अमेरिका के दो टावरों टूटे तो उसने दो मुल्को को तहस-नहस कर दिया. आप अभी भी मौन हैं. प्रश्न करती हैं उन बेवाओ की आँखें जिन्होंने जयपुर के आतंकवादी हमले में अपने पति खोये हैं, बच्चे खोये हैं. प्रश्न है की आखिर सर्वोच्च-न्यायालय के आदेश के बाद भी संसद भवन पर हमला करने वाले अफजल को फाँसी क्यों नहीं दी गई. जयपुर काण्ड के बाद क्या जयपुर के हवा-महल में सार्वजनिक तौर पर अफजल जैसे आतंकवादी को फाँसी नहीं होना चाहिए? जिससे एक बार तो कम से कम आतंकी सोचे की भारत में आतंक फैलाने का प्रतिफल क्या हो सकता है.
अब तो करलो बुद्धि मित्र ठिकाने पर,
संसद भी रखी है आज निशाने पर.
नौ-नौ सिंहों को खोकर भी खामोशी,
कब टूटेगी सिंघासन की बेहोशी?
अंधे लालच का सिंधु भर के चित में.
धृतराष्ट्र हैं मौन स्वयम सुत के हित में.
वरना वो खूनी पंजे तुड़वा देते.
अब तक अफजल पर कुत्ते छुड़वा देते.
-कवि सौरभ सुमन
2 comments: on "अफजल पर कुत्ते छुड़वा देते"
अफ़ज़ल तो तर माल खा रहा है. दामादों की क्या खातिर होती होगी जो सरकार उसकी कर रही है. कातिलों को सजा देने से मुसलमानों के वोट न कट जायें, इस डर ने सरकार को नपुंसक बना दिया है.
Aapne man ki baat kahi, hamesha yahi sochta hu ki kal tak jo aatankwaad jammu kashmir tak hi tha aaj pure desh mein fail gaya hai.. kyon? kyonki hamari sarkaar ghatiya hai, kamine hai neta sale, sale suar blast ke baad bhi marne walo par jhuta shok karke ke apni aukaat par aa gaye. aur ek dusre par keechad uthane lage. kasam se mera bas chale to sabse pahle inhi ko saja du mai.-
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