ईसाई मिशनरी का नंगा नाच

एक स्वयंसेवी संगठन जस्टिस आन ट्रायल ने अपनी जांच के आधार पर आरोप लगाया है कि उड़ीसा के कंधमाल जिले में साम्प्रदायिक हिंसा के लिए ईसाई मिशनरियों की धर्मपरिवर्तन की गतिविधियां दोषी हैं। जस्टिस आन ट्रायल की जांच समिति के अध्यक्ष और राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता सरदार जी एस गिल ने शुक्रवार को यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उड़ीसा में धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए सन् १९६७ में बनाए गए सख्त कानून के बावजूद ईसाई मिशनरी संस्थाएं प्रलोभन से भोले-भाले आदिवासियों का धर्मपरिवर्तन करा रही हैं जिससे समय-समय पर तनाव पैदा होता रहता है। उन्होंने कहा कि उड़ीसा के हिन्दू नेता स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती ने एक साक्षात्कार में स्वयं कहा था कि मिशनरी तत्व उन पर आठ बार हमला कर चुके हैं। नवें हमले में गत महीने उनकी मौत हो गई। जांच समिति ने हिन्दू नेता पर हुए हमले के लिए माओवादियों को जिम्मेदार ठहराए जाने के बारे में कहा कि ऐसा कोई ठोस कारण नहीं है कि माओवादी स्वामी जी की जान लें। जांच समिति ने कहा कि इस बात की छानबीन होनी चाहिए कि क्या हिन्दू विरोधी ताकतों ने माओवादियों के जरिये इस अपराध को अंजाम दिया। जांच समिति में पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक पीसी डोगरा, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य नफीसा हुसैन सामाजिक कार्यकर्ता कैप्टन एमके अंधारे और रामकिशोर पसारी शामिल थे।
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5 comments: on "ईसाई मिशनरी का नंगा नाच"

Unknown said...

माओवादी हो या नकसली, इन्हे चर्च प्रभावित राष्ट्रो से धनराशी मिल रही है। नेपाल मे माओवादीयो को धन और योजना उपल्ब्ध कराने वाला मुख्य संगठन रिम था, जिसका मुख्यालय अमरीका मे है। भारत मे भी वहीं नक्सली/माओवादी सक्रिय हैं जहां धर्मानंतरण हो रहा है। संघ भी शंका के घेरे मे है।

संगीता पुरी said...

बहुत दुखद है। धर्म की आड़ में ऐसी गतिविधियां। वास्तव में लोग धर्म की परिभाषा भूल गए हैं।

दीपक कुमार भानरे said...

ताली एक हाथ से नही बजती है . क्या करें यह देश का दुर्भाग्य है की वोट बैंक के खातिर हमेशा बहुसंख्यक को ही दोषी बताया जाता है . मीडिया भी इस पक्ष को अनदेखा करता है.

अनुनाद सिंह said...

मै आपकी इस बात से सहमत नहीं हूँ कि इसाई मिशनरियाँ केवल प्रलोभन से ही धर्मान्तरण कराती हैं। इसके लिये वे - साम, दान, दण्ड, भेद - सब कुछ अपनाती हैं।

मेरे पड़ोस में एक गणित के प्रवक्ता रहते थे। उनकी पत्नी कैंसर से पीड़ित थीं। यह बात हमारे अस्पताल के 'हेड नर्स' को पता थी। वह केरल की रहने वाली पेन्टाकोस्ट इसाई है। एक दिन वह उनके घर आयी और कमरे में इधर-उधर देखकर बोली - "तुमारे ये बगवान क्या कर रहे हैं? ये हनुमान और दुर्गा से कुछ नहीं होगा। हमारा जेसस तुमको बिल्कुल ठीक कर देगा। ये सब फोटो फ़ेक दो। हम तुमको बड़ौदा में भेज देगा; वहाँ का प्रिष्ट तुमको बिल्कुल ठीक कर देगा।...

आप सोच सकते हैं कि उस नर्स की 'ट्रेनिंग' कितनी अच्छी तरह से हुई होगी। उसे लोगों को 'रीड' करना कितनी अच्छी तरह पता है? वह अच्छी तरह जानती है कि 'मरता क्या नहीं करता।' 'ट्रबुल्ड वाटर' में मछली पकड़ने में वह पारंगत है।

यह एकमात्र उदाहरण नहीं है। हर धर्मान्तरित होने वाले के पीछे इसी तरह की कथा मिलेगी।

रंजना said...

एकदम सही कहा आपने.इसाई देशों की यह दूरगामी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है.उन्हें मालूम है कि किसी राष्ट्र को समाप्त करना हो तो सबसे पहला वार उस देश की धर्म और संस्कृति पर करना चाहिए.अकूत धन खर्च कर ये चर्च /मिशनरियां ख़ास मिसन के तहत चुपके से धीरे धीरे एक ऐसी कौम तैयार कर रही है जिसे वे समय आने पर धर्म के नाम पर ललकार कर अपने ही देश (हिन्दुस्तान)के ख़िलाफ़ इस्तेमाल कर सकें.