हिन्दू, हिन्दुत्व और हिन्दु राष्ट्र

हिन्दुत्व हिन्दू धर्म के अनुयायियों को एक और अकेले राष्ट्र में देखने की अवधारणा है । हिन्दूओ के अनुसार हिन्दुत्व कोई उपासना पद्धति नहीं, बल्कि हिन्दू लोगों द्वारा बना एक राष्ट्र है । वीर सावरकर ने हिन्दुत्व और हिन्दूशब्दों की एक परिभाषा दी थी जो हिन्दूओ के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है उन्होंने कहा कि हिन्दू वो व्यक्ति है जो भारत को अपनी पितृभूमि और अपनी पुण्यभूमि दोनो मानता है ।

हिन्दुत्व और हिन्दु


हिन्दू शब्द के साथ जितनी भी भावनाएं और पद्धतियाँ, ऐतिहासिक तथ्य, सामाजिक आचार-विचार तथा वैज्ञानिक व आध्यात्मिक अन्वेषण जुड़े हैं, वे सभी हिन्दुत्व में समाहित हैं। हिन्दुत्व शब्द केवल मात्र हिन्दू जाति के कोरे धार्मिक और आध्यात्मिक इतिहास को ही अभिव्यक्त नहीं करता। हिन्दू जाति के लोग विभिन्न मत मतान्तरों का अनुसरण करते हैं। इन मत मतान्तरों व पंथों को सामूहिक रूप से हिन्दूमत अथवा हिन्दूवाद नाम दिया जा सकता है । आज भ्रान्तिवश हिन्दुत्व व हिन्दूवाद को एक दूसरे के पर्यायवाची शब्दों के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। यह चेष्टा हिन्दुत्व शब्द का बहुत ही संकीर्ण प्रयोग है ।

ईसाई और इस्लाम धर्म हिन्दू धर्म को पाप और शैतानी धर्म मानता है । इस्लाम के अनुसार हिन्दू लोग क़ाफ़िर हैं ।

मुसलमान हिन्दू बहुल देशों में रहाना ही नहीं चाहते । वो एक वृहत्-इस्लामी उम्मा में विश्वास रखते हैं और भारत को दारुल-हर्ब (विधर्मियों का राज्य) मानते हैं । वो भारत को इस्लामी राज्य बनाना चाहते हैं ।

मुसलमान हिंसा से और ईसाई लालच देकर हिन्दुओं (ख़ास तौर पर अनपढ़ दलितों को) अपने धर्म में धर्मान्तरित करने में लगे रहते हैं ।

हिन्दुत्व किसी भी धर्म या उपासना पद्धति के ख़िलाफ़ नहीं है ।वो तो भारत में सुदृढ़ राष्ट्रवाद और नवजागरण लाना चाहता है । उसके लिये हिन्दू संस्कृति वापिस लाना ज़रूरी है ।

अगर समृद्ध हिन्दू संस्कृति का संरक्षण न किया गया तो विश्व से ये धरोहरें मिट जायेंगी । आज भोगवादी पश्चिमी संस्कृति से हिन्दू संस्कृति को बचाने की ज़रूरत है ।

इतिहास गवाह है कि मुसलमान आक्रान्ताओं ने मध्य-युगों में भारत में भारी मार-काट मचायी थी । उन्होंने हज़ारों मन्दिर तोड़े और लाखों हिन्दुओं का नरसंहार किया था । हमें इतिहास से सीख लेनी चाहिये ।

इस्लामी बहुमत पाकिस्तान (अखण्ड भारत का हिस्सा) भारत को कभी चैन से जीने नहीं देगा । आज सारी दुनिया को इस्लामी आतंकवाद से ख़तरा है । अगर आतंकवाद को न रोका गया तो पहले कश्मीर और फिर पूरा भारत पाकिस्तान के पास चला जायेगा ।

कम्युनिस्ट इस देश के दुश्मन हैं । वो धर्म को अफ़ीम समझते हैं । उनके हिसाब से तो भारत एक राष्ट्र है ही नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की अजीब मिलावट है । रूस और चीन में सभी धर्मों पर भारी ज़ुल्मो-सितम ढहाने वाले अब भारत में इस्लाम के रक्षक होने का ढोंग करने के लिये प्रकट हुए हैं ।

अयोध्या का राम मंदिर हिन्दुओं के लिये वैसा ही महत्त्व रखता है जैसे काबा शरीफ़ मुसलमानों के लिए या रोम और येरुशलम के चर्च ईसाइयों के लिये । फिर क्यों एक ऐसी बाबरी मस्जिद के पीछे मुसलमान पड़े हैं जहाँ नमाज़ तक नहीं पढ़ी जाती, और जो एक हिन्दू मन्दिर को तोड़ कर बनायी गयी है ?

आधुनिक भारत में नकली धर्मनिर्पेक्षता चल रही है । बाकी लोकतान्त्रिक देशों की तरह यहाँ सभी धर्मावलम्बियों के लिये समानाचार संहिता नहीं है । यहाँ मुसलमानों के अपने व्यक्तिगत कानून हैं जिसमें औरत के दोयम दर्ज़े, ज़बानी तलाक़, चार-चार शादियों जैसी घटिया चीज़ों जो कानूनी मान्यता दी गयी है ।

हिन्दुत्व और हिन्दू धर्म सर्वधर्म समभाव के सिद्धान्त में विश्वास रखता है । (ईसाई और मुसलमान ये नहीं मानते)

हिन्दुत्व गाय जैसे मातासमान पशु का संरक्षण करता है ।


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