ईसाइ मिशनरी इस देश में सेवा के नाम पर ईसाइय द्वारा यहा के भोले-भाले जनता का देशान्तरण कर रही है
इस कार्य में तथा कथित बुद्धीजिवी वर्ग का खुला सर्मथन प्राप्त है। बुद्धीजिवी वर्ग इस ओर से आख बन्द किये हुये हैं
या बुद्धीजिवी वर्ग को पता नही है कि चर्च के नाम पर इस देश में तरह- तरह के धंधे भी चल रहे हैं। चर्च धर्मान्तरण करने के लिये किसी भी हद तक जा सकता है। चर्च के पादरी अब अपने नाम के पीछे स्वामी शब्द का प्रयोग करते हैं जिससे भोले जनता उन्हें भी किसी हिन्दु साधु या धर्म गुरु समझे और वैसे जनता को आसानी से देशान्तरण के खेल में शामिल किया जा सकता है। झारखण्ड के देवघर में एक चर्च है बाहरी आवरण से किसी भी तरह से चर्च नजर नही आता है और नाम भी शिव जी के नाम पर आश्रम का नाम रखा है लेकिन अगर शिव जी के नाम से अगर कोइ अन्दर चला जाये
तो अन्दर घात लगा कर बैढें चर्च के पादरी यैसा झप्पट्टा मारेंगे कि कुछ दिन बाद आप शिव जी को भुल कर कुछ दिन
में शिव जी को गाली देना शुरु कर देता है यैसे आश्रम कि सख्या इस देश में कम नही है। वैसे ये सिर्फ आश्रम का नाम ही नही बदलतें है। ये अपना उजला चोला उतार कर गेरुआ वस्त्र और तुलसी माला और रुद्राक्ष भी धारण कर के अपने आपको हिन्दु धर्मगुरु दिखाने का कोशीश करते है। प्रयागराज इलाहाबाद में यैसा एक चर्च है और उसका पादरी जो गेरुआ चोला और रुद्राक्ष पहन कर नंगा नाच करता है आप कभी भी जा कर इस बहुरुपिये से मिल सकतें है जो हिन्दु धर्म का सहारा ले कर हिन्दुस्थान को कमजोर करने में जुटा है।
मिशनरी के पादरी सिर्फ कपडा़ बदल कर ही धंधा नही करता है ये दिल्ली जैसे माहानगर में सुन्दर और सेक्सी लड़किया भी मैदान में उतार रखा है जो काँलेज के और जवान लड़को को अपने मोहपास में फँसाती है और अपने रुप सैन्दर्य या फिर जरुरी परा तो सेक्स के द्वारा भी ये आपको फसाँने का कोशीश करेंती हैं। यैसी लडंकिया आपको बस, मेट्रो या किसी भी पब्लिक बाले जगह में अपने ग्राहक तालास करती दिख जाती है जो लड़कों को समय आ फिर किसी कालेज का पता पुछने के बाद ये इतनी ज्यादा घुल मिल जाती हैं कि ये 1-2 दिन के अन्दर सिनेमा हाल, माल या पार्क में डेटिग के रुप में मिलतें है ये डेटिग को ये कामोतेजक बनाती है जिससे की नैजवान लड़का कही भी चलने को तैयार हो जाये। फिर 1 सप्ताह उस लड़के सामने धर्म बदलने का प्रस्ताव रख कर फिर ये किसी नये को खोजने के लिये निकल पडती है।
मिशनरी के द्वारा धर्मान्तरण इस देश पर कितना भारी पर रहा है हमें अब अपने आखों से देख लेना चाहिये। नागालैण्ड में मिशनरी ने जब वहा कि जनता का अच्छी तरह धर्मान्तरण कर दिया तो ग्रेटर नागालैण्ड नामक अलग देश का मांग किया जा रहा है और इसके लिये चर्च ने हथियार के साथ तैयारी कर रखी है।
चर्च के पादरी चर्च के परदे के पिछे क्या क्या गुल खिलाते है हम सभी को पता है जैसे नावालिक लडकियों का यौन शोषण, पादरी चर्च में आने बाली लडकियों के साथ अवैध यौन सबन्ध बनाते रहतें है ये बात हम सभी को पता है। लेकिन सेवा के नाम पर चर्च भेले भाले गरीब जो अपने परिवार के रोटी के लिये जी तोड़ मेहनत करके अपने परिवार और बच्चो का पेट पालतें है और उसी पैसा में से कुछ पैसा बचा कर अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिये बचाता है जिस से अपने बच्चों को पढा़ लिखा करे अच्छा इन्सान बना सके यैसे गरीब आदिवासियों के पैसे पर भी इन मिशनरी का नजर पर गया है अभी कुछ दिन पहले रांची के पास दुमका का घटना है गुड सेफर्ड नामक मिशनरी जो आदिवासियों के बीच में नि:शुल्क शिक्षा, रहने के लिये आवास, मुफ्त पुस्तक और भोजन के नाम पर आदिवासी का पंजीयन कराने के नाम पंजीयन शुल्क 1750 रुपये आदिवासियों से लिया गया और जब पंजीयन के द्वारा जब अच्छा खासा पैसा इक्कठा हो गया तो मौका देख कर गुड सेफर्ड मिशनरी आदिवासियों का पैसा ले कर रफुचक्कर हो गया। जब यहा के गरीब परिवार के द्वरा मिशनरी का खोज खबर लिया गया तो पता चला कि उस क्षेत्र के हजारों आदमी का पैसा ले कर गुड सेफर्ड मिशनरी भाग गया। पुलिस ने मिशनरी के पादरी जोसेफ बोदरा के खिलाफ प्राथमिकता दर्ज कर लिया है।
6 comments: on "ईसाइ मिशनरी का नया धंधा सेवा के नाम पर ठगी"
पहली बार देखा ये ब्लाग और अपने आप को टिप्पणी करने से नही रोक सका।
सच्ची बात कहने के लिये हिम्मत चाहिये जो आपमें है सलाम करता हू आपके सच्चाई को।
अच्छा लेख है लेकिन सेकुलर को तो इस से आग लग जायेगा क्यों कि सच्ची बात उन्हे सुहाती नही है।
अच्छा लिखते हो लिखते रहो किसी का प्रवाह मत करना ।
सब तोडे जाने के काबिल हैं.
मैं आम तौर पर धार्मिक स्थानों पर हमले करने को ग़लत मानता हूँ, पर जब इन धार्मिक स्थानों को चलाने वाले इन का ग़लत मतलब के लिए इस्तेमाल करते हैं तो वह धार्मिक स्थान न रह कर अपराध के अड्डे बन जाते हैं. इन अपराध के अड्डों को नष्ट करना जरूरी है. भारत में चर्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. चर्चों का ग़लत कामों के लिए इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे चर्चों और ऐसे पादरियों पर सरकार द्वारा कार्यवाही की जानी चाहिए. इस देश में सब को अपने धर्म के अनुसार रहने की आज़ादी है पर इस आज़ादी का अगर नाजायज फायदा उठाया जाता है तब इस को कैसे कोई बर्दाश्त कर सकता है? वोट की राजनीति अल्पसंख्यकों को रूझाने के लिए उन के ग़लत कामों को नजर अंदाज कर रही है. जब तक इन बातों को सही नजर से नहीं देखा जायेगा और रोका नहीं जायेगा तब तक यह हिंसा रोकी नहीं जा सकती. अगर परिणाम दुखद हैं तो कारणों को दूर करना होगा.
ये नया नही ये तो इनका पुराना धंधा ही है सेवा के नाम पर ठगी
बहुत सच्ची बात लिखी है। किन्तु चर्च के कपट का केवल अंशमात्र ही है। इनके पास ऐसे-ऐसे हजारो 'हथियार' हैं। कैसे जाओगे बच के?
सच्ची बात कहने के लिये हिम्मत चाहिये जो आपमें है सलाम करता हू आपके सच्चाई को।
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