जीत भार्गव जी का जवाब - जब वंश ही लोकतंत्र का आधार होगा

कल मैने एक कविता अपने ब्लाग में डाला था उस के जवाब जीत भार्गव जी ने भी एक कविता में दिया है।

जब वंश ही लोकतंत्र का आधार होगा,
देश ऐसे ही लाचार होगा.
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जब ईमान पर भारी मजहब होगा,
नेतृत्व का ऐसा ही भ्रष्टाचार होगा.
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जब बिका हुआ मानवाधिकार होगा,
बेक़सूर ही गिरफ्तार होगा.
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जब मीडिया ही दरबान होगा,
जन हित का मुद्दा बेकार होगा.
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जब जनमानस अचेत हो तो,
देश में ऐसा ही अंधार होगा.
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सुशासन को कौन पूछेगा,
जब सेकुलर ही जीत का आधार होगा.
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1 comments: on "जीत भार्गव जी का जवाब - जब वंश ही लोकतंत्र का आधार होगा"

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत सुन्दर विचार हैं और विचारणीय भी.