गुजरात दंगा में नरेन्द्र मोदी को न्यायमूर्ति जीटी नानावटी और न्यायमूर्ति अक्षय कुमार मेहता जांच आयोग ने क्लीन चिट दे दी है। नानावटी आयोग का कहना है कि 2002 में हुऎ दंगे में नरेन्द्र मोदी का, या उनके किसी मंत्री का, पुलिस का या सरकारी तंत्र का किसी तरह का हाथ नही है साथ में नानावती आयोग का ये भी कहना है कि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में जो आग लगी थे वो किसी तरह का कोई दुर्घटना ना हो कर एक सोची समझी साजिश कि तहत मर्द, दुधमुहे बच्चे, औरतों और बुढो़ को जिन्दा आग में जला कर तड़पा - तड़पा कर आग में झोक कर मारा गया। मौलवी उमर और उसके 6 साथी ने इस साजिश को रचा और रजाक कुरकुर और सलीम पानवाला ने 26 फरवरी 2002 को 140 लीटर पेट्रोल खरीदा था और उन्हें कंटेनरों में रखा था। शौकत लालू, इमरान शरी, रफीक, सलीम जर्दा, जबीर और सिराज बाला ट्रेन को जलाने में लिप्त थे।
लेकिन असली बाते तो अब होगी। फिर से कंलक का पिटारा खुलेगा, आतंकवादियों को मारने के एवज में दिया गया नया नाम मौत का सौदागर नरेन्द्र मोदी को फिर नया नाम और इनाम देंगें । काग्रेस, किश्चियन मिडीया और तथाकथित देश के बुद्धिजिवी सेकुलर पंथी जिसने कसम खा रखी है कि इस देश को दुसरा पाकिस्तान बना कर दम लेंगे। उन्हें मुस्लमानों में किसी तरह का कोई गलती दिखता नही है। चाहे वो ट्रेन जलायें या इस देश में बम विस्फोट कर के आम नागरीक का जान लें, आतंकवादियों के सर्मथन में दंगा करें तोड-फोड़ करे सब सही है। वो पाक साफ हैं और सारा गलती हिन्दु करते हैं। गोधरा में ट्रेन में आग लगा कर मासुमों का जान लेने बालों को बचाने के लिये सेकुलर पंथी नें क्या नही किया। अब तर्क, वितर्क और कुतर्क से ये सिद्द करने का कोशीश करेंगे कि ट्रेन में आग अन्दर से लगी ( मतलब एक साथ S-6 और S-7 के आदमी सामूहिक आत्महत्या चलती ट्रेन में कर के विश्व किर्तीमान स्थापित करना चाह रहें होगें)। लेकिन ये बात जमी नही और बुद्दीजिवी वर्ग सेकुलर पंथी को अपने मुह में तमाचा खाने के बाद जब ये न्यायमूर्ति जीटी नानावटी और न्यायमूर्ति अक्षय कुमार मेहता रिपोर्ट के आने के बाद बुद्धिजीवि सेकुलर पंथी ये सिद्ध करने का कोशीश करेगें कि हिन्दुस्तान के न्यायमूर्ति कम अक्ल हैं और उन्हें न्याय देना नही आता है या रिटार्यमेंन्ट के बाद न्यायमूर्तियों को सरकारी पोस्ट चाहिये वैगेरह वैगेरह।
लेकिन जनता मुर्ख नही है हमें सब पता है महीना में
1-2 बम विस्फोट होने के बाद भी आतंकवाद निरोधक कानून नही बना पाये और जो पोटा कानून था उसे हटाने के बाद कहते है पोटा सक्षम कानून नही था। पोटा कानून के बाद भी आतंकवाद की घटना हुई थी। तब तो हिन्दुस्तान हर एक कानून को हटा देना चाहिये क्यों की हत्या, बलात्कार, चोरी, अपहरण का कानून रहते हूऎ भी वौसी घटना हो रही है। तो हटा दो सब कानून । लेकिन इन बुद्धिजीवि सेकुलर पंथी से वहस करने कौन जाये। जब इनके घर में आग लगेगा तभी आग का तपिस मालुम चलेगा।
7 comments: on "हाय रे ये क्या हो गया नरेन्द्र मोदी बेदाग कैसे बच गया।"
@लेकिन इन बुद्धिजीवि सेकुलर पंथी से वहस करने कौन जाये। जब इनके घर में आग लगेगा तभी आग का तपिस मालुम चलेगा।
आप सही कह रहे हैं. किसी को न किसी मरने वाले से सहानुभूति है और न मारने वाले से. सब वोटों के लिए छाती पीट रहे हैं. इन की दुकानदारी तभी तक है जब तक लोग एक दूसरे को मारते रहेंगे.म. पर ऐसा होगा लगता नहीं. जिस दिन लोगों को अक्ल आ गई इन का धंधा ख़त्म. पर ऐसा होगा लगता नहीं. अब तो वाईस चांसलर जैसे लोग भी आतंकवादियों के हिमायती बन रहे हैं.
सेकुलरिज़्म के सरताज महेश भट्ट और लालू के विचार कितने मिलते-जुलते हैं… दोनों एक ही सुर में बोल रहे हैं, कोरस में हैं शबाना आज़मी… जय हो सेकुलरिज़्म की…
ऐसे लोग ही देश को बर्बाद कर रहे हैं।कथित बुद्धिजीवी और धर्मनिर्पेक्ष लोगों को आतंकवाद नज़र्हि नही आता
यही तो चिंता का सबब है,कैसे बच निकला?
आलोक सिंह "साहिल"
sanch ko aanch kaha
sanch ko aanch kaha
sanch ko aanch kaha
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