आतंकवादीयों का धर्म सिर्फ आंतक फैलाना है आखिर किसने बताया कि आतंकवादीयों सिर्फ आंतक फैलाना है क्या नाम है उस आंतकवादी का उस आतकवादी के बारे में हम सभी को पता होना चाहिये। शायद कोई नही है यह सिर्फ भर्म फैलाया जा रहा है कि आंतकवादी का धर्म सिर्फ आतंक फैलाना है। सबसे बडी़ बात है कि हमारे देश के रहनूमा इस देश से आतंकवाद का खात्मा करना ही नही चाहते हैं। हमेशा हर आतंकवादी घटना के बाद हमारे प्रधानमंत्री का रटा - रटाया ब्यान आता है पाकिस्तान का हाथ हैं तो अगर पाकिस्तान का हाथ है तो हमें हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने चाहिये। निर्दोश नागरिकों को तड़प-तड़प के मरने देना चाहिये क्या करना चाहिये अगर पाकिस्तान का हाथ है तो। पाकिस्तान के पास परमाणु बम है तो क्या हमारे पास छुरछुरी है। क्या पाकिस्तान अमेरीका जैसा महाशक्ती है जिसके भिख से हमार देश पल रहा है। अखिर क्या कारण है पाकिस्तान जैसे अदना सा देश से हमारे नेता डर कर बैठे हैं। पाकिस्तानियों से तो लड़ने के लिये हमें आर्मी का जरुरत भी नही पडे़गा सिर्फ बिहार में रहने बाले बेरोजगार अपना डंडा ले कर चले गये तो सभी पाकिस्तानीयों की घीघ्घी बंध जायेगा। लेकिन क्या कारण है कि हमारे प्रधानमंत्री पाकिस्तान को सिर्फ एक बन्दर घुरकी तक मारने के नाम से पसीना छुटता है। क्या हमारे देश के नेता इसका कारण बतायेंगे। कारण सिर्फ एक है हिन्दुस्तान में रहने वाले पाकिस्तान सर्मथक कही नाराज ना हो जाये उसका वोट पाने के लिये हम आतकवाद से लड़ने नही चाहतें हैं। बस नित्य नये वहाने बना कर अगला आतंकवादीयों के घटना का इन्तजार करते हैं और फिर से वही बेतुकी ब्यानवाजी का सिलसीला सुरु हो जाता है। हर आतंकवादी घटना के बाद रामविलास पासवान, लालू प्रसाद यादव, काम्यूनिष्ट जैसे सिमी सर्मथक नेताओं के भी अन्दर देशभक्ती का ज्वार फूटने लगता है।
हम सभी जानते हैं कि हिन्दुस्ताने में कौन है जो आतंक फैला रहा है और उसका कारण भी क्या है सभी जानते हैं। आखिर क्या कारण है कि सिर्फ हिन्दूओं कि ओर से आवाज आती है कि निरोधक कानून लगाया जायें। यहां तक कि कुछ राजनितीक पार्टीयाँ सिर्फ इस लिये निरोधक कानून इस देश में नही लागा रहा है कि हिन्दुस्तान में रह रहें आतंकवादीयों के खिलाफ सोफ्ट पालिसी रखने वाले उस पार्टी को वोट नही देगा। मुम्बई में जो कुछ हुआ सारा देश देखा और तो और अब आगे जो कुछ नही होगा उसे भी हम देखेंगे । आज आतंक की लडाई में हिन्दुस्तान का नम्बर 0 है शुन्य यह राष्टृ आतंक की लडाई में नपुंस्क है। अगर हिन्दुस्तान आतंकवादियों से लडना चाहता है तो सबसे पहले कार्यवाही वैसे तत्वों से लड़ना होगा जो आतंकवादियों के साथ मेल-जोल रखतें है। क्या किसी ने सोचा है कि आखिर पाकिस्तानीयों को मुम्बई के रास्तो का पता कैसे चला उन्हें कैसे पता चला कि ताज होटल कहां है। ताज होटल का गेट किधर है आखिर किस ओर से ताज होटल में घुसा जाता है। किसने बताया मुम्बई के रास्तो का आखिर किसने बताया ये सब। कुछ समाचार चैनल वालों के अनुसार कुछ आंतकवादी नरीमन प्वांट के एक घर में पिछले छ: महीना से रह रहा है। आखिर कैसे एक आतंकवादी हमारी अपनी ही धरती में रह कर छ: महीना से इस देश को बर्बाद करनें का शाजिश रचता रहा है और हामारे किसी खुफिया एंजेसी को पता नही चला। हिन्दुस्तान ही एक यैसा देश है जहाँ 9 तरह के खुफिया एंजेसी काम करती है और सबसे ज्यादा आतंकी हमला भी हिन्दुस्तान में ही होता है। नेता इस बारें में कुछ करने धरने वाले नही है हर आतंकवादी हमले के बाद उनके पास रटा - रटाया एक ब्यान है आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ है। मुम्बई में आतंकी हमले के सिर्फ 2 घंटे बाद समाचार चैनल में ये खबर आने लगा कि सरकार की तरफ से ब्यान आया है कि इस घटना में पाकिस्तान का हाथ हैं क्या सरकार के खोजी मंत्री ये बतायेंगे की आखिर हिन्दुस्तान का कौन सा खुफिया एंजेसी है जो कि सिर्फ दो घंटा में पता लगा लिया कि आतंकी हमला में पाकिस्तान का हाथ है और अगर खुफिया एंजेसी इतना तेज है तो फिर 26 आतंकी समुन्द्र के रास्ते हमारे देश में घुस गये किसी नेता और खुफिया एंजेसी को क्यों नही पता चला। अरे जब अपना सिक्का अगर खोटा हो तो दुसरे को गाली देने से कोई फायदा नही। क्या सही में हम लडना चाहते है आतंकवाद से। मैं एक प्रतिष्ठीत समाचार पढ़ रहा था उसमें लगभग सब जगह सिर्फ मुम्बई आतंकवाद और आतंकवादीयों का चर्चा नजर आया लेकिन कही भी नही लिखा था कि ये आतंकवादी मुस्लमान है लेकिन एक जगह बाक्स बना कर उसे अच्छी तरह हाइलाइट करके उसमें लिखा था कि 20-22 साल के युवक जिसके एक हाथ में ए.के.47 था और दुसरे हाथ में कलावा (पुजा में हिन्दुओं के द्वारा बाधें जाने वाला रक्षा शुत्र) जिसके कारण ये आतंकवादी हिन्दु आतंकवादी है। सोच सकते हो आज आंतकवादीयों क पहूँच कहा तक हो गया है।
मुझे हिन्दुस्तान के पुलिस, आर्मी और खुफिया एंजेसी पर किसी तरह का कोई शक नही है उन्हें 1 सप्ताह के लिये गृह मंत्रालय के अन्दर से हटा दिया जाये ये जाबांज सिर्फ जमीन पर रहने वाले आतंकियों को ही नही अगर किसी के गर्भ के अन्दर भी छिपा होगा तो ये उसे ये पाठ पढा़ देगे इसमें किसी भी हिन्दुस्तानीयों को शक नही है। लेकिन क्या किया जाय हमने अपने आस्तिन में ही सांप पाल कर रखे हैं और हमारे रहनुमा उस सांप को दुध पीला कर तैयार कर रहें हैं जो मैका मिलने पर हमें ही काटने को तैयार हैं। हर आतंकी घटना के बाद हमारे प्रधानमंत्री जी का ब्यान आता है हम आतंकवादी से लडेंगे आज तक प्रधानमंत्री जी ने कभी नही बताया कि कब लडेंगे और कितने मासूम के खुन बहने के बाद लड़गे। आतंक से लडाई का शुभ मुहुर्त आखिर कब आयेगा। प्रधानमंत्री के अनुसार हमारा कानून इन आतंकीयों से लडने के लिये सक्षम है। हमारे प्रधानमंत्री के मुह से मिठा मिठा बातें तो निकलेगा ही क्यों की खुद तो सुरक्षा के लिये हिन्दुस्तान के सबसे काबिल कंमाण्डो के साथ घुमतें है सोनिया गाँधी और उनके बच्चों के लिये तो सुरक्षा के सभी उपाये किये गये चाहे उसके लिये कानून का ही संसोधन क्यों ना करना परे। उन सबके लिये तो कानून सख्त है लेकिन हम मासूम के लिये आतंकवाद रोकने के लिये कौन सा कानून है अगर हमारा कानून इतना सक्ष्म है तो फिर हर 10 वे दिन ये आतंकी घटना क्यों क्या प्रधानमंत्री बतायेंगे। अगर इनमें सक्षम कानून बनाने का ताकत नही है तो फिर गद्दी छोड़ क्यों नही देते।
आतंकवादीयों से अब हम आम जनता को ही लडना होगा क्यों कि ये देश भी हमारा है इस देश पर मुसीबत आतें ही विदेशी तो अपने बाल बच्चे के साथ इटली चले जायेंगे। हम कहाँ जायेंगे। चुनाव नजदीक है वोट डालने जरुर जाये वोट डालने से पहले आँख बन्द करके एक बार उन चित्तकार करते हुये चेहरा को जरुर देख ले जिसका अपना इस आंतकी घटना में मारा गया है फिर अपना वोट डाले।
4 comments: on "आंतकवादीयों से कोई उसका धर्म तो पुछ लो।"
koi dharm hatya kee bat nahi karta. narayan narayan
कम से कम अब तो हिन्दुओं को एक हो जाना चाहिये, जब मुस्लिमों को लेकर धर्मनिरपेक्षता ध्यान नहीं आती, तो हिन्दू इस पर क्यों चले.
mai bhi yahi kahoonga un kam buddhi ke vyaktiyon se jo aankh band karke vote dalte hain ve jaag jaen aur ek majboot party ko vote den jo BHARAT ke hit me sonchti ho.
धर्मयुद्ध के ब्लॉगर महोदय !!!
बहुत सही लिखा है आपने इस लेख में !
आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता, ये बात तबतक कही जाती है जबतक कि उसमें मुस्लिम आतंकी होते हैं, किन्तु जब राजनीतिक फायदे के लिए कतिपय आम हिन्दु जनमानस के श्रद्धास्थल साधु-सन्तों को निशाना बनाया जाता है तो यही मीडिया "हिन्दू आतंकवाद" का राग अलापने लगती है ।
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