हत्यारे को सुरक्षा

क्रिसमस डे के दिन जब सारा विश्व इसकी खुशियों में डूबा था उस उड़ीसा में चर्च सर्मथक हिन्दुओ के धार्मीक गुरु श्री लक्ष्मणानंद सरस्वती को जान से मारने की कोशीश कर रहा था। इस आक्रमण में स्वयं सन्त लक्ष्मणानन्द सरस्वती और उनका वाहन चालक घायल हो गया जिन्हें कटक के अस्पताल में भर्ती कराया गया। श्री लक्ष्मणानंद सरस्वती वह व्यक्ति हैं जो उड़ीसा में चल रहे धर्मान्तरण का विरोध कई वर्षो से आवज उठाते आ रहे हैं। उनपर हमले का साफ मतलब हो सकता है इस पूरे मामले में चर्च और इससे जुड़े लोग उनके अभियान से खफा हैं और उनके मकसद में कहीं न कहीं बाधा पहुंच रही थी। बहरहाल, जो भी हो लेकिन उड़ीसा से अक्सर चर्चों द्वारा धर्मान्तरण कराने का मसला आता रहता है। अब चर्च का इतना हिम्मत बढ गया है कि खुले आम वो किसी भी धर्मगुरु को बीच रास्ते पर जानलेवा हमला कर सकते हैं तो यो आम आदमी का ये क्या हाल कर सकते हैं। इसका कारण सोनिया गाँधी का ईसाइ मूल का होना और धर्मान्तरण करने वाले और चर्च को आरोपियों को खुला राजनीतिक प्रश्रय का दिया जाना है। ईसाइयों के द्वारा कानून का खुलकर माखौल उडाया जाता है। प्रत्यक्ष रूप से तो नहीं लेकिन चर्चों से गुप्त रूप से किसी भी खास पार्टी के लिए एकतरह से फतवा जारी होता है। ज्यादातर फायदा कांग्रेस के मोर्चे यूडीएफ यानी संयुक्त जनतांत्रिक मोर्चा को मिलता आया है। लेकिन अब इस दौर में वाम मोर्चा भी अब पीछे नहीं रही और इस समुदाय को अपना वोट बैंक बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। चर्च और इससे जुड़े लोग ऐसे ताकतवर के रूप में उभरे हैं कि वहां की राजनीतिक और सामाजिक जीवन में व्यापक बदलाव देखा जा सकता है। भारत में चल चर्च और मिशनरी लाख अपनी सफाई में यह कहते रहे कि वे यहां सिर्फ मानव सेवा के लिए हैं, लेकिन समय-समय पर इनके ऊपर उठती अंगुली से यह बात तो साफ है कि कहीं न कहीं कुछ रहस्य जरूर था जो अब तक पर्दे के अंदर से चल रहा था। लेकीन अब ये खुल कर धर्मान्तरण का खेल खेलते हैं और इनके रास्ते में आने बाले का जान लेने से भी नही चुकते है। हिन्दुस्तान की सरकार कभी कभी नीदं से जागती है और कानून बनाने कि बात करती है लेकिन ये कानून शायद आज तक नही बना और तथाकथीत हिन्दुओ कि पार्टी कहे जाने बाली भारतीय जनता पार्टी के शासन बाले राज्य में अगर कोई नया कानून बनता है तो अल्पशख्यक मानवाधीकार के नाम हाय तौबा मचाने लगते है (इन्हें काश्मीर में अल्पशख्यक हिन्दुओ कि हालत नही दिखता है) और उस कानुन का हाल सोनिया सरकार टाडा और पोटा जैसा बना देती है और भारत के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह यहा तक कहते है कि ईसाइयों को सुरक्षा मिलनी चहीये। यह हिन्दुस्तान हि है जहा हमलावर को सुरक्षा मिलता है।
ऐसा तो नहीं कि ये मिशनरी भारत में मानव सेवा की आड़ में अपना कोई निजी एजेंडा चला रहे हों। उड़ीसा से ही नहीं बल्कि झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से भी आदिवासी बहुल इलाकों से बराबर यह खबर मिलती रही है कि वहां ये मिशनरी धमातरण जैसे मिशन पर काम कर रहे हैं। ये झुठ फरेव के द्वारा मिशनरी का प्रचार करते है। दिल्ली के आर्कविशप करम मसीही ने 5 जनवरी 99 को दिल्ली में संवादताता सम्मेलन में यह दावा किया था कि भारत में काई विदेशी मिशनरीज कार्यरत नहीं है, भारत सरकार किसी विदेशी को मिशनरी कार्य के लिए वीजा नही देती । उनके दावों की पोल कुछ ही दिनों में उड़ीसा में आस्ट्रेलियाई मिशनरी स्टेन्स और उसके दो पुत्रों की हत्या ने खोल दी कि भारत में विदेशी मिशनी हैं या नहीं । आज भी हजारों की संख्या में विदेशी मिशनी इस देश में कार्यरत है । सचमुच देश के सामने एक शोचनीय प्रश्न है कि धर्मान्तरण के कारण समाज का वातावरण विषैला होता जा रहा है। सरकार को चाहिए इन इलाको में चल रहे इन मिशनरियों के क्रियाकलाप पर नजर रखें और एक विस्तृत रिपोर्ट आम लोगों के समक्ष पेश करें। अगर कहीं ऐसा है तो जल्द से जल्द इन मिशनरियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। धर्मान्तरण पर विराम नहीं लगने से हिन्दुओं के अल्पमत में आने का खतरा बढ गया है।
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4 comments: on "हत्यारे को सुरक्षा"

Unknown said...

I totally agree with the writer of this article. Conversion is injecting more venom in India. We should really do something to stop this. That time has gone that we used to be mute spectator. Now, the retaliation by Hindus in Orissa after murderous-attack on their reverent VHP leader in Orissa should be considered politically right. Because sometimes Offense is the best Defense. Hindus can't be taken for granted. Long live Bharatvarsh.

sanjeev said...

the days of hindu dormancy are gone but the fight has just begun. we should beware it does not go the Ram Janam Bhoomi movement way. it should not rise and die down according to needs of a political party. it should have nothing to do with forming governemnt at the centre or state. we should make it the compulsion of every political party to take hindu sensibilities into consideration before taking any decision. India has been held ransom to the muslim vote bank for far too long. now is the time to throw off the muslim yoke.

Anonymous said...

this is really a nice article

Anonymous said...

This is really a nice article!