भारत के इस्लामीकरण का खतरा

अभी कुछ दिनों पूर्व जब मैंने अपने एक मित्र और नवसृजित राजनीतिक आन्दोलन युवादल के राष्ट्रीय संयोजक विनय कुमार सिंह के साथ पश्चिम बंगाल की यात्रा की तो भारत पर मँडरा रहे एक बडे खतरे से सामना हुआ और यह खतरा है भारत के इस्लामीकरण का खतरा। पश्चिम बंगाल की हमारी यात्रा का प्रयोजन हिन्दू संहति के नेता तपन घोष सहित उन 15 लोगों से मिलना था जिन्हें 12 जून को हिन्दू संहति की कार्यशाला पर हुए मुस्लिम आक्रमण के बाद हिरासत में ले लिया गया था। तपन घोष को गंगासागर और कोलकाता के मध्य डायमण्ड हार्बर नामक स्थान पर जेल में रखा गया था। हम अपने मित्र के साथ 23 जून को कोलकाता पहुँचे और दोपहर में पहुँचने के कारण उस दिन तपन घोष से मिलने का कार्यक्रम नहीं बन सका और हमें अगली सुबह की प्रतीक्षा करनी पडी। अगले दिन प्रातः काल ही हमने सियालदह से लोकल ट्रेन पकडी और डायमण्ड हार्बर के लिये रवाना हो गये। कोई दो घण्टे की यात्रा के उपरांत हम अपने गंतव्य पर पहुँचे और जेल में तपन घोष सहित सभी लोगों से भेंट हुई जिन्हें अपने ऊपर हुए आक्रमण के बाद भी जेल में बन्द कर दिया गया था। जेल में हुई भेंट से पूर्व जो सज्जन हमें तपन घोष से मिलाने ले गये थे उन्होंने बताया कि हिन्दुओं का विषय उठाने के कारण उन्हें भी जेल में महीने भर के लिये बन्द कर दिया गया था परंतु उन्होंने जेल के अन्दर की जो कथा सुनाई उससे न केवल आश्चर्य हुआ वरन हमें सोचने को विवश होना पडा कि भारत के इस्लामीकरण का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।

भारत के इस्लामीकरण की सम्भावना व्यक्त करने के पीछे दो कारण हैं जो स्थानीय तथ्यों पर आधारित हैं। एक तथ्य तो यह कि 12 जून को जो आक्रमण हिन्दू संहति की कार्यशाला पर हुआ उसमें अग्रणी भूमिका निभाने वाले व्यक्ति का नाम इस्माइल शेख है जिसका गंगासागर क्षेत्र में दबदबा है और यही व्यक्ति आस पास के क्षेत्रों में जल की आपूर्ति कर करोडों रूपये बनाता है पर बदले में इसकी शह पर गंगासागर से सटे क्षेत्रों में खुलेआम गोमांस की बिक्री होती है। एक ओर जहाँ देश के अन्य तीर्थ स्थलों में गोमांस की बिक्री निषिद्ध है वहीं यह क्षेत्र इसका अपवाद है क्योंकि पूरे गंगासागर में मस्जिदों का जाल है और इस्माइल शेख की दादागीरी है। रही सही कसर कम्युनिष्ट सरकार ने पूरी कर दी है और यहाँ तीर्थ कर लगता है। गंगासागर में प्रवेश करने के बाद आंखों के सामने मुगलकालीन दृश्य उपस्थित हो जाता है और ऐसा प्रतीत होता है मानों इस्लामी क्षेत्र में हिन्दू अपने लिये तीर्थ की भीख माँग रहा है।

इससे पूर्व जब लोकमंच पर इस घटना के सम्बन्ध में लिखा गया था तो आशंका व्यक्त की गयी थी कि यह पहला अवसर है जब पश्चिम बंगाल में कम्युनिष्ट और इस्लामवादियों ने मिलकर किसी हिन्दू तीर्थ पर आक्रमण किया है। पश्चिम बंगाल की यात्रा के बाद यह आशंका पूरी तरह सत्य सिद्ध हुई जब कोलकाता से गंगासागर तक पड्ने वाले क्षेत्रों की भूजनांकिकीय स्थिति के बारे में लोगों ने बताया। कुछ क्षेत्र और जिले तो ऐसे हैं जहाँ दस वर्षों में जनसंख्या की वृध्दि की दर 200 प्रतिशत रही है। कभी कभार कुछ जिलाधिकारियों या आईएएस अधिकारियों ने अपनी ओर से अपने क्षेत्र की जनसंख्या का हिसाब कर लिया और जिन लोगों ने इस विषय़ में अधिक रुचि दिखाई उनका स्थानांतरण कर दिया गया। फिर भी भगोने के एक चावल से पूरे चावल का अनुमान हो जाता है और उस अनुमान के आधार पर कहा जा सकता है कि पश्चिम बंगाल में इस समय जनसंख्या का अनुपात पूरी तरह बिगड गया है और इसका सीधा असर इस्लामवादियों की आक्रामकता में देखा जा सकता है।


मुस्लिम घुसपैठियों की जनसंख्या से जहाँ एक ओर इस राज्य के इस्लामीकरण का खतरा उत्पन्न हो गया है वहीं कम से 1 करोड हिन्दू इस राज्य में ऐसा है जिसे देश या राज्य के नागरिक का दर्जा नहीं मिला है, एक ओर जहाँ बीते दशकों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का स्वागत इस राज्य में राजनीतिक दलों ने दोनों हाथों में हार लेकर किया है वहीं 1971 के बाद से बांग्लादेश से आयए हिन्दुओं का नाम भी मतदाता सूची में नहीं है और यदि उन्हें नागरिक का दर्जा दिया भी गया है तो पिता का नाम हटा दिया गया है। इस पर तीखी टिप्पणी करते हुए एक बंगाल के हिन्दू ने कहा कि हमें तो सरकार ने “हरामी” बना दिया और बिना बाप का कर दिया। लेकिन इस ओर किसी भी राजनीतिक दल का ध्यान नहीं जाता। यही नहीं तो एक बडा खतरा यह भी है कि मुस्लिम घुसपैठी न केवल मतदाता सूची में अंकित हैं, या उनके पास राशन कार्ड है उन्होंने अपना नाम भी हिन्दू कर लिया है और सामान्य बांग्लाभाषियों के साथ घुलमिल गये हैं। यह इस्लामी आतंकवादियों और इस्लामवादियों के सबसे निकट हैं जो कभी भी राज्य की सुरक्षा और धार्मिक सौहार्द के लिये खतरा बन सकते हैं।

ऐसा नहीं है कि इस असहिष्णुता का असर देखने को नहीं मिल रहा है। जेल में एक माह बिता चुके एक हिन्दू नेता ने बताया कि डायमण्ड हार्बर जेल में 7 नं. की कोठरी ऐसी है जिसमें केवल मुसलमान कैदी हैं और उन्होंने अपनी कोठरी के एक भाग को कम्बल से ढँक रखा है और उसे “ कम्बल मस्जिद” का नाम दे दिया है। इस क्षेत्र के आसपास के स्नानागार और शौचालय में काफिरों को जाने की अनुमति नहीं है तो यही नहीं हिन्दुओं को ये लोग इस कदर परेशान करते हैं कि उन्हें शौचालय में अपने धर्म के विपरीत दाहिने हाथ का प्रयोग करने पर विवश करते हैं। मुस्लिम कैदियों की एकता और जेल के बाहर उनकी संख्या देखकर जेल प्रशासन भी उनकी बात मानने और उन्हें मनमानी करने देने के सिवा कोई और चारा नहीं देखता।

पश्चिम बंगाल में जिन दिनों हम यात्रा पर थे उन्हीं दिनों जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा को लेकर चल रहे विवाद के बारे में भी सुना। जेल में तपन घोष से मिलने के बाद जब हम किसी घर में भोजन कर रहे थे तो टेलीविजन पर अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन देने के मामले पर चल रहे विरोध प्रदर्शन पर कश्मीर घाटी के पूर्व आतंकवादी और जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक का बयान आ रहा था कि अमरनाथ यात्रा का प्रबन्धन पिछले अनेक वर्षों से मुस्लिम हाथों में है और इसकी रायल्टी से कितने ही मुस्लिम युवकों को रोजगार मिलता है। कितना भोंडा तर्क है यह कि हिन्दू तीर्थ यात्रा का प्रबन्धन मुस्लिम हाथों में हो क्या ये मुसलमान अजमेर शरीफ का प्रबन्धन, वक़्फ बोर्ड का प्रबन्धन, हज का प्रबन्धन हिन्दू हाथों में देंगे तो फिर अमरनाथ यात्रा का प्रबन्धन मुस्लिम हाथों में क्यों क्योंकि कश्मीर मुस्लिम बहुल है और मुस्लिम कभी सद्भाव से रहना जानता ही नहीं।

अमरनाथ यात्रा को लेकर जो विवाद श्राइन बोर्ड को राज्यपाल द्वारा दी गयी जमीन से उठा था उसकी जडें काफी पुरानी हैं। 2005 में भी जब तत्कालीन राज्यपाल ने अमरनात यात्रा की अवधि बढाकर 15 दिन से दो माह कर दी थी तो भी तत्कालीन पीडीपी मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने इसका विरोध कर इस प्रस्ताव को वापस यह कहकर किया था कि प्रदूषण होगा और सुरक्षा बलों को यात्रा में लगाना पडेगा जिससे कानून व्यवस्था पर असर होगा। बाद में सहयोगी कांग्रेस के दबाव के चलते मुफ्ती को झुकना पडा था और यात्रा की अवधि बढ गयी थी। इसी प्रकार मुख्यमंत्री रहते हुए मुफ्ती ने राज्यपाल एस.के.सिन्हा के कई निर्णयों पर नाराजगी जतायी थी। मुफ्ती ने कुछ महीने पूर्व जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी मुद्रा चलाने का भी सुझाव दिया था तो पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती तो खुलेआम पाकिस्तान की भाषा बोलती हैं। ऐसे में अमरनाथ यात्रा को लेकर हुआ विवाद तो बहाना है असली निशाना तो कश्मीर का इस्लामीकरण है। कश्मीर का इस्लामीकरण पूरी तरह हो भी चुका है कि वहाँ की सरकार ने घुट्ने टेक दिये और इस्लामी शक्तियों की बात मान ली। परंतु कश्मीर में हुए इस विरोध और सरकार को झुका लेने के इस्लामी शक्तियों के अभियान के अपने निहितार्थ है और ऐसे ही प्रयास स्थानीय विषयों को लेकर प्रत्येक मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में होंगे। पश्चिम बंगाल, असम, बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र अब अगले निशाने पर होंगे जब वहाँ से एक और पाकिस्तान की माँग उठेगी। इससे पूर्व कि भारत के इस्लामीकरण का मार्ग प्रशस्त हो और देश धार्मिक आधार पर कई टुकडों में विभाजित हो जाये हमें अपनी कुम्भकर्णी निद्रा त्याग कर इस्लाम के खतरे को पहचान लेना चाहिये जो अब हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।
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2 comments: on "भारत के इस्लामीकरण का खतरा"

Arnab said...

u should write in english. u will get a bigger audience.

chandan said...

Thanks Arnab I will try