी स्वाधीनता पूर्व मानसिकता में जी रहे हैं। आज सूचना क्रांति के बाद लोगों को यह अकल आ गयी है कि वे वास्तविकता और प्रोपेगेण्डा में विभेद कर सकें। 11 सितम्बर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की गिरती इमारतों के बाद समस्त विश्व में इस्लामी आतंकवाद को लेकर जो बहस चली है उसके बाद किसी भी युवक को यह बताने की आवश्यकता नहीं है को आतंकवाद का धर्म, स्वरूप और उसकी आकाँक्षायें क्या है? आज शायद कांग्रेस और उसके सहयोगी भूल गये हैं कि देश की 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 30 या उससे नीचे आयु की है और उसने 1990 के दशक के परिवर्तनों के मध्य अपनी को जवान किया है। उसने आर्थिक उदारीकरण देखा है, सूचना क्रांति के बाद विश्व तक अपनी पहुँच देखी है, उसने कश्मीर से जेहाद के नाम पर भगाये गये हिन्दुओं की त्रासदी देखी है और देखा है राम जन्मभूमि आन्दोलन जिसने भारत की राजनीति की दिशा बदल दी।

आज वही पीढी निर्णायक स्थिति में है जिसके विचार अपने से पहली की पीढी के बन्धक नहीं है। इस पीढी ने अपनी पिछली पीढी के विपरीत सब कुछ अपने परिश्रम से खडा किया है और इसलिये उसे स्वयं पर भरोसा है और वह व्यक्ति के विचारों के आधार पर उसका आकलन करती है न कि किसी खानदान का वारिस होने के आधार पर।

समाज में जो मूलभूत परिवर्तन हुआ है उसके प्रति पूरी तरह लापरवाह कांग्रेस और उसके सेक्यूलर सहयोगी हिन्दू आतंकवाद का आभास सृजित कर इसका आरोप हिन्दू संगठनों पर मढना चाहते हैं परंतु शायद वे लोग भूल जाते हैं कि हिन्दुत्व का विचार केवल किसी संगठन तक सीमित नहीं है। इसका सीधा सम्बन्ध युवा भारत के सपने से है। आज देश विदेश में ऐसे लोगों की संख्या अत्यंत नगण्य है जो इस्लामी आतंकवाद को संतुलित करने के लिये हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा का समर्थन करेंगे। इसका उदाहरण हमें पिछले गुजरात विधानसभा में मिल चुका है जब कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी द्वारा गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी को मौत का सौदागर कहने और कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा हिन्दू आतंकवाद की बात करने के कारण इस पार्टी को मुँह की खानी पडी। एक बार फिर चुनावों से पहले कांग्रेस हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा को सृजित कर रही है। क्योंकि कांग्रेस को लगता है कि देश में हिन्दुओं का एक बडा वर्ग है जो उसकी सेक्युलरिज्म की परिभाषा से सहमत है। कांग्रेस ऐसे हिन्दुओं और मुसलमानों को साधने के प्रयास में एक खतरनाक खेल खेल रही है जिसका परिणाम देश में साम्प्रदायिक विभाजन के रूप में सामने आयेगा।

मालेगाँव विस्फोट को लेकर जाँच एजेंसियाँ तो अपना कार्य कर रही हैं और शीघ्र ही सत्य सामने आ जायेगा परंतु जिस प्रकार कांग्रेस इस्लामी लाबी के दबाव में आकर कार्य कर रही है वह देश के भविष्य़ के लिये शुभ संकेत नहीं है। क्योंकि हिन्दू आतंकवाद की बात करके कांग्रेस और उसके सहयोगी दल भले ही अस्थाई तौर पर प्रसन्न हो लें परंतु अभी बहस में अनेक प्रश्न उठेंगे और सेक्युलरिज्म का एकांगी स्वरूप, मानवाधिकार संगठनों का अल्पसंख्यक परस्त चेहरा भी बह्स का अंग बनेंगे।
read more...

हिन्दु आतंकवादि हमें मुर्ख समझा है क्या

मालेगांव में हुये विस्फोट के मामले में पुलिस के द्वारा हिन्दु संगठन पर लगाये गये आरोप में कितनी सच्चाई है यह तो समय आने पर मालूम होगा लेकिन कुछ प्रशन है जो दिमाग में चुभ रहा है - जामिया नगर इनकाउंटर में कथित सेक्युलर लोग पुलिस के सबूतों को मानने से इनकार कर रहे है जहाँ कई राउन्ड गोली चला खतरनाक हथियार मिला लेकिन मालेगांव में पुलिस के सूत्रों के हवाले से मिली खबर पर हो-हल्ला क्यों क्या हिन्दु संघटन के पकरे गये कार्यकर्ता के साथ किसी तरह का मुठभेड़ हुआ था क्या किसी तरह का खतरनाक हथियार मिला था नही सिर्फ पुलिस के द्वारा आरोप लगायें गयें है। यह अभी तक सिद्ध नही है कि बम धमाकों में इन्ही लोगों का हाथ है। अगर ये विस्फोट करते तो क्या इतने नासमझ हैं ये कि अपना मोटर बाइक का इस्तेमाल करते। 2000 का कही से साइकल भी तो खरीद सकते थे या फिर यैसा भी नही है कि मोटर पर विस्फोट करने से असर कुछ ज्यादा होता है। कुछ दिन पहले तक मालेगाव विस्फोट का सक सिमी पर था एकाएक चुनाव नजदिक आते ही हिन्दुओं के संस्था का नाम कैसे जुड गया यह बात कुछ हजम नही हो रहा है। पुलिस इस विस्फोट में R.D.X का प्रयोग का बात कह रही थी लेकिन अभी तक किसी पुलिस बाले ने बताया नही कि इनके पास R.D.X आया कहा से किसने बेचा कहा से लाया इन्होंने। मालेगांव के अगर छोड दे तो सैकडों आतंकी बम विस्फोट हुये जिसका स्पेशल पुलिस पता नही लगा पाया लेकिन चुनाव के ठिक पहले पुलिस के ये कैसे पता चल गया कि मालेगांव में विस्फोट एक महिला साध्वि का हाथ है। सरकार जिस तरह से कुछ दिन पहले से बजरंग दल, विश्व हिन्दु परिषद पर बैन लगाना चाहता था लेकिन किसी तरह के सबूत ना मिलने पर इन संस्थाओ को काग्रेस सरकार बैन नही लगा पाया कही ये निराशा में उठाया गया यह कदम तो नही है।
अगर देखा जाये तो चुनाव में उतरने के लिये सरकार में बैठे राजनितीक दल के पास जनता के सामने मुह दिखाने लायक कुछ भी नही है। महगाई आसमान कब का छु चुका है वित्त मंत्री के बार - बार आश्वासन के बावजुद महगाई उतरने का नाम नही ले रहा है। किसानों को उपजे फसल का दाम मिल नही रहा है किसान कर्ज में दबे जा रहे हैं जिसके फलस्वरुप किसान अत्महत्या कर रहें हैं। आतंकवाद के समर्थन में सत्ताधारी नेताओं के उतरने से इन दलों पर से आम जनता का भरोसा पहले डिग चुका है। एक अदना सा आतंकवादि को फांसी तक ये सरकार नही दे पाया। पोटा जैसा कानून जो आतंक का कमर लगभग हिन्दुस्तान में तोड दिया था उस पोटा को हटा कर सरकार ने इस देश में आतंकवाद को दुबारा से फलने फुलने का मैका दिया । इस देश में अवैध रुप से रहे 5 करोड से ज्यादा बाग्लादेश जो कि आतंकवाद, चोरी, अपहरण, पाकेटमारी, डकैती जैसी घटना में संलिप्तता पाया गया है वैसे अपराधी तत्व को सिर्फ वोट राजनीति के कारण इस देश में बिठा कर रखा गया है और इनका राशन कार्ड, वोटिग कार्ड बना कर सरकार अघोषित रुप से इन्हें नागरिकता प्रदान कर रही है।
आज हिन्दुस्तान का हर एक कोना जल रहा है काग्रेस प्रायोजित उत्तर भारतीयों का पिटाई जिसमें अभी तक कितनों का जान जा चुका है और सरकार ताली बजा कर मजा ले रहा है। नार्थ इस्ट में बिहार के मजदुरों का हत्या। अमरनाथ जमीन विबाद में सरकार का चेहरा बेनकाब हो गया। राम सेतु जिस से देश को एक पैसे भी फायदा नही होने बाला है उस राम सेतु को तोड़ने के लिये सरकार जिस तरह से ललायित दिख रही है उस से पता चलता है दाल में जरुर कुछ काला है। राम का अस्तित्व नही है राम मनगंठत है लेकिन मुस्लामानों को हज के लिये हजार तरह का सुविधा और सव्सिडी दे कर काग्रेस पहले से ही हिन्दु के वोट से हाथ धो चुका है।
अब क्या करें चुनाव में जाना है और जनता को मुह भी दिखाना है दोबारा सत्ता में आने का सपना भी देखना है। अब बस एक तरीका है हिन्दु आतंकवादि । हिन्दुओ को निचा दिखा कर जनता को भ्रम में डालकर हिन्दू विरोधी माहौल तैयार करके मुस्लमानों को भय दिखा कर मुस्लिम तुष्टिकरण के द्वारा समाज को अगरे और पिछडे़ में बाँट कर दोबारा सत्ता मिल सकता है।
read more...

सपा और राज का चक्रव्‍यूह

आज देश किस मोड़ पर जा रहा है, आज के नेतागण देश और धर्म को चूस रहे है। महाराष्ट्र में राज ठाकरे देश को तो समाजवादी पार्टी के कुछ नेता देश और धर्म को बॉंट रहे है। आज इन नेताओं की मानसिकता बन गई है कि बन गई है कि इस देश में उसी का राज है। आज इन अर्धमियों के आगे अपना देश और सविंधान नतमस्तक  हो गया है। आखिर ये देश और देश की राजनीति को किस दिशा में ले जाना चाहते है ? 

आज जिस प्रकार महाराष्ट्र में राज ठाकरे द्वारा कुराज किया जा रहा है, वह देश बॉंटने वाला है। आज ये क्षेत्रवाद के नाम पर देश को बॉट रहे है। वह देश की संस्‍कृतिक विरासत के लिये खतरा है। अगर इसी प्रकार क्षेत्रवाद के नाम पर राष्‍ट्र को बॉंटा जायेगा तो देश का बंटाधार तो तय है। भारत को उसकी विविधा के कारण जाना जाता है। पर इस विवि‍धा वाले देश को मराठा और तमिल के नाम पर कुछ क्षेत्रिय नेता आपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे है। ये नेता क्यो भूल जाते है कि जो क्षेत्रवाद की राजनीति करते है। वे भूल जाते है कि वे जिस मराठा मनुष की बात करते है वही के मराठा मानुष भारत के अन्य राज्यों में भी रहते है। अगर उनके हितो को नुकसान पहुँचाया जायेगा तो कैसा लगेगा ? 

आज कल सपा नेताओं को भी चुनाव आते ही मुस्लित हितो का तेजी से ध्‍यान आने लगा है। जिनते आंतकवादी मिल रहे है सपा उन्हे अपना घरजमाई और दमाद बना ले रही है। अमर सिंह की तो हर आंतकवादी से रिस्‍ते दारी निकल रही है। तभी देश की रक्षा करते हुये शहीदो से ज्‍यादा सपा और उसके नेताओं को अपने घर जामईयों की ज्‍यादा याद आ रही है।

यह देश आज आत्‍मघातियों से जूझ रहा है, जो क्षण क्षण देश को तोड़ रहे है। भगवान राजठाकरे को, और अल्लाह मियॉं अमर सिंह को सद्बुद्धि दे की ये देश के बारे कुछ अच्छा सोचे और देश के विकास में सहयोग करें। इसी में सबका भला है। 
read more...

कांग्रेस सरकार का नाटक

कांग्रेस सरकार राष्ट्रीय एकता परिषद के मंच का राजनीतिक दुरुपयोग कर रहा है। यह राष्ट्रीय एकता का ढकोसला है। विगत सप्ताह एकता परिषद की दिल्ली में हुई बैठक के एजेंडे से ही यह झलक मिल रही थी कि यह बैठक बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद को घरने के दुराग्रह के साथ आयोजित की जा रही थी क्योंकि आज देश के सामने जो सबसे गंभीर संकट है अर्थात आतंकवाद, वह इस बैठक के एजेंडे में ही नहीं था। बल्कि उड़ीसा और कर्नाटक की हिंसक घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में साम्प्रदायिकता को बैठक का केन्द्रीय विषय बनाया गया। यह स्पष्ट है कि परिषद की यह बैठक आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर साम्प्रदायिकता के नाम पर हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों और भाजपा को आरोपित कर छद्म सेकुलर जमात अल्पसंख्यक समुदायों को यह संदेश देना चाहती थी कि वही उनकी हिमायती है। बजरंग दल के खिलाफ स्वर को मुखर करने के लिए समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह को परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया जबकि अमर सिंह ने आतंकवादियों के खिलाफ पुलिस मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस अधिकारी शहादत पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया था। अमर सिंह जैसे लोगों को परिषद में शामिल कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है। इस बैठक की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि बैठक में विशष आमंत्रित के रूप में बुलाए गए कामरेड ज्योति बसु ने स्वयं उपस्थित न होकर अपना जो संदेश भेजा वह परिषद की कार्यशैली व भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। भाजपा द्वारा आतंकवाद जैसे गंभीर विषय को बैठक के एजेंडे में शामिल करने के लिए जोर देने पर सरकार ने चरम पंथ को एजेंडे में शामिल किया क्यों कि संप्रग सरकार व उसके छद्म धर्मनिरपेक्ष घटक दल जानते हैं कि आतंकवाद पर व्यापक बहस हुई तो उन सबकी पोल खुलेगी और फिर देश की जनता जानेगी कि सोनिया पार्टी की सरकार और लालू,पासवान व मुलायम सिंह जैसे उसके सहयोगी किस तरह मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए न केवल आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने से कतरा रहे हैं बल्कि आतंकवादी समूहों के पैरोकारी कर रहे हैं।
read more...

आतंकवादियों को मारो मत भारतरत्न का अर्वाड दो

आज हिन्दुस्तान में सत्ताधारी नेता बाटला हाउस में मारे गये आतंकवादियों के पझ में खडे़ हैं और जिस तरह से ब्यानबाजी कर रहें है लगता है पुलिस ने आतंकवादियों को मार कर कोई गुनाह किया हो। आमिताभ बच्चन के पिछलग्गु नेता अमर सिंह इस मामले में पुलिस बालों पर पहले अगुली उठा चुके हैं और उनका केस भी लड़ने को तौयार हैं आज सत्ता पक्ष के नेता इस होड़ में उलझें हैं कि कौन कितना ज्यादा आतंकवादियों का हिमायती है। काग्रेंस कुछ के नेता प्रधानमंत्री से मिल कर बाटला हाउस में मारे गये आतंकवादियों के मारे जाने पर पुलिस के कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह लगाने गये थे। वैसे पुलिस को क्लिनचीट सुरक्षा सलाहकार नारायणन दे चुके हैं। वैसे आजकल आतंकवादियों के सर्मथक नेताओ का लिस्ट कुछ ज्यादा बडा़ होता जा रहा है सबसे पहले बाटला हाउस मामलें मे अर्जुन सिंह ने आतंकियों के केस लड़ने का मनसा जाहिर किया था। तो रामविलास पासवान जो हमेशा से ओसामा बिन लादेन के हमसक्ल को साथ में लेकर चलते हैं क्यों पीछे रहते लगे हाथ उसने भी ब्यान जारी करके आतंकियों के साथ गलवहिया डालना सुरु किया फिर क्या था लालु प्रसाद कहा पीछे रहने बाले थे लगे हाथ उन्होंने भी अपनी देशभक्ति का पिटारा खोल कर रख दिया।
आखीर कब तक मुस्लिम तुस्टीकरण का खेल इस देश में चलता रहेंगा। आखिर कब तक इस देश में अल्पसंख्यक असुरक्षा के नाम पर दबाब डाल कर अपना उल्लु साधते रहेगा। हिन्दुस्तान ऎसा देश है जहा के अल्पसंख्यक सबसे ज्यादा सुरक्षीत है। पुरे विश्व में 57 मुस्लिम देश है जो किसी तरह का हज में सब्सिडी नही देता है लेकिन हिन्दुस्तान में मुस्लमानों को सब्सिडी दिया जाता है मुस्लमानों सभी हवाई अड्डा पर सिर्फ साल में कुछ दिन खुलने बाला पाँच सितारा हज हाउस बनाकर दिया गया। आतंकवाद का नर्सरी को सरकार के द्वारा पैसा मुहया किया जाता है मस्जिदों के मरम्मत के नाम पर करोडों खर्च करती है सरकार क्या ये सब सुविधा हिन्दुओ को मिलता है आज हिन्दुस्तान में हिन्दुओ के मुकाबले ज्यादा सुविधा दी जा रही है मुस्लिमानों को। हिन्दुस्तान के मुस्लिम बहुल राज्य में हिन्दु मुख्यमंत्री नही बन सकता है मुस्लिम उत्पात मचा कर रख देंगे। जैसा कि अफजल को फांसी के मामले में उन्होंने पहले सभी को चेता दिया है अगर अफजल को फांसी दिया गया तो देश में दंगा भरक जायेगा। लेकिन हिन्दु बहुल राज्य में मुस्लिम मुख्यमंत्री बने है और आगे भी बनते रहेंगे। हिन्दुस्तान के कुछ नेता के नासमझी के कारण हिन्दुस्तान अपना 30% जमीन का टुकरा अल्पसंख्यक को अलग देश के लिये दे दिया लेकिन हिन्दु अयोध्या में एक मन्दिर बनाने के लिया अल्पसंख्यक के आगे निहोरा कर कर रहा है। गोधरा में मारे गये हिन्दु के बाद भडके दंगा का नासुर आज भी सभी को जला रहा है सेकुलर इसे हिन्दु के लिये सबसे बडा़ कलंक बना दिया हो लेकिन मोपला, कलकत्ता, भागलपुर जैसे हजारों दंगा हुआ जिसमें मारे गये हिन्दुओं पर आज कोई आँसु बहाने बाला नही है। जम्मु काश्मिर से 4 लाख से ज्यादा हिन्दुओं को लात मार कर निकाल बाहर कर दिया गया किसी के आँख में आसु नही आया कोई नेता, सेकुलर एक शब्द इस मामले में नही बोला। आज पाकिस्तान और बाग्लादेश में हिन्दुओ की हालत जानवरों से भी बत्तर है उन्के 12 साल की लडकियों को घर से उठा कर बालात्कार किया जा रहा है जबरदस्ती शादी किया जा रहा है किसी ने नही बोला लेकिन दो आतंकवादियों के मरने पर इतना हायतैबा मचा रखे है जैसे इनका अपना सगा बाला मारा गया हो। मुलायम सिंह यादव और आमिताभ बच्चन के पिछल्लगु अमर सिंह अगर चिल्लम पो मचाते हैं तो समझ में आता है क्यों कि एक आतंकवादि तो उन्ही के पार्टी के जिला अध्यक्ष का बेटा था।
अब समय आ गया है यैसे नेताओ से पुछने का कब तक ये अल्पसंख्यक असुरक्षा के नाम पर ब्लैकमेलिग का खेल खेला जायेगा और देश को गर्त में ढकेलने का काम ये नेता करते रहेंगे। हिन्दुस्तान के अल्पसंख्यक से ज्यादा किसी और देश का अल्पसंख्यक सुरक्षीत नही है उन्हें जितना सहुलियत हिन्दुस्तान में मिलता है उतना और किसी देश में नही मिलता है लेकिन फिर ये क्यों दिखाने का कोशीश किया जाता है कि हिन्दुस्तान में अल्पसंख्यक असुरक्षा है। उन्हें किसी भी तरहा का सुविधा यहा नही मिल रहा है। अल्पसंख्यक को अगर ऎसा लगता है तो उन्हें किसी ने रोका नही है अपना रास्ता नापे और कही जाकर सुरक्षीत ठीकाना का खोज लें और हमें शान्ती से रहने दें।
read more...

देश हित्त के लिय अब जग जाओ

आज सेकुलर नेता गला फाड़ कर चिल्लये जा रहें हैं बजरंग दल और विश्व हिन्दु परिषद पर पाबन्दी लगे। कारण सिर्फ और सिर्फ एक है मुस्लिम तुष्टीकरण और कोई कारण नही है। सिमी के उपर बैन लगा है। आतंकवादि संस्था इन्डियन मुजाहिदीन को बैन किया गया है। बस अब चुनाव आ गया है अब जयचन्दी नेता को अपने भाई बन्धु के सामने मुहँ दिखाना है बेचारे जयचन्दी नेता क्या मुहँ लेकर जामा मस्जिद से फतवा जारी करवायेगे, हिन्दुस्तान के मस्जिद आजादी के पहले से देशविरोधी गतिवीधी में लगा है और आज भी है। जामा मस्जिद के मैलाना समय समय पर यह ऎहसास दिलवा देता है यह कह कर हम आईएसआई के ऎजेन्ट है। किसी पकरे गये आतंकवादि के घर पर जाकर हिन्दुस्तान के पुलिस और आतंक के सर्मथन में भाषण देकर आता है। और उपर के कहता है किसी में हिम्मत है तो पकर के दिखाये। लेकिन जयचन्दी नेता को अगर चिन्ता है तो सिर्फ वोट का। देश जाये भाड़ में जयचन्दी नेता वोट लिये जितना निचे गिर सकते है गिर जायेगा अपना फेका थुक तक चाटने को तैयार रहता है।

84 साल के हिन्दु साधु लक्ष्मणा नन्द सरस्वति को बेरहमी से मार डाला गया इसमें कोई सक नही की इसमें चर्च का हाथ है। चर्च के पादरी इस बात को मानते है लेकिन जयचन्दी नेता इस बात को मानने को तैयार नही है कि लक्ष्मणा नन्द को पादरीयों ने मरवाया है। लेकिन किसी जयचन्दी नेता में इतना हिम्मत नही था कि खुल कर कह सके कि बुढे़ धर्म गुरु को मारना अपराध है।

लक्ष्मणा नन्द सरस्वति को मरने कि खुशी में चर्च ने विजय उत्सव मनाया जगह जगह हवा में गोली चला कर खुशी मनाया गया। मिशनरी के 2500 स्कूल इस खुशी में सामिल हो गये और 1 दिन के लिये स्कूल बन्द रखा। स्कूल में पढ़ने बाले लाखो हिन्दु छात्र को भी इस खुशी में सामिल किया गया। किसी हिन्दु के द्वारा इसका विरोध किया गया। जब सिर्फ कंधमाल के हिन्दु द्वारा स्वामी जी के हत्या का विरोध किया गया तो इटली, फ्रास, अमेरिका तक को फटने लगा हिन्दुस्तान में रह रहे अपने ऎजेन्टों के द्वारा चिल्लम पो मचाना सुरु किया लेकिन स्वामी लक्ष्मणा नन्द सरस्वति के हत्या के विरोध में कितना स्कूल बन्द किया गया। कितने ऎसे नेता हैं जो विरोध किये। आखिर कारण क्या है। हम संगठित नही है हम में एकता नही है जिसके कारण जाने अनजाने में जयचन्दीयों का हम मदद कर रहें है। देश हित्त के लिय अब जग जाओ
* जयचन्द - पृ्थ्विराज चैहान का भाई जिसके दगाबाजी कारण पृथ्विराज चैहान लडा़ई में हारा और कैद में रह कर अपना जान दिया
read more...

अमर सिंह राजनीति का वेश्याकरण बन्द होना चाहिये।

अभी कुछ दिन पहले अमर सिंह ने मोहन चंद शर्मा के शहादत पर सवालिया निशान लगाकर आतंकियों का मदद करने का भरपुर कोशीश कर रहें हैं। अमर सिंह ने आतंकियों के सर्मथन में अर्जुन सिंह के सुर में जामिया के तथाकथित आतंककारी छात्रों का पक्ष लेते हुए कहा कि यदि ये छात्र निर्दोष साबित होते हैं तो सपा केन्द्र सरकार से समर्थन वापस लेने पर विचार कर सकती है। इस से पहले इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की शहादत पर सपा के महासचिव अमर सिंह ने बाटला हाउस एनकाउंटर सवाल खड़े किए थे।

अमर सिंह ने जामिया नगर इलाके में पकड़े गए तथाकथित आतंकवादियों को कानूनी मदद देने की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने पिछले दिनों जामिया नगर इलाके के एल-१८ बिल्डिंग से जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के जिन छात्रों को गिरफ्तार किया है, वो आतंकी नहीं जान पड़ते हैं। शायद अमर सिंह ज्योतिष भी सिख रखें हैं जो चेहरा देख कर बता सकतें है कि कौन आतंकि है और कौन नही है। या फिर उन मारे गये आतंकियो से अमर सिंह का कोई पुराना रिश्ता रहा होगा जिस से अमर सिंह को उन्के आतंकि नही होना का इतना विश्वास से कह रहें हैं। अमर सिंह ने कहा कि –जामिया के छात्र भी अभी तक आतंकवादी सिद्ध नहीं हुए हैं इसलिए मैं उन्हें कानूनी मदद देना चाहता हूं।

राजनीति के वेश्याकरण इस देश को कहा ले जा रहा है? शायद हिन्दुस्तान ही मात्र एक ऎसा देश होगा जहा देशभक्तों को गाली और आतंकियवादियों को दमाद बनाने कि परम्परा है।
read more...

कंधमाल की सच्चाई ईसाई मिशनरियों का आतंक

उडी़सा में जन्माष्टमी से ठीक पहले स्वामी श्री लक्ष्मणान्द सरस्वती को ईसाई मिशनरियों के सर्मथकों ने मौत के घाट दिया मसीही धर्मावलम्बी आजादी के पहले गरीब हिन्दुओं का धर्मान्तरण कर रही है। कुछ दिन पहले तक ईसाई मिशनरि का कहना था कि वो धर्मान्तरण नही करते हैं । लेकिन पर्दे के पिछे धर्मान्तरण का गंदा खेल चलता रहता था लेकिन अब हालात खुछ बदल गयें है देश के दलालों का साथ मिलने से अब ईसाई मिशनरियों अब खुल कर कहती है कि हिन्दु का धर्मान्तरण ईसाई मिशनरि करती है और तर्क के अनुसार इसे धर्मान्तरण नही हिन्दुओं का ह्रदय परिवर्तन कहती है। हृदय-परिवर्तन कर रहे हैं,उन्हें बेहतर इन्सान बना रहे हैं। लेकिन क्या ईसाई धर्म ग्रहण कर लेने के बाद क्या कोई आदमी इन्सान बन सकता है क्या बाइबिल में इन्सान बनाने बाले श्लोक हैं जो वेद में है|

बाइबिल यूहन्ना 6:53 में लिखा है

यीशू ने उनसे कहा:
मैं तुमसे सच सच कहता हूं जब तक तुम मनुष्य मे पुत्र का मांस न खाओ,
और उसका लहू न पीओ, तुममें जीवन ही नही है।

Then Jesus said unto them, Verily, verily, 
I say unto you, Except ye eat the flesh of 
the Son of man, and drink his blood, 
ye have no life in you.

इन्सान को मार कर उसको खाना लहू पीना ये ईसाई धर्म है|

यशायाह 13:15/16
जो यहोबा को न माने) वह तलवार से मार डाला जाएगा। 
उनके बाल बच्चे उनके सामने पटक दिये जाएंगे और
घर लूटे जाएंगे उनकी स्त्रियों से बलात्कार किया जाएगा।
किसी का घर लुटना स्त्रियों से बलात्कार करने को धर्म कहते हैं।

मत्ती 10 :34 से 38 तक में लिखा है।
 मैं धरती पर एक आग भड़काने आया हूँ। मेरी कितनी इच्छा है कि वह कदाचित् अभी तक भड़क उठती। मेरे पास एक बपतिस्मा है जो मुझे लेना है जब तक यह पूरा नहीं हो जाता, मैं कितना व्याकुल हूँ।  तुम क्या सोचते हो मैं इस धरती पर शान्ति स्थापित करने के लिये आया हूँ? नहीं, मैं तुम्हें बताता हूँ, मैं तो विभाजन करने आया हूँ। 
क्योंकि अब से आगे एक घर के पाँच आदसी एक दूसरे के विरुद्ध बट जायेंगे। तीन दो के विरोध में और दो तीन के विरोध में हो जायेंगे। 53 पिता पुत्र के विरोध में, और पुत्र पिता के विरोध में, माँ बेटी के विरोध में, और बेटी माँ के विरोध में, सास, बहू के विरोध में और बहू सास के विरोध में हो जायेंगी।"

क्या ये धर्म है और इसे पालन कर क्या मनुष्य इंसान बन सकता है शायद कभी नही ठीक इसके विपरीत हिन्दु धर्म सर्वे भवन्तु सुखिन्: । वसु धैवकुटुम्बकम पराई स्त्री को माता, बहन, बेटी समझना। आज इन्सानियत कही बचा है तो सिर्फ हिन्दु धर्म में जो ना तो जिहाद का बात करता है और धर्मान्तरण का| आखिर कन्धमाल की वस्तुस्थिती के बारे में हमें जानना चाहिये। कंधमाल जिला में ज्यादा जनसंख्या कंध जनजाति और दलित जाति के लोग रहते हैं। ईसाई मिशनरियों का नजर इन पर 1827 में परा और ईसाई मिशनरियों सबसे पहले कंधमाल क घुमसर में डेरा डाला। धीरे - धीरे ईसाई मिशनरियों समाजिक सुधार कार्य के आड़ में दलित जाति के गरीबों का धर्मान्तरण किया। 2001 के जनगणना के अनुसार कंधमाल जिले के कुल आबादी 6,47,000 है जिसमें से 1,20,2000 से ज्यादा धर्मांतरित ईसाई हैं। 1894 में दिगी में सबसे पहला चर्च बना और आज 1014 से ज्यादा चर्च हैं जो धर्मांन्तरण के कार्य में लगे हैं।
                                                                              सरकार को चाहिये वोट नीति को छोड देश हित में ईसाई मिशनरियों के अनैतिक कार्य को जल्दी से जल्दी बन्द कराये। स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती के हत्यारों को सजा दिलवाये। और ईसाई मिशनरियों के अनैतिक गतीविधीयों पर लगाम लगा कर देशहित में कुछ काम करे।
read more...

ईसाइ मिशनरी का नया धंधा सेवा के नाम पर ठगी

ईसाइ मिशनरी इस देश में सेवा के नाम पर ईसाइय द्वारा यहा के भोले-भाले जनता का देशान्तरण कर रही है
इस कार्य में तथा कथित बुद्धीजिवी वर्ग का खुला सर्मथन प्राप्त है। बुद्धीजिवी वर्ग इस ओर से आख बन्द किये हुये हैं
या बुद्धीजिवी वर्ग को पता नही है कि चर्च के नाम पर इस देश में तरह- तरह के धंधे भी चल रहे हैं। चर्च धर्मान्तरण करने के लिये किसी भी हद तक जा सकता है। चर्च के पादरी अब अपने नाम के पीछे स्वामी शब्द का प्रयोग करते हैं जिससे भोले जनता उन्हें भी किसी हिन्दु साधु या धर्म गुरु समझे और वैसे जनता को आसानी से देशान्तरण के खेल में शामिल किया जा सकता है। झारखण्ड के देवघर में एक चर्च है बाहरी आवरण से किसी भी तरह से चर्च नजर नही आता है और नाम भी शिव जी के नाम पर आश्रम का नाम रखा है लेकिन अगर शिव जी के नाम से अगर कोइ अन्दर चला जाये
तो अन्दर घात लगा कर बैढें चर्च के पादरी यैसा झप्पट्टा मारेंगे कि कुछ दिन बाद आप शिव जी को भुल कर कुछ दिन
में शिव जी को गाली देना शुरु कर देता है यैसे आश्रम कि सख्या इस देश में कम नही है। वैसे ये सिर्फ आश्रम का नाम ही नही बदलतें है। ये अपना उजला चोला उतार कर गेरुआ वस्त्र और तुलसी माला और रुद्राक्ष भी धारण कर के अपने आपको हिन्दु धर्मगुरु दिखाने का कोशीश करते है। प्रयागराज इलाहाबाद में यैसा एक चर्च है और उसका पादरी जो गेरुआ चोला और रुद्राक्ष पहन कर नंगा नाच करता है आप कभी भी जा कर इस बहुरुपिये से मिल सकतें है जो हिन्दु धर्म का सहारा ले कर हिन्दुस्थान को कमजोर करने में जुटा है।
मिशनरी के पादरी सिर्फ कपडा़ बदल कर ही धंधा नही करता है ये दिल्ली जैसे माहानगर में सुन्दर और सेक्सी लड़किया भी मैदान में उतार रखा है जो काँलेज के और जवान लड़को को अपने मोहपास में फँसाती है और अपने रुप सैन्दर्य या फिर जरुरी परा तो सेक्स के द्वारा भी ये आपको फसाँने का कोशीश करेंती हैं। यैसी लडंकिया आपको बस, मेट्रो या किसी भी पब्लिक बाले जगह में अपने ग्राहक तालास करती दिख जाती है जो लड़कों को समय आ फिर किसी कालेज का पता पुछने के बाद ये इतनी ज्यादा घुल मिल जाती हैं कि ये 1-2 दिन के अन्दर सिनेमा हाल, माल या पार्क में डेटिग के रुप में मिलतें है ये डेटिग को ये कामोतेजक बनाती है जिससे की नैजवान लड़का कही भी चलने को तैयार हो जाये। फिर 1 सप्ताह उस लड़के सामने धर्म बदलने का प्रस्ताव रख कर फिर ये किसी नये को खोजने के लिये निकल पडती है।
मिशनरी के द्वारा धर्मान्तरण इस देश पर कितना भारी पर रहा है हमें अब अपने आखों से देख लेना चाहिये। नागालैण्ड में मिशनरी ने जब वहा कि जनता का अच्छी तरह धर्मान्तरण कर दिया तो ग्रेटर नागालैण्ड नामक अलग देश का मांग किया जा रहा है और इसके लिये चर्च ने हथियार के साथ तैयारी कर रखी है।
चर्च के पादरी चर्च के परदे के पिछे क्या क्या गुल खिलाते है हम सभी को पता है जैसे नावालिक लडकियों का यौन शोषण, पादरी चर्च में आने बाली लडकियों के साथ अवैध यौन सबन्ध बनाते रहतें है ये बात हम सभी को पता है। लेकिन सेवा के नाम पर चर्च भेले भाले गरीब जो अपने परिवार के रोटी के लिये जी तोड़ मेहनत करके अपने परिवार और बच्चो का पेट पालतें है और उसी पैसा में से कुछ पैसा बचा कर अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिये बचाता है जिस से अपने बच्चों को पढा़ लिखा करे अच्छा इन्सान बना सके यैसे गरीब आदिवासियों के पैसे पर भी इन मिशनरी का नजर पर गया है अभी कुछ दिन पहले रांची के पास दुमका का घटना है गुड सेफर्ड नामक मिशनरी जो आदिवासियों के बीच में नि:शुल्क शिक्षा, रहने के लिये आवास, मुफ्त पुस्तक और भोजन के नाम पर आदिवासी का पंजीयन कराने के नाम पंजीयन शुल्क 1750 रुपये आदिवासियों से लिया गया और जब पंजीयन के द्वारा जब अच्छा खासा पैसा इक्कठा हो गया तो मौका देख कर गुड सेफर्ड मिशनरी आदिवासियों का पैसा ले कर रफुचक्कर हो गया। जब यहा के गरीब परिवार के द्वरा मिशनरी का खोज खबर लिया गया तो पता चला कि उस क्षेत्र के हजारों आदमी का पैसा ले कर गुड सेफर्ड मिशनरी भाग गया। पुलिस ने मिशनरी के पादरी जोसेफ बोदरा के खिलाफ प्राथमिकता दर्ज कर लिया है।
read more...

आतंकवाद और इच्छाशक्ति

आज हिन्दुस्तान में आतंकवादियों की स्थीति काफी मजबूत हो गई है। कट्टरपंथी तबके का यहां बोलबाला हो गया है। यहां सिमी, लश्कर, हिजबुल मुजाहिदीन व हरकत उल जेहादी इस्लामी से जुड़े कई स्थानीय सेल्स हैं जिनका मकसद हर हाल में दहशत फैलाना है। विस्फोटकों और नकली नोटों की बरामदगी से भी साफ है कि आतंकवादी यहां अफरातफरी फैलाना चाहते हैंअब सवाल यह है कि इन्हें चोट पहुंचाने के लिए किया क्या जाए? जाहिर है जिस एक उपाय पर आज लोग सबसे कम ध्यान दे रहे हैं वह है पोटा या टाडा जैसे कानून की जरूरत। ऐसा कानून जो पकड़े गए आतंकवादियों को फांसी या सख्त सजा सुनाए।
लेकिन हकीकत क्या है आतंक का सामना करने की बात जब आती है
तो भारत की तस्वीर एक नपुंसक राष्ट्र के रूप में उभरती है। पुलिस और नेता पुराना राग अलापते हैं लेकिन वास्तव में कोई मौलिक परिवर्तन नहीं होता। कब कहाँ सीरियल बम ब्लास्ट हो जाये किसी को पता नही हम घर से निकलते है घर लैटे या नाही पता नही। आतंकवादी बार-बार मानवाता का चीर-हरण करते रहे हैं। आतंकवादियों के हौसले बुलंद हैं और एक एक करके नए शहर उनके निशाने पर चढ़ते जा रहे हैं और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। स्थितियां भयावह हैं। चिंताजनक बात यह है कि हमारा राजनेता आतंकवादी हमलों को रोकने में तो नाकाम है आतंकवादियों को पकर कर सजा दिलाने में भी उनका आज तक कुछ खास नही कर पायें हैं। 1993 के मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में अभियुक्तों को अंजाम तक पहुंचाने में 14 साल लग गए, संसद भवन के हमलावर अभी तक सरकारी मेहमान बने हैं और सरकार आतकवादियों को बचाने के लिय टालमटोल कर रही है । हमारे तंत्र में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति की कमी सदैव खलती है। और इससे भी खतरनाक है ऐसे तत्वों के बारे में राजनीतिक प्रटेक्शन की मुहैया करतें हैं।
9/11 के बाद आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई की चौतरफा निंदा भले ही हो रही हो लेकिन दुनिया के सामने आज यह एक सच्चाई है कि 2001 के बाद से अमेरिका की ओर आतंकवादियों ने आंख उठाकर भी नहीं देखा है। कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि आतंकवाद के प्रति अमेरिका के अप्रोच का हम समर्थन कर रहे हैं। लेकिन कब तक हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे और निर्दोष लोगों को आतंकवादियों के हाथों मरते देखते रहेंगे ? अबतो वक्त आ ही गया है कि हम आतंकवाद पर जवाबी हमला बोलें।
read more...

आतंकवादियों को कानूनी मदद चाहिये तैयार है आप

बधाई हो अर्जुन सिंह जी कुछ आतंकवादि और आने बाले हैं जिसका आप कानून के द्वारा बचाव कर सकते हो। दिल्ली में कल सिर्फ एक ही विस्फोट किया गया। और 10-12 आदमी फिर मारे गये। शायद सभी मजदुर थे और सिमी के ब्लाइन्ड सर्पोटर लालू यादव और रामविलास पासवान के गृह राज्य बिहार के रहने वाले थे। मुझे मेरे एक मित्र मुम्बई से फोन करके बताया कि दिल्ली में फिर से विस्फोट हुआ है। जब से मैं सुना टी.वी खोल कर बैठ गया अलग अलग समाचार चैनल पर नजर गडा़ कर देखने लगा कि आज शिवराज पाटिल जी किस तरह का ड्रेस पहन कर आते हैं और देखना चाहता था कि और कितना जगह विस्फोट हुआ है लेकिन भगवान का शुक्र है कि इस बार सिर्फ एक जगह विस्फोट हुआ। धन्यवाद तो सही में सिर्फ भगवान को देना चाहिये जिसके कारण विस्फोट का संख्या कम रहा और आदमी भी कम मरे सरकार तो आतंकवादियों का अभी तक कुछ कर नही सकी । सरकार की तरफ से अभी तक व्यान सुनने को नही मिला। शायद एक धमाका हो इस लिये शिवराज पाटिल जी ने नया कपडा पहन कर कोइ व्यान देना या फिर जरुरी नही समझा होगा क्या एक विस्फोट में व्यान दिया जाय या फिर उनके पास नया कपडा नही होगा जिसको पहन कर मिडीया के सामने आते। वैसे श्री शिवराज पाटिल जी को मिडीया के सामने आने का जरुरत भी नही है क्यों कि उनके द्वरा दिया जाने बाला व्यान लगभग सभी आदमी को याद हो गया होगा। इधर खुश तो श्री अर्जुन सिंह जी भी होगें। पुलिस बाले कुछ आतंकवादियों को जरुर पकरेंगे। और आतंकवादियों को संरक्षण का और कानूनी लडाई लड़ने के जरुरत भी होगा तो आतंकवादियों को कानूनी लडाई लडनें में मानवसंसाधन मंत्रालय किस दिन काम आयेगा आखिर आतंकवादि भी मानव ही होते है और लेकिन मरने बाले क्या होते हैं शायद किसी को पता नही...................................
अब पुलिस बाले क्या करेंगे|पुलिस क्या करेंगे इंस्पेक्टर श्री मोहन चंद्र शर्मा कि तरह अपना जान देकर आतंकवादियों को पकरें या फिर घर में आराम से सोयें। आराम से सोना ज्यादा फायदेंमन्द है। अगर कोई पुलिस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में मारा गया तो क्या होगा बेचारा गया इस संसार उसका बीबी - बच्चे अनाथ और मुआबजा के लिये सालों सरकारी दफ्तर के चक्कर काटना परेगा वो अलग से। उन्हें ना कोई मुआवजा मिलेगा और ही उनका नाम लेने बाला और तो और पुलिस का कोई मानवाधिकार संघटन भी नही है जो पुलिस बालों के अनाथ भुखे बच्चों को किसी तरह का कोई मदद दिला सकें। अब हमें क्या करना है सोचों।
read more...

काग्रेस आतंकवादियों के नये संरक्षक

काग्रेस गलियारे में एक नया तमाशा देखने को मिल रहा है । बटला हाउस इलाके में 19 सितंबर को आतंकवादियों से मुठभेड़ हुआ था । फैशन मैन श्री शिवराज पाटिल जी ने दुख: से या बेमन में ही सही लेकिनी आतंकवादियोंको सबक सिखाने की बात कह दिये जैसा कि वो करना नही चाहतें है। (कपडा बदलने से फुर्सत मिले तभी तो करेंगे)। लेकिन हमारी तरह मुर्ख जनता को मुह दिखाना है और अभी लगता है एक-दो बार और चुनाव लडना है इस लिये कभी-कभी आतंकवादियों के विरुद्ध बोल देतें है। आतंकवादियों के खिलाफ बोलना या आतकवादिंयो के खिलाफ किसी तरह का कारवाही करना कांग्रेस धर्म के खिलाफ है। इस लिये आतंकवादियों के बचाब में एक मंत्रालय और दो मंत्री बीच में कुद गये। मुस्लिम मानव संसाधन मत्री श्री अर्जुन सिंह जी का मंत्रालय और खुद श्री अर्जुन सिह जी आतंकवादियों के
बचाब में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के कुलपति मुशीर उल हसन के साथ ताल ठोकते हुये मैदान में कुद गये।


आज हिन्दुस्तान की स्थिती इस कदर खराब हो चुका है कि आतंकवाद से लोहा लेने बाले पुलिस के लिये सरकार के पास पैसा नही और सहानुभूति के दो शब्द नही है और आतंकवाद को सहायता और सर्मथन देने बालों की होड़ लगी हुइ है। जब १९ सितम्बर को दिल्ली के ओखला स्थीत बाटला हाउस में पुलिस तथा राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड आतंकवादियों के छुपने के एक ठिकाने पर छापा मार कर दो आतंकवादियों को मार गिराया और सैफ़ नामक एक आतंकवादी को जीवित गिरफ्तार कर लिया गया जबकि दो आतंकवादी भागने में सफल हो गये थे। शुक्रवार के दिन हई इस मुठभेड़ में स्थानीय मुस्लिम बाहुल्य आबादी में कुछ लोग ऐसे भी थे जो इस मुठभेड़ को फ़र्जी तथा मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने वाली मुठभेड़ बताने की कोशिशें कर रहे थे जबकि अनेकों मुसलमान व आम दर्शक ऐसे भी थे जिन्होंने इस मुठभेड़ को अपनी आंखों से देखा।
काग्रेस सरकार पहले से आतंकवाद को रोकने का मद्दा दिखाई नही देता था। तर्क वितर्क से द्वारा आतंकवाद निरोधक कानून को हटाया गया और कोई नया कानून नही बनाना आतंकवाद का मौन सर्मथन था। लेकिन काग्रेस सरकार के दो मंत्री अब खुल कर आतंकवाद के सर्मथन में आ गये। और काग्रेस के और किसी नेता और मंत्री द्वारा इस बात का विरोध ना करना भी आतंकवाद का ही सर्मथन माना जायेगा।

अब सरकार को ये बताना होगा कि आतंकवाद के सर्मथन में तो सरकार खडी़ है जो गिरफ्तार किये गये आतंकवादियों का कानूनी सहायता प्रदान करेगी। लेकिन गिरफ्तार किये गये आतंकवादियों के खिलाफ क्या गृहमंत्रालय ईमान्दारी से कानूनी लडा़इ लडे़गा शायद नही। काग्रेस के द्वारा उठाये गये हर एक देश विरोधी गतीविधी आज इस देशा के लिये नासुर बन बैठा है चाहे वो काश्मिर का मामला हो, आतंकवाद तुस्टिकरण, बाग्लादेशी घुसपैठी का मामला। काग्रेस सरकार किसी भी तरह सत्ता में जोंक की तरह चिपकी रहती है और जोंक की ही तरह जिसमें चिपकता है उसी का खुन भी चुसता है काग्रेस का भी यही हाल सत्ता के लिये काग्रेस कीसी भी हद्द तक नीचे गिर सकता है। लेकिन आम जनता चुनाव के वक्त काग्रेस से एक एक बात का हिसाब जानना चाहेगी कि दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के परिवार को देने के लिये सरकार के पास पैसा नही लेकिन आतंकवादियों को संरक्षण और
बढावा देने के लिये सरकार के पास कहा से इतना पैसा आ जाता है।
read more...

हाय रे ये क्या हो गया नरेन्द्र मोदी बेदाग कैसे बच गया।

गुजरात दंगा में नरेन्द्र मोदी को न्यायमूर्ति जीटी नानावटी और न्यायमूर्ति अक्षय कुमार मेहता जांच आयोग ने क्लीन चिट दे दी है। नानावटी आयोग का कहना है कि 2002 में हुऎ दंगे में नरेन्द्र मोदी का, या उनके किसी मंत्री का, पुलिस का या सरकारी तंत्र का किसी तरह का हाथ नही है साथ में नानावती आयोग का ये भी कहना है कि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में जो आग लगी थे वो किसी तरह का कोई दुर्घटना ना हो कर एक सोची समझी साजिश कि तहत मर्द, दुधमुहे बच्चे, औरतों और बुढो़ को जिन्दा आग में जला कर तड़पा - तड़पा कर आग में झोक कर मारा गया। मौलवी उमर और उसके 6 साथी ने इस साजिश को रचा और रजाक कुरकुर और सलीम पानवाला ने 26 फरवरी 2002 को 140 लीटर पेट्रोल खरीदा था और उन्हें कंटेनरों में रखा था। शौकत लालू, इमरान शरी, रफीक, सलीम जर्दा, जबीर और सिराज बाला ट्रेन को जलाने में लिप्त थे।

लेकिन असली बाते तो अब होगी। फिर से कंलक का पिटारा खुलेगा, आतंकवादियों को मारने के एवज में दिया गया नया नाम मौत का सौदागर नरेन्द्र मोदी को फिर नया नाम और इनाम देंगें । काग्रेस, किश्चियन मिडीया और तथाकथित देश के बुद्धिजिवी सेकुलर पंथी जिसने कसम खा रखी है कि इस देश को दुसरा पाकिस्तान बना कर दम लेंगे। उन्हें मुस्लमानों में किसी तरह का कोई गलती दिखता नही है। चाहे वो ट्रेन जलायें या इस देश में बम विस्फोट कर के आम नागरीक का जान लें, आतंकवादियों के सर्मथन में दंगा करें तोड-फोड़ करे सब सही है। वो पाक साफ हैं और सारा गलती हिन्दु करते हैं। गोधरा में ट्रेन में आग लगा कर मासुमों का जान लेने बालों को बचाने के लिये सेकुलर पंथी नें क्या नही किया। अब तर्क, वितर्क और कुतर्क से ये सिद्द करने का कोशीश करेंगे कि ट्रेन में आग अन्दर से लगी ( मतलब एक साथ S-6 और S-7 के आदमी सामूहिक आत्महत्या चलती ट्रेन में कर के विश्व किर्तीमान स्थापित करना चाह रहें होगें)। लेकिन ये बात जमी नही और बुद्दीजिवी वर्ग सेकुलर पंथी को अपने मुह में तमाचा खाने के बाद जब ये न्यायमूर्ति जीटी नानावटी और न्यायमूर्ति अक्षय कुमार मेहता रिपोर्ट के आने के बाद बुद्धिजीवि सेकुलर पंथी ये सिद्ध करने का कोशीश करेगें कि हिन्दुस्तान के न्यायमूर्ति कम अक्ल हैं और उन्हें न्याय देना नही आता है या रिटार्यमेंन्ट के बाद न्यायमूर्तियों को सरकारी पोस्ट चाहिये वैगेरह वैगेरह।

लेकिन जनता मुर्ख नही है हमें सब पता है महीना में
1-2 बम विस्फोट होने के बाद भी आतंकवाद निरोधक कानून नही बना पाये और जो पोटा कानून था उसे हटाने के बाद कहते है पोटा सक्षम कानून नही था। पोटा कानून के बाद भी आतंकवाद की घटना हुई थी। तब तो हिन्दुस्तान हर एक कानून को हटा देना चाहिये क्यों की हत्या, बलात्कार, चोरी, अपहरण का कानून रहते हूऎ भी वौसी घटना हो रही है। तो हटा दो सब कानून । लेकिन इन बुद्धिजीवि सेकुलर पंथी से वहस करने कौन जाये। जब इनके घर में आग लगेगा तभी आग का तपिस मालुम चलेगा।
read more...

चर्च के फादरों के चरित्र

विश्व इतिहास देखें तो मुस्लमान के बाद सबसे ज्यादा धर्म के नाम पर अगर किसी ने खुन बहाया है तो ईसाइयत है इसमें कोई शक नही। ईसाइयत हिन्दुस्तान धर्मातरण के द्वारा राष्ट्रान्तरण करने के लिये सिद्धांत प्रेम, शांति तथा सत्य का छद्म का नकाब पहन रखा हैं किंतु संसार का इतिहास गवाह है ईसाइयत के नाम पर कितनी बार खुन की नदियां बहाई गई। धर्मयुद्ध के नाम पर, उसके पहले और उसके बाद शांति स्थापित करने के लिए ईसा के नाम पर कई घोर नृशंस कार्य किये गए।

हिन्दुस्तान में हिन्दु के मानस को पूरी तरह से बदलने के लिए विदेशी ताकतों से सीधा संरक्षण प्राप्त कर ईसाई मिशनरियां हिंदुओं के राष्ट्रातंरण का कार्य कर रही हैं जिससे भारत की भूमि पर हमेशा के लिए यूनियन जैक फहराया जा सके। मिशनरियों ने अनुभव किया कि हिंदुओं के लिए धर्म पर विश्वास से ज्यादा महत्वपूर्ण जीवित रहना है। उन्होंने हिन्दू समाज को दलित वर्ग और सवर्ण हिन्दू में बाँट कर तथा आर्य बाहर से आए हैं व द्रविड़ यहां के मूल निवासी हैं, ऐसा कह कर हिन्दू समाज को बाँटकर हिन्दुओं को ईसाइयत में राष्ट्रातंरण करने के अपने प्रयासों को जारी रखा। उन्होंने हिन्दुओं के बच्चों को मिथ्या इतिहास से परिचित कराने के उद्देश्य से स्कूलों की स्थापना की किंतु इस सबसे भी उन्हें सफलता नहीं मिली, तब उन्होंने बोर्डिंग स्कूल, अनाथालय स्थापित करने शुरू किये व तथाकथित दलित वर्ग एवं जनजातीय समुदायों के, जिन्हें वे यहां का मूल निवासी बतलाते थे, अनपढ़ व गरीब परिवारों से बच्चों को सीधे उन स्कूलों में भरना शुरू किया। इसके पश्चात् मिशनरी बोडिग स्कूलों में ऐसे ईसाई पादरी तैयार किये जो दलित व पिछड़े वगो के बीच धर्मांतरण का कार्य कर सकें। इन सभी प्रयास के तहत आज मिशनरी हिन्दुस्तान के लगभग सभी हिस्सों में राष्ट्रातंरण करवाने में जुटी हुई है। आज ये इतनें निरकुस हो गये हैं कि इनके रास्ते में आने बालों का हत्या तक करने से नही चुकते।
हिन्दुस्तान में पैसे के बल पर इन्सानीयत का पाठ पढा़ने बाले ईसाई चर्च के फादरों के चरित्र पर अगर ध्यान दें तो उजला कपडा़ के अन्दर का सच्च सामने आ जाता है। चर्च के फादरों के द्वारा नावालिक लड़कियों के यौन शोषण का मामला बार बार उठता रहा है इस मामलें में वेटिकन सिटी सिर्फ के पौप जाँन साल में आठ-दस बार माफी तो जरुर मांग लेता है। अभी कुछ दिन पहले अस्ट्रेलिया के दौरे पर गये पौप जॉंन का वहां के नागरिकों के द्वारा किया गया विरोध सिर्फ इस बात पर था कि चर्च धर्म का काम छोड़ कर हर एक अनैतिक कार्य में संलगन था चाहे वो नन का यौन शोषण हो या नाबालिक या बालिक लड़कियों को बहला फुसला कर किया गया यौन शोषण। इस मामलें में जाँन के द्वारा अस्ट्रेलिया में मांफी मांगने के बाद ही पौप जाँन को अस्ट्रेलिया में घुसने दिया गया। ईसाई मिशनरी को चाहिये कि इन्सानीयत का पाठ पढा़ने से पहले हिन्दुस्तानियों से आदमियता का पढ़ पढ ले नही तो बेचारे को पौप जाँन को गला में माफीनामा गला में लटका कर घुमना होगा।
read more...

ईसाई मिशनरी का नंगा नाच का टिप्‍पणी

कल के लेख ईसाई मिशनरी का नंगा नाच का टिप्‍पणी पढे

अनुनाद सिंह जी के अनुसार
मै आपकी इस बात से सहमत नहीं हूँ कि इसाई मिशनरियाँ केवल प्रलोभन से ही धर्मान्तरण कराती हैं। इसके लिये वे - साम, दान, दण्ड, भेद - सब कुछ अपनाती हैं।

मेरे पड़ोस में एक गणित के प्रवक्ता रहते थे। उनकी पत्नी कैंसर से पीड़ित थीं। यह बात हमारे अस्पताल के 'हेड नर्स' को पता थी। वह केरल की रहने वाली पेन्टाकोस्ट इसाई है। एक दिन वह उनके घर आयी और कमरे में इधर-उधर देखकर बोली - "तुमारे ये बगवान क्या कर रहे हैं? ये हनुमान और दुर्गा से कुछ नहीं होगा। हमारा जेसस तुमको बिल्कुल ठीक कर देगा। ये सब फोटो फ़ेक दो। हम तुमको बड़ौदा में भेज देगा; वहाँ का प्रिष्ट तुमको बिल्कुल ठीक कर देगा।...

आप सोच सकते हैं कि उस नर्स की 'ट्रेनिंग' कितनी अच्छी तरह से हुई होगी।
उसे लोगों को 'रीड' करना कितनी अच्छी तरह पता है? वह अच्छी तरह जानती है कि 'मरता क्या नहीं करता।' 'ट्रबुल्ड वाटर' में मछली पकड़ने में वह पारंगत है।

यह एकमात्र उदाहरण नहीं है। हर धर्मान्तरित होने वाले के पीछे इसी तरह की कथा मिलेगी।

रंजना जी लिखती हैं
एकदम सही कहा आपने.इसाई देशों की यह दूरगामी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है.उन्हें मालूम है कि किसी राष्ट्र को समाप्त करना हो तो सबसे पहला वार उस देश की धर्म और संस्कृति पर करना चाहिए.अकूत धन खर्च कर ये चर्च /मिशनरियां ख़ास मिसन के तहत चुपके से धीरे धीरे एक ऐसी कौम तैयार कर रही है जिसे वे समय आने पर धर्म के नाम पर ललकार कर अपने ही देश (हिन्दुस्तान)के ख़िलाफ़ इस्तेमाल कर सकें.

Umesh ji
माओवादी हो या नकसली, इन्हे चर्च प्रभावित राष्ट्रो से धनराशी मिल रही है। नेपाल मे माओवादीयो को धन और योजना उपल्ब्ध कराने वाला मुख्य संगठन रिम था, जिसका मुख्यालय अमरीका मे है। भारत मे भी वहीं नक्सली/माओवादी सक्रिय हैं जहां धर्मानंतरण हो रहा है।

संगीता पुरी जी
बहुत दुखद है। धर्म की आड़ में ऐसी गतिविधियां। वास्तव में लोग धर्म की परिभाषा भूल गए हैं।

Deepak Bhanre ji
ताली एक हाथ से नही बजती है . क्या करें यह देश का दुर्भाग्य है की वोट बैंक के खातिर हमेशा बहुसंख्यक को ही दोषी बताया जाता है . मीडिया भी इस पक्ष को अनदेखा करता है.
read more...

ईसाई मिशनरी का नंगा नाच

एक स्वयंसेवी संगठन जस्टिस आन ट्रायल ने अपनी जांच के आधार पर आरोप लगाया है कि उड़ीसा के कंधमाल जिले में साम्प्रदायिक हिंसा के लिए ईसाई मिशनरियों की धर्मपरिवर्तन की गतिविधियां दोषी हैं। जस्टिस आन ट्रायल की जांच समिति के अध्यक्ष और राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता सरदार जी एस गिल ने शुक्रवार को यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उड़ीसा में धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए सन् १९६७ में बनाए गए सख्त कानून के बावजूद ईसाई मिशनरी संस्थाएं प्रलोभन से भोले-भाले आदिवासियों का धर्मपरिवर्तन करा रही हैं जिससे समय-समय पर तनाव पैदा होता रहता है। उन्होंने कहा कि उड़ीसा के हिन्दू नेता स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती ने एक साक्षात्कार में स्वयं कहा था कि मिशनरी तत्व उन पर आठ बार हमला कर चुके हैं। नवें हमले में गत महीने उनकी मौत हो गई। जांच समिति ने हिन्दू नेता पर हुए हमले के लिए माओवादियों को जिम्मेदार ठहराए जाने के बारे में कहा कि ऐसा कोई ठोस कारण नहीं है कि माओवादी स्वामी जी की जान लें। जांच समिति ने कहा कि इस बात की छानबीन होनी चाहिए कि क्या हिन्दू विरोधी ताकतों ने माओवादियों के जरिये इस अपराध को अंजाम दिया। जांच समिति में पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक पीसी डोगरा, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य नफीसा हुसैन सामाजिक कार्यकर्ता कैप्टन एमके अंधारे और रामकिशोर पसारी शामिल थे।
read more...

कश्मीर भारत में उठ रहे आज़ादी की मांग,

कश्मीर भारत में उठ रहे आज़ादी की मांग, या पाकिस्तान परस्त रास्त्र्द्रोही इस्लामिक जेहाद ?

कश्मीर जिसे धरती का स्वर्ग और भारत का मुकुट कहा जाता था आज भारत के लिए एक नासूर बन चूका है कारन सिर्फ मुस्लिम जेहाद के तहत कश्मीर को इस्लामिक राज्य बना कर पाकिस्तान के साथ मिलाने की योजना ही है, और आज रस्त्रद्रोही अल्गाव्बदियो ने अपनी आवाज इतनी बुलंद कर ली है की कश्मीर अब भारत के लिए कुछ दिनों का मेहमान ही साबित होने वाला है और यह सब सिर्फ कश्मीर में धारा ३७० लागु कर केंद्र की भूमिका को कमजोर करने और इसके साथ साथ केंद्र सरकार का मुस्लिम प्रेम वोट बैंक की राजनीती और सरकार की नपुंसकता को साबित करने के लिए काफी है यह बात कश्मीर के इतिहास से साबित हो जाता है जब सरदार बल्लव भाई के नेतृतव में भारतीय सेना ने कश्मीर को अपने कब्जे में ले लिया था परन्तु नेहरु ने जनमत संग्रह का फालतू प्रस्ताव लाकर विजयी भारतीय सेना के कदम को रोक दिया जिसका नतीजा पाकिस्तान ने कबाइली और अपनी छद्म सेना से कश्मीर में आक्रमण करवाया और क़ाफ़ी हिस्सा हथिया लिया । और कश्मीर भारत के लिए एक सदा रहने वाली समस्या बन कर रह गयी और पाकिस्तान कश्मीर को हथियाने के लिए नित्य नयी चालें चलने लगा नतीजा भारत की आज़ादी के समय कश्मीर की वादी में लगभग 15 % हिन्दू थे और बाकी मुसल्मान । आतंकवाद शुरु होने के बाद आज कश्मीर में सिर्फ़ 4 % हिन्दू बाकी रह गये हैं, यानि कि वादी में 96 % मुस्लिम बहुमत है । वादी में कश्मीरी पंडितों की पाकिस्तान समर्थित इन्ही रस्त्रद्रोही अलगाव वादियों द्वारा खुले आम हत्याएं की जा रही थी और सरकार मौन रही थी इन हत्याओं और सरकार की नपुंसकता का एक उदाहरण यहाँ दे रहा हूँ सन् १९८९ से १९९० यानि एक वर्ष में ३१९ कश्मीरी पंडितों की हत्या की गयी और इसके बाद के वर्षो में यह एक सिलसिला ही बन गया था और सरकार का रूप तब स्पष्ट हो जाता है जब जम्मू-कश्मीर के वंधामा में दस साल पहले हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बारे में गृह मंत्रालय को जानकारी नहीं है। मंत्रालय ने कहा है कि विभाग को ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है, जिसमें बच्चों समेत 24 कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया था। यह घटना जग विदित है मगर सरकार को इसके बारे में मालूम नहीं, सरकार के इसी निक्कम्मा पण के वजह से आज इन रास्त्रद्रोही अलगाववादियों का हिम्मत इतना बढ़ गया है की अब ये कश्मीर को पूर्ण इस्लामिक राज्य मानकर कश्मीर को पाकिस्तान के साथ मिलाने के लिए अब कश्मीर में बहरी राज्यों से आये हिन्दू मजदूरों को बहार निकल रहे हैं स्वतंत्रता दिवस के पवन अवसर पर हिंदुस्तान के रास्त्रघ्व्ज को जलाया गया हिंदुस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाया जा रहा है और सरकार मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए चुप बैठी है कश्मीर में आर्मी के कैंप पर हमला करके उनको जलाया जा रहा है फिर हम कैसे कह सकते हैं की कश्मीर हमारे अन्दर में है अगर कश्मीर का मुस्लिम हमारे साथ है तो क्यों वह देशद्रोही अलगाववादियों का साथ दे रही है? अगर केंद्र सरकार कश्मीर समस्या का समाधान चाहती है तो क्यों नहीं वह वहां के अलगाववादी आतंकवादियों को के खिलाफ एक्शन ले रही है ? क्यों नहीं सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों को फिर से उनके जमीन को वापस दिला रही है क्यों कश्मीरी पंडितो के हक़ का दमन कर रही है ? क्यों नहीं आज तक हुए कश्मीर में कश्मीरी पंडितो के हत्याकांडो की जाँच करवा रही है ? कश्मीरी भाइयो का साथ देने वाले साम्प्रदायिक और अलगाववादी देशद्रोही सरकार के नज़र में क्यों आज़ादी का नेता बना हुआ है ? अगर इस सवाल का जवाब सरकार के पास नहीं है तो सरकार देश की जनता को धोखा देना छोर दे की कश्मीर हमारा है और अगर सरकार सच में कश्मीर समस्या का समाधान चाहती है तो कश्मीरी पंडितो को इंसाफ दिलाये और अलगाववादी आतंकवादियों को सजा देकर कश्मीर को इन देशद्रोहियों से मुक्त कराये, अंत में एक सवाल सरकार और आपलोगों से क्या हिंदुस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने वाले अपने रास्त्रध्व्ज तिरंगे को सीने से लगाये मरने वाले साम्प्रदायिक हैं ?क्या हिंदुस्तान मुर्दाबाद का नारा लगा कर अपने रास्त्र ध्वज तिरंगे को जलाने वाला देशद्रोही नहीं और अगर देश द्रोही है तो इसके खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं ?

इस आंख की अंधी सरकार से इंसाफ की क्या उम्मीद

इसलिए अपने दर्द का मरहम ढूंढने आपके पास आये हैं हम

वन्देमातरम

read more...

भारत तेरी शामत आयी

भारत तेरी शामत आयी, लश्कर लायी, लश्कर लायी
नंगा-भूखा हिन्दुस्तान जान से प्यारा पाकिस्तान
पाकिस्तान से रिश्ता क्या, लालिल्लाह इललिल्लाह
कश्मीर की मंडी, रावलपिंडी, रावलपिंडी
खूनी लकीर तोड़ दो, आर-पार जोड़ दो
ऐ जबरियो, ऐ जुल्मियों, कश्मीर हमारा छोड़ दो

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी सम्प्रभु देश के अंदर न सिर्फ उसके विरोध में नारे लगें बल्कि उसकें दुश्मन देश को सिर-आंखो पर उठाया जाये? कश्मीर में यही हो रहा है। जो लोग कह रहे हैं कि कश्मीर में हालात ९० दशक में पहुंच गए हैं, वो शायद बड़ी नर्मी बरत रहे हैं। क्योंकि हकीकत यह है कि कश्मीर में १९४७ के बाद से अब तक के सबसे खराब हालात हैं। देशद्रोही ,भारत विरोधी, भावनाएं उफान पर हैं। घाटी में चारों तरफ या तो पाकिस्तान या इस्लामी चिन्हों वाले हरे झंडों का बोलबाला है। अचानक हर मुसलमान की जुबान में भारत के लिए गाली और पाकिस्तान के लिए प्यार उमड़ रहा है।
६१ सालों से लगातार कश्मीर को सहलाए जाने का नतीजा है? १९४७ के बाद से अब तक दिल्ली की केन्द्र सरकार कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने के लिए और भारत विरोधियों की लल्लो-चप्पो करने के लिए कश्मीर को जो मुंह मांगी आथिक मदद देती रही है, वह ८६ खरब रुपये से भी ज्यादा है। अगर इतने पैसे में बिहार या मध्य प्रदेश का विकास किया गया होता तो ये प्रदेश देश के सबसे संपन्न राज्य बन गए होते। लेकिन कश्मीर में एक वर्ग की मानसिकता कभी नहीं बदलती है और जैसे जुल्फीकार अली भुट्टों कहते थे, घास खा लेंगे लेकिन इस्लामी बम बनाऐगें, उसी तरह इनकी भी सोच है कि भले कितनी ही बदहाली और अमानवीय स्थितियों में रहना पड़े मगर पाकिस्तान के साथ इसलिए जाएंगे क्योंकि पाकिस्तान से इनका रिश्ता लालिल्लाह इल्लिलाह का है। भारत के लिए कश्मीर एक स्थायी नासूर इसलिए बन गया है। अरूंधती राय कहती हैं कि कश्मीर को हिन्दुस्तान से आजादी चाहिए। लेकिन शायद वह इस पूरी तस्वीर को एक ही चश्में से देख रही हैं। हकीकत यह है कि भारत कोई कश्मीर से कम परेशान नही है। हकीकत तो यह है कि कश्मीर हमारे लिए एक स्थायी सिरदर्द बन चुका है। देश के लाखों फौजियों के लिए कश्मीर एक मानसिक संताप बन चुका है। जिस भी फौजी का तबादला कश्मीर किया जाता है, वह मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। क्योंकि कश्मीर समस्या का वह इलाज ही नहीं है जो इलाज भारत सरकार करना चाहती है। वास्तव में कश्मीर अगर इस कदर साल दर साल भारत के लिए नासूर बनता गया है तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण हमारी राजनीति ही है। लाचारी की बात यह है कि दिल्ली से सरकार जो गलतियां १९५० के दशक में कर रही थी, उन्हीं गलतियों को लगातार किए जा रही है। नतीजा यह निकल रहा है कि २ करोड़ की आबादी वाला कश्मीर ११२ करोड़ की आबादी वाले हिन्दुस्तान का सिरदर्द बन गया है। कश्मीर की वजह से हिन्दुस्तान की छवि पूरी दूनिया में धूमिल हो रही है। लेकिन राजनेता हैं कि वह कोई सबक ही नहीं ले रहे। हमारे राजनेता आम हिन्दुस्तानियों में एकता, अखंडता का भाव जगाने या बनाए रखने के संकोच में एक बात हमेशा छिपा जाते हैं कि कश्मीर का भारत में विलय कुछ शतो के साथ हुआ था। कश्मीर हिन्दुस्तान का उसी तरह से प्राकृतिक हिस्सा नहीं है जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार हैं। कश्मीर का भारत में कुछ विशष शतो के साथ विलय हुआ था जिसमें सीमित आजादी की भी शर्त थी। १९४७ के कश्मीर के हिन्दुस्तान में विलय में यह शर्त रखी गई थी कि विदेशी, मुद्रा , रक्षा और कानून की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की होगी। बाकी सभी दायित्व और अधिकार राज्य सरकार के पास होंगे। लेकिन उत्तरोत्तर घटनाक्रमों में भारत सरकार आम देशवासी से इस बारे में लगातार संवादहीनता और गोलमोल की स्थिति बनाए रखी। संविधान की जिस धारा -३७० के तहत कश्मीर को विशेषाधिकार दिए गए थे, लगातार कुछ राष्ट्रवादी पार्टियों के लिए वह कानूनी स्थिति लोगों की भावनाएं भड़काने का बहाना बन गयी। हैरत की बात तो यह है कि लंबे समय तक केन्द्र में शासन करने वाली कांग्रेस ने भी हिम्मत और स्पष्टता के साथ देशवासियों को कभी यह नहीं बताया कि धारा -३७० का विशेष दर्जा कश्मीर को क्यों दिया गया है? वह हमेशा इस मुद्दे को लेकर मामला रफा-दफा करने के फेर में ही रही। नतीजा यह है कि ज्यादातर भारतवासियों को कश्मीर की वस्तुस्थिति का पता ही नहीं है। झारखंड और बिहार में अगर कश्मीर को लेकर राष्ट्रवादी भावनाएं भड़काती हैं तो इसमें सिर्फ लोगों का उन्मादी राष्ट्रप्रेम ही नहीं है बल्कि नेताओं का वह ढुलमुल रवैय्या भी इसके लिए भरपूर रूप से जिम्मेदारी है जिसमें कभी देशवासियों को कश्मीर की राजनैतिक स्थिति को कभी साफ ही नहीं किया।
read more...