चर्च का फरेब ! धर्मान्तरण कैसे कैसे !

1. मानविहिर की शातू बेन गुलाब भाई पवार बतातीं है कि असका पति गुलाब भाई बिमार रहता था। दवाई आदि कराई पर कोई लाभ नहीं हुआ। गांव के पास्टर के कहने पर कि ख्रिस्ती बनने पर ठीक हो जायेगा, गुलाब भाई ने अपना धर्म बदल लिया। असके बावजूद भी उसका स्वास्थ ठीक नहीं हुआ तो पास्टर ने कहा कि शीतू बेन अभी भी भूत, बंदरों की पूजा करती है, वह भी ईसाई हो जायेगी तो ठीक हो जाओगे। शीतू बेन और बाद में उसका पूरा परिवार ईसाई हो गया परन्तु गुलाब भाई ठिक होने की बजाए मर गया ।अब शीतू बेन और उसका पूरा परिवार वास्तविकता को समझ गया है और उनई माता के कुंड में स्नान कर पुन: हिन्दू हो गया है ।

2. जामनविहिर की ही अरूणा चंदू पवार आज से दो वर्ष पूर्व जब 7 साल की थी तो आने गांव में बपतिस्मा क्या होता है - यह तमाशा देखने गयी थी । पादरी ने इस नाबालिग लड़की को भी बपतिस्मा का पानी दे दिया । यह ध्यान रहे कि नाबालिग व्यक्ति का धर्म बदलना कानूनन अपराध है ।

3. धांगड़ी फादर पाड़ा के सुरेश ने बताया कि उसके पेट में हर समय दर्द रहता था। चर्च वाले पास्टर ने कहा कि तुन ख्रिस्ती बन जाओगे तो मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करूंगा और उसने धर्म बदल लिया ।

5. दिनांक 3/1/99 को सूरत जिला के तालुका सोनगढ़ के राशमाटी गांव में रमेशभाई माकड़ियाभाई गामित जो कि खेतों में मजदूरी करता है, को लीमजीभाई छीड़ीयाभाई गांमित (पास्टर) रमेशभाई गामित और पांच अन्य लोंगो ने रास्ते चलते मारा पीटा, फिर चर्च में ले जा कर खंभे से बांध दिया और रात भर इसलिये पीटते रहे क्योंकि वह ईसाई बनने को तैयार नहीं हो रहा था ।रड़तियाभाई बुधियाभाई पवार ने उसे अगले दिन खोल कर छोड़ा । मामले की 7 जनवरी को सोनगढ़ थाने में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गयी ।(दैनिक संदेश सूरत 7/1/99)

6. उधना डिंडोलीरोड़ पर सीतारामनगर सोसायटी सूरत के प्लाट नं. 11 मे मूल उत्तरप्रदेश की रहने वाली उर्मिलाबेन लौजारी विश्वकर्मा नामक एक महिला रहती है, उसकी हिनलबेल नामक बच्ची पोलियो से ग्रस्त है । पहले इस लड़की को ठीक करने के नाम पर चर्च ने इस गरीब परिवार पर डोरा डाला । लड़की न तो ठीक हुई न होनी थी बाद में मजदूरी करके जोड़े गये पैसे से जब उसने अपना छोटा सा मकान बनना शुरू किया तो राजू नामक पास्टर ने उसे धमकाया कि पहले ईसाई बनो फिर मकान बनने दूंगा । लोगों को पता लगने पर इस क्षेत्र में हंगामा हुआ ।(गुजरात समाचार 18-1-99)

7. डांग में इस क्षेत्र के एक पास्टर जल्दूभाई और दूसरे जामनविहिर के पास्टर यशवंत भाई बताते है कि बीमारी और खराब आर्थिक स्थिति के कारण वे चर्च के चंगुल में फँस गये, उनके उपकार से बने होने के कारण वे ईसाई फादर की ईसाई बन जाने की मांग को ठुकरा नहीं सके ।इन दोनो के साक्षात्कार इंडिया टुडे जनवरी 99 में भी छपे है । बाद में ये दोनो और कई अन्य पास्टर अपनी भूल और चर्च की ठगी को समझ कर पुन: अपने मूल धर्म में वापस आ गये ।

8. पीपलवाड़ा तालुका व्यारा जिला सुरत के नानूभाई दिवालूभाई कोंकणी चर्च और उसके ईशारे पर हो रहे अत्याचारों को याद कर आज भी अपनी हँसी भूल जाते हैं । 28 जनवरी 99 को पीपलवाड़ा में उसने बताया कि हम लोग जब पांडर देव की पूजा करते है तो हम पर गुलेलां से हमला और पीटायी होती थी । 17 वर्ष पूर्व शंकर भगवान के मंदिर पर नलिया डाल रहे थे तो ईसाइयों ने हम लोगों की बहुत पिटाई की । तब से मंदिर की मरम्मत करने की भी हम लोग हिम्मत नहीं करते थे । अब दो वर्ष से अम लोग जैसे नरक से मुक्त हुए है, 15 वर्ष बाद इस गांव में गणपति उत्सव मनाया गया है । स्वामी असीमानंदजी के इस क्षेत्र में आने और वनवासी कल्याण परिषद् के कार्यकर्ताओं के कारण ही हिन्दू समाज में फिर से बसंत आया है ।

9.. डांग मे मंदिरो पर हमले और मूर्तियों को खंडित करने का क्रम अब भी जारी है । 19-20 जनवरी 99 की रात को पादलखड़ी के हनुमानजी के मंदिर में आग लगायी गयी । वहां गाय बैल का पूरा अस्थी पंजर डाला गया । मंदिर के प्रांगण में क्रास गाडा गया और मंदिर में लगे देवी देवताओं के फोटो में से 20-25 फाटो जलाये गये । 29-30 जनवरी 99 की रात को धुमकल के मंदिर में स्थापित शिवजी के लिंग को तोड़कर दो टुकड़े कर दिये गये ।दोनों ही घटनाओं की प्राथमिकी दर्ज करने से पुलिस ने पहले तो आना कानी की फिर लोगों के दबाव को दखकर वाद तो दर्ज किया परन्तु नामजद रिपोर्ट होने के बावजूद अभी तक किसी को भी नहीं पकड़ा गया है। अवैध एवं अनैतिक रूप से चारेी छिपे बनाये गये कथिन प्रार्थनाघरों में से कुछ को जलाये जाने की निन्दनीय घटना को पूरी दुनिया में हिन्दू धर्म और देश की बदनामी के लिये प्रचारित किया गया परन्तु मंदिरों पर हुए, हो रहे हमले, मुर्तियों को खंडित करने, मरे हुए गाय बैल की हड्डियां डालकर मंदिरों को अपवित्र करने और संपूर्ण हिन्दू समाज को अपमानित करने की और न तो अंग्रेजी अखबार और न ही वोटों के सौदागर ध्यान दे रहे है ।

10. डांग और उसके आस पास रहते वाला अपना वनवासी समाज चर्च की समाज को तोड़ने वाली और राष्ट्रघाती प्रवृति को समझ चुका है । अज्ञान, लोभ और दबाव में आकर पुर्वजों के हिन्दू धर्म को छोडकर उसने गलती की है, यह महसूस कर अब वह अपने मूल धर्म में वापस आरहा है ताकि घर परिवार, गांव और संपूर्ण समाज में वह शांति से रह सके, अपनी अमूल्ल्य सांस्कृतिक धरोहर को बचा कर रख सके । इसके लिये उनई माता के पुराण प्रसिध्द गर्म पानी के कुंड में डुबकी लगा कर प्रायश्चित करके उनई माता, अंबा माता और भगवान राम के दर्शन करे सैकड़ो लोग प्रतिदिन अपने धर्म में वापस आरहे है ।

ऐसे वापस आरहे बंधुओं पर भी चर्च के ईशारे पर हमले हो रहे हैं । सुडीयाबरडा के लक्ष्मणभाई कनु भाई वाघमारे आयु 35 वर्ष ने 1/1/99 को आहवा पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया कि वह और उसका परिवार 5 वर्ष पूर्ण ईसाई हुआ था । 29/12/98 को अपपनी मर्जी से पुन: हिंन्दू बन गया है इसके कारण गांव के सावलू, गुलाब, चारसू बेन, सीताराम वगैरह 12 लोग एक राय होकर उसके घर पर हमला करने आये और मारपीट की ।(गुजरात मित्र, नव गुजरात सूरत दिनांक 2/1/99)
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