माकपा का चेहरा और काग्रेस का मौन समर्थन

आज कल नंदीग्राम माकपा काडर के द्वरा जो कुछ हो रहा है उसके बारे मे ना तो आज तक कोई तालीबानी मीडिया बालो ने कहा और न इस देश के प्रधानमन्त्री मनमोहन जी , सोनिया गान्धी या काग्रेस के द्वारा ही कुछ कहा गया हो। आखीर क्या है
उनका मजबुरी, क्या सत्ता का मोह इतना सता रहा है कि इन नेताओ को सच्चाई बोलने मे भी शर्म महसुस हो रही है। गुजरात के बारे मे देर सबेर मुह खोल कर चिल्लाने बाले नेता को आज साप क्यो सुन्घ गया है। शायद सत्ता की दलाली इन्हे रास आ रही है और आम नागरीक मौत पर इन्हे मजा आ रहा है। क्या सिंगूर और नंदीग्राम में जो किसानों का लहू बहा उसका कोई मोल नहीं है ?
14 मार्च को हुई घटना और उसके बाद सीपीएम के बंद के दौरान गायब हुए दो सौ लोगों का अब तक कोई अता-पता नहीं है्. हां। कुछ लाशें हैं जो इलाके में इस हालत में पायी गयी हैं| नंदीग्राम में गैर सरकारी स्रोत बताते हैं कि डेढ़ सौ से ज़्यादा लोग मारे गये. लाशें नदी में बहा दी गयीं. दो सौ लोग अब भी लापता हैं.

एक सच्चाई
18 दिसंबर 2006 को मुंह अंधेरे तापसी मलिक रोज की भांति घर से निकली थी ताकि उजाला होने से पहले वह दिशा मैदान से निपट ले. तापसी निकली ही थी कि कुछ लोगों ने उसे घेर लिया. उसका हाथ-पैर-मुंह बांध दिया गया. वामपंथी गुंडों ने बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया. फिर उसे एक जलती भट्टी में डाल दिया गया. तापसी मलिक का अंत हो गया लेकिन उसके इस दुखद अंत से बंगाल में वह गुस्सा नहीं फूटा जिसे माकपा गंभीरता से लेती. इसलिए नतीजा हुआ नंदीग्राम.
नंदीग्राम में राहत कार्य में लगी डॉ शर्मिष्ठा राय कहती हैं कि नंदीग्राम में हिंसा के दौरान औरतों की योनि को खासकर निशाना बनाया गया है.



तापसी मलिक का जला हुआ शव




औरतों की योनि में गोली मारी गयी और कई मौकों पर उनकी योनि में माकपा काडर ने लोहे की छड़ घुसा दी. एक 35 वर्षीय महिला कविता दास को दो खंबों से बांधकर सामूहिक बलात्कार किया गया. उसके पति ने उसे बचाने की कोशिश की तो माकपा काडर ने उसके बच्चे को रौंदकर मार देने की धमकी दी. अपने बच्चे की खातिर उस व्यक्ति को अपनी पत्नी का बलात्कार सहना पड़ा. 20 मार्च को एक 20 वर्षीय माकपा कार्यकर्ता को सोनचुरा में गिरफ्तार किया गया. उसने स्वीकार किया कि 14 मार्च 2007 को हुए नंदीग्राम गोलीकांड के दौरान उसने एक 13 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया था.
14 मार्च की गोलीबारी एक पुल के पास हुई थी. सीबीआई को शिकायत की गयी थी कि इस पुल के पास शंकर सामंत के घर में 14 औरतों को उठाकर ले जाया गया था. सीबीआई ने अपनी जांच में उस खाली पड़े घर से औरतों के आंतरिक कपड़ों के टुकड़े मिले जिसमें खून के धब्बे लगे हुए थे. गांव के लोगों ने बताया कि उन्होंने उस दिन कई घंटे इस घर में चीख-पुकार सुनी थी. लेकिन घर के चारों ओर माकपा काडरों का मुस्तैद काडर मौजूद था. इसलिए वे लोग वहां नहीं जा सके.
उसके साथ पुलिस की मौजूदगी में बलात्कार किया गया. माकपा काडर ने उसके ब्लाउज फाड़ डाले और उसके निप्पल काट लिये. उसके साथ एक दूसरी औरत जो अस्पताल में इलाज करा रही थी उसका एक गाल माकपा काडर ने काट खाया था. बाद में डोला सेन ने राज्यपाल को जो शिकायत की थी उसमें उन्होंने कहा था कि माकपाई गुण्डों द्वारा इस तरह क्षत-विक्षत की गयी औरतों की संख्या सैकड़ों में है.


माकपा काडर के द्वारा आग मे जलाये गये बच्चे









दूसरी बार नंदीग्राम में जब झड़प हुई तो माकपा कैडर ने एक बच्चे को गोली मार दी. एक महिला उसको बचाने के लिए दौड़ी तो उसको लाठियों से पीटा गया. महिला भाग गयी. इसके बाद माकपा कॉडर ने यह मानकर कि बच्चा उनकी गोली से मर चुका है उन्होंने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. ऐसा उन्होंने लाश को हटाने के लिए किया या फिर अपनी मौज के लिए, पता नहीं. ऐसी कुछ लाशों को उन्होंने वहां दफना दिया और कंक्रीट के स्लैब से ढंक दिया. अन्य लाशों के पेट फाड़ डाले गये ताकि उन्हें पानी में फेंकने पर वे पानी पर तैरने न लगें. काटे गये सिरों को बोरियों में भरा और ले जाकर नहर में फेंक दिया.
यह कहना कि सरकार को कुछ पता नहीं था, ठीक नहीं है. नंदीग्राम का पूरा आपरेशन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और निरूपम सेन की दिमाग की उपज थी. और लक्ष्मण सेन, विनय कोनार, विमान बोस जैसे मंत्रियों और नेताओं ने पार्टी मशीनरी के स्तर पर उन्हें मदद भी मुहैया कराई थी. मुख्यमंत्री भले ही झूठ बोले कि उन्हें इसका तनिक अंदेशा नहीं था लेकिन गृहसचिव प्रसार रंजन रे ने कहा है कि "हमने खुफिया रपटों के आधार पर ही पुलिस बल तैनात किये थे. बेशक मुख्यमंत्री को इसकी पूरी जानकारी थी." वैसे भी मुख्यमंत्री के खिलाफ यह आरोप लगता रहा है कि वे "आदतन पक्के झूठे" हैं. आरएसपी की एक नेता क्षिति गोस्वामी ने सार्वजनिक तौर कहा था कि बुद्धदेव के दो चेहरे हैं, उसमें एक मुखौटा है.
लेकिन बुद्धदेव की सरकार रहते नंदीग्राम का पूरा सच कभी सामने नहीं आ पायेगा. तभी विमान बोस को लगता है कि लोग नंदीग्राम की बातों को जल्दी भूल जाएंगे. लेकिन नंदीग्राम में हत्या, बलात्कार, आगजनी का जो सिलसिला अभी भी छुटपुट चल रहा है उसे वहां के बच्चे भी देख रहे हैं. क्या समय के साथ उनकी स्मृति से भी यह बात मिट जाएगी कि बंगाल का समाज लुटेरों, पेशेवर हत्यारों और बलात्कारियों से भरा पड़ा है.


माकपा काडर के द्वारा बर्बर हिंसा








Digg Google Bookmarks reddit Mixx StumbleUpon Technorati Yahoo! Buzz DesignFloat Delicious BlinkList Furl

0 comments: on "माकपा का चेहरा और काग्रेस का मौन समर्थन"