साध्वि प्रज्ञा सिंह काग्रेस सरकार के गले कि फांस बन गई है अब काग्रेस इस मुद्दे को ना निगल पा रही है और ना उगलने में बन रहा है। हो भी क्यों ना बिना विचारे जो करे वो पिछे पश्चाताये कहावत चरिथार्थ हो रहा है। मुद्दाविहीन और संवेदहीन काग्रेस सरकार लालू यादव, राम विलास पासवान और अब अमर सिंह जैसे नेताओं के द्वारा लगभग पाँच साल तक खिंचा लेकिन इस देश को काग्रेस सरकार जिहादी विस्फोट के अलावा और कुछ दे नही पाया, जिसके नतीजतन काग्रेसी रणनीतिकार ने एक नया सगुफा छेड़ना पडा़ और हिन्दु आतंकवाद का नया राग छेड़ना सुरु किया लेकिन नया राग बेसुरा हो गया नतिजा काग्रेस रणनीतिकार को उसी तरह मुह कि खानी पडी जैसे कभी जवाहर लाल नेहरु द्वारा सरदार पटेल के हाथ से काश्मिर को अपने हाथ में लेकर नासुर बना कर किया, इन्दरा गांधि के द्वारा इमरजेन्सी लगा कर हिन्दुस्तानीयों को अपने घर में कैद कर दिया था , राजीव गांधी के द्वारा श्री लंका में अपने 3000 हजार सैनिकों को जान से हाथ धो कर करवाया था। लेकिन साध्वि प्रज्ञा सिह का मुद्धा कुछ ज्यादा तुल पकड लिया है सरकार के सामने अब समस्या है कि साध्वि प्रज्ञा सिंह को झूठे मुद्दे में पकड तो लिया गया है लेकिन झूठे सबूत कहा से पैदा करे। साध्वि प्रज्ञा सिंह का बार बार वैज्ञानिक विधी द्वारा टेस्ट करवाया गया लेकिन हमेशा ढाक के दो पात कुछ नही निकला, आज फिर से नार्को टेस्ट होने जा रहा है। इस मामले में कुछ नेताओं का समाजवादी कुरुप चेहरा भी देखने को मिला। जो एक ओर खुलेआम जिहादी आतंकियों का समर्थन करते नजर आते हैं और दुसरी ओर निर्दोश हिन्दु के बारे में कहा गया कि इन्हे बीच चौराहा में गोली मार देना चाहिये। सरकार एटीएस से झुठ पर झुठ बुलवाये जा रही है। किस तरह से झूठ का सहारा लेकर साध्वि को फँसाया जा रहा है एटीएस के बयान से समझ में आ जाता है।
एटीएस के अनुसार साध्वि प्रज्ञा सिंह का जन्म ग्वालियर में हुआ है लेकिन साध्वि प्रज्ञा सिंह का जन्म भिंड नामक शहर में हुआ थ। और पढा़ई के लिये ग्वालियर गई थी। साध्वि प्रज्ञा सिंह का हिन्दु सगठन से सबन्ध के बारे में भी एटीएस का बयान में सदेह नजर आ रहा है। सबसे पहले साध्वि प्रज्ञा सिंह का सबन्ध विश्व हिन्दु परिषद से बताया गया लेकिन विश्व हिन्दु परिषद में महिला को सदस्य नही बनाया जाता है । बाद में एटीएस और काग्रेस सरकार ने अपना सुर बदला और बजरंग दल और हिन्दु जागरण मंच का कार्यकर्ता बताया गया लेकिन इन दोनो सगठन में महिला को सदस्य नही बनाया जाता है। इस मामले में कांग्रेस एटीएस को जब हताशा हाथ लगा तो नित्य नये संगठन का नाम साध्वि प्रज्ञा सिंह के नाम के साथ जोड़ दिया गया। दुसरी ओर साध्वि प्रज्ञा सिंह का हिन्दु संगठन से वास्ता श्री राम आन्दोलन से हो गया था और वह बचपन से राम मंदिर का प्रचार करना सुरु कर दिया था। कुछ और भी बातें जो कि मिडीया द्वारा कुप्रचार किया जा रहा है उसके बारे में भी हमें जानना चाहिये। साध्वि प्रज्ञा सिंह का विश्वविद्यालय छात्र संघ का पदाधिकारी लेकिन साध्वि प्रज्ञा सिंह कभी भी आज तक चुनाव लडी़ नही हैं तो वे कैसे बन गई किसी छात्र संघ कि पदाधिकारी इस मामलें भी एटीएस और मिडीया का दुष्प्रचार नजर आ रहा है।
इस मामले मे अब साध्वि प्रज्ञा सिंह कटघरे में खरी नही दिख रही हैं कटघरे में कांग्रेस मिडीया और एटीएस है। कांग्रेस एटीएस को इस मामलें में इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस सीबीआई की स्पेशल टास्क फोर्स का अपने राजनितीक हित को साधने में इस्तेमाल कर रही है। जो कि देश और समाज के लिये खतरनाक है। एटीएस अभी तक झुठ का पुलिन्दा लिये खडा है। नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिग इत्यादी टेस्ट का नतिजा जब कुछ नही निकला तो साध्वि प्रज्ञा सिंह के साधना का हवाला दिया जाने लगा कि साधना के बल पर साध्वि अपने मन को अपने बस में कर लेती है लेकिन क्या एटीएस और कांग्रेस सरकार बतायेगा साध्वि के और जो भी साथी पकडा़ये हैं क्या उनके मन को भी साध्वि प्रज्ञा सिंह अपने साधना के द्वारा काबु में कर लेती है जिसके कारण नार्को टेस्ट का नतिजा शुन्य निकल कर आ रहा है। क्या जबाब है कांग्रेस के पास। कुछ अहम सवाल दिमाग में कौधता है जैसे साध्वि का टेस्ट मुंबई की ही फॉरेंसिक लेबोरेटरी में क्यों बार बार करवाया जा रहा है जबकि बैगलोर का फॉरेंसिक लेबोरेटरी को सबसे अच्छा लेबोरेटरी का दर्जा प्राप्त है। साध्वि प्रज्ञा सिंह को स्पेशल पुलिस सिर्फ इस लिये पकडा़ कि मालेगांव में विस्फोट बाले जगह पर एक मोटर बाईक मिला जो 4 साल पहले साध्वि का था जो किसी आदमी को बेच दिया गया क्या स्पेशल टास्क फोर्स मोटर बाइक के मालिक को खोजने का कोशीश किया।
पुरे मामले को देखे तो अब कांग्रेस खुद अपने बनाये जाल में फंस चुकी है साध्वि प्रज्ञा सिंह को बिना किसी सबूत के अपने राजनितीक फायदे के लिये गिरफ्तार कर तो लिया गया लेकिन सबुत के नाम पर हाथ में कुछ है नही और स्पेशल टास्क फोर्स के काम के उपर भी सवालिया निशान लगवा दिया है। विदेशी पैसा, राजनितीक पार्टीयों के द्वारा और चर्च के आदमीयों के द्वारा चलाया जा रहा कुछ मिडीया तो पहले से भडोसे लायक नही है|
2 comments: on "हिन्दु आतंकवादी: कांग्रेस खुद फंसी अपने जाल में"
एटीएस की जांच प्रक़ृया एवम सबुतो के बारे मे जिस प्रकार की जानकारीयां मिडीया द्वारा मिल रही है उस को देख कर लगता है की कोई ऐजेंसी ने स्टींग अपरेशन की कार्यविधी अपना कर साध्वी एवम अन्य लोगो को फंसाया है। कोई भी योजनाकार अपनी मोटरसाईकिल का प्रयोग धमाके मे नही करेगा। जिस प्रकार की फोन ट्रांस्क्रीप्ट दी गई है वह प्रि-प्लांड स्टीग़ की तरह लगती है। इन चीजो से हिन्दु संगठनो को सबक लेना चाहिए। उनको यह समझना होगा की उनके निर्दोष वार्तालाप का प्रयोग कोई विधर्मी एजेंसी उनको फंसाने के लिए कर सकता है। दुसरी बात हमले से बढ कर हिफाजत की कोई रणनिती नही होती है। हिन्दु संगठनो को भी स्टीग अपरेशन करने के लिए विशेषज्ञो की टोली गठन करनी चाहिए। कांग्रेस चाहती है की हिन्दु-मुस्लमानो के बीच ज्यादा से ज्यादा घृणा के बीज बोए जाए। कांग्रेस पार्टी मुसलमानो का भला नही चाहती है- वह तो चर्च के हित मे काम कर रही है।
कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए इस हद तक गिर सकते हैं यह तो हमारे लिए सोचना भी सम्भव नहीं है. कांग्रेस की मुखिया एक विदेशी ईसाई है, उस के द्वारा मनोनीत किया गया प्रधानमन्त्री सिख है, पर एक बड़ी संख्या हिन्दुओं की है. यह कैसे हिंदू हैं जो हिंदू आतंकवाद जैसे घटिया शब्द गढ़ रहे हैं. इन्हें शर्म नहीं आती, अपने धर्म को इस तरह गालियाँ देते हुए. कल अगर जरूरत पड़ी तो यह लोग अपनी मां को भी आतंकवादी कहना शुरू कर देंगे जरा से फायदे के लिए.
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