गुजरात मे चुनाव खत्म हो गया है नरेन्द्र भाई मोदी का किस्मत का फैसला कुछ दिन मे आ जयेगा और तालिबानी मीडिया कलन्क को धो देगे। इस चुनाव मे नया तमाशा देख्नने को मिला इसे हम मौत का सौदागर कह सकते है। इस चुनाव के खत्म होने पर आम जनता के दिल और दिमाग मे एक प्रश्न बार-बार घुम रहा है कि कौन है इस देश मै का मौत का सौदागर नरेन्द्र मोदी या सोनिया गांधी, क्रांग्रेस, यूपीए सरकार।
सोहरा बुद्दीन मुठभेड़ का जायजा ठहराकर और गुजरात की धरती को आतंकवाद से मुक्त कराने की बात कहकर नरेन्द्र मोदी ने मानो कोई जद्यन्य अपराध कर दिया है और वे देश के छदम धर्मनिरपेक्ष राजनैतिक दलो, बुद्धिजीवियों, मीडिया और चुनाव आयोग की आंख की किरकिरी बन गए है। यह और बात है कि वे उसने प्रखर राष्ट्रवाद और गुजरात के विकास पुरुष होने के कारण गुजरात वासियों की आंखों का तारा बने हुए है। चुनाव आयोग ने अपनी सजगता और तत्परता दिखाते हुए तुरन्त-फुरन्त मोदी को नोटिस जारी कर दिया। सारा देश जानता है कि देश में आतंकवाद को लेकर छिड़ी इस बहसको कांग्रेस सोनिया गांधी ने प्रारंभ किया था। उन्होने अपनी चुनावी सभा में नरेन्द्र मोदी को आतंकवाद का युवराज और मौत का सौदागर कहा था। सोनिया गांधी के दिशा निर्देश पर केन्द्र की यूपीए सरकार पोटा कानून निरस्त कर, आतंकवादी अफजल की फांसी की माफी की वकालत कर और प्रधानमंत्री एक आतंकवादी परिवार के लिए आंखों में आंसू लाकर अपने आतंकवाद के पोषण करने का रवैया पहले ही जग-जाहिर कर चुकी है। चुनाव आयोग को कांगे्रस का यह राष्ट्रवादी रवैया और नरेन्द्र मोदी पर सोनिया गांधी का अमर्यादित व्यक्तिगत आरोप जरा नही अखरा। किन्तु उसे जिस पर आतंकवादी हिंसा के अनेक मामले थे ए.के.४७ जैसा खतरनाक हथियार था उसकी पुलिस मुठभेड़ में हुई का जायजा कहना बेहद नागवार गुजारा। इसके लिए चुनाव आयोग ने मोदी को एक नोटिस भी जारी किया है।
वोट की इस लड़ाई मे जनता फैसला करेगी कि आखीर कौन है मौत का सौदागर।
5 comments: on "मौत का सौदागर"
नेहरु खानदान हमेसा से इस देश को बेच कर खाया है इसकी नई करी सोनिया गांधी और राहूल है,और क्रांग्रेस तो नेहरु खानदान की चमचागीरी के लिये विश्व विख्यात है
मौत का सौदागर और कोई नही सोनीया ही है
गांधी नेहरू परिवार ने देश को हमेशा बेचा और खाया है उसके अलावा उनके पास कोई नीति नही रही है। बहुत अच्छा लगा आपको लिखते देख कर, हिन्दुत्व का प्रखर स्वर जरूर तेज होगा।
राष्ट्र के शत्रुओं के लिये नरेन्द्र मोदी मोत का सौदागर है, तो क्या बुरा है? राष्ट्र भक्तों को स्वीकार है। सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था कि भारत की स्वतन्त्रता के लिये यदि मुझे शैतान से भी हाथ मिलाना पड़े तो मैं मिला लूंगा। उन्होने हिटलर से हाथ मिलाया। मोदी की जीत से खिसियाये हुए कई लोग कह रहे हैं कि चुनाव तो हिटलर भी जीत गया था। भारत के भले के लिये हमें हिटलर भी स्वीकार है।
congresh ek dharmdrohi sarkar hai.
congresh ek deshdrohi sarkar hai.
congresh ek vyaktidrohi sarkar hai.
congresh ka samool nash kar dena chahiye................
jai hindu
jai hindusthan
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