क्या यही गणतंत्र है?

पहले राजतंत्र था लेकीन अब गणतंत्र है। क्या बदला है सिर्फ राज से गण और कुछ नही आज भी वही समाज और वही तंत्र। आज हम अपना 58 वें गणतंत्र दिवस मना रहे हैं और जिस तरह का गणतंत्र आज है हमारे संविधान रचियता ने भी नही सोचा होगा इस देश का इस देश को खोखला करने बाले तंत्र भी अपना ताकत बढाते जायेगें। आज हिन्दुस्तान कीस रास्ते पर चल रहा है इसका गणतंत्र कीतना मजबुत हो रहा है चिंतन का विषय है।
आज इस देश में नौकरी के लिये योग्ता नही धर्म, जाति और मजहब सर्वोपरी है। कभी-कभी ये योगता भी कम पर जाती है जब हिन्दुस्तान के किसी और कोने के आदमी हिन्दुस्तान के ही जम्मु काश्मीर में नौकरी नहीं कर सकता है। आखीर क्यों हमारे देश के कर्णधार इस विषय में क्या कर रहैं हैं। नारी को इस देश में देवी कहा जाता है लेकिन दहेज के नाम पर नारी की हत्या आम बात है और दहेज के नाम पर ब्लैकमेलिंग भी धरल्ले से हो रहा है सविंधान में इस विषय में क्या लिखा है आम जनता शायद ही जानता हो। सेक्स की पढाई लागु करने पर उतारु गणतंत्र के रक्षक कभी संविधान की पढाई के बारे में सोचे भी नही होगें।
हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा आदमी खेती पर निर्भार है और सबसे ज्यादा आत्महत्या भी किसान ही कर रहें हैं क्या कारण है| कृषि प्रधान इस देश में कृषि की पढाई के लिये संस्था के नाम सिर्फ 26 महविद्यालय है। हिन्दुस्तान 2015 में दुनिया के सबसे ज्यादा दवा उत्पादक राष्ट्र के रुप मे उभर कर सामने आयेगा। अभी भी दवा का उत्पादन हिन्दुस्तान में ज्यादा मात्रा में होता है और उसके समानान्तर नकली दवा का कारोबार करने बाले भी निर्भीक हो कर अपना धंधा कर रहे हैं। फिर भी करोड़ों नवजात शिशु और गर्भवती माताएं कुपोषण की शिकार है। नकली दवा के साथ साथ मानव अंग का भी व्यापार भी हिन्दुस्तान में फल फुल रहा है शायद रोकने बाला कोई नही है यहा।
अपनी जान की बाजी लगा कर देश के दुश्मन से लड़ने वाले फैजी अपना पदक लौटा रहें है कारण एक आंतकवादी को भी हमारे देश के नेता फांसी नही दे पा रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का दंभ भरने बाले क्या इस लडाई में इमान्दारी से फौज का साथ दे रहे हैं क्या शायद नेताओ को अपने देश से ज्यादा 4-5 सीट ज्यादा मीलने की उम्मीद में मुस्लीम तुस्टीकरण ज्यादा हितकारी लगता है। पोटा जैसे आतंकवाद निरोधक कानुन हटा कर आतंकवाद का खात्मा का सपना देखने बाले गणतंत्र का रक्षा कैसे करेगें सोचनीय विषाय है।
संविधान के रक्षकों में होड़ लगा है कौन कितना ज्यादा भ्रष्ट हो सकता है। अगर इन सभी का कोई टेलीविजन चैनल रियलटी सो आयोजित करे तो मुकाबला कडा़ होने का संभावना है और टेलीविजन बाले भी एस.एम.एस. से पैसा कमा सकते है वैसे टेलीविजन समाचार भी इस भ्रष्टाचार मुकाबला में मुकाबला कर सकते है क्योकि ये राजनितीक दल के द्वारा चलाये जा रहे मीडिया चैनल समाज का भाला तो कर नही सके हा ये एक कंलक बन कर रह गया है।
आज विश्व का सबसे बडा़ सविधान रख कर न्याय पालिका किसी को सजा नही दे पा रहा है। कानुन तोड़ने बाले अपराध करने से पहले शायद अपने वकील से मील कर कानुन का मजाक कैसे उराया जाये पता कर लेते हैं रात में किसी लड़की का इज्जत पर हाथ डालते हैं और बस एक दिन ही सजा के हकदार होते हैं कानुन और कानुन के रक्षक कुछ बिगार नही पाते हैं। ये तो छोटे अपराधी हैं और इनका अपराध कानुन की नजर में छोटा नही हैं लेकिन बडे़ अपराधी का सपना भी बडा़ ही रहता है 30-40 अपराध करने के बाद ये खुद गणतंत्र के रक्षक बन जाते हैं और यहा का गण जात-पात धर्म के नाम पर अपराधी नेता को गणतंत्र की रक्षा करने के लिये भेज देता है और इनका तो जैसे लौटरी ही निकल जाता है इनके दोने हाथ में लड्डु आ जाता है।
क्या हम और हमारे ये गणतंत्र के रक्षक इस देश का भला कर रहें हैं। गणतंत्र दिवस को हमारे घर के बच्चे देशभक्ती गीत जब गाते है उस समय भी हमारे दिमाग में जरा सा भी ये विचार नही आता है कि किस परीस्थीती मे इस देश के आजादी मीली थी और कितनों ने अपना घर, परिवार, समाज को त्याग कर एक ही सपना देखा "सरफरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैं।" समस्या विशाल है और समाधान के नाम पर सिर्फ तुष्टीकरण।
क्या हम इस गणतंत्र के लायक हैं शायद नही।
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