26/11/2008 की घटना के 1 महीना से ज्यादा गुजर गया है। 10 आतंकवादी सिर्फ मुम्बई को ही नही सारे देश को 60 घंटो से ज्यादा के लिये बन्धक बना कर रख लिया था (100 होते तो क्या होता) ताज होटल, नरीमन हाउस, ओबेराय, व छत्रपती शिवाजी स्टेशन सहीत 10-12 जगह हमला किया, ताबड़तोड़ फायरिंग, बम विस्फोट 200 के करीब आदमी मारे गये, जिसमें कई विदेशी भी थे, 300 से ज्यादा घायल, 3 अफसर समेत 14 पुलिस वाले व 2 एन.एस.जी. कमाण्डो शहीद। 9 आतंकी मारे गये और 1 को गिरफ्तार करके फिक्स-डीपोजीट (कभी जहाज का अपहरण होने पर आतंकी हो दे कर जहाज छुराया जा सके, अफजल को भी इसी तरह रखा गया है) में डाल दिया गया। इतना सब होने के बाद नतिजा क्या निकला वही हमेशा कि तरह ढाक के तीन पात। वही आरोप प्रत्योप, वही मिडीया का आतंक से लड़ने का संकल्प, मोमबत्ती जला कर हम एक हैं हम आतंकवाद से नही डरते जैसे तकियानुसी बातें, सुरक्षा ऎजेन्सी और खुफिया ऎजेन्सी पर देषारोपण, सरकार का वही घीसा पिटा व्यान : हम आतंकवाद से नही डरेंगे , हम आतंकवाद का भर्त्तसना करते हैं, आतंकीयों को मुहतोड़ जबाब दिया जायेगा, ये पाकिस्तान का कायराणा हरक्कत है ये, हम पाकिस्तान को नही छोडे़गे , जरुरत परने पर पाकिस्तान में घुस कर आतंकवादी को मारेंगे, इत्यादी-इत्यादी ( ये सब बातें मुझे याद हो गया है)। निन्दा प्रस्ताव, मरेने वालों के लिये शोक संदेश और 20 आतंकियों का वही पुराना लिस्ट जो हिन्दुस्तान 10-12 साल से लिये घुम रहा है।
लेकिन क्या सरकार ने अपना आतंकवाद के सफाया के रवैया में थोडा भी बदलाव लाया है। अफजल अभी तक फिक्सडीपोजीट मे बन्द है। अब एक और एक और आतंकी हाथ लग गया कसाव उसके साथ क्या होगा। उपर से 20 आतंकी का सूची सोचो क्या होगा अगर पाकिस्तान ने ये सभी 20 आतंकी को भारत को सौप दिया तो। हिन्दुस्तान की सरकार इन्हें फाँसी लगा नही सकता है क्यों कि एक समुदाय भड़क जायेगा और इन्हें वोट देना बन्द कर देगा जिससे शायद 10-12 सिट इन्हें कम मिलेगा। क्या होगा अगर ये 20 आतंकि भारत आ गये तो इनका हमारे देश के सरकार उनका क्या करेगा (इस पार आप अपना विचार दें)। अबू सलेम की तरह एक नया राजनीतिक पार्टी बना कर चुनाव के मैदान में ताल ठोकते नजर आयेंगें या फिर किसी राजनितीक दल के जा घुसेंगे और हमारे कर्णधार बन जायेंगे। हो सकता या किसी विशेष समूदाय के होने के कारण राष्टृपति तक बन जाये।
हमारे नेतागण कह रहें है हमारे पास आतंकी के खिलाफ सबूत है कि आतंकि पाकिस्तानी है पक्के सबूत हैं तो फिर आखिर हिन्दुस्तान किस शुभ मुहुर्त का इन्तजार कर रहा है पाकिस्तान पर कार्यवाही करने का। क्या 30-40 और बम विस्फोट और हो जायेगा तब हिन्दुस्तान सोचेंगा कि पाकिस्तान पर कार्यवाही करना है या नही। आखिर क्यों हम हमेशा की तरह इस बार भी अमेरिका का मुँह देख रहें है कि अमेरिका हमें हूक्म दे तो हिन्दुस्तान पाकिस्तान पर हमला करे या फिर सहिष्णुता व अहिंसा के नाम पर शान्ति की वार्ता दुबारा सुरु किया जाय, दोस्ती के नाम पर बस, रेल, प्लेन, बस का आवागमन किया जाय। कार्यवाही के नाम पर अमेरिका का मुँह देखें। हिन्दुस्तान की जगह अगर अमेरिका रहता तो अमेरिका क्या करता क्या अमेरिका। क्या अमेरिका आतंकवाद के खात्मे के नाम पर पर इराक पर हमला नही लिया क्या अफगानिस्तान में आतंकवादीयों को खदेड़-खदेड़ कर नही मारा। एक प्रश्न उठता है क्या ये यह अहिंसा है या कायरता, सहिष्णुता है या हिनभावना या फिर अपने स्वाभिमान का मौत। अगर यैसा नही तो फिर हिन्दुस्तान किस रास्ता पर चल रहा है। क्यों सारे सबूत होने के बावजूद हिन्दुस्तान पाकिस्तान पर कार्यवाही करने से क्यों कतरा रहा है? आज क्यों हिन्दुस्तान अपने स्वाभीमान की रक्षा के लिये अमेरिका जैसा व्यापारी देश का तलवा चाट रहा है क्या कारण है कि हमारे यहाँ के नेता सुटकेस में सबूत का पुलिन्दा बान्ध कर सारे विश्व का परिकर्मा कर रहा है। हमारे नेता क्यों नही वोट प्रेम को छोड़ अफजल को फाँसी पर लटका रहें हैं, लादेन के हमशक्ल को लेकर घुमने बाले नेताओं को देशद्रोह के मामले में जेल में क्यों नही डाला जा रहा है उन्हें पुरस्कार स्वरुप मंत्री पद क्यों दिया जा रहा है। क्यों नही तुष्टीकरण की नीति को छोड़ कर हिन्दुस्तान में पल रहे पाकिस्तान के ऎजेन्ट को किसी चौक चौराहे पर खरा करके गोली मारा जा रहा है। क्यों नही पाकिस्तान के साथ सभी संबन्ध को खत्म किया जा रहा है क्यों शान्ति वार्ता की जगह पाकिस्तान को शस्त्र वार्ता का न्योता नही भेजा जा रहा है। क्यों हमारे देश के कर्णधार राम व कृ्ष्ण के धर्म का पालन करते हूये पाकिस्तान में पल-बढ रहे आतंकि ठिकानों के खत्म करके अपने राजकीय धर्म का पालन क्यों नही कर पा रहें हैं।
लेकिन क्या सरकार ने अपना आतंकवाद के सफाया के रवैया में थोडा भी बदलाव लाया है। अफजल अभी तक फिक्सडीपोजीट मे बन्द है। अब एक और एक और आतंकी हाथ लग गया कसाव उसके साथ क्या होगा। उपर से 20 आतंकी का सूची सोचो क्या होगा अगर पाकिस्तान ने ये सभी 20 आतंकी को भारत को सौप दिया तो। हिन्दुस्तान की सरकार इन्हें फाँसी लगा नही सकता है क्यों कि एक समुदाय भड़क जायेगा और इन्हें वोट देना बन्द कर देगा जिससे शायद 10-12 सिट इन्हें कम मिलेगा। क्या होगा अगर ये 20 आतंकि भारत आ गये तो इनका हमारे देश के सरकार उनका क्या करेगा (इस पार आप अपना विचार दें)। अबू सलेम की तरह एक नया राजनीतिक पार्टी बना कर चुनाव के मैदान में ताल ठोकते नजर आयेंगें या फिर किसी राजनितीक दल के जा घुसेंगे और हमारे कर्णधार बन जायेंगे। हो सकता या किसी विशेष समूदाय के होने के कारण राष्टृपति तक बन जाये।
हमारे नेतागण कह रहें है हमारे पास आतंकी के खिलाफ सबूत है कि आतंकि पाकिस्तानी है पक्के सबूत हैं तो फिर आखिर हिन्दुस्तान किस शुभ मुहुर्त का इन्तजार कर रहा है पाकिस्तान पर कार्यवाही करने का। क्या 30-40 और बम विस्फोट और हो जायेगा तब हिन्दुस्तान सोचेंगा कि पाकिस्तान पर कार्यवाही करना है या नही। आखिर क्यों हम हमेशा की तरह इस बार भी अमेरिका का मुँह देख रहें है कि अमेरिका हमें हूक्म दे तो हिन्दुस्तान पाकिस्तान पर हमला करे या फिर सहिष्णुता व अहिंसा के नाम पर शान्ति की वार्ता दुबारा सुरु किया जाय, दोस्ती के नाम पर बस, रेल, प्लेन, बस का आवागमन किया जाय। कार्यवाही के नाम पर अमेरिका का मुँह देखें। हिन्दुस्तान की जगह अगर अमेरिका रहता तो अमेरिका क्या करता क्या अमेरिका। क्या अमेरिका आतंकवाद के खात्मे के नाम पर पर इराक पर हमला नही लिया क्या अफगानिस्तान में आतंकवादीयों को खदेड़-खदेड़ कर नही मारा। एक प्रश्न उठता है क्या ये यह अहिंसा है या कायरता, सहिष्णुता है या हिनभावना या फिर अपने स्वाभिमान का मौत। अगर यैसा नही तो फिर हिन्दुस्तान किस रास्ता पर चल रहा है। क्यों सारे सबूत होने के बावजूद हिन्दुस्तान पाकिस्तान पर कार्यवाही करने से क्यों कतरा रहा है? आज क्यों हिन्दुस्तान अपने स्वाभीमान की रक्षा के लिये अमेरिका जैसा व्यापारी देश का तलवा चाट रहा है क्या कारण है कि हमारे यहाँ के नेता सुटकेस में सबूत का पुलिन्दा बान्ध कर सारे विश्व का परिकर्मा कर रहा है। हमारे नेता क्यों नही वोट प्रेम को छोड़ अफजल को फाँसी पर लटका रहें हैं, लादेन के हमशक्ल को लेकर घुमने बाले नेताओं को देशद्रोह के मामले में जेल में क्यों नही डाला जा रहा है उन्हें पुरस्कार स्वरुप मंत्री पद क्यों दिया जा रहा है। क्यों नही तुष्टीकरण की नीति को छोड़ कर हिन्दुस्तान में पल रहे पाकिस्तान के ऎजेन्ट को किसी चौक चौराहे पर खरा करके गोली मारा जा रहा है। क्यों नही पाकिस्तान के साथ सभी संबन्ध को खत्म किया जा रहा है क्यों शान्ति वार्ता की जगह पाकिस्तान को शस्त्र वार्ता का न्योता नही भेजा जा रहा है। क्यों हमारे देश के कर्णधार राम व कृ्ष्ण के धर्म का पालन करते हूये पाकिस्तान में पल-बढ रहे आतंकि ठिकानों के खत्म करके अपने राजकीय धर्म का पालन क्यों नही कर पा रहें हैं।
3 comments: on "पाकिस्तान से शान्ति वार्ता या शस्त्र वार्ता"
aap ne bilkul thik kaha .mai ye bhi kahna chahta hu ki india kyon america ko sabut bhez raha hai.aur kyon pakistaan ke zawaab ka intzaar kar raha hai .jabki hum sab jaante hai ki pak ka jawaab kya hoga.izraail aur shrilanka ki tarah kyo nahi terrorist camps ko khatam kar deta
jab tak India ke leader apne desh ke aatankvadion ko nahi pakdenge ve pakistan or America se kaise niptenge. The question is who is terrorist in India. Believe me most of leaders irrespective of the parties are terrorists or have connections with terrorists and getting huge money. That's why India is looking a beggar country in front of America and Pakistan.
Savitari
bahut hi sahi bat hai ............ye desh or sanatan hindu dharm ki bagdor in kayaro ke hath main de dene se yahi din dekhane ko milenge par main to us din se dar raha hu jab atankbadio ki sankhya lakho main hogi.......
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