काग्रेस गलियारे में एक नया तमाशा देखने को मिल रहा है । बटला हाउस इलाके में 19 सितंबर को आतंकवादियों से मुठभेड़ हुआ था । फैशन मैन श्री शिवराज पाटिल जी ने दुख: से या बेमन में ही सही लेकिनी आतंकवादियोंको सबक सिखाने की बात कह दिये जैसा कि वो करना नही चाहतें है। (कपडा बदलने से फुर्सत मिले तभी तो करेंगे)। लेकिन हमारी तरह मुर्ख जनता को मुह दिखाना है और अभी लगता है एक-दो बार और चुनाव लडना है इस लिये कभी-कभी आतंकवादियों के विरुद्ध बोल देतें है। आतंकवादियों के खिलाफ बोलना या आतकवादिंयो के खिलाफ किसी तरह का कारवाही करना कांग्रेस धर्म के खिलाफ है। इस लिये आतंकवादियों के बचाब में एक मंत्रालय और दो मंत्री बीच में कुद गये। मुस्लिम मानव संसाधन मत्री श्री अर्जुन सिंह जी का मंत्रालय और खुद श्री अर्जुन सिह जी आतंकवादियों के
बचाब में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के कुलपति मुशीर उल हसन के साथ ताल ठोकते हुये मैदान में कुद गये।
आज हिन्दुस्तान की स्थिती इस कदर खराब हो चुका है कि आतंकवाद से लोहा लेने बाले पुलिस के लिये सरकार के पास पैसा नही और सहानुभूति के दो शब्द नही है और आतंकवाद को सहायता और सर्मथन देने बालों की होड़ लगी हुइ है। जब १९ सितम्बर को दिल्ली के ओखला स्थीत बाटला हाउस में पुलिस तथा राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड आतंकवादियों के छुपने के एक ठिकाने पर छापा मार कर दो आतंकवादियों को मार गिराया और सैफ़ नामक एक आतंकवादी को जीवित गिरफ्तार कर लिया गया जबकि दो आतंकवादी भागने में सफल हो गये थे। शुक्रवार के दिन हई इस मुठभेड़ में स्थानीय मुस्लिम बाहुल्य आबादी में कुछ लोग ऐसे भी थे जो इस मुठभेड़ को फ़र्जी तथा मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने वाली मुठभेड़ बताने की कोशिशें कर रहे थे जबकि अनेकों मुसलमान व आम दर्शक ऐसे भी थे जिन्होंने इस मुठभेड़ को अपनी आंखों से देखा।
काग्रेस सरकार पहले से आतंकवाद को रोकने का मद्दा दिखाई नही देता था। तर्क वितर्क से द्वारा आतंकवाद निरोधक कानून को हटाया गया और कोई नया कानून नही बनाना आतंकवाद का मौन सर्मथन था। लेकिन काग्रेस सरकार के दो मंत्री अब खुल कर आतंकवाद के सर्मथन में आ गये। और काग्रेस के और किसी नेता और मंत्री द्वारा इस बात का विरोध ना करना भी आतंकवाद का ही सर्मथन माना जायेगा।
अब सरकार को ये बताना होगा कि आतंकवाद के सर्मथन में तो सरकार खडी़ है जो गिरफ्तार किये गये आतंकवादियों का कानूनी सहायता प्रदान करेगी। लेकिन गिरफ्तार किये गये आतंकवादियों के खिलाफ क्या गृहमंत्रालय ईमान्दारी से कानूनी लडा़इ लडे़गा शायद नही। काग्रेस के द्वारा उठाये गये हर एक देश विरोधी गतीविधी आज इस देशा के लिये नासुर बन बैठा है चाहे वो काश्मिर का मामला हो, आतंकवाद तुस्टिकरण, बाग्लादेशी घुसपैठी का मामला। काग्रेस सरकार किसी भी तरह सत्ता में जोंक की तरह चिपकी रहती है और जोंक की ही तरह जिसमें चिपकता है उसी का खुन भी चुसता है काग्रेस का भी यही हाल सत्ता के लिये काग्रेस कीसी भी हद्द तक नीचे गिर सकता है। लेकिन आम जनता चुनाव के वक्त काग्रेस से एक एक बात का हिसाब जानना चाहेगी कि दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के परिवार को देने के लिये सरकार के पास पैसा नही लेकिन आतंकवादियों को संरक्षण और
बढावा देने के लिये सरकार के पास कहा से इतना पैसा आ जाता है।
3 comments: on "काग्रेस आतंकवादियों के नये संरक्षक"
शहीदों की चिता पर अब कहां लगेंगे मेले
अब तो ऐसे लोग शहीदों की चिताओं पर रोटियां सेककर खायेंगे
आपने गलत कहा। कांग्रेस आतंकवादियों के नये संरक्षक नहीं बल्कि पुराने संरक्षक है। भगवान बचाए भारत को सोनिया पार्टी से।
इस प्रकार सरकार और सरकार के लोग आतंकवादियों को मदद कर उनके लिए आगे का मार्ग प्रशस्त कर रहें है .
खेदजनक .
Post a Comment