महाराष्ट्र प्रकरण - हमेशा हिंदू ही क्यों?

महाराष्ट्र में इन दिनों उत्तर भारतीयों को महाराष्ट्र से बाहर निकालने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. शुरूवात की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे जी ने. राज ठाकरे जी को महाराष्ट्र में शिवसेना तथा अन्य पार्टीयों के सामने अपनी नई पार्टी को जनाधार देने के लिए कुछ और मुद्दा नहीं मिला तो उन्होंने उत्तर भारतीयों को ही महाराष्ट्र से बाहर निकालने की मुहिम छेड़ दी. उनके चाचा बाल ठाकरे जी से अपनी पार्टी का वोट बैंक टूटना देखा नहीं गया. उन्होंने तो भी भतीजे से ज्यादा बढ़-चढ़ कर भड़काऊ बयान दे डाले उत्तर भारतीयों के बारे में.
अभी तक जात-पात के कारण बँटे हुए और लड़ते हुए हम हिंदू, हिंदू धर्म के प्रति क्या कुछ कम काम कर रहे थे जो अचानक इन कथित बुद्धिजीवियों ने हमें दिशाओं और क्षेत्रों के हिसाब से भी बांटना शुरू कर दिया?
और हम हिंदू भी सत्ता लोलुप नेताओं द्वारा दिए गए फालतू के क्षेत्रवाद के लिए आपस में लड़ सकते हैं, हिन्दुओं ही को मार सकते हैं लेकिन अपनी मातृभूमि भारत माता, अपने हिंदू धर्म और अपनी सदियों पुरानी दैव संस्कृति की रक्षा के लिए दूसरे धर्म के लोगों से नहीं लड़ सकते.मैं राज ठाकरे जी से कहना चाहूँगा की अगर कोई मुहिम चलानी ही थी तो मुसलमानों को इस देश से बाहर निकालने की मुहिम चलाते! अरे देश से ना सही महाराष्ट्र से ही निकालने की कवायद करते. अपने ही भाई बंधुओ का गला काटने की क्या ज़रूरत थी? मुगलों से प्रेरित हो गए हैं क्या, जो सत्ता के लिए अपने पिता और भाईयों को मार दिया करते थे.
छत्रपति शिवाजी मराठी ही थे लेकिन उन्होंने कभी भी हिन्दुओं को बांटा नहीं. वो हमेशा मुगलों को अपने क्षेत्र से भगाते रहे और उनको नाको चने चबवाते रहे. आज उन्हीं छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में हिंदू ही हिंदू को मार रहा है.
ऐसी घटनाएं छत्रपति शिवाजी के उसूलों को, मराठीयों के नाम को, महाराष्ट्र के गौरव को, हिन्दुओं के सम्मान को और देश के संविधान को शर्मसार करती हैं.

लेखक
मयंक कुमार
Software Engineer
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