हिन्दुस्तान भी ऑस्कर की किताब में अपना नाम लिखवा लिया। इज्जत से ना सही बेईज्जत से ही लेकिन हिन्दुस्तान का भी नाम हो गया। स्लमडॉग के निर्माता विदेशी हैं तथा इसमें काम करने बाले कुछ कलाकार भी मानसिक रुप से विदेशी है। इसी में एक है श्री मान अनिल कपुर जी जब उन्हें ऑस्कर के मंच पर पैर रखने का थोडा़ सा जगह मिला तो दिखा दिये अपना राज ठाकरे मानसिकता और दे दिया नारा जय महाराष्ट्रा, जय मुम्बई लेकिन जिस देश का नाम लेकर गये थे हिन्दुस्तान का बेइईज्जती करने उस हिन्दुस्तान का जयकारा उन्कें मुहँ से नही फुट पाया मि़ अनिल कपुर के मुह से जय हिन्दुस्तान या जय भारत का बोल नही निकल पाया। हिन्दुस्तान आज भी विश्व मानचित्र में एक असभ्य, बर्बर, अशिक्षीत, सपेरों का देश के रुप में जाना जाता है और स्लमडॉग फिल्म में भी यही सब दिखाया गया है। और तो और हिन्दू के भगवान श्री राम का गलत चित्रन भी किया गया है। हिन्दूओं को दंगाई भी दिखाया गया है। और हिन्दुस्तान में रहने बाला हर आदमी भीखारी है ये बात सही है लेकिन स्लमडॉग के माध्यम से अब इस बात को पुरा विश्व देखेगा।
हिन्दुस्तान आज महाशक्ति बनने का दंभ भर रहा हैं लेकिन यहाँ के नागरिक का मानसिकता अभी भी गुलामों जैसा है। आज के समय में हिन्दुस्तान के इंजिन्यर, डाक्टर, साफ्टवेयर डेव्लपर जैसे प्रोफेसनल का माँग विश्व को सबसे ज्यादा है हम हिन्दुस्तानीयों के बिना इन सबका काम शायद ना चले तभी तो अमेरिका के हर चुनाव के पहले आउटसोर्सिंग को लेकर हल्ला मचाया जाता है लेकिन वहाँ जो भी राष्टृपति बनता है इस मुद्दे पर चुप्पी साध लेता है कारण सिर्फ एक है हम हिन्दुस्तानीयों के बिना उनका देश सुपरपावर नही बन सकता है। लेकिन बीच-बीच में इन्ही देश से हमें ये एहसास दिया जाता है कि हिन्दुस्तानीयों तुम कितने भी तरक्की कर लो तुम रहोगे तीसरी दुनिया के असभ्य ही इसमें कुछ हिन्दुस्तानियों का भी भरपुर सहयोग रहता है। स्लमडॉग फिल्म के बनाने बाले विदेशी फिल्म बना हिन्दुस्तान में इसमें काम करने बाले कलाकार हिन्दुस्तानी, और यही कलाकारों के द्वारा हम हिन्दुस्तानियों को अपना औकाद बता दिया गया कि हिन्दुस्तानी तुम कितने भी तरक्की करलो तुम रहोंगे दंगाई ही।
स्लमडॉग को ऑस्कर मिला समाचार चौनलों के माध्यम से देख रहा हू आज सारा हिन्दुस्तान जय हो के नारा लगा रहा यहाँ तक कि स्लमडॉग का नाम सुनकर मेरा पालतु कुत्ता भी दुम हिलाने लगता है जैसे कि स्लमडॉग और कोई नही मेरा कुत्ता का कुम्भ के मेले में खोया हुआ कोई भाई हो। आज हिन्दुस्तान के नागरिक किसी और देश के मुहताज नही है हिन्दुस्तानी मेहनत से अपना और इमान्दारी से अपना एक अलग मुकाम हासिल कर लिया है और यही मेहनत और इमान्दारी आज विश्व के हर कोने में फैले हुये हिन्दुस्तानि को सिना तान कर जिना सिखा रहा है लेकिन शायद हमारे देश के चन्द कलाकारों को शायद यह इज्जत पसन्द नही है इस लिये चले जाते है ऑस्कर के मन्दिर में सर छुकाने। क्या होता अगर स्लमडॉग को ऑस्कर मिलता और हमारे हिन्दुस्तान के कलाकार वहाँ नही जाते, क्यों नही अनिल कपुर जैसे कलाकार ने पटकथा में हिन्दुस्तान का बुराई देखकर फिल्म में काम करने से मना कर दिया। कोई जलजला नही आता, कही आग नही लगता, कोई नागरिक नही मरते, कोई पाकिस्तान हिन्दुस्तान पर परमाणु बम नही गिराता। सिर्फ इतना होता कि हिन्दुस्तान का इज्जत बचा रह जाता और हम हिन्दुस्तानी विश्व को दिखा देते देखो हम हिन्दुस्तानि के पास अपना जमीर है हम इमान्दार हैं हम मेहनती हैं हम समझदार हैं हम खुद्दार है। स्लमडॉग से भी कई अच्छी फिल्मों को आस्कर नही दिया गया। लगान अच्छी फिल्म थी आस्कर मिलना चाहिये था लेकिन गोरी चमरी बाले ये कैसे बर्दास्त कर लेते कि अग्रेज हिन्दुस्तानियों से पीटे। अच्छी फिल्म होने के बावजुद लगान को ऑस्कर नही मिला। और आज जाकर स्लमडॉग को ऑस्कर मिला। और हम खुश हो गये अपने उपर ही बेहायायी हँसी हँसते हुये हम अपना ही पिठ ठोक रहें हैं चलो हिन्दुस्तान को भी ऑस्कर मिल गया।
वाह रे मानसिकता ----- जय हो
3 comments: on "जय महाराष्टृ, जय मुम्बई और हिन्दुस्तान जाये भाड़ में"
जो लोग हिन्दुस्तान में पैदा होते हैं, हिन्दी में बोलना शुरु करते है हिन्दी में सोचते हैं, हिन्दी फिल्मों में काम करते है, हिन्दी दर्शकों के पैसे से मलामाल होते हैं, वो बात अंग्रेजी में करते हैं, उनसे कोई प्रश्न हिन्दी में करता है तो उत्तर भी अंग्रजी में ही देते है। डरपोक इतने कि राज ठाकरे के डर से विदेश में भी जय महाराष्ट्रा जय मुम्बई बोल कर भारत में क्षेत्रवाद की जडों को ही सींचते हैं। वो देश के दुशमन नही हैं तो क्या हैं। किसी ने सही ही कहा है कि नाटक, नौटंकी व उनमे काम करने वाले कल्पनालोक में जीते हैं, सत्य से इन्हैं कोइ लेना-देना होता
नही है
aapne bilkul sahi likha hai...........
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