एक और मेहरबानी

भारत की सरकार ने एक और मुस्लीम तुष्टीकरण के लिये एक नया मसौदा तैयार किया है। जिसमें अल्पसंख्यकों को पढा़ई के लिये छात्रवृत्ति मीलेगा। सरकार द्वारा उठाये जा रहे नासमझी भरा कदम इस देश को आज नही तो कल एक और घाव देकर ही दम लेगी। पहले से ही हिन्दुस्तान 64 टुकरा में बिखर चुका है आने बाला समय में जल्द ये 1-2 में और टुकरा में बट जायेगा।
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने अल्पसंख्यकों के बच्चों के लिए दसवीं तक की पढ़ाई में मदद के लिए बुधवार को एक छात्रवृत्ति योजना को मंजूरी दी।

यह योजना सभी राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों के लिए है और ११वीं पंचवर्षीय योजना में इस पर १८६८ करोड़ ५० लाख रुपये खर्च किये जाएंगे। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय समिति के इस निर्णय की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि योजना में ४६०.१० करोड़ रुपये राज्य सरकारें देंगी। केन्द्र शासित क्षेत्रों के लिए पूरा पैसा केन्द्र सरकार देगी। यह योजना इसी वित्तीय वर्ष में शुरू की जानी है और २००७-१२ के दौरान कुल २५ लाख छात्रवृत्ति देने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें पहले से दसवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं का सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूलों के लिए वजीफा दिया जाएगा। ३० प्रतिशत छावृत्ति बालिकाओं के लिए होगी और उनकी संख्या कम होने पर उसका लाभ बालकों को दिया जा सकेगा। इसमें प्रति माह शिक्षण शुल्क पर ३५० रुपये की सीमा होगी। पांचवीं से ऊपर के बच्चों के लिए ६०० रपये माह तक छात्रावास का खर्चा दिया जा सकता है। पहली से पांचवीं तक के बच्चों के लिए १०० रुपये प्रति माह तक की सहायता दी जा सकेगी। पांचवीं से ऊपर की कक्षाओं के लिए ५०० रुपये तक प्रवेश शुल्क की मदद भी दी जाएगी। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने बांधों को बचाने की योजना ११ वीं पंचवर्षीय योजना में भी जारी रखने और इसके लिए ६०० करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

क्या हिन्दु में गरीब बच्चे नही हैं जो गरीबी के चलते अपना पढाई छोर चुके हैं या आगे भी अपना शिक्षा जारी रख कर इस देश का नाम रौशन करना चाहते हैं। सरकार पहले से ही अल्पसंख्यकों पर मेहरबान है कभी ये धर्म आधारीत नैकरी देने का पेशकश करता है तो कभी आरक्षण का। इस देश में रहने बाले बहुसंख्यक हिन्दु का क्या कसुर है जो सरकार इनकी ओर ध्यान नही दे रही है। आज भी भारी संख्या में किसान आत्महत्या करने पर मजबुर है लेकिन वे हिन्दु हैं इसके लिये सरकार अभी तक उनकी ओर ध्यान नही दे रहा है लेकिन एक मुस्लमान आंतकवाद के आरोप में पकरा जाता है तो हमारे प्रधानमंत्री जी को रात भर नीन्द नही आती है।

आखीर क्या मिला उन्हें और उनके बच्चों को जो इस देश की आजादी के लिये अपना जान तक गंवा दिये। उनके बारे में सरकार कभी मेहरबान नही होती है। इस देश पर चारो तरफ से हमला हो रहा है चाहे आंतकवादियों के द्वारा हो या नक्सलियों के द्वारा सरकार तो कभी नही सोची की इनके नाक में भी नकेल कसा जाये और तो और सरकार इन्हें सुरक्षा देने के लिये आंतकवाद रोधक कानुन भी हटा लिया जिससे आंतकवाद और अपना पांव पसार सके। जरुरी है हमें इस सरकार को दुबारा इस देश की गद्दी पर कभी भी काबीज ना होने देना चाहिये और ये तुष्टिकरण की नीति जीतना जल्द हो सके बन्द हो जाये।
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1 comments: on "एक और मेहरबानी"

Anonymous said...

I am Agree With U.