सिर्फ एक सुभाष चाहिये

हर रात में किरण की एक आश चाहिये,
सबके दिलों में एक विश्वास चाहिये,
भारत बनेगा फिर से विश्व गुरु
माँ भारती को सिर्फ एक
सुभाष चाहिये

जय हिन्द

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5 comments: on "सिर्फ एक सुभाष चाहिये"

निर्मला कपिला said...

bahut hi uttam vichaar hain bdhaai
is mahan krantikari ko shat shat parnaam

Udan Tashtari said...

जय हिन्द

Anonymous said...

भाई, जब तक भारत भूमि में सुभाष को कुत्ता कहने वाले कमुनिस्ट और उनका नाम गुमनाम करने के पापी नेहरूवादी कांग्रेसी मौजूद हैं, सुभाष को फ़िर से पैदा होने से भी घिन्न आयेगी. हालांकि आज कमुनिस्ट सुभाष एवं भगतसिंह को कमुनिस्ट होने का भ्रम फैला रहे हैं और उनका तिरस्कार करनेवाली कांग्रेस सुभाष के नाम पे अपनी पीठ थपथपा रही है. वैसे आपकी कविता सामयिक व सुंदर है और विचार बहुत ही प्रासंगिक हैं. जय हिंद.

pandit visnugupta said...

jai hindu
jai hindu sthan